खूब चोदा मुझे और मेरी दोनों बेटी को

खूब चोदा मुझे और मेरी दोनों बेटी को

 

मेरा नाम आशा है, मैं दिल्ली में रहती हु, मैं 40 साल की, और मेरी बेटी एक पायल 20 साल की और तनवी 19 की हु, आज मैं आपको अपने ज़िंदगी की सबसे रोमांटिक घटना सुनाने जा रही हु. आशा करती हु की आपको मजा आएगा, मैं इस वेबसाइट की रेगुलर पाठक हु,. तो आज मेरा भी मन कर गया की मैं भी अपनी एक सच्ची कहानी पेश करू, मैं गृहणी हु, और मेरी दोनों बेटियां कॉलेज में पढ़ती है, मेरे पति शिमला में रहते है वो वहां एक होटल में मैनेजर है, मुझे दिल्ली में इसलिए रहना होता है की दोनों बेटियों का कॉलेज यही है.

ये कहानी आज से ३ साल पहले की है, मैं किराये पर रहती थी, मेरे मकान से दो मकान छोड़कर टॉप फ्लोर पे एक लड़का रहता है, वो ज्यादा रविवार को या तो शाम को दीखता था, मेरी दोनों बेटियां उसपर खूब लाइन वाजी करती थी ऐसा मैं कई बार देखा है, मैंने मना भी किया की ऐसे किसी लड़के को छेड़ते हो तुम्हे शर्म नहीं आती तो वो लोगो हसी मजाक में बात उड़ा देती कहती, मम्मी देखो ना क्या सॉलिड माल है, आपको नहीं लगता है अगर वो मेरे पति बन जाए, तभी तनवी कहती की नहीं नहीं पायल दीदी वो मेरा पति बनेगा तो अच्छा लगेगा, और मैं मन ही मन सोचती की चलो अगर वो लड़का पट गया तो अच्छा है शादी करवा देंगे इसवजह से मैं भी ज्यादा रोकटोक नहीं करती थी, सच तो ये है की मुझे भी वो लड़का (उसका नाम था पंकज) बहुत अच्छा लगता था, मैं भी सोचती थी की अगर मौक़ा मिलेगा तो मैं भी मुह मार लुंगी.

इस तरह से दिन बीतता गया, पर वो काफी शर्मीला किस्म का लड़का था वो ज्यादा ध्यान नहीं देता था, मेरी दोनों बेटियां लगी रहती थी पर कोई फायदा नहीं हुआ, पर इतना हुआ की हेलो हाई स्टार्ट हो गया था, पंकज जब निचे उतरता या गली में जब कभी मिलता तो वो बात चित करने लगा था पायल और तनवी से, और जब भी वो कभी मुझे मिलता था तब वो सर हिला के नमस्ते कहता था, एक दिन की बात है वो संडे का दिन था सर्दी का मौसम था, पंकज छत पे था उसके साथ एक औरत थी, नई नवेली दुल्हन सी, ये बात मेरी बेटी ने बताई की देखो ना पंकज के साथ ये औरत कौन है, पता चला की वो उसकी बीवी है, पंकज की शादी छह महीने पहले ही हो चुकी थी और उसकी बीवी गाँव में थी, क्या बताऊँ मेरी दोनों बेटियां इतनी उदास हो गई की बता नहीं सकते,

मैंने उन्दोनो की दिलासा दिलाया की बेटी इंसान को वो सब कुछ नहीं मिलता है जिसकी उससे चाह रहती है, हरेक चीज यहाँ अपनी नहीं है, जो तुम्हारी है वो तुम्हे जरूर मिलेगा, उससे दुनिया की कोई भी ताकत रोक नहीं सकती, पर पायल बोल उठी जानती हो मम्मी, अगर आपको किसी चीज की पाने की तमन्ना है तो वो आपको मिलने से कोई भी नहीं रोक सकता, मैं समझ गई की ये किसी भी हद तक जा सकती है, तभी तनवी ने भी यही कहा हां माँ पायल दीदी सच बोल रही है, बस इरादे बुलंद होनी चाहिए, मैंने कहा ठीक है कोशिश जारी रखो,

पंकज दिन में ड्यूटी चला जाता उसकी वाइफ अकेले होती, शाम को वो शब्जी लेने निचे आती तो धीरे धीरे पायल और तनवी ने उसको दीदी कहने लगी, और दोस्ती कर ली, अब पंकज की वाइफ मुझे आंटी कहने लगी पर पायल और तनवी बोली देखो दीदी आप आंटी नहीं माँ बोलो प्लीज, अब माँ को दो नहीं तीन बेटियां है, मैं भी हां में हां मिले और बोली हां हां मुझे माँ ही बोलो मुझे अच्छा लगेगा. मैं समझ गई की मेरी दोनों बेटियां बस चुदने के लिए ही ये सब कर रही है, धीरे धीरे वो दोनों करीब आ गए अब मेरी दोनों बेटियां भी उसके यहाँ जाने लगी और अब तो पंकज भी मेरे यहाँ आने लगा, हम लोगो में साली और जीजा में बहुत मजाक होता है इस वजह से पायल और तनवी हमेशा मजाक करते रहती.

धीरे धीरे वो दोनों मेरे घर के सदस्य की तरह ही हो गया, बात ये सब चलती रही अभी दोस्ती हुए पांच से छ महीने ही हुए थे पंकज की वाइफ प्रेग्नेंट हो चुकी थी और उनके मायके बाले लेने आ गए थे, बच्चा मायके में ही होता, तो वो मुझे बोली माँ ध्यान रखना पंकज का, तो पायल बोली दीदी आप चिंता ना करो, जब तक आप नहीं हो वो खाना भी यही खा लेंगे, और वो फिर चली गई, मेरे पति को ये सब पता चला की इतनी गहरी दोस्ती हो गई है, तो वो बोले चलो एक बेटी और दामाद मिल गया, यानी की मेरे घर की किसी को भी ऑब्जेक्शन नहीं था. पंकज मेरे यहाँ ही खाना खाने लगा, सुबह ऑफिस चला जाता शाम को वो अपने कमरे पे कुछ इंटरनेट पे काम करता और आठ बजे आ जाता. फिर यही टीवी देखता.

पिछले महीने की ही बात है, ठण्ड काफी आ गई थी, हम चारो खाना खाए, और टीवी पे सिनेमा देखने लगे रात ज्यादा हो चुकी थी, पायल एक कमरे में सोती थी और हम दोनों एक कमरे में, टीवी पायल के कमरे में ही लगा था, मुझे और तनवी को नींद आने लगी तो हम दोनों सोने चले गए, पंकज और पायल दोनों टीवी देखने लगे, रात को मेरी नींद खुली मैं बाथरूम के लिए आने लगी तभी पायल के कमरे से आवाज आ रही थी आअह आआअह आआअह जीजू मेरे सैयां आआआह आआआह आआआअह उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ जोर से और जोर से आआह चूची मसलो ना, ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ और जोर से और जोर से, आआअह आआअह,

मैंने भागकर उसके कमरे के पास गई तो देखि पायल नंगी निचे है और पंकज पायल को चोद रहा है, पायल की बड़ी बड़ी चूची हिल रही थी बाल बिखरे थे, दोनों एक दूसरे को किश करते हुए सहला रहे थे, पंकज पायल के चूच को पिता और कभी निचे गांड में ऊँगली डालता तो पायल चीख उठती बोलती जीजू गांड में नहीं जो करना है बूर में करो प्लीज, मुझे गांड में ऊँगली डलवाना अच्छा नहीं लगता, जीजू आपका लंड बहुत मोटा है, मजा आ जाता है मुझे, आअह आआअह और जोर से और जोर से, और पंकज कहता ले साली ले, आज तेरी बूर फाड़ दूंगा, तू भी क्या याद रखेगी, की किसी ने तुम्हे चोदा है मोटे काले लंड से.

मेरी तो बूर से पानी निकलने लगा और खुद ही अपनी चूचियों को दबाने लगी, करती भी क्या, वापस आके सो गई पानी पि कर, अब पूरी रात मुझे सपने में पंकज ही था, मैं उसी के ख्वाब में सो गई, सुबह जल्दी नींद नहीं खुली, पायल तैयार थी कॉलेज जाने को, वो बहुत ही खुश लग रही थी, उसके चेहरे पे चमक था, मैं तो सब जानती थी, पायल बोली मम्मी मैं कॉलेज जा रही हु, तनवी तो आज नहीं जाएगी क्यों की कल उसे नोट्स सबमिट करना है आज वो नोट्स बनाएगी. मुझे कुछ बैंक में काम था मेरा बैंक दूर था इस वजह से पास के ब्रांच में खाता ट्रांसफर करवाना था, मैं भी पायल के साथ ही निकल पड़ी जल्दी जल्दी तैयार होके, मैं सारा काम करवा के करीब २ बजे वापस लौटी.

आते ही मैंने देखा की तनवी चुद रही है, पंकज तो तनवी को घोड़ी बना के चोद रहा था तनवी की चूचियाँ निचे लटक रही थी और पंकज पीछे से जोर जोर से चोदे जा रहा था, क्या बताऊँ दोस्तों मुझे बहुत गुस्सा आया मैं सोची की मैं रात से ही सोच रही थी की आज मैं कैसे चुदवाऊँ पर ये दोनों रंडी मस्ती कर रही है और मैं इधर उधर भागे फिर रही हु, मैं परदे के पीछे कड़ी होकर देखने लगी, तनवी चुद रही थी, और पंकज का मोटा लंड, तनवी के बूर को फाड़ रहा था, तनवी कह रही थी की जीजू प्लीज गांड मारो ना प्लीज बहुत मजा आता है, मैं सोची देखो दोनों रंडी को एक तो तो गांड में ऊँगली भी घुसाना अच्छा नहीं लगता और एक है जो की गांड मरवाने के लिए मरे जा रही है, तभी पंकज अपना लंड तनवी के बूर से निकाला और गांड पे थोड़ा थूक लगा के अंदर पेल दिया,

तनवी परेशान हो गई उससे बहुत दर्द होने लगा, वो चिलाने लगी अरे फाड़ दिया मेरे गांड को, मर गई मैं, और फिर धीरे धीरे वो गांड मरवाने लगी और कहने लगी, हां बहुत अच्छा मार गांड फाड़ दे मेरी गांड को, करीब ये माजरा मैं ३० मिनट तक देखती रही फिर दोनों झड़ गए, पंकज अपना सारा माल तनवी के गांड के ऊपर डाल दिया, और दोनों निढाल हो गए,

मैं बाथरूम में गई मेरी भी बूर काफी गीली हो चुकी थी, वो लोग को भी पता हो गया था की माँ आ गई है वो लोग जल्दी जल्दी उठ गए और कपडे पहन लिए, शाम को करीब आठ बजे पड़ोस में एक का बर्थ डे था वो लोग बुलाने आ गए, पर मैं नहीं गई बहाना बना दी की मेरी तबियत ठीक नहीं है, तो पायल और तनवी को भेज दी, उसके बाद मैं पंकज को बोली पंकज क्या गुल खिला रहे हो, आने दो तुम्हारी बीवी को सब बताउंगी की तो पायल और तनवी को चोद रहे हो आजकल, देखो वो तुम्हारा क्या हाल करती है, तो घबरा गया बोला नहीं नहीं मम्मी जी मत बताना प्लीज, मैं अब नहीं चोदूंगा, मैं नहीं आऊंगा आपके यहाँ अब प्लीज माफ़ कर दो, तो मैं बोली माफ़ तो तब करुँगी जब तुम मुझे भी चोदोगे, वो हसने लगा, बोला आप भी बहुत बड़ी रंडी हो सासु मा. आप ये कहानी नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पे पढ़ रहे है.

पर पंकज बोला माँ जी अभी तो नहीं ले पाउँगा मैं बाजार से वियाग्रा लेके आता हु, आज रात को पहले पायल चुदवायेगी फिर तनवी उसके बाद मैं आपको चोदूंगा, हुआ भी ऐसा ही, पंकज विआग्रा खा खा के उस रात हम तीनो माँ बेटी को चोदा, मैं भी धन्य हो गई, जवान लंड का मजा लेके, बहुत चोदा था उसने, उस रात को, रात को दो बजे मेरा नम्बर आया, और सुबह तक अलग अलग पोज में चोदा उसने, दूसरे दिन पायल और तनवी दोनों कॉलेज चली गई, मैं दिन भर चुदवाई,

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