ग़ोवा में सुहागरात-1

ग़ोवा में सुहागरात-1

प्रेषक : रोहित मल्होत्रा

नमस्कार अन्तर्वासना के दोस्तो, मेरा नाम रोहित है, मैं 35 साल का अविवाहित हूँ। आप सबको मैं अपनी एक सच्ची कहानी गोवा में खुशी मिली सुना चुका हूँ और आप सभी के ढेर सारे मेल का धन्यवाद।

मैं आप सबको अपनी एक और कहानी सुनाना चाहता हूँ, उम्मीद है आपको पसन्द आएगी। यह बात ज्यादा पुरानी नहीं है। आप सभी को तो पता ही है कि मैं गोवा के एक होटल में मैंनेजर हूँ और पूरी ईमानदारी से अपना काम करता हूँ।

मेरे होटल में एक हनीमून सुईट की बुकिंग थी और गोवा में ऑफ़ सीजन चल रहा था, सो आधा होटल खाली था। मुझे भी कुछ खास काम नहीं था। मैं खुद रिसेप्शन पर खड़ा हो गया।

लगभग 6 बजे शाम को होटल में कार से एक जोड़ा आया दोनों को देख कर लग रहा था कि अभी-अभी शादी करके सीधे गोवा में हनीमून मनाने आये हैं। मैंने बुकिंग चार्ट में देखा तो नाम महेन्द्र शाह उम्र 34, नेहा शाह उम्र 32 बड़ौदा, ग़ुजरात। (नाम और जगह परिवर्तित हैं।

दोनों दिखने में ठीक-ठाक ही थे, पर नेहा 32 की होकर भी 25 या 26 से ज्यादा की नहीं लग रही थी। मैंने ही होटल में उनका स्वागत किया और उन्हें उनका हनीमून सुईट तक का रास्ता दिखाया और ‘एन्जोय योर हॉली-डे’ कह कर जाने लगा तो नेहा के पति ने मेरा मोबाईल नम्बर माँग लिया, तो मैंने अपना मोबाइल नम्बर दे दिया।

दोनों अपने कमरे में चले गए और मैं भी होटल का एक चक्कर लगा कर अपने कमरे में आराम करने के इरादे से जाकर लेट गया।

अभी आधा घण्टा भी नहीं हुआ होगा कि नेहा के पति का फ़ोन आया- क्या कल रात को मुझे कोई काल-गर्ल मिल सकती है?

मुझे उस साले पर गुस्सा तो बहुत आया एक तो अपनी नई-नवेली बीवी के साथ आया है और फोन कर के पहली रात में काल-गर्ल मांग रहा है। मन तो कर रहा था कि साले को खूब गाली दूँ और जूता मार कर होटल से बाहर निकाल दूँ, पर क्या करूँ, व्यावसायिकता आड़े आ गई।

सो मैंने प्यार से कहा- मुझे माफ़ करें सर, इस तरह गैर-कानूनी काम यहाँ नहीं होता है।

और मैंने मोबाइल बन्द कर दिया।

रात में उस चूतिये के बारे में सोच-सोच कर नींद नहीं आ रही थी, तो मैं ऐसे ही होटल के पीछे गार्डन में टहलने चला गया।

अभी मैं वहाँ पहुँचा ही था कि देखा कि महेन्द्र शाह मोबाईल पर बहुत धीमे से बात कर रहा था- डार्लिन्ग, मैं तुम्हें कभी धोखा नहीं दूँगा… कसम से, तुम तो जानती हो कि यह शादी मैंने सिर्फ़ माँ-बाप के लिये की है, प्यार तो मैं सिर्फ़ तुम से ही करता हूँ, आय लव यू !’

और ना जाने क्या-क्या बक-बक कर रहा था।

उसकी पीठ मेरी तरफ़ थी इसलिये उसने मुझे देखा नहीं। मैं सोच मे पड़ गया कि साले, रुम में बीवी है, फोन पर गर्लफ़्रेन्ड है और रात को काल-गर्ल भी चाहिये। यह तो पक्का कमीना है।

मैं वहाँ से जा ही रहा था कि मैंने देखा कि नेहा भी छुप कर उसकी बातें सुन रही थी और उसने मुझे देखा तो चुप रहने का इशारा किया, तो मैं हट गया। मुझे क्या करना, सिर्फ़ अफ़सोस हो रहा था कि एक लड़की की जिन्दगी खराब हो गई। नेहा को इससे शादी नहीं करनी चाहिये थी।

दूसरे दिन सुबह नेहा रिसेप्शन की तरफ़ आ रही थी, तो मैंने शिष्टाचारवश ‘गुड मॉर्निंग’ बोला पर उसने जवाब देने के बजाय उसने मुझे मुस्कुरा कर कहा- क्या मेरी कोई मॉर्निंग गुड हो सकती है जबकी मेरी हर नाईट अब खराब गुजरने वाली है?

मैं कोई जवाब ना दे सका।

मैंने सिर्फ़ इतना कहा- मैडम, आप सर को प्यार से अपना बनाने की कोशिश करो वो सुधर जायेगे !

वो हँस पड़ी और बोली- ज्यादा सेन्टी होने की जरूरत नहीं, मुझे पता है कि वो नहीं सुधरेगा !

अब मैं क्या बोलता बस इतना बोला- मैडम, यह आपका निजी मामला है, मैं क्या कर सकता हूँ, फ़िर भी अगर मुझसे कोई मदद की जरूरत हो तो जरूर कहना।

वो कुछ नहीं बोली और चली गई। पूरा दिन बीत गया। नेहा का पति महेन्द्र सिर्फ़ एक बार दिखा पर मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया।

रात में मैंने देखा कि दोनों बाहर से घूम कर आ रहे थे और किसी बात पर लड़ रहे थे। महेन्द्र शाह पूरे नशे में था, उससे चला भी नहीं जा रहा था। किसी तरह होटल स्टाफ़ की मदद से वो रुम तक गया। मेरा भी खाना खाकर सोने का व्कत हो गया था, अतः मैं भी अपने कमरे की तरफ़ जाने लगा, तो देखा कि नेहा कमरे से बाहर कॉरीडोर में खड़े हो कर रो रही है।

अब मुझसे रहा ना गया और मैंने उस महेन्द्र शाह को मैंने मन ही मन मे खूब गाली दीं, पर मैं कर भी क्या सकता था !

पर ना जाने क्यों इन्सानियत के नाते मैंने नेहा के करीब जाकर कहा- मैडम, मे आय हेल्प यू ! प्लीज डोन्ट क्राय !

उसने मेरी तरफ़ आँखों में आँसू लिये देखा तो मैंने तुरन्त अपना रुमाल निकाल कर उसकी तरफ़ बढ़ा दिया।

नेहा ने बस ‘थैंक्स’ कहा और रुमाल ले लिया। जब वो आँसू पोछ रही थी, मैं भाग कर गया और बिसलरी की एक बोतल ले आया। हालांकि उसने पानी नहीं पिया, पर मुझे इस सबके लिये धन्यवाद बोला।

जब नेहा थोड़ा नॉर्मल हो गई तो मैंने उससे कहा- क्या आप मेरे साथ बाहर लॉन में घूमना चाहेंगीं? इससे आप का मन भी थोड़ा हल्का हो जायेगा और मुझे भी आप की थोड़ी सी खूबसूरत कम्पनी मिल जाएगी और मैं इतना बुरा आदमी भी नहीं हूँ कि आप मना करें !

मैंने यह बात बड़ी ही अदा से कही तो वो मुस्करा दी।

दोस्तो, यकीन मानो, उस समय मेरे मन में सिर्फ़ उसके लिये सहानभूति थी, और कुछ नहीं !

महेन्द्र अपने कमरे में पीकर सोया पड़ा था, सो ना उसकी परवाह मुझे थी ना उसकी पत्नी नेहा को। नेहा से बातचीत करने पर पता चला कि महेन्द्र ने शादी सिर्फ़ दहेज के लिये की थी। उसे नेहा में कोई दिलचस्पी नहीं थी और नेहा भी यहाँ से जाकर सबसे पहले उससे तलाक लेने का मन बना चुकी थी।

बातचीत में थोड़ा अब वो खुल गई, उसने भी पूछा- क्या आपकी शादी हो गई है?

मैंने ‘ना’ कहा तो उसने पूछ लिया- क्या कोई पसन्द नहीं आई?

मैं क्या बोलता बस इतना कहा- नहीं, बस लाईफ़ एन्जॉय कर रहा हूँ।

“अकेले लाईफ़ एन्जॉय !! कमाल है हैण्डसम हो, स्मार्ट हो, कोई गर्ल फ़्रेन्ड नहीं?” नेहा ने ताना मारा, वो भी अजीब तरीके से।

मैंने भी कह दिया- अच्छी लड़कियाँ महेन्द्र जैसे लोगों को ही मिलती हैं, हम जैसे लोगों को नहीं। क्या अच्छा नहीं होता कि जो आपको अच्छा लगे आप उसके साथ समय बिता सकें? खुश रह सकें? क्या खुशी पाने के लिये शादी जरुरी है? शायद इसीलिए मैं शादी ही नहीं करना चाहता। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

मेरी बात पर वो सोच कर बोली- तुम सही हो।

अब मुझे नींद आ रही थी तो मैंने कहा- चलो, अब वापस चलते हैं।

उसने कुछ ना कहा और हम कमरे की तरफ़ चल पड़े। उसके कमरे के पास आकर जैसे ही मैंने उसे ‘गुड-नाईट’ कहा, वो पलट कर बोली- क्या मैं आज की रात आप के साथ गुजार सकती हूँ? देखो मना मत करना, तुमने ही कहा था कि जिसके साथ अच्छा लगे उसके साथ समय बिताना चाहिये ! मुझे सिर्फ़ एक रात दे दो प्लीज !

रात की तन्हाई में…

हाथ अंडरवियर की गहराई में…

कुछ महसूस सा होता है…

मत सताओ उसको जालिम…

अपना पप्पू भी सोता है…

मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें।

कहानी जारी रहेगी।

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