गैर मर्दों की बाहों में मिलता है सुख-1

गैर मर्दों की बाहों में मिलता है सुख-1

अन्तर्वासना में अपनी कहानियाँ भेजने वालों को गीता का प्रणाम! खुली फुदी से मेरी कहानी पढ़ने वालों को प्रणाम! यानि की गीता मेहरा का नमस्कार!

बहुत सी कहानियाँ पढ़ी जिन्हें पढ़ते ही चूत में आग लग जाती है, इस तरह मैंने भी अपनी ज़िंदगी के अब तक के सफ़र में कितना और कैसे चुदवाया? आज पहली दास्तान –

अब तो मैं शादीशुदा हूँ। जब पहली बार चुदी थी तो मैं कॉलेज़ में थी। मेरे पड़ोसी के घर में उनका लड़का था सुनील। सुनील का गारमेंट्स का बिज़्नेस था वैसे तो वो शादीशुदा था, उसकी बीवी सरिता भी मेरे साथ घुलमिल गई थी। हम दोनों अकेले होकर गप्पें लड़ाते!

गर्मियों की एक दोपहर की बात है हमारा फ्रिज़ खराब हो गया था। मम्मी ने मुझे कहा- उनकी फ्रिज़ से बर्फ़ की ट्रे लेकर आना!

हम पड़ोसियों में बहुत प्यार था और घुलमिल के रहते थे। मैंने सोचा- सरिता अकेली होगी, ज्यादातर वो घर पे रहती थी नई नई शादी जो हुई थी। मैं सीधा अंदर गई फ़्रिज़ से बर्फ़ की ट्रे निकाली और सरिता को हेलो बोलने उसके कमरे में चली गई। वहाँ पे सुनील टीवी पे ब्लू फिल्म देखने में मस्त था। उसको नहीं पता था कि मैं दरवाज़े पर आई हूँ। उसने अपना लण्ड हाथ में पकड़ रखा था और मूठ मार रहा था। उसको देख मेरे मुँह से आह निकल गई और उसने मुझे देख लिया।

मैं शरमा के, हंस के वहाँ से निकल आई, थोड़ी देर बाद मम्मी बाज़ार चली गई।

तभी फोन बजा। मैं अकेली थी। फ़ोन उठाया- सुनील था! बोला- तुम आई और देख कर मुड़ क्यूँ गई? वो भी हंस के?

मैं घबरा सी गई। वैसे मैंने कभी चुदाई का मजा पहले नहीं लिया था। लेकिन अपने बॉयफ़्रेन्ड के साथ ओरल-सेक्स, चूमा-चाटी का खेल, टॉपलेस होकर अपने चूचुक चुसवाना, यह सब मैंने किया था, यहाँ तक कि गाण्ड भी मरवाई थी। किसी भी बॉयफ़्रेन्ड को मैंने चूत नहीं दी थी, मैंने लण्ड भी चूसा। सुनील का लण्ड मुझे अब तक देखे लण्डों के मुक़ाबले बड़ा लगा था।

मैंने फोन पे कहा- मम्मी घर पर नहीं है सुनील जी, बाद में कॉल करना! मैं बता दूँगी अगर कोई काम है तो।

वो बोलने लगा। मैंने फोन काट दिया।

तभी फिर फोन आया और उसने कहा- सरिता नहीं है प्लीज़! मेरे लिए खाना बना दो, सब्ज़ी बना ली है, बस रोटियाँ उतार के दे जाओ।

मैं गई, किचन में तवा चढ़ाया ही था कि पीछे से सुनील ने मुझे पकड़ लिया और कहा- जानेमन! कितने साल से मैं तुझे चाहता था! कह नहीं पाया था।

उसने मेरे सूट में हाथ डाल कर मेरे मोम्मे दबाने शुरू कर दिए।

मैंने कहा- सरिता से मजा नहीं आता? इसीलिए मूठ मार रहे थे?

बोला- ब्लू फिल्म देख रहा था, मारनी ही पड़ी।

उसने गैस बंद की और मुझे बाहों में उठा लिया। मैंने कहा- सुनील! यहाँ ठीक नहीं! अगर कोई आ गया तो मुझे से पीछे वाली दीवार नहीं कूदी जाएगी। तुम छत से मेरे घर आ जाओ ताकि कोई आए तो तुम आसानी से निकल जाओ।

मैंने बाहर का गेट लॉक कर दिया, वो ऊपर से अंदर घुस आया और मुझे जंगलीपने से प्यार करने लगा। उसने जल्दी से मेरा नाला(नाड़ा) खोल कर सलवार उतार दी। बोला- क्या पट्ट(जांघें) हैं? मक्खन जैसे!

वो उनके चूमने लगा और फ़िर उसने मेरी कमीज़ उतार दी और मेरी छातियाँ मसलने लगा, चूचुक ऊँग्लियों के साथ मसलने लगा। मैं आहें भर भर कर बार बार उसके सर को पकड़ उसको और चूसने के लिए कह रही थी। तभी मैंने उसका लण्ड कच्छे से निकाल हाथ में लिया और सहलाते सहलाते पता नहीं कब चूसने लगी। फिर मेरे बस में कुछ नहीं था, मैं नहीं रोक पाई आज! आख़िर मेरी चूत चुदने ही वाली थी।

क्या मर्द था! कभी ऐसा आनन्द नहीं लिया था मैंने! वो मुझे 69 में करके मेरी चूत चाटने लगा। मेरे दाने को चबाने लगा। मैं पागलों जैसे उसका लण्ड चूसने में मस्त थी। वो जब अपनी ज़ुबान तेज़ करता तो मैं भी लण्ड उतनी तेज़ी से चुसती। उसने मेरी कमर के नीचे तकिया लगाया और मेरी टांगों के बीच में बैठ अपना लण्ड मेरे दाने पे रगड़ने लगा। मुझसे जवानी की आग सही नहीं गई, मेरे मुंह से निकल गया- अंदर डालोगे या बाहर ही छुटने का इरादा है!

उसने झटका मारा, आधा लण्ड मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर चला गया। मेरी चीखें निकल गई। उसने मेरी दोनों बाहें पकड़ कर अपने होंठों से मेरे होंठ दबा लिए।

मैं चीखती रही- मर गई! अहह! निकाल कमीने! फट गई मां! मैं चुद गई री ईईईईई ईईई जैसे???

फ़िर लण्ड अंदर-बाहर आसानी से होने लगा, मानो मैं स्वर्ग में पहुँच गई।

‘चोद सुनील! चोद दे आज मुझे! तेरी रखैल बन जाऊँगी! कायल हो गई तेरी मर्दानगी पे! कभी किस से चूत नहीं मरवाई मेरे दिलबर! आशिक़ फाड़ दे! अब करता ही जा! ज़ोर ज़ोर से! हाए दैया रे! दैया मसल डाल मुझे! फाड़ डाल मेरी! अपना बीज आज मेरे अंदर बो दे!’

उसने लण्ड निकाल लिया और मुझे कहा- कुतिया! कमीनी! हरामजादी! चल हो जा घुटनो पे! बन जा कुत्ती! और वो पीछे से आकर मेरी चूत मारने लगा, घोड़ी बना के लेने लगा, साथ साथ में उसने अपनी उंगली मेरी पोली पोली गाण्ड के छेद में डाल दी। मुझे दोहरा मजा दिया उसने!

एकदम से चूत से उसने लण्ड खींचा और मेरी गाण्ड में पेल दिया।

‘हाए साले यह क्या किया? इसको तो बहुत चुदवाया है! तू चूत मार मेरी, प्यास बुझा मेरी!’

‘थोड़ी देर मारने दे कमीनी…’

फिर उसने निकाल लिया अपना लण्ड मेरी गाण्ड से। मुझे खड़ा करके कहा- अपने हाथ दीवार से लगा ले और उसने पीछे से चूत मारी।

‘हाए! गई! गई!’

वो बोला- आह! मैं झड़ने वाला हूँ!

मैंने कहा- ले चल बिस्तर पे! मेरे उपर लेट जा! ताकि जब झड़ जायें तो तुझे अपनी बाहों में भींच लूँगी।

उसने मुझे सीधा लिटाया और मेरे ऊपर चढ़ गया और ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा।

‘ओईईई ईईईई माआआअ क्या नज़ारा है! हाए सईयाँ दीवाने! मैं झड़ने वाली हूँ! आह!’

वो बोला- हाँ ले साली ले!

मैं झड़ गई और आधे मिनट बाद उसके लण्ड ने शावर की तरह अपना सा माल मेरे पेट में डाल दिया, जब उसका पानी निकलने लगा तब इतना मजा आया चुदाई से भी ज्यादा!

मैंने आँखें बंद कर के उसको जकड़ लिया- निकाल दे सारा माल!

एक एक बूंद उसने निकाल लिया और मेरे मुंह में अपना लण्ड डाल कर बोला- साफ कर दे अपने होंठों से! ज़ुबान से!

दोपहर के दो बजे से शाम के चार बजे तक नंगा नाच ऐसे ही चलता रहा।

मुझे चूत मरवाने का ऐसा चस्का लगा कि अब एक मर्द से बंध कर मजा नहीं मिलता।

जो हर मर्द की बाहों में झूलकर मिलता है!

दोस्तो अगली दास्तान कुछ ही दिनों में बयान करूँगी।

तब तक के लिए सबको चूत से प्यार!
मिलते हैं अगली बार
[email protected]
पे बताओ कि कितनी बार मूठ मारते हो और कितनी बार चूत?
बाइ बाइ

गैर मर्दों की बाहों में मिलता है सुख-2

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