बेरोजगारी की मज़बूरी में चुदाई

बेरोजगारी की मज़बूरी में चुदाई

मेरा नाम अरुण है, मुम्बई का रहने वाला हूँ। आज मैं आपको अपनी आत्मकथा बताऊँगा।

बात उन दिनों की है जब मैं बेरोजगार था।

मुझको नौकरी की जरुरत थी उस समय ! कई लोगों से मैंने नौकरी के लिए कहा हुआ था।

एक दिन मुझको एक काल आया, कोई औरत बोल रही थी, उसने पूछा- तुम्हें काम की जरूरत है ना?

मैंने कहा- हाँ !

उसने कहा- तो मैं आपको एक पता देती हूँ, तुम उस पते पर समय से आ जाना !

और मैं उसके बताए समय से पहुँच गया। वहाँ पर एक औरत ने मेरा इंटरव्यू लिया और मुझको चुन कर लिया।

उसके बाद उसने मुझे एक फ़्लैट का पता दिया और कहा- इस पते पर जाओ, वहाँ काम है।

और जब मैं उस पते पर पहुँचा तो देख़ा कि वहाँ पर घर में मेरे और एक औरत के अलावा कोई नहीं है। उसने अपना नाम कविता बताया और मुझको अन्दर ले गई और कमरा बंद कर लिया।

फ़िर मुझसे मेरे बारे में पूछते पूछते अपना हाथ मेरे लंड के ऊपर रख दिया और धीरे धीरे इसे दबाने लगी। इससे लंड खड़ा होने लगा।

फ़िर वो बोली- जरा दिखाइए तो सही !

मैंने बहुत मना किया पर वो कहने लगी- मैं तुमको इसके लिए रुपए दूँगी। मैं मजबूर था, मुझको काम की जरुरत थी, मैं तैयार हो गया पर मैंने पूछा- तुम तो शादीशुदा लग रही हो तो तुमको मेरे साथ सेक्स की क्या जरुरत है?

उस पर वह बोली- मेरे शादी के कुछ दिन बाद ही मेरे पति ने मुझको छोड़ दिया था क्योंकि वो मुझको पसन्द नहीं करते थे, वो किसी और से प्यार करते हैं। अब तुम बताओ कि मैं क्या करती !

खैर जाने दो। उसके बाद उसने मुझको पकड़ nonveg story लिया और धीरे से मेरी पैंट का बटन खोल दिया। कविता ने मेरे पैंट को नीचे की ओर खींचा और उसे पूरी तरह उतार दिया। अब मैं सिर्फ़ अंडरवियर में था और वो अंडरवियर के ऊपर से ही मेरा लंड सहला रही थी।

मैं इससे पहले कि कुछ बोलता, कविता ने मेरा अंडरवियर पकड़ कर अचानक नीचे खींच लिया। मेरा लंड तन के खड़ा हो गया और कविता ने उसे अपने हाथ से पकड़ लिया और कहा- अरे राजा बाबू आप तो बहुत भोले लगते हैं, शायद आज तक किसी को नहीं चोदा ! चलो, आज मुझको चोदो !

उसने इतने प्यार से कहा कि मैंने उसे गाल पर चूम लिया।

फ़िर हम शुरु ही हो गए, थोड़ी देर तक हम एक दूसरे को चूमते रहे। उसे मज़ा आ रहा था और मुझे उसके पतले होंठ चूसने में मज़ा आ रहा था।

तो उसने कहा- अरुण तुम सबसे अलग हो ! मैंने अब तक दो कॉल बॉय के साथ सेक्स किया है लेकिन वे दोनों बात कम करते थे और जल्दी से सेक्स कर खुद की ख़ुशी चाहते थे।

मैंने कहा- मैं इस मामले में तजुर्बेकार नहीं हूँ। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

और उसे चूमने लगा और साथ ही उसके स्तन दबाने लगा। बहुत मुलायम थे उसके वक्ष !

वो धीरे धीरे तैयार होने लगी थी, उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी थी। फिर मैंने उसकी चूत को सहलाना शुरू किया और चूमता रहा, उसे बहुत मज़ा आ रहा था।

उसने मेरे लण्ड को ऊपर से दबाना शुरु किया, मेरा लण्ड भी अब धीरे धीरे तैयार होने लगा था।

मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए और उसने मेरे !

फिर सोफे पर ही वो लेट गई और मुझे अपनी चूत चाटने को कहा। मैं बेरोजगारी का मारा उसकी बात मान कर सोफे से नीचे आ गया और उसके जांघों को चूमते-चाटते उसकी चूत तक पहुँच गया और चाटने लगा।

वो जोर से आई…ई आ…ईई आईई… आई… बोलने लगी और तड़पने लगी। और अब मैं अपने दोनों हाथों से उसके चूचे भी दबाता जा रहा था। उसके चुचूकों का कड़ापन मुझे महसूस हो रहा था। मैं उसे चूमे जा रहा था और वो पागल हुए जा रही थी।

 

फिर मैंने उसे अपनी गोद में उठाया और पूछा- बेडरूम कहाँ है?

उसने इशारा किया और मैं उसे बेडरूम में लेकर चला गया।

वो कह रही थी- अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा !

मैंने कहा- हाँ हाँ ! तुम मुझे बताती रहना कि मैं ठीक कर रहा हूँ या नहीं !

मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी चूचियाँ चूसने लगा और अपनी उंगली उसकी चूत में घुसा दी। उसके मुँह से सीत्कार निकली।

फिर उसने मुझसे कहा- मुझे तुम्हारा लण्ड चूसना है।

और उसने मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। इस बीच मैं उसके स्तन दबाता रहा और उसके चुचूकों को चुटकियों से मसलता रहा।

मुझे उसके चूसने से बहुत मज़ा आ रहा था, मुझे लगा कि अगर यह थोड़ी देर ऐसे ही करती रहेगी तो मेरा माल निकल जायेगा, मैंने उसे रुकने को कहा और फिर उसे लिटा कर अपना लण्ड उसकी चूत में डालने लगा।

बहुत कसी हुई चूत थी उसकी।

जब मेरा लण्ड थोड़ा अन्दर गया तो उसे दर्द होने लगा, साथ मुझको भी क्योंकि मैंने भी आज तक किसी को नहीं चोदा था।

फिर उसने कहा- धीरे धीरे डालो !

मैं उसके स्तनों को दबाते हुए अपना लण्ड डालने लगा और एक जोर के झटके के साथ मेरा लण्ड अन्दर चला गया। मेरी चीख निकल गई और साथ ही वो बहुत जोर से चिल्लाई और कहा- मार डालोगे क्या?

मेरी तकलीफ़ तो उसकी डाँट में दब कर रह गई। पर मैंने दर्द श कर उसके होंठों पर अपने होंठ रखे और चूसने लगा। जब वो थोड़ी सामान्य हुई तो मैं धीरे धीरे अपना लण्ड अन्दर-बाहर करने लगा। उसे अब मजा आ रहा था, वो कह रही थी- और जोर से करो ! और जोर से !

तब मैंने अपनी गति बढ़ाई और दस-बारह मिनटों में मुझे लगा कि मैं छुटने वाला हूँ।

मैंने कहा- मैं जाने वाला हूँ !

उसने कहा- मैं भी !

और इतना कहना था कि मेरा निकल गया और माल उसके चूत से बाहर निकलने लगा, वो भी छुट गई थी।

थोड़ी देर हम ऐसे ही पड़े रहे, मैं उसे चूमने लगा और उसने अपना सर मेरे सीने पर रख दिया।

उसकी आँखों में आँसू थे।

मैंने पूछा- रो क्यूँ रही हो?

उसने कहा- अरुण, आज मुझे बहुत ख़ुशी मिली, तुमने कॉल बॉय की तरह नहीं बल्कि किसी अपने की तरह मुझे ख़ुशी दी है।

मैंने उसे चूम लिया और उसे अपनी बाहों में ले लिया। थोड़ी देर ऐसे ही पड़े रहने के बाद मैंने कहा- फ्रेश हो लें?

उसने कहा- ठीक है !

और मैं फ्रेश होने चला गया। बाथरूम में मैंने देखा कि मेरी लण्ड की खाल छिल सी गई थी; मैं बाहर आया तो मेरे आने के बाद वो भी फ्रेश हुई।

मैंने पूछा- कुछ खाने को है या ऐसे ही रहना है?

उसने कहा- आर्डर देकर मंगवा लेती हूँ।

फिर उसने किसी रेस्तराँ में खाने का आर्डर दिया और खाना आने पर हमने खाना खाया। खाने के समय उसने बताया कि उसके पति ने उसे छोड़ दिया है और तीन सालों से वो अकेली ही रह रही है और जॉब करती है।

जब मैंने उसकी कम्पनी और और उसकी प्रोफाइल के बारे में जाना तो मुझे लगा कि यह औरत जितनी खूबसूरत है उतनी सफल भी है

खैर, खाना खाने के बाद उसने कहा- आज रात यहीं रुक जाओ, कल चले जाना।

मैं उसकी बात टाल न सका और वहीं रुक गया। रात में हमने एक बार फिर सेक्स किया और बहुत मज़े किए। सेक्स के बाद वो पूरी रात मुझसे बात करती रही और अपनी ज़िन्दगी के उन पहलुओं के बारे में बताया जो कोई किसी कॉल बॉय को नहीं बताता।

मैंने पूछा- तुमने मुझे इतना कुछ क्यूँ बताया?

तो उसने कहा- मुझे तुम पर विश्वास है, तुम मुझे बदनाम नहीं करोगे।

मैं बस उसे देखता रह गया।

सुबह मैं उठा और फ्रेश होकर चाय बनाई उसे पिलाई और खुद भी पी।

जब मैं चलने को हुआ तो उसने मुझे सात हज़ार रुपए दिए, उसने कहा- ये रख लो !

तो मैंने कहा- ये बहुत ज्यादा हैं !

उसने कहा- यह मेरे साथ सेक्स करने की कीमत नहीं बल्कि जो अपनापन तुमने दिखाया उसके लिए हैं।

मैंने कहा- जब अपना मानती हो तो मत दो, मैं नहीं ले पाऊँगा।

उसने कहा- अरुण अगर नहीं लोगे तो शायद मैं तुम्हें फिर कभी बुला नहीं पाऊँगी।

उसकी यह बात सुनकर मैंने पैसे ले लिए और चल दिया।

उसके बाद मैं कई बार कविता से मिला, बहुत अच्छी है वो !

दोस्तो, आपको मेरी कहानी कैसी लगी जरूर बताना।

आपकी मेल का इन्तजार रहेगा !

बेरोजगारी की मज़बूरी में चुदाई

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