एक के साथ दूसरी मुफ़्त-1

एक के साथ दूसरी मुफ़्त-1

प्रेषक : संजय शर्मा

दोस्तो,

मेरी कहानियों

को पढ़ कर आपने जो मेल किये उसके लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद। आप लोगों के प्रोत्साहन के कारण मैं आप लोगो के सामने अपनी नई कहानी लेकर आया हूँ, आशा करता हूँ कि मेरी पिछली कहानियों की तरह यह भी आपको संतुष्ट कर पायेगी।

सेक्स मेरी कमजोरी है और सेक्स के लिए मैं जो कर सकता था, मैंने किया। अब मेरे लिए हर लड़की को सिर्फ चोदने की ही नज़र से देखता हूँ। किसी भी लड़की को देखते ही मैं उसके जिस्म का अंदाजा लगाना शुरु कर देता हूँ कि उसके वक्ष का क्या आकार है, उसकी चूत कैसी होगी। मेरी नज़रें लड़की के कपड़ों के ऊपर से उसके जिस्म का नाप लेने लगती हैं। हर वक़्त यही सोचता रहता हूँ कि कैसे मुझे नई लड़की चोदने को मिले। बड़े बड़े चूचों और मस्त फिगर वाली लड़कियाँ मुझे बहुत आकर्षित करती हैं और हर वक़्त उनकी तलाश करता रहता हूँ। नई नई नग्न पिक्चर देख कर नए नए आसन सीखता रहता हूँ।

आज जो कहानी मैं आपके सामने रख रहा हूँ वो कहानी मेरी एक दोस्त की है जिसको उसकी सहेली के साथ मैंने चोदा था। पर इस कहानी का असली मज़ा लेने के लिए आप लोगों को थोड़ी कल्पना का भी साथ भी लेना होगा तभी आप लोग मेरे उस मज़े को महसूस कर सकते हैं जो मैंने उस चुदाई के समय महसूस किया था।

वैसे तो मेरी कई महिला दोस्त हैं और मैं उनसे बात भी करता रहता हूँ पर मैं इतना बड़ा चुदक्कड़ हूँ यह बात मेरी कुछ ही दोस्तों को मालूम थी और उन लोगों ने मेरे साथ कई बार मज़े भी लिए थे सो मुझे भी जब और कोई न मिलता तो मैंने अपनी उन दोस्तों की मदद लेता था और अपनी प्यास बुझाता था।

एक दिन मेरी एक दोस्त ने मुझे कॉल किया और एक जगह मिलने के लिए बुलाया। मेरी वो दोस्त बहुत ही मस्त फिगर वाली थी और हमने कई बार सेक्स के मज़े भी लिए थे। सो मैं उससे मिलने चला गया पर उस दिन उसके साथ उसकी एक और सहेली भी थी जिसको देखते ही मेरा लण्ड पूरे जोर से खड़ा हो गया था। 5″7′ लम्बाई, वक्ष का आकार 34 के आप पास और एकदम तराशा हुआ बदन। मेरा लण्ड तो एक आम सी लड़की के लिए भी सलामी देने लगता था पर यह तो एक भरे-पूरे बदन वाली लड़की थी जिसके लिए तो किसी का भी लण्ड सलामी देने लगे।

मेरी दोस्त ने उस नई लड़की से मेरा परिचय कराया। मैं अपनी दोस्त और उस लड़की के साथ एक घंटा रहा और हम लोगों ने साधारण बातें की। बीच बीच में हम धीरे धीरे अपने सेक्स-सम्बन्धों की भी बात कर रहे थे जो उसकी सहेली को समझ नहीं आ रही थी। फिर हम लोग एक-दूसरे से बाय बोल कर निकल गए। एक घंटे बाद मेरी दोस्त का कॉल आया और उसने मुझे बताया कि उसका आज बहुत मन कर रहा है पर अपनी दोस्त के कारण वो बात नहीं कर पाई। उसने बताया कि वो अपनी दोस्त को छोड़ कर रात में फ्री हो जाएगी सो हम लोग आज रात को मिल कर मज़े कर सकते हैं।

हमने समय तय किया और मिलने का वादा किया।

मैं अपनी दोस्त के बारे में भी आपको बता दूँ कि वो भी कम माल नहीं थी। एकदम मस्त और जबरदस्त जिस्म की मालिक थी वो, जो अच्छों अच्छों के लण्ड को उनकी पैंट के अंदर ही धरशायी कर दे। उसका एक बॉयफ्रेंड भी था जो मुंबई में रहता था और उससे मिलने कम ही आ पाता था तो हम लोगों को कोई परेशानी नहीं होती थी।

तो जैसा तय था, मैं अपने निश्चित समय पर उसके घर पहुँच गया जहाँ वो अकेली रहती थी। पर घर पर ताला लगा हुआ था, मैं हेरान था कि मुझे समय देकय कहाँ चली गई वो !

मैं उसको कॉल करने ही लगा था कि वो सामने से आती हुई दिखाई दी, उसके साथ उसकी वही दोस्त थी तो मुझे कुछ समझ नहीं आया कि यह यहाँ क्या कर रही है। वो भी मुझे वहाँ देख कर हैरान थी।

मैंने बात सँभालने के लिए कहा- मैं एक पार्टी मैं जा रहा था तो सोचा कि तुमको भी साथ ले लूँ।

मेरी दोस्त ने भी बात को सँभालते हुए कहा- वो तो ठीक है पर मेरी दोस्त मनीषा यहीं रुक रही है तो वो मेरे साथ नहीं जा सकती।

मुझे लगा कि आज मेरी रात की वाट लग गई। मेरी दोस्त भी यही समझ रही थी तो वो बोली- मनीषा के घर वालों को अचानक कहीं जाना पड़ा तो यह मेरे साथ ही आ गई ! क्यों न हम लोग बाहर न जाकर घर ही पार्टी करें।

हम दोनों तो ड्रिंक करते थे पर मनीषा का मुझे पता नहीं था पर मैंने उन लोगों के साथ रहने और मौका मिलने की आशा में हाँ कर दी। थोड़ी देर में ही मेरी दोस्त राधिका ने (माफ़ करियेगा मैंने अपनी दोस्त का नाम तो बताना ही भूल गया) सारा इंतजाम कर दिया, वह बोतल और तीन ग्लास लेकर आई, मतलब मनीषा भी पीती थी। मेरे लिए तो वो अच्छा था। मैंने सोच रहा था कि काश मनीषा भी रंगीन मिजाज़ की हो तो मज़ा आ जायेगा।

जब हमने ड्रिंक शुरु किया तो धीरे धीरे मनीषा भी खुलने लगी थी। वो काफी बातें कर रही थी पर मेरी नज़र तो उसके जिस्म पर थी। तीन पेग लेने के बाद राधिका और मनीषा अंदर कमरे में गई और नाईट सूट पहन कर बाहर आई।

राधिका बोली- खुल कर पीने का मज़ा ही कुछ और है !

उसने मुझे भी कपड़े बदलने को बोला।

मेरा मन तो बहुत था पर मनीषा के कारण मैंने कहा- नहीं, मैं घर चला जाऊँगा।

तो राधिका बोली- इतनी रात को घर जाकर क्या करोगे, यहीं रुक जाओ !

और मुझे आँख मारी। मैं उसका इशारा समझ गया।

उसने मुझे कहा- अंदर अलमारी में मेरे बॉय फ्रेंड का सूट रखा है, वही पहन लो।

यह कह कर वो दोनों अपने अगले पेग को ख़त्म करने में लग गई। मैं अंदर गया पर मुझे वो सूट नहीं मिला तो मैंने अपनी दोस्त को आवाज़ दी।

थोड़ी देर में वो अंदर आई, तब तक उसके कदम हिलने लगे थे, वो सीधे अंदर आई और मुझसे लिपट गई और मुझे चूमने लगी और बोली- सूट तो यहाँ था ही नहीं तो मिलेगा कहाँ से।

मैं भी हंसने लगा और उसने मुझे बिस्तर पर पटक दिया और मेरे ऊपर लेट कर मुझे अविरत चूमने लगी। मैंने भी उसको चूम रहा था और हम दोनों एक दूसरे को चूमने में इतने व्यस्त हो गए कि हम लोगों को मनीषा का ध्यान ही नहीं रहा।

तभी हमें दरवाजे पर आहट सुनाई दी तो हम लोग अलग अलग हो गए।

कहानी अभी बाकी है।

संजय शर्मा

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