सेक्स का आधा अधूरा मज़ा ट्रेन में

सेक्स का आधा अधूरा मज़ा ट्रेन में

हाय दोस्तो, मेरा नाम शिवम पटेल है। मैं यहाँ अपनी पहली सेक्स घटना के बारे में लिख रहा हूँ। एक बार मैं वाराणसी से इलाहाबाद जा रहा था। मुझे अचानक जाना पड़ रहा था इसलिए रिजर्वेशन नहीं करवा पाया था। लोकल डिब्बे में जगह ढूढँता रह गया, पर कहीं जगह ही नहीं मिली, हार कर मैं रिजर्वेशन वाले डिब्बे में चढ़ा, पर वहाँ भी बड़ी भीड़ थी, मैं वापस ट्रेन से नीचे उतर आया।
तभी ट्रेन ने हार्न दिया, मैं जल्दबाजी में एसी कोच में ही चढ़ गया और सोचा टीटी से यहीं टिकट बनवा लूंगा।
मैंने देखा कि यहाँ तो पूरा एसी कोच ही खाली था। एक बर्थ छोड़कर मैं आगे बढ़ा और देखा कि दूसरी बर्थ पर कोई महिला जिनकी उम्र करीब 32-33 रही होगी, वो बैठी थीं।
हमने एक-दूसरे को देखा फिर मैं एसी कोच के पूरे सिरे तक टहल आया और किसी व्यक्ति को ना पाकर मैं वहीं उस महिला के पास वापस आकर बैठ गया।
मैंने बोला- पूरा कोच ही खाली है।
वो बिना बोले थोड़ा सा मुस्करा दीं। फिर मैं चुप हो गया।
थोड़ी देर बाद वो ही मुझ से बोली- कहाँ तक जाना है आपको?
मैं बोला- इलाहाबाद।
फिर उन्होंने टिकट के बारे में पूछा। मैंने सच्ची-सच्ची बता दिया।
उन्होंने कहा- कोई बात नहीं, तुम परेशान मत होना, मैं टीटी से बात कर लूँगी।
मैंने स्वीकृति में सिर हिला दिया। फिर उन्होंने काफी कुछ पूछा। इसी बीच टीटी भी आया था उन्होंने उससे अपने तरीके से बातचीत कर मेरे टिकट का मामला निपटा दिया।
करीब एक घंटा बीत चुका था। अचानक उन्होंने एक ऐसा सवाल किया कि मैं चौक गया। उन्होंने पूछा- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेण्ड है?
मैंने कहा- नहीं।
उन्होंने कहा- सच-सच बताओ?
मैंने कहा- सचमुच नहीं है।
उन्होंने कहा- यार, तुम अपना काम कैसे चलाते हो?
उनके ‘यार’ शब्द से मैं चौँक गया। मैं उनका इशारा तो समझ गया था, पर अन्जान बनते हुए पूछा- काम चलाना? मतलब?
उन्होंने कहा- चलो अब बनो मत, फ्रैंक बात करो। अगर कोई परेशानी है, तो कोई बात नहीं।
मैं थोड़ा शरमाते हुए बोला- नहीं ऐसी बात नहीं है।
वो बोली- गुड..! अच्छा बताओ किसी लड़की या औरत के साथ कभी किया है?
मैं- नहीं।
वो- खुद को शान्त कैसे करते हो?
मैं थोड़ा झेंपते हुए- हिलाकर..!
वो हँसते हुए- एक दिन में कितनी बार..?
मैं- दिन में नहाते हुए, रात में बिस्तर पर जाने के बाद।
वो- तुम जानते हो किसी लड़की के साथ कैसे करते हैं?
मैं- कभी किया नहीं सो पूरी तरह से नहीं मालूम।
मेरी नजरें नीची ही थीं। मेरा अन्दर ही अन्दर इतना टाईट हो गया था कि जींस के नीचे दर्द करने लगा था। वो बाहर आने के लिए बेताब था।
वो उठी और दरवाजे के बाहर झांक कर दरवाजे पर परदा चढ़ाकर वापस आकर बैठते हुए बोली- दर्द हो रहा है क्या?
मैं चौँक गया पर कुछ नहीं बोला।
वो बोली- यहाँ मेरे पास आकर बैठो।
मेरा मन भी हो रहा था और डर भी लग रहा था, मैं उठकर उनके पास बैठ गया।
वो मेरे ऊपर चद्दर डालती हुई बोली- बेल्ट ढीली करो।
मैंने कर दी। उन्होंने मेरी आँखों में झाँकते हुए जींस का बटन खोल कर अपना हाथ अन्दर डाल दिया।
मैं एक-दो इंच ऊपर उठ गया, मेरी सांस तेज हो गईं, मेरे शरीर मे जैसे करंट दौड़ रहा हो, मैं तो शर्म से मूर्तिवत हो गया था।
उसने उसके मुण्ड को टटोलते हुए पूछा- हाय… तुम इसे क्या बुलाते हो?
मैं बोला- पेनिस।
वो बोली- हिन्दी में बताओ?
मैं बोला- छुन्नी।
वो मादकता से मुस्कराते हुए बोली- इसको बड़े लोग लण्ड बुलाते हैं, पर तुम पेनिस ही कहो।
कहते-कहते उसने मेरे पेनिस को तेजी से आगे-पीछे खींच दिया, मेरी हल्की सी चीख निकल गई।
फिर वो थोड़ी देर तक हिलाती रही।
तभी मैंने आहें भरी और कहा- मेरा निकलने वाला है।
वो अपना रूमाल ढूँढ कर देते हुए बोली- लो इसमें निकालो।
मैंने अपना पेनिस निकालकर उसके रूमाल में अपना स्पर्म निकाल दिया। फिर उसने रूमाल को अपने हाथ में लिया और मेरे स्पर्म को सूँघते हुए तहों में लपेट कर उसे अपने बैग में रख लिया और बोली- जब तुम मेरे पास नहीं होगे, तब यह खुशबू मुझे तुम्हारी याद दिलाएगी।
मैं झेंप गया पर मैं उसकी फ़ुद्दी देखना चाहता था।
तभी उसने मुझे धक्का देकर सीट पर लिटा दिया और मेरे ढीले पेनिस के मुण्ड पर लगे थोड़े बहुत स्पर्म को अपने अगूंठे से रगड़ने लगी। मेरे पूरे शरीर में कम्पन होने लगा, मुझे डर लग रहा था कहीं कोई आ ना जाए।
वो मादकता से मेरे शर्ट को समेटते हुए मेरे पेट पर पप्पी लेने लगी। मैं मदहोश होता जा रहा था।
फिर वो गर्म-गर्म साँसें फेंकती हुई मेरे पेनिस तक पहुँची और अपने मुँह से एक सिसकारी भर कर उसे चाटने लगी। मेरे मुँह से अजीब सी सिसकारी निकलने लगी।
वो मेरे लण्ड पर लगा बचा हुआ माल भी चाट गई और अपने जीभ की नोक मेरे लौड़े के छेद पर दबाने लगी।
मैं तो मदहोश हो चुका था, थोड़ी देर में मेरा लौड़ा पहली बार से ज्यादा तन चुका था।
वो करीब 15 मिनट से ज्यादा उसे चाटती रही। अन्त में मैं बता भी नहीं पाया उससे पहले मेरा माल उसके मुँह में निकल गया। उसका मुँह लगभग भर गया।
मैंने धीमे से अपनी आँखें खोलीं और मैं यह देखकर हैरान रह गया वो मेरा पूरा स्पर्म पी गई।
फिर वो मेरे ऊपर चढ़ आई और मुँह में लगा कुछ स्पर्म मेरे मुँह पर पोत दिया और थोड़ा स्पर्म अपनी जीभ से बटोरकर मेरे मुँह में डाल दिया और उसी तरह मेरे ऊपर करीब दस मिनट तक लेटी रही।
फिर उठकर अपना मुँह साफ कर टायलेट की तरफ चली गई। मैं भी अपना मुँह साफ कर पानी पीकर बैठा।
करीब 15 मिनट बाद वो आई और मुस्कराते हुए अपने पर्स से एक कार्ड निकाल कर देते हुए बोली- तुम्हारे जैसे लड़के का मुझे हमेशा इंतजार रहता है, अगर आगे और कुछ सीखना हो तो मुझसे जरूर मिलना। थोड़ी देर में मेरा स्टेशन आने वाला है।
मैं चाह कर भी उससे अपनी चाहत नहीं बता पाया कि मैं उसकी योनि देखना चाहता हूँ।
यह एकदम सच्ची कहानी है। उससे हुई दूसरी मुलाकात आपको फिर कभी जरूर लिखूँगा।
आपको मेरी सच्ची कहानी कैसी लगी, प्लीज जरूर मेल करें और मुझे बताएँ।
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