दोस्त की बहन की जम के चुदाई

दोस्त की बहन की जम के चुदाई

मेरा नाम संजय है मेरी हाइट 5 फीट 9 इन्च है। मेरे लंड का साइज 8 इन्च लम्बा 3 इन्च मोटा है।

यह बात दो साल पहले की है जब मैं अपनी नौकरी के कारण अपने घर से दूर अपने दोस्त के घर में पेइंग गैस्ट की तरह से रहता था।
मेरा दोस्त कोई काम नहीं करता है.. वो जमीन जायदाद का मालिक है.. किराये की आमदनी है और जमीन जायदाद की खरीद फ़रोख्त का काम कर लेता है।
उसकी एक बहन है, नाम है ऊषा… उसके घर में और कोई नहीं है।

ऊषा का 32-28-32 का फिगर कमाल का है.. जब भी वो चलती है तो अच्छों-अच्छों का लण्ड सलामी देने लगता है।
जब वो मेरे सामने से गुजरती है तो पैन्ट में लण्ड लोहे की रॉड बन जाता है। मेरा जी करता है इसे पकड़ कर अभी चोद दूँ.. लेकिन बात नहीं बन पाती।

एक दिन राज कहीं जमीन के काम से सुबह निकल गया.. वो शाम तक नहीं आने वाला था।
उस दिन मेरे पास कुछ ज्यादा ही कपड़े धोने के लिए थे.. तो मैंने ऊषा बुलाया कि कपड़े धोने हैं.. जरा मदद कर दे।

वो सफेद झीना गाउन पहन कर मेरे कपड़े लेकर बाथरूम में चली गई और कपड़े धोने लगी।

मेरा लौड़ा सख्त खड़ा हो गया.. मैं अपने कमरे में कुर्सी पर बैठ कर मुठ मारने लगा।
तभी आवाज आई- संजय जो तुमने कपड़े पहन रखे हैं उन्हें भी निकाल दो.. उनको भी धो देती हूँ।
मैं वहीं रूक गया.. मैंने मन में कहा कि एक बार चुदवा ले रानी.. मैं ही साफ कर देता हूँ कपड़ों को..

तभी बाथरूम से ऊषा बाहर आई.. उसका गाउन पूरा गीला हो गया था.. उसने गाउन के नीचे सिर्फ़ कच्छी पहनी हुई थी, उसकी चूचियाँ साफ साफ दिख रही थीं।
मैं बार-बार उसकी चूचियों को देख रहा था.. मेरा बुरा हाल हो गया।
तभी मैंने अपने कपड़े उतारे और सिर्फ तौलिये में आ गया।

मैंने चाय बनाई और ऊषा को चाय पीने के लिये बुलाया। चाय पीते-पीते उसके गाउन से उसकी कच्छी और चूचियाँ साफ दिख रही थी।

उसने भी मेरी नजरों पर गौर किया और बोली- संजय क्या देख रहे हो?
मेरी तो फट गई.. मैंने कहा- कुछ नहीं..

फ़िर मैंने एक मजाक किया.. मैंने कहा- एक बात कहूँ.. बुरा तो नहीं मानोगी।
वो बोली- पहले बोलो।
मैंने कहा- नहीं पहले प्रोमिस करो..
तो ऊषा ने कहा- प्रोमिस..
तब मैंने कहा- तुम्हारी कच्छी दिखाई दे रही है।

चूचियों का नाम तो मैं ले नहीं सकता था।

वो तुरंत मेरे पीछे झाडू लेकर दौड़ने लगी।
मैंने कहा- तुमने प्रोमिस किया है..

अब दौड़ते-दौड़ते मैं बिस्तर पर जा गिरा.. वो भी बिस्तर पर आकर मुझसे उलझ गई। लड़ते-लड़ते मेरा हाथ उसकी चूची को टच हो जाता.. मैंने उसको अपने बांहों में दबोच लिया।

उसकी सांसें गर्म होने लगीं.. मुझे एहसास हो रहा था, धीरे-धीरे मैं उसकी चूचियों को दबाने लगा।
अब उसे धीरे-धीरे मजा आने लगा, चूचियों को जोर-जोर से दबाने लगा.. उसका गाउन ऊपर उठ गया।

मैं उसकी चूचियों को जोर से दबा रहा था, उसके मुँह से मादक सी सिसकारियाँ निकल रही थीं ‘अ.. अ..ओ..ह..’
मैंने उसका गाउन निकाल दिया.. अब सिर्फ पैन्टी में वो क्या कयामत लग रही थी।

मैं उसकी कच्छी में हाथ डाल के दाने को मसलने लगा।

‘आह.आह.. म.उ.उह.उ.उह.. संजय अब मत तड़पाओ.. डाल दो अपना..’
‘क्या अपना..’
‘डाल दो.. अपना लण्ड मेरी चूत में डाल दो..’

मैंने अपना अंडरवियर निकाला तो वो चिहुंक गई… कहने लगी- इतना मोटा.. मेरी चूत फट जाएगी..
‘रानी घबराओ मत.. कुछ नहीं होगा..’
मैंने अपना लण्ड उसके मुँह में दिया तो वो ना-नुकुर करने लगी.. फिर मान गई।

दोस्तो, क्या बताऊँ.. उसका लण्ड चूसने का क्या अन्दाज था.. जैसे अन्तर्वासना में कहते हैं… मैं तो जन्नत में था।

फिर उसको बिस्तर पर लिटा दिया। अपना लण्ड उसकी चूत पर सैट किया और एक धक्का जोर का दिया। आधा लण्ड उसकी चूत को फाड़ता हुआ अन्दर घुस गया। ऊषा जोर से चिल्लाई.. मैंने उसके मुँह पर हाथ रख लिया.. जिससे आवाज बाहर नहीं गई।

उसको थोड़ा दर्द हुआ.. उसकी चूत टाइट थी.. कुछ देर बाद वो थोड़ा सामान्य हुई।

मैंने धक्का लगाना चालू किए। पूरा का पूरा लण्ड उसकी चूत में उतार दिया, वो मदहोश सी हो गई, मेरा 8 इंच का लण्ड पूरा का पूरा उसकी चूत में समा गया।
अब धक्का पर धक्का लगाना चालू किया…
‘संजय आह्ह.. मर.. गई..मर.. आह्ह..’

मैं उसे जोर-जोर से चोद रहा था.. वो मस्ती ले रही थी। उसका पानी निकल गया… वो निढाल हो गई।

अभी मेरा नहीं निकला था.. मैं उसे चोदे जा रहा था। फिर उसको दुबारा जोश आ गया। अब जोर-जोर से चुदाई चालू थी। एक बार फिर ऊषा झड़ गई.. चुदाई की स्पीड मैंने बढ़ा दी.. मैं जोर-जोर से चोद रहा था..
थोड़ी देर के बाद फिर ऊषा को जोश आया.. अब वो भी मेरे धक्कों का जबाब धक्कों से दे रही थी।

काफ़ी देर की ताबड़तोड़ चुदाई के बाद अब मेरा माल निकलने वाला था। मैंने ऊषा को बोला- मेरा माल निकलने वाला है।
ऊषा ने कहा- मेरी चूत में ही गिरा दो..
दो-चार धक्कों के बाद उसकी चूत में झड़ गया.. और हम दोनों एक-दूसरे को चूमते हुए सो गए।

कुछ देर बाद जब आंख खुली.. तो शाम के चार बज रहे थे। मैंने एक बार फिर ऊषा को चोदा.. उसके बाद उसने कपड़े धोए, फिर हम दोनों ने साथ में साथ नहाए।

यह थी मेरी कहानी.. कैसी लगी.. आप अपना जवाब जरूर दीजिए।
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