दरवाजे पर हुस्न से लबरेज माल खड़ा था

दरवाजे पर हुस्न से लबरेज माल खड़ा था

दरवाजे पर हुस्न से लबरेज माल खड़ा था

मैं घर पर पहुंचा ही था मैं जब दरवाजे पर खड़ा था तो पापा मुझे कहने लगे कि हर्षित बेटा मुझे तुमसे कुछ काम था। मैंने पापा से कहा हां पापा कहिए ना आपको क्या काम था पापा मुझे कहने लगे कि बेटा तुम क्या कुछ देर मेरे साथ बैठ सकते हो मैंने पापा से कहा हां पापा क्यों नहीं। पापा के साथ मैं सोफे पर बैठा हुआ था पापा मुझे देखते हुए कहने लगे कि हर्षित बेटा अब तुमने आगे क्या क्या सोचा है। मैंने पापा से कहा पापा अभी तो मैंने कुछ भी नहीं सोचा है क्योंकि कॉलेज का मेरा यह आखरी वर्ष था और कॉलेज की पढ़ाई खत्म होने के बाद पापा चाहते थे कि मैं उनके साथ काम करूं लेकिन मैं यह नहीं चाहता था। मैंने पापा से कहा पापा मुझे थोड़ा समय चाहिए पापा कहने लगे कोई बात नहीं बेटा तुम्हें जितना समय चाहिए तुम ले लो लेकिन मैं चाहता हूं कि तुम मेरे साथ ही काम करो। पापा मुझे समझाने लगे और कहने लगे बेटा मैंने इतनी मेहनत से मैंने अपना कारोबार शुरू किया था और मैं चाहता हूं कि तुम ही उसे संभालो।

पापा अपनी जगह बिल्कुल सही थे लेकिन मुझे थोड़ा समय चाहिए था इसलिए मैंने पापा से थोड़ा समय ले लिया। मुझे फोटोग्राफी का बड़ा शौक है और अपने इसी शौक को पूरा करने के लिए मैंने कुछ दिनों के लिए घूमने का टूर बना लिया। मैं अकेले ही घूमने के लिए आगरा चला गया आगरा में ही मैं कुछ दिन रुकने वाला था तो आगरा में मेरी मुलाकात मेरे साथ में पढ़ने वाले रजत के साथ हुई। रजत मुझे कहने लगा कि तुम मेरे साथ मेरे घर पर चलो मैंने रजत से कहा नहीं रजत मैं तुम्हारे घर पर आकर क्या करूंगा लेकिन वह मुझे कहने लगा कि नहीं हर्षित तुम मेरे घर चलो। वह मुझे अपने साथ अपने घर पर ले गया जब रजत मुझे अपने साथ अपने घर पर ले गया तो उस वक्त उसके पापा मम्मी दोनों ही घर पर थे वह मुझे पूछने लगे कि बेटा तुम क्या दिल्ली में रहते हो। मैंने उन्हें कहा हां अंकल मैं दिल्ली में ही रहता हूं वह मुझसे मेरे परिवार के बारे में पूछने लगे तो मैंने उन्हें अपने परिवार की पूरी जानकारी दी और उसके बाद मैंने उन्हें अपने बारे में भी बताया।

कुछ देर अंकल आंटी के साथ बैठने के बाद मैं रजत के रूम में चला गया रजत और मैं साथ में बैठे हुए थे तो रजत कहने लगा तुम्हारा फोटोग्राफी का शौक अभी तक है। मैंने रजत को कहा हां यार तुम्हें तो मालूम ही है ना कि मुझे फोटोग्राफी का कितना शौक था इसीलिए तो मैं अभी तक फोटोग्राफी कर रहा हूं। यह पापा को पसंद नहीं है लेकिन उसके बावजूद भी वह मुझे कुछ कहते नहीं है हम दोनों ही एक साथ बैठकर आपस में बात कर रहे थे तो रजत मुझसे कहने लगा कि तुम अब आगे क्या करने वाले हो। मैंने रजत को कहा रजत पापा तो चाहते हैं कि मैं उनका बिजनेस संभालूं लेकिन मैं उनका बिजनेस नहीं संभालना चाहता। रजत कहने लगा कि तुम्हें इतना अच्छा मौका मिल रहा है और उसके बाद भी तुम उस मौके को गंवा रहे हो यह कोई समझदारी का फैसला तो नहीं है। रजत ने मुझे बहुत समझाया और कहा कि तुम्हें अपने पापा के साथ ही काम कर लेना चाहिए मैंने रजत को कहा ठीक है मैं कोशिश करूंगा कि मैं अपने पापा के साथ ही काम कर लूं। मैंने रजत को कहा हम लोग क्या साथ में घूमने के लिए जयपुर भी जा सकते हैं तो रजत कहने लगा क्यों नहीं मैं तुम्हारे साथ चलने को तैयार हूं। रजत और मैंने जयपुर जाने का प्लान बना लिया था मैंने रजत को कहा तुम कोई टैक्सी देख लो जो हमें जयपुर तक ले जा सके। रजत कहने लगा मेरे एक जान पहचान के व्यक्ति हैं उनका टूर और ट्रेवल्स का काम है तो मैं उनसे एक बार बात कर लेता हूं। मैंने रजत को कहा हां तुम उनसे बात कर लो। रजत ने उनसे बात की तो हम लोग उनसे मिलने के लिए चले गए हम लोग उनके ऑफिस में गए तो वहां पर हम लोगों ने गाड़ी के लिए उनसे बात कर ली। उन्होंने हमें कहा कि आपको कब जाना है तो मैंने उन्हें कहा हमें कल सुबह निकलना है वह कहने लगे ठीक है मैं कल सुबह ड्राइवर को कार लेकर आपके घर पर भिजवा दूंगा। पैसे की बात हो चुकी थी और अब उन्होंने अगले दिन सुबह ही ड्राइवर को कार लेकर हमारे साथ भिजवा दिया। हम लोग अब जयपुर के लिए निकल चुके थे और जयपुर पहुंचने के बाद हम लोगों ने कुछ देर आराम किया रजत मुझे कहने लगा कि यार मुझे बहुत अच्छा लग रहा है।

रजत पहली बार ही जयपुर आया था तो वह मुझसे कहने लगा कि यहां पर बहुत ही अच्छा है रजत काफी तारीफ कर रहा था। हम दोनों साथ में घूमने के लिए निकले मैं कुछ फोटोग्राफ्स ले रहा था तो मैंने रजत को कहा कि मैं तुम्हारी भी फोटो ले लेता हूं। वह कहने लगा कि हां क्यों नहीं यह यादें हम लोग तुम्हारे कैमरे में संजोकर रख लेते हैं मैंने रजत की कुछ तस्वीरें ले ली और हम लोग शाम के वक्त होटल में लौट आए थे। शाम के वक्त जब हम लोग होटल में लौटे तो मेरे पापा का मुझे फोन आया और वह कहने लगे कि हर्षित बेटा तुम घर कब लौट रहे हो। मैंने पापा से कहा पापा अभी तो मुझे कुछ पता नहीं कि मैं कब लौट आऊंगा लेकिन जल्द ही मैं घर आ जाऊंगा। वह मुझसे मेरा हाल चाल पूछने लगे मैंने उन्हें कहा हां पापा मैं ठीक हूं आप मेरी चिंता ना करें उसके बाद मैंने फोन रख दिया। रजत मुझसे कहने लगा कि किसका फोन था तो मैंने रजत को कहा पापा का फोन था रजत और मैं आपस में बात कर रहे थे बात करते हुए हमारे कुछ कॉलेज की पुरानी यादें ताजा हो गई।

हम दोनों आपस में बात कर रहे थे तभी किसी ने दरवाजे क बेल बजाई। मैंने रजत से कहा जरा देख लो कौन है रजत ने जब दरवाजे को खोला तो वहां पर एक लड़की खड़ी थी। रजत मुझे कहने लगा हर्षित यहां आना मै दरवाजे की तरफ गया तो मैंने देखा एक लड़की मिनी स्कर्ट में खड़ी थी वह बड़ी सेक्सी थी। मैंने उसे देखा तो मैं अपने आपको रोक ना सका मैंने उससे बड़ी ही शालीनता से पूछा हां मैडम कहिए क्या काम था? वह मुझे कहने लगी मुझे अविनाश जी से मिलना था उसके हाव भाव देखकर मैं समझ गया कि वह कोई जुगाड़ है। मैंने उसे कहा यहां तो अविनाश जी नहीं है वह थोड़ी देर बाद आते ही होंगे आप अंदर आ जाइए। मैंने उसे अंदर बुला लिया ना जाने उस दिन मेरे अंदर इतना जोश कहां से आ गया था रजत मेरी तरफ देखने लगा। मैंने उस लड़की से उसका नाम पूछा वह कहने लगी मेरा नाम शीतल है उसकी उम्र ज्यादा नहीं थी मैं उससे बात कर रहा था जब मैंने अपने हाथ को उसके स्तनों पर लगाना शुरू किया वह मुझे कहने लगी आप यह क्या कर रहे हैं? मैंने उसे कहा क्या अविनाश ने तुमसे पैसे की बात नहीं की थी वह कहने लगी हां अविनाश ने बात की थी। मैंने उसे कहा तो ठीक है फिर हम लोग शुरू करते हैं जब मैंने उस स्तनों को हाथ लगाना शुरू किया तो वह मचलने लगी। वह मुझे कहने लगी अविनाश ने तो कहा था सिर्फ मैं ही हूं लेकिन तुम तो दो हो? मैंने उससे कहा कोई बात नहीं तुम पैसे ले लेना पैसो की चिंता मत करो जब मैंने उसे यह बात कहीं तो वह पूरी तरीके से मेरी बाहों में आने को तैयार हो गई और कहने लगी ठीक है तुम मुझे पैसे दे देना। मैंने जब उसके स्तनों को चूसना शुरु किया तो मुझे अच्छा लगने लगा और उसे भी बड़ा मजा आ रहा था। अब हम दोनों ही पूरी तरीके से उत्तेजित हो चुके थे रजत ने भी अपने लंड को बाहर निकाल दिया था उसको  वह शीतल के मुंह मे डालने लगा।

मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा था जिस प्रकार से वह उसके लंड को चूस रही थी मुझे भी उससे लंड चूसवाने का मन हुआ थोड़ी देर बाद जब मैंने उसके मुंह के अंदर अपने लंड को प्रवेश करवाया तो उसने मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू किया। वह बड़े अच्छे से मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूस रही थी मुझे भी बहुत खुशी हो रही थी और वह भी बड़ी उत्तेजित हो गई थी मैंने उसे कहा मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। जब मैंने उसकी चिकनी और कोमल चूत पर अपनी उंगली लगाना शुरू किया तो वह मचलने लगी और मुझे कहने लगी मुझे बड़ा अच्छा लग रहा है। जब मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर लगाना शुरू किया तो वह कहने लगी तुम पहले कंडोम लगा लो। मैंने उसे कहा मेरे पास कंडोम नहीं है लेकिन उसके अपने पर्स से कंडोम निकालकर मुझे दिया तो मैंने उसे अपने लंड पर लगा लिया और मैंने शीतल की चूत के अंदर लंड को डालना शुरू किया।

मेरा लंड उसकी चूत मे जा चुका था उसके मुंह से बड़ी तेज चीख निकली और उसी के साथ अब मैं उसे बड़ी तेज गति से धक्के मारने लगा था। मैंने उसे बहुत तेज गति से धक्के मारने शुरू कर दिए थे वह अपने पैरों को चौड़ा करने लगी कुछ देर में उसे ऐसे ही चोदता रहा। मैंने अपने लंड को बाहर निकाला और उसे घोड़ी बना दिया मैने उसे घोड़ी बनाकर चोदना जारी रखा वह बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गई थी। वह मुझे कहने लगी मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा है मैं अपने माल को गिरा दिया था और अपने लंड से कंडोम को निकालकर मैन डस्टबिन में फेंक दिया। जब रजत ने उसे चोदना शुरू किया तो उसके मुंह से बहुत तेज चीख निकल रही थी और वह चिल्ला रही थी। मुझे यह सब देखकर अच्छा लग रहा था मैंने अपने लंड को शीतल के मुंह के अंदर घुसा दिया था वह मेरे लंड को बड़े अच्छे से चूस रही थी, उसे मेरे लंड को चूसने में बहुत मजा आ रहा था काफी देर ऐसा करने के बाद हम दोनों ही पूरी तरीके से उत्तेजित हो गए शीतल भी अपने आपको रोक ना पाई और ना ही मैं अपने आपको रोक पाया जैसे ही मैंने और रजत ने अपने वीर्य को शीतल का मुंह मे डाला तो हम दोनो खुश थे। हमने उसे पैसे दिए वह हमारे साथ उस रात रूक गई।

दरवाजे पर हुस्न से लबरेज माल खड़ा था

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