फ़ुफ़ेरी बहन की पहली बार चूत रगड़ाई

फ़ुफ़ेरी बहन की पहली बार चूत रगड़ाई

दोस्तो, मेरा नाम रोहित है मैं आपको सभी को प्रणाम करता हूँ। मैं पहली बार कहानी लिख रहा हूँ अगर कोई गलती हुई हो.. तो माफ़ करना.. यह मेरी सच्ची कहानी है।

बात उन दिनों की है जब मैं कॉलेज ख़त्म करके घर पर था। मेरी एक बुआ हैं.. जो कुछ वजह से हमारे पास वाले मकान में रहने आईं.. वो और उसकी एक बेटी जिसका नाम रुतिका था.. वो पढ़ती तो स्कूल में (12 वीं) में थी.. वो सुबह स्कूल जाती और एक बजे आती थी।

उस पर अभी-अभी जवानी का रंग चढ़ना शुरू हुआ था.. पर देखने में एकदम चोदने लायक माल लगती थी, वो कमाल का माल लगती थी। हालांकि मेरी कभी गलत नजर नहीं थी उस पर..
एक दिन में ऐसे ही घर पर कंप्यूटर पर मूवी देख रहा था। घर पर सब दूसरे कमरे में सो रहे थे और रुतिका की मम्मी यानि कि मेरी बुआ उस वक्त घर पर नहीं थीं। तो वो सीधा हमारे यहाँ आ गई.. उसने बैग रखा और मेरे साथ मूवी देखने बैठ गई।
मैंने भी उसको जगह दे दी और चूंकि हम लोग मूवी देख रहे थे इसलिए अँधेरा किया हुआ था।

वो मेरे बिल्कुल बाजू मे आकर बैठ गई। उसकी स्कूल की ड्रेस घुटनों तक थी.. सो बैठने की वजह से और ऊपर चढ़ गई थी। फिर भी मैं मूवी देखने मे मस्त था। अचानक वो मेरे और पास आई और मेरे कंधों पर हाथ रखा.. उसकी वजह से उसके निम्बू जैसे दूध मुझे छू गए और मेरी नियत बिगड़ने लगी।

मैंने धीरे से एक हाथ उसकी टांग पर रख दिया.. वो कुछ नहीं बोली.. सो मैं धीरे-धीरे सहलाने लगा।
वो मुझसे और चिपकने लगी.. तो मैंने एक हाथ उसकी कमर में डाला और एक हाथ पैर पर फेरा.. फिर भी उसने कुछ नहीं कहा.. अब मुझे सहा नहीं गया.. तो मैंने उसके स्कर्ट को ऊपर किया और उसकी जाँघों को सहलाने लगा।
वो आंख बंद करके मजा ले रही थी।

मैंने दूसरा हाथ उसकी चूचियों पर रख दिया। अब वो भी बहुत गरम हो चुकी थी… उसने मुझे जोर से बाँहों में भर लिया।
उसकी साँसें तेज हो गई थीं और वो अपने होंठों को मेरे होंठों के पास ले आई। अब वो मुझे वासना भरी नजरों से देख रही थी।

मैंने एक हाथ उसकी शर्ट के अन्दर डाला ही था कि वो और भी कामुकता से वासना भरी नजर से देखने लगी।
मैंने एक हाथ उसकी चूचियों पर रख दिया और शर्ट के ऊपर से ही उनको दबाने लगा, उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी। उसने कसकर मुझे पकड़ लिया, अब मैंने हाथ उसके शर्ट के अन्दर डाला।
पहली बार मैंने किसी लड़की के नंगे बदन को छुआ था.. मुझे ऐसा लग रहा था कि जन्नत में हूँ।
वो भी मुझसे लिपट कर मेरे बालों में हाथ फेर रही थी। उसकी चूचियाँ कड़क थीं और छोटी-छोटी थीं, मैंने जोर से दबाना चालू किया।
अब उसके मम्मे मुझे कुछ बड़े से लगने लगे थे।

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मैंने एक चादर नीचे डाल दी और दरवाजा लगा दिया। फिर घुप्प अँधेरा करके हम दोनों उस चादर पर लेट गए, मैंने उसको अपनी बाँहों में ले लिया।
उसका ड्रेस वैसे भी छोटा था.. सो अन्दर हाथ डालने के लिए कुछ दिक्कत नहीं हुई।
मैंने उसकी शर्ट को उतारा.. अब उसकी चूचियाँ आराम से मेरे मुँह में आ रही थीं।

वो तो पागल सी हो गई थी.. सिर्फ ‘फ़क मी फ़क मी..’ इतना ही कह रही थी और मुझे किस करने लगी थी, मैंने उसके होंठों को अपने होंठों से बंद कर रखे थे।
हम दोनों पूरे पागल हो चुके थे, मैं भूल गया था कि वो मेरी छोटी बहन है, बस अब उसे चोदना ही मेरा लक्ष्य था।

मैंने उसकी चूत पर हाथ रखा.. वो एकदम गीली थी, मुझे समझ नहीं आ रहा था कि ये पानी कैसा है।
फिर मैंने उसकी चड्डी निकाल दी और बाकी की ड्रेस भी उतार दी, साथ ही अपने कपड़े भी निकाले।
अब हम दोनों लिपट कर चादर के अन्दर आ गए, दोनों बिल्कुल नंगे थे।
हाय क्या सुखद अनुभव था वो..

एक-दूसरे को पागलों की तरह किस कर रहे थे हम। फिर मैंने उसकी चूत को किस किया.. उसको अजीब लगा.. वो मना करने लगी.. पर मैंने एक नहीं सुनी और मैंने चूत चाटना शुरू किया।
वो मेरे सर को दबा रही थी और मैं जोर से उसका रस पी रहा था।

फिर उसने कहा- प्लीज अब नहीं रहा जाता.. बहुत दर्द हो रहा है..
मैंने भी मौका गंवाए बिना अपना लंड उसकी चूत पर रख कर दबा दिया, तभी वो चिल्लाने लगी- निकालो… प्लीज.. दर्द हो रहा है..
वो रोने लगी मुझे धक्का देने लगी।

मैंने भी उसको पकड़ रखा था.. अपने होंठों को उसके होंठों पर लगा दिए थे। मैं उसकी चूचियाँ जोर से दबा रहा था और धीरे-धीरे चूत में धक्का मार रहा था, उसको बहुत दर्द हो रहा था.. मेरा आधा लंड घुस गया था।
उसने मुझे जोर से पकड़ रखा था.. मैंने भी जोर नहीं लगाया। मुझे पता था अगर पूरा घुस जाता.. तो वो चिल्लाती और सब जाग जाते.. सो मैंने जोर नहीं लगाया।
मैं धीरे-धीरे धक्का मारता रहा।

अब थोड़ा और लंड अन्दर घुस गया था.. उसका दर्द भी कम हो गया था। वो मेरे बालों में और पीठ पर जोर-जोर से हाथ फेर रही थी। मुझे किस पर किस कर रही थी।
मैंने भी अब थोड़ा जोर और लगाया और उसकी इल्ली फट गई.. वो रोने लगी।

मैं बहुत डर गया.. पर वैसे ही पड़ा रहा.. उसे बाँहों में लेकर उसके निप्पल चूसता रहा। कुछ पलों के बाद धीरे-धीरे वापस आगे-पीछे करने लगा।
अब वो मेरा साथ दे रही थी.. उसे मजा आ रहा था। वो भी जोर से उंगलियाँ गाड़ रही थी। अचानक उसकी अकड़न बढ़ गई और उसने पानी छोड़ दिया।
मैं भी धक्के मार रहा था.. अब ‘फ्च्छ फ्च्छ..’ की आवाज आ रही थी और मैंने भी पानी अन्दर ही छोड़ दिया।

हम दोनों शांत हो गए और थोड़ी देर वैसे ही एक-दूसरे से चिपक कर पड़े रहे। दूसरे दिन मैंने उसे आइपिल लाकर दी।

बाद में बहुत बार मैंने उसे चोदा.. वो भी पूरी रात पर.. वो कहानी बाद में लिखूँगा।
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