क्लास रूम में गर्लफ्रेण्ड की चूत चुदाई

क्लास रूम में गर्लफ्रेण्ड की चूत चुदाई

दोस्तो मैं अरुण.. दिल्ली से आपके सामने एक बार फिर अपनी गर्लफ्रेण्ड के साथ हुई आगे की चुदाई के बारे में बताने जा रहा हूँ।
आप सबने मेरी कहानी
डॉली को शर्त लगा कर चोदा
पढ़ी होगी..

जिसके बाद से मुझे काफ़ी ईमेल भी मिले और उनमें से कुछ ने मेरे साथ चैट भी की थी, साथ ही उन्होंने मुझसे आगे की स्टोरी लिखने के लिए भी कहा।
तो आज मैं आपके सामने अपनी आगे की कहानी सुनाने जा रहा हूँ।

डॉली के बारे में आप सभी मेरी पहली कहानी में पढ़ ही चुके हो। जिसने नहीं पढ़ी.. उन्हें मैं बता देता हूँ कि डॉली मेरी गर्लफ्रेण्ड थी जो मेरे साथ 4 साल तक साथ रही और 4 साल तक हम दोनों ने खूब चुदाई की।
हम दोनों के लिए चुदाई कुछ ऐसी हो गई थी कि जब तक हम दोनों रोज़ दिन में 2 बार चुदाई ना कर लें.. तब तक ना तो मेरा पेट भरता और ना ही डॉली का।

हमारी चुदाई को जो जगह अंजाम देती थी.. वो डॉली का इंस्टिट्यूट ही था.. जिसे वो ही संभालती थी।
हमारी चुदाई लंच टाइम और छुट्टी के टाइम पर शुरू होती थी।

हमारी चुदाई और दिनों की तरह अच्छी चल रही थी और इस बीच ही चुदाई के बीच में एक ट्विस्ट आया।

डॉली के इंस्टिट्यूट में मुझे उसके कुछ स्टूडेंट भी जानते थे.. उनमें 3 भी लड़कियां थीं। उन लड़कियों में से एक थी कामिनी.. जो मुझे बहुत लाइन देती थी।

जिससे परेशान होकर डॉली ने उसका नाम कमीनी ही रख दिया.. क्योंकि जब उसकी क्लास होती थी.. वो तब तो आती नहीं थी.. मगर जब भी मैं लंच टाइम में डॉली के पास पहुँचता, तो वो भी उसी टाइम इंस्टिट्यूट में आ जाती थी।

अब उससे मैं भी कुछ किलसने सा लगा था.. क्योंकि उसके वहाँ रहते हुए हम दोनों चुदाई नहीं कर सकते थे।
हालांकि कामिनी भी एक मस्त माल थी। उसकी 32 साइज़ की चूचियां, कमर 26 और उठी हुई गाण्ड 30 इंच की थी।

जब डॉली और मैं चुदाई नहीं कर पा रहे थे, तो अब मेरी नियत कामिनी के ऊपर खराब होने लगी थी।

एक दिन डॉली और मैं हम दोनों क्लास रूम में बैठ कर लव कर रहे थे तो अचानक से कामिनी वहाँ आ गई और हमारे साथ बैठ गई। उसे देखकर हम दोनों का ही मुँह बन गया।

मैं भी अब मानने वाला नहीं था।
मैंने डॉली से पूछा- जान, तू मुझे कितना प्यार करती है?
तो उसका जवाब था- मैं तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकती हूँ।
मैंने डॉली से कहा- इसके सामने मुझे अभी किस करो।

बस इतना कहते ही डॉली ने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और देर तक चूसे।

कामिनी हम दोनों को इस तरह देख कर चौंक सी गई मगर मुझे उसकी आँखों में कुछ शरारत सी महसूस हुई।

हम दोनों के अलग होने के बाद डॉली होंठों को धोने के लिए लिए बाहर चली गई। इस बीच मैंने कामिनी से पूछा- तुझे क्या हुआ.. तू क्यों चुप हो गई?
उसने कोई जवाब नहीं दिया।

मेरे 2-3 बार पूछने पर भी कामिनी ने कोई जवाब नहीं दिया।

फिर वो मेरे पास आकर अचानक से मेरे होंठों को चूसने लगी। मेरे तो जैसे होश ही उड़ गए थे और डर इस बात का लग रहा था कि अगर डॉली ने देख लिया तो समझो लड़की होकर भी ये हम दोनों की एक साथ गांड मार लेगी।

अचानक से डॉली के आने की आवाज़ आई तो कामिनी मुझसे अलग हो गई।

जैसे ही डॉली अन्दर कमरे में आई कि तभी कामिनी ने कहा- दी मैं अब जा रही हूँ तुम एन्जॉय करो।
मुझे लगा जैसे वो जानती हो कि अब हमारी चुदाई का वक़्त हो गया है।

एक कातिल सी मुस्कान मेरी तरफ़ देकर वो चली गई।

बस मैं तो जैसे उसके जाने के ही वेट कर रहा था।
उसके जाते ही मैं दरवाजे की कुण्डी लगा कर डॉली को कमरे में किस करने लगा।
मुझे गर्म तो कामिनी ही कर गई थी।

डॉली को मैं हमेशा सूट-सलवार पहनने के लिए ही बोलता था। तो अब किस करते हुए मैंने डॉली की सलवार का नाड़ा खोल दिया था और एक टांग में से उसकी सलवार निकाल दी थी।
वो इसलिए कि अगर कोई आ गया तो जल्दी से पहन लेगी।
मैंने अपनी पैन्ट भी उतार दी थी।

चुदाई से पहले हमारी आदत थी कि मैं डॉली की चूत का दाना सहलाता और वो मेरे लंड को हिलाती। चूत के दाने को सहलाते हुए मैं डॉली की पैन्टी को सलवार की तरह उतार चुका था और डॉली ने मेरा अंडरवियर भी उतार दिया था।
इस सबसे डॉली इतना गर्म हो जाती थी कि इस हरकत से ही उसकी चूत पानी छोड़ देती थी।

अब डॉली मुझे अपने ऊपर खींचते हुए कहने लगी- अब जल्दी से शुरू हो जाओ.. नहीं तो फिर क्लास का टाइम शुरू हो जाएगा और बच्चे आने शुरू हो जाएँगे।

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मैं भी अब देर नहीं करना चाहता था। मेरी एक आदत थी कि मैं जब भी डॉली की चूत मारता था.. तो एक ही झटके में अपना पूरा लंड डॉली की चूत में उतार देता था, जिससे डॉली कुछ इस तरह से आवाज करती कि जैसे उसकी चूत में पहली बार ही लंड घुसाया हो। इसका कारण ये था कि मैं एक झटके में ही लंड पूरा डॉली की चूत में घुसा देता था।

हमारी चुदाई शुरू हो गई थी। डॉली आँखें बन्द किए हुए कहे जा रही थी ‘जान बहुत मजा आ रहा है.. आह.. आ आयार.. ऊओरर.. तेजज़्ज.. करो ना.. ऊओर.. तेजज़्ज.. अहहाआ.. आहहाअ.. आज तो तुम्हारा लौड़ा बहुत कड़ा लग रहा है।’

मैं आपको बता दूँ कि मेरा लंड ख़ासा लम्बा है और आज कामिनी की चुम्मी लेने के बाद से तो लंड कुछ लोहे की रॉड की तरह हो गया था.. साला कहीं से भी मुड़ने को राज़ी नहीं हो रहा था और सीधा डॉली की बच्चेदानी से जाकर टकरा जाता।

इस बीच डॉली ने मुझसे फिर पूछा- जान्न् बोलो ना.. आज ये इतना कड़क क्यों लग रहा है।

अब मैंने भी बात को घुमाते हुए कहा- जानू 3 दिन से चूत नहीं मिली ना तेरी.. इसलिए कुछ ज्यादा ही उतावला हो गया है ये.. मगर आज तू भी तो बहुत मजा ले कर चुद रही है।

इस पर डॉली का भी यही जवाब था कि 3 दिन से तुम्हारा लंड ही नहीं मिला सो मेरी चूत भी भूखी है। आज तीनों दिन का मजा एक साथ लूटने का मन है।

हमारी चुदाई को लगभग दस मिनट हो गए थे। इस बीच डॉली झड़ चुकी थी.. मगर मेरा अभी बाकी था।

फिर चुदाई को देर हो गई थी। जब जाकर मेरे लौड़े से जो लावा निकला था.. वो इस तरह कि मानो जैसे किसी ने कोई नल खोल दिया हो।

कम से कम 7-8 पिचकारी मैंने डॉली की चूत में ही छोड़ दीं। अब मेरी हालत कुछ ऐसी हो गई थी कि जैसे मेरे लंड से पानी नहीं.. मेरी जान ही निकल गई हो। हम दोनों की सांसें कुछ इस तरह फूली हुई थीं.. जिसे संभालने में हमें 3-4 मिनट लग गए।

फिर चुदाई के 5 मिनट बाद हम दोनों ने अपने कपड़े पहने और फिर कमरे का गेट खोल दिया.. जिससे अब बच्चे आ सकें।

डॉली फिर से मेरे पास आई और मुझे क़िस करते हुए बोली- जान.. आज तो तुमने मेरी जान ही निकाल दी.. मेरी चूत में से तुम्हारा पानी अब भी निकल रहा है.. जैसे मेरा पानी निकल रहा हो। आज तो तूने बहुत सारा माल निकाला है.. क्या खाकर आए थे आज?

तो मैंने डॉली से कहा- जान 3 दिन का आज एक दिन में ही निकाल दिया है समझी।

अब हम दोनों हँसने लगे। फिर कुछ देर बाद स्टूडेंट आने शुरू हो गए और मैं भी वहाँ से घर आ गया।

आपको मजा तो आ रहा है ना.. मुझे जरूर लिखना.. जिससे मैं स्टोरी को और मजेदार ढंग से लिख सकूं।

मुझे अपने ईमेल जरूर करें।
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