दोस्त की सौगात

दोस्त की सौगात

नमस्कार अन्तर्वासना के सभी पाठकों को ! मैं अमित नेहरा फिर से अपने जीवन की छोटी सी घटना लेकर हाजिर हुआ हूँ आशा करता हूँ कि आपको पसंद आएगी।

रिया ओर कोमल के साथ तो मैं कुछ कर नहीं पाया, मैं बहुत परेशान हो चुका था, सोचता था एक बार तो सेक्स करना ही है। तो मैंने अपन एक दोस्त से पूछा- यार, तू बाहर रहता है, तेरी कोई गर्ल्फ़्रेन्ड नहीं है क्या ? उसकी किसी सखी से मेरी दोस्ती करा दे !

तो उसने मुझसे बोला- ठीक है, पर मैं तुझे नम्बर दे दूँगा, बात तुझे खुद करनी है।

मैंने उसे बोला- ठीक है !

उसने मुझसे कहा- थोड़ी मोटी है !

मैंने उसे बोला- मोटी हो या पतली, चूत सभी के पास होती है।

तो उसने मुझे नम्बर दे दिया। मैंने उस नम्बर पर मैसेज किया।

उसने पूछा- कौन?

तो मैंने रिप्लाई दिया- सॉरी ग़लती से मैसेज हो गया ! पर आप कहाँ से? और आपका शुभ नाम?

तो उसने गुस्सा होते हुए कहा- आज के बाद मैसेज मत करना !

मैंने उसे फ़िर रिप्लाई दिया- ओके लेकिन अपना नाम तो बता दो !

तो उसने अपना नाम मुझे स्वाति बताया।

मैंने उसे थॅंक्स बोला और उसके बारे में कुछ ओर जानने की सोची तो उसने बड़े ही गुस्से में कहा- मैं पुलिस में तुम्हारा नम्बर दे दूँगी। मैंने सोचा कि इस समय बात करने का लाभ नहीं है, फ़िर कभी करता हूँ। उसका बाद मैंने उसे मैसेज नहीं किया। मैंने अपन दोस्त से बात की- यार, वो तो बहुत ही गुस्से वाली है, बात बन जाएगी ना?

तो उसने बोला- बात करके देखना !

दोबारा मैंने उसे तीन दिन बाद मैसेज किया, उसने फ़िर से मुझसे यही पूछा- कौन?

तो मैंने उसे कहा- सॉरी आपको उस दिन मेरी वजह से गुस्सा आया ! मेरे दिल में ऐसा कोई विचार नहीं था कि जिससे आपको गुस्सा आया ! मैं तो बस आपसे दोस्ती करना चाहता हूँ, और कुछ नहीं !

तो उसने मुझसे पूछा- तुम कहाँ से हो?

तो मैंने उसे कहा- गाज़ियाबाद से !

मैंने उससे उसके बारे में पूछा तो उसने बताया- मैं दिल्ली से हूँ, शादीशुदा हूँ, मैं अपने पति के साथ में ही रहती हूँ, बच्चा अभी कोई नहीं है।

तो ऐसे हमारी बात होती रही, इसी तरह से हम दोनों की दोस्ती होती रही, हम फ़ोन पर एक दूसरे की सेक्स की लाइफ की बात करने लगे।

उसने बताया कि उसका पति सेक्स में कभी इतनी रुचि नहीं लेता जितनी मुझे है।

मैंने उससे पूछा- क्या कभी तुम्हारे पति ने तुम्हारी चूत को चाटा है?

तो उसने कहा- नहीं !

हम दोनों ने एक महीना मोबाइल पर ही बात की तो मैंने उसे बोला- क्या हम मिल सकते हैं?

तो उसने बोला- मैं परसों गाज़ियाबाद आऊँगी, आप मुझे स्टेशन पर लेने आ जाना !

उसने मुझे अपने पहनने वाले कपड़ों के बारे में बताया पहचान के लिए !

तो मैं उसे साहिबाबाद रेल स्टेशन पर लेने पहुँच गया ! सही टाइम पर रेल रुकी और सही टाइम पर मैं भी अपनी मोटरसाइकिल से वहाँ पहुँच गया। उसकी कॉल आई- कहाँ हो?

तो मैंने उसे प्लेटफॉर्म की सीढ़ियों पर आता हुआ देख लिया और बोला- मैं तुम्हारे सामने ही हूँ, सीधा आ जाओ !

पहली बार उसे देखा था, उसका साईज़ क्या बोलूँ, आप समझ सकते हो कि मोटे इंसान का कोई फिगर नहीं होता, बस साइज़ होता है। मेरा दिल तो बहुत खुश था क्योंकि आज चूत जो मिलने वाली थी !

न जाने कब की तलब आज पूरी होने वाली थी।

मैंने उसे बोला- बहुत भूख लगी है, पहले खाना खाने चलते हैं। फिर लोंग ड्राइव पर !

हम दोनों ने एक रेस्तराँ में खाना आर्डर किया। उसके बाद हम दोनों बैठ कर बात करने लगे।

मैंने अपनी नज़र चारों तरफ़ घुमाई, बाकी टेबल खाली थी और जो रेस्टोरेंट का दरवाजा था उस पर काला शीशा लगा हुआ था जिसमें से अंदर का कुछ नहीं दिखता था पर अंदर काउंटर वाला आदमी सब कुछ देख सकता था। मैंने मौका देख कर स्वाति के होंठों पर एक चुम्बन किया और दोबारा दरवाजे की तरफ़ देखा तो वहाँ कोई नहीं था। उसके बाद मैंने देखा कि काउंटर वाला आदमी इधर ही देख रहा है। मैंने कुछ भी करना मुनासिब नहीं समझा। हम थोड़ी देर में खाना खाकर वहाँ से निकल लिए।

बाइक पर मैंने उसे अपनी पीठ से चिपका कर अपन पीछे बिठा लिया और उसने मुझे पीछे से पकड़ लिया। मेरा लंड तो पहले से ही झटके मार रहा था। मैंने उसका हाथ पकड़ कर पैंट के ऊपर से लंड पर रख दिया। उसने उसे बड़े प्यार दबा कर पकड़ लिया और बोली- यह तो पहले से ही तैयार लगता है।

मैंने कहा- हां तुम्हें देखते ही सलाम करने लगा था।

हम गाज़ियाबाद से काफ़ी दूर आ चुके थे, मैं कुछ सुनसान जगह खोज रहा था तो मुझे एक रास्ता नज़र आया, एक नहर की साइड में सड़क थी, धूप काफ़ी तेज थी, गर्मी भी बहुत थी, कुछ दूर आगे चलने का बाद सड़क के किनारे आम का पेड़ था, काफ़ी अच्छी छाँव थी, मैंने उसे बोला- हम यहीं रुकेंगे !

कुछ देर रुक कर मैंने रास्ते के दोनों तरफ़ देखा, कोई नहीं आ रहा था, ऐसी धूप में बहुत कम लोग निकलते हैं।

तो उसने मुझसे कहा- मुझे टॉइलट जाना है।

तो मैंने कहा- कर लो, मैं यहीं हूँ !

तो वो आम के पेड़ के बराबर में सड़क से नीचे उतरी और अपनी सलवार नीचे कर के मूतना शुरू करके मुझसे बोली- इधर मत देखना ! मैं कहाँ मानने वाला था, उसे मूतते हुए ही देखा !उसके बाद मैंने उसे बोला- अब मैं मूतने जा रहा हूँ।

और मैं नीचे उतर कर खेत में उसके सामने लंड बाहर निकाल कर मूतने की कोशिश करने लगा। लंड जब खड़ा हो तो मूत नहीं आता। ऐसा ही हुआ, उसने मेरी तरफ़ देखा और उसकी नज़र मेरे लंड पर गई, उसका मुँह खुला का खुला रह गया।

उसे देख कर मैं लंड को ऐसे ही भीतर करके उसका पास गया और फ़िर लंड बाहर निकाल कर उसके हाथ में दे दिया, उसे पूछा- कैसा लगा?

तो उसने बोला- बहुत अच्छा है, मेरे पति का ऐसा नहीं है।

मैंने उसकी सलवार में अपना हाथ डाल दिया और उसकी चूत पर ले गया। उसकी छूट काफ़ी टाइट लग रही थी और गीली भी हो चुकी थी। वो मेरे लंड को आगे पीछे कर रही थी और रास्ते की तरफ़ भी हम देख रहे थे, कहीं कोई आ ना जाए !

फ़िर मैं उसका हाथ पकड़ कर नीचे खेत में ले आया और देखा कि सड़क की तरफ़ काफ़ी झाड़ी है ओर दूसरी तरफ़ पूरा खेत खाली है।

अब मैं कहाँ रुकने वाला था, मैंने उसका चुम्मा लिया और उसे बोला- अपनी सलवार नीचे करो !

उसने सलवार नीचे की और मैंने अपना लंड उसका आगे से खड़े खड़े चूत में डालने लगा पर लंड अंदर नहीं गया, मैंने उसे कहा- आप नंगी हो जाओ !

उसने वैसा ही किया, उसके पीछे जाकर मेरा विचार बदला, उसके गोल चूतड़ों के बीच में साफ चूत देख कर मुझसे रुका नहीं गया, मैंने अपनी जीभ उसकी चूत पर लगा दी और चाटने लगा। बहुत मस्त खुशबू आ रही थी। मैं अपनी जीभ उसकी चूत में गोल गोल घुमाने लगा, उसको बर्दाश्त नहीं हुआ, उसने कहा- जल्दी लंड डालो !

मैंने अपने लंड पर थूक लगा कर चूत पर टिका दिया और धीरे से अंदर करते हुए पूरा लंड अंदर डाल दिया। मुझे लंड पर उसकी चूत का कसाव बहुत लगा, वो तो अपनी आँखें बंद किए बस लंड का पीछे से मज़ा ले रही थी। फ़िर टाइम ना गंवाते हुए मैंने उसकी चुदाई शुरू कर दी। वो हर धक्के पर आगे को हो जाती थी मगर कुछ बोल नहीं रही थी,

15 मिनट चुदाई के बाद मैं उसे बोला- मैं झड़ने वाला हूँ !

तो उसने कहा- अंदर ही झड़ना !

और हम दोनों साथ में ही झड़े !

मैंने अपना लंड जब बाहर निकाला तो उसके और मेरे पानी से लंड पूरा भीगा हुआ था। तब मैंने उसका चेहरा देखा तो वो बहुत खुश थी, और बोल रही थी कि उसे बच्चा चाहिए इस लिए उसने मुझे अंदर झड़ने के लिये बोला।

मैंने उसे बोला- अगर भगवान चाहेगा तो आपको ज़रूर बच्चा होगा, आपने मुझे खुश किया, बरसों की तड़प पूरी की !

फ़िर एक गहरा किस करके हम दोनों वहाँ से चल दिए और उसे स्टेशन पर छोड़ कर अपने घर आ गया।

उस दिन को आज भी याद करता हूँ, बहुत अच्छा लगता है।

स्वाति को जो चाहिए था, उसे वो मिल गया, वो माँ बनी, वो बच्चा भी मेरा ही था, उसने मुझे बताया था। वो बहुत खुश है।उसके बाद मैंने कभी उसे मिलने के लिए नहीं बोला क्योंकि उसकी अपनी शादीशुदा जिन्दगी है, जब तक वो नहीं कहेगी, मैं उसे नहीं मिलूँगा।

आपको कैसी लगी मेरी कहानी? मुझे बताइएगा !

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