जी भर के लुटाना चाहती हूँ जवानी-2

जी भर के लुटाना चाहती हूँ जवानी-2

लेखिका : टीना

सभी अन्तर्वासना पढ़ने वाले पाठकों को टीना की तरफ से एक बार फिर से प्रणाम !

मैंने अपनी एक मस्त चुदाई पहले भाग में सबको बताई थी, उम्मीद है सबको अच्छी लगी होगी। दोस्तो, जिस तरहं मैंने बताया था कि मेरा सोचना अलग है, क्या पता बाद में अगला जन्म किसने देखा जाना है, मैं दिल खोल कर अपनी जवानी लूटना चाहती हूँ। मुझे अच्छा भी बहुत लगता है जब लड़के मुझे माल, गश्ती, चालू सी लड़की कहते हैं, मुझे बुरा नहीं लगता और मैं मज़ा लेती हूँ। यहाँ तक कि उनके कटाक्षों पर थैंक्स तक कह जाती हूँ जिससे वो शर्मिंदा हो जाते हैं।

मैने बताया था कि किस तरहं एक ट्रांसपोर्टर के लड़के के साथ मेरा अफेयर रहा और उससे चुदाई का खूब सुख लिया था और उसके जाने के बाद मेरा अफेयर जिस लड़के से हुआ यह तो मेरे पैसे के पीछे आया था यह मैं अच्छी तरह जानती थी, समझती थी, इसीलिए वो मुझे मेरे आलीशान बेडरूम में चोदना चाहता था। और यह बात मैं शुरु में जान गई थी।

खैर मेरे सर पर सेक्स का भूत सवार था, जब उसने अपने कज़न को साथ लाने को ही कह दिया था, मैंने उसको पिछले दरवाज़े से रिसीव किया और अपने बिस्तर पे ले आई। उसने कहा कि उसका कज़न बाहर ही उसकी प्रतीक्षा करेगा, वो उसको बियर बार में बिठा कर आया है। यह सुन मुझे राहत सी मिली की एक ही होगा।

आज मुझे अकेली को बिस्तर पर देख उसकी आँखों में नशा सा आने लगा। मैं बेड पर बैठ गई। उसने अपने जूते खोले और मेरे पास आकर लेट गया। अपने साथ लेटे हुए देख मेरा मन भी डोलने लगा। उसने मेरी टी-शर्ट उतार दी उसके समने दो कबूतर तने हुए चुचूकों के साथ देख उसका खडा हो गया। उसने बारी बारी दोनों स्तनों को चूस कर मुझे भी आपे से बाहर कर दिया। मैं पहले से पैंटी में ही थी, मेरी गोरी जांघों पर उसका हाथ फ़िरने लगा।

मैंने उसकी जींस उतार दी और उसका लौड़ा कच्छा को फाड़ने पर आया हुआ था। जैसे ही मैंने उसका कच्छा उतारा सामने काले नाग की तरह लम्बा सा लौड़ा था। वाह ! क्या हथियार पाया है जालिम तुमने !

साली पसंद आया?

मैंने कहा- बहुत पसंद आया !

अब चूसेगी भी कुतिया अपने कुत्ते का लौड़ा?

मैंने झट से मुँह में डाल लिया और पागलों की तरहं चूसने लगी। एक पक्की रंडी की तरह लगने लगी थी।

वाह रानी वाह ! उसने मेरी टांगे खुलवा अपने होंठ मेरी चूत पर टिका दिए, जिसे छूते ही मैं भड़क उठी और दिल करने लगा कि वो मेरी चूत चूसता ही जाए। मेरे चूतड़ उछलने लगे- अह अह !

उसने दोनों टांगें कन्धों पर रख ली और लौड़ा चूत पर रख दिया। मैंने अपने हाथ से लौड़े को चूत के छेद पर टिकाते हुए झटके के लिए कहा।

आऊच ! ओह अह ! उसका मोटा लम्बा लौड़ा मेरे अन्दर घुसने लगा। क्या स्वाद था दर्द का भी !

करते करते एक ज़बरदस्त धक्के से उसने पूरा डाल दिया। मैं हिम्मत से बेड की चादर को पकड़ दांतों में दांत दबाते हुए सह गई और उसका पूरा साथ देने लगी।

बहुत बढ़िया चोद रहा था, मैं भी अपनी चूत उछाल उछाल कर उसका उत्साह बढ़ा रही थी। वो पूरा लौड़ा जब अन्दर डालता वो मेरे गर्भाशय से टकराता तो मजे से आंखें बंद होने लगती।

उसके बाद उसने मुझे खड़ा कर दीवार से हाथ लगा झुकाते हुए लौड़ा डाला, कसा-कसा सा लगने लगा, बहुत मज़ा मिलने लगा= और चोद ! और रगड़ !

यह ले साली, कमीनी कुतिया ! साली रांड यह ले !

वहीं घोड़ी बना लिया और चोदने लगा। नीचे से मेरे दोनों मम्मे हिलने लगे उसने दोनों पकड़ लिए और स्पीड पकड़ कर मशीन की तरह चलने लगा।

फ़िर एक दम से उठाया, लौड़े को डाले रखा, गोद में उठा कर बिस्तर पे डाल मेरे ऊपर सवार हो गया और आखिर वो अपना सारा पानी मेरी चूत में डालते हुए मेरे ऊपर गिर गया।

उसने मुझे इतना संतुष्ट किया कि मैं खुश हो गई। उसके बाद वो बोला- अब किस दिन आऊँ?

मैंने कहा- अपने कज़न को भी ले आओ ! बेचारा !

क्यूंकि मेरा मूड अब एक साथ दोनों के डलवाने का बन चुका था।

वो बोला- दस मिनट में आया !

उसके बाद क्या हुआ, जानने के लिए इसका तीसरा भाग पढ़ें।

धन्यवाद !

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