मासूम सी जोया की हकीकत

मासूम सी जोया की हकीकत

आप सभी को मेरा प्यार भरा नमस्कार!
मैं जावेद, अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ और आज आपको अपनी सच्ची कहानी सुनाने जा रहा हूँ।

बात तब की है जब मैं कालेज में नया-नया गया था, पहली बार लड़कियों के साथ पढ़ने का मौका मिला था। मैं खुश था क्योंकि बचपन से सरकारी स्कूल में लड़कों के साथ ही पढ़ाई का मौका मिला था। अब जहाँ देखो, लड़कियाँ ही लड़कियाँ थी। मैं घंटों सिर्फ़ यह सोचता रहता कि कैसे मैं किसी लड़की को पटाऊँ ताकि कई सालों की दबी हुई हवस पूरा करने का सपना सच हो।

खैर मैं अपनी कोशिश में लगा रहता था और हर आती जाती को लाइन भी मरता था ना जाने कब कोई पाट जाए उम्मीद पर दुनिया कायम है यही सोच कर मिशन पर लगा रहता था.

हमारे कालेज में ज़ोया नाम की एक लड़की पढ़ती थी, काफ़ी खूबसूरत थी, काले घने बाल, जो उसके कूल्हों तक आते थे, बड़ी बड़ी आँखें, सांवला रंग, तीखे नैन-नक्श और गोल गोल चूचियाँ उठे हुए चूतड़, उसको देख कर किसी भी मर्द का लण्ड खड़ा हो जाए!
कालेज के सभी लड़कों के साथ साथ टीचर भी उस पर मरते थे।
पर वो बहुत कम बोलती थी और हंसी मज़ाक बिल्कुल नहीं करती थी जिसकी वजह से सब उससे डरते थे और छुप छुप कर सिर्फ़ निगाहों उसकी बेदाग खूबसूरती का लुत्फ़ उठाते थे।

मैं अब छिछोरे लड़कों की लिस्ट में नम्बर एक पर आ चुका था, आए दिन कोई ना कोई लड़की मेरी शिकायत करती थी जिससे मैं पूरे कालेज में बदनाम हो गया था, अब कोई लड़की मेरे पास से भी नहीं गुज़रती थी।

मैं बेहद दुखी था कि क्यूँ मैं अपने को संभाल नहीं पाया! खैर अब मैं बदनाम हो गया था तो सोचा कि क्यूँ ना कुछ करके ही बदनाम हो जाऊँ!

अब मैंने भी कालेज की हरामी चालू चुदक्कड़ लड़कियाँ पटानी शुरू की और उनको कभी खाली क्लास में ले जा कर उनकी चूचियाँ दबाता, कभी उनको अपना लण्ड चुसवाता और कभी मौका देखकर उनकी फ्री चुदाई भी करता!
मैं बहुत खुश था, हर हफ्ते किसी ना किसी की चूत मिल जाती थी और चूमाचाटी करना, चूचियाँ दबाना तो आम बात थी मेरे लिए!
मैं पक्का चूत का पुजारी हो गया था।

एक दिन जब मैं कालेज से घर जा रहा था, मैंने देखा कि ज़ोया बड़ी घबराई हुए भागी जा रही है।
मैंने अपनी बाइक उसके पीछे लगा दी, आगे निकल कर मैंने उसे रोका तो वो रुकते ही मुझे कस कर पकड़ कर बोली- जावेद, मुझे बचा लो, मेरे पीछे कुछ गुंडे बदमाश लड़के लगे हुए हैं, जो काफ़ी देर से मेरा पीछा कर रहे हैं।
मैंने कहा- घबराओ नहीं, मैं हूँ ना!

फिर मैंने इधर उधर देखा तो 2-3 मवाली से लड़के उसका पीछा कर रहे थे।
मैंने जैसे ही उनको देखा, वे मुझे घूरने लगे।
मैं भी डरा नहीं और उनको घूरने लगा।

तभी मेरे भाग्य से एक बीट कॉन्स्टेबल पेट्रोलिंग करता हुआ आ गया, उसको देखते ही वो मवाली भाग खड़े हुए!

ज़ोया इतनी घबराई हुई थी कि उसने उस कॉन्स्टेबल को देखा नहीं और यह सोच बैठी कि मुझे देख कर सब बदमाश भाग गये।
मैंने भी डींग मारते हुए कहा- देखा, भाग गये सब! अब मत घबराओ।

फिर मैंने उसे पानी पिलाया और मैं उसे रेस्तराँ में लेकर गया। हमने वहाँ थोड़ा खाया-पिया और खूब बातें की।
अब वो भी सामान्य हो गई थी, मैं अपनी बकचोदी से उसे हंसा रहा था और वो मेरे साथ खूब खुश हो रही थी।

अब मैं उससे कालेज में खूब बात करता तो सबकी झांट जल कर रह जाती कि मैंने ज़ोया को कैसे पटा लिया।
खैर अब मुझे उससे और उसे मुझसे प्यार हो गया था पर इकरार की कमी थी। खैर एक दिन हिम्मत करके मैंने उसे प्रपोज़ कर ही दिया।
पहले तो वो नखरा करने लगी पर फिर मान गई।
अब मेरी अगली मंज़िल थी उसकी चुदाई! जो जल्द पूरी करनी थी।

एक दिन कालेज के बाद में ज़ोया को अपने कालेज की ओल्ड ब्लॉक बिल्डिंग में ले गया जो अब इस्तेमाल में नहीं थी, वो आशिकों का अड्डा थी जहाँ मैंने कई चूतें चोदी थी।

मैं ज़ोया को खाली कमरे में ले गया और दरवाज़ा बंद कर दिया।
पहले तो वो घबराई पर मैंने उसे कहा- डरो मत, मैं हूँ ना! कुछ नहीं होगा।
तो वो मुस्कुराते हुए कहने लगी- जब तुम साथ हो तो डरना कैसा!

वो मेरे सीने से चिपक गई, हमने चूमाचाटी शुरू की, चुम्बन करते करते मैं गर्म हो गया और ज़ोया के कपड़े उतारने लगा।

ज़ोया भी गर्म हो चुकी थी, उसे भी अब जवानी का नशा चढ़ रहा था पर उसकी फट रही थी कि कहीं पकड़े ना जाएँ।
वो घबरा कर बोली- जावेद छोड़ दो, कोई आ जाएगा तो हम फंस जाएगे!
मैंने कहा- डरो मत मेरी जान, कालेज ख़त्म हो चुका है, कोई नहीं आएगा।
और इतना कहकर मैंने उसका टॉप उतार दिया।

उसने काले रंग की ब्रा पहन रखी थी, ब्रा के अंदर उसकी चूचियाँ बाहर आने को मचल रही थी।
जैसे ही मैंने उसकी ब्रा का हुक खोला, वो आज़ाद कबूतर उछल कर मेरे सामने आ गये।
मैंने उन्हें चूसना शुरू किया तो वो मचल उठी और मेरे बाल पकड़ कर मेरा मुँह अपनी चूचियो में घुसेड़ने लगी। उसे बहुत मज़ा आ रहा था।

फिर मैंने उसकी जीन्स का बटन खोला तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और मना करने लगी, बोली- नहीं, बस जावेद… इतना ही काफ़ी है। अब और नहीं… मैं पागल हो जाऊँगी।

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मैंने उसकी एक ना सुनी और अपनी जीन्स की ज़िप खोलकर अपना छः इन्ची उसके सामने पेश कर दिया।
वो मेरे लण्ड को देखकर दंग रह गई और कहने लगी- जावेद तुम्हारा तो बहुत मस्त है, मैंने अब तक कई लण्ड खाए हैं पर ऐसा नहीं देखा!
और कहते हुए मेरा लण्ड अपने मुख में लेकर चूसने लगी।

मैं हैरानी से उसका चेहरा देख रहा था। कितनी शरीफ़जादी बन कर कॉलेज में आती थी ज़ोया!
पर क्या चूसा था उसने! एकदम रंडी की तरह!

मैं अब जोश में आ चुका था और उसके बाल पकड़ कर अपना लण्ड चुसवा रहा था, कह रहा था- चूस रंडी… चूस… पी ले मेरे लण्ड का रस… मेरी रानी…
वो मेरी बात सुनकर और तेज़ी से मेरा लण्ड चूस रही थी और रंडी की तरह ज़बान घुमा घुमा कर चाट रही थी।
मैंने हैरान होते हुए पूछा- वाह ज़ोया, तुम तो बड़ा मस्त लण्ड चूसती हो?

तो वो बोली- मैंने काफ़ी छोटी उमर से लण्ड खाना शुरू कर दिया था, सबसे पहले बड़े भाई ने मुझे लण्ड खिलाया, फ़िर चाचू और मामू ने मुझे चोदा, फ़िर मुझे लण्डों का शौक हो गया और फिर कोई भी मर्द जो मेरे करीब आया मुझे चोद कर ही गया।
यह कहते कहते ज़ोया लण्ड भी चूस रही थी।

मैंने फिर पूछा- तो तुम कॉलेज में सबसे बात क्यूँ नहीं करती थी?
वो बोली- मोहल्ले में मैं काफ़ी बदनाम हूँ इसलिए कालेज में अपने को छुपा के रखा था। पर मेरी किस्मत में तुम्हारा लण्ड था सो मिल गया!

मेरी नज़र में अब ज़ोया सिर्फ़ एक रंडी थी। मैंने मन ही मन उसकी चूत फाड़ने की ठान ली।

अब बारी मेरी थी, मैंने उसे डेस्क पर लिटा दिया और उसकी जीन्स उतारी, फिर उसकी काली कच्छी उतारी।
क्या चूत थी उसकी! बिल्कुल साफ चिकनी चूत ! बालों का नामोनिशान भी ना था!

मैंने उसकी चूत चाटनी शुरू की, वो पागल की तरह अपने चूतड़ उठा उठा कर मेरा साथ देने लगी और मैं उसकी चूत को अपनी जुबान से चोद रहा था।
उसका शरीर अकड़ने लगा और वो एकदम से झड़ गई, मैंने उसका सारा रस पी लिया।

फिर मैंने उसको घोड़ी बनने को कहा तो वो उल्टी घूम कर डेस्क पकड़ कर खड़ी हो गई। मैंने अपना लण्ड उसकी चूत पर रखा और बड़े आराम से मेरा लण्ड उसकी चूत में चला गया।
पूरी रंडी थी ना! जाने कितने लण्ड खा चुकी थी!

खैर मैंने भी अब चुदाई शुरू की और धक्के लगाए। पहले तो मैंने आराम से धक्के मारे, जब उसे असर नहीं हुआ तो मैंने उसकी कमर पकड़ कर अपना लण्ड तेज़ी से अंदर-बाहर करना शुरू किया।

अब उसकी फटनी शुरू हुई… पहले तो चिल्लाने लगी कि ‘छोड़ दो मुझे प्लीज़!’

फिर 12-15 धक्कों के बाद उसे मज़ा आने लगा, बोली- जावेद… मेरी जान… मेरी चूत फाड़ दो! मुझे रंडी की तरह चोदो… आह… आ… आज कई दिनो के बाद लण्ड का स्वाद चखा है… वाह… मेरी चूत तरस गई थी… आह… मज़ा आ गया… और चोदो… आ आ… आहाहह… और वो फिर झड़ गई!

मैं भी झड़ने वाला था, मैंने उसे कहा- जान… मैं भी झड़ने वाला हूँ!
तो वो बोली- चूत में मत झड़ना… मैं अपनी जान का रस खुद पियूंगी… बहुत दिन हुए पिए हुए!

मैंने अपना लण्ड उसके मुँह में डाल दिया और वो सारा रस पी गई, मेरा लण्ड चाट चाट कर एक्दम साफ़ कर दिया।
फिर कुछ देर हम वहीं पड़े रहे।

थोड़ी देर बाद मेरा लण्ड फिर खड़ा हो गया, मैंने कहा- ज़ोया, तुम्हारी चूत मस्त है, अब गाण्ड का स्वाद चखा दो…
वो कहने लगी- जान… यह ज़ोया तुम्हारे गुलाम हो गई है, तुम्हारे लण्ड ने जितना मज़ा मुझे दिया, आज तक नहीं आया था। आज जो माँगोगे, मिलेगा!
और अपने चूतड़ मेरे लण्ड की तरफ करके बैंच पर लेट सी गई।

मैंने भी मौका ना गंवाते हुए उसकी गाण्ड में अपना लण्ड डाला और उसकी चूचियाँ दबाने लगा और उसकी गाण्ड में झटके लगाने लगा।
अब वो भी रंग में आने लगी और मस्ती में कूल्हे उठा उठा कर अपनी गाण्ड मरवाने लगी।
मैंने दस निनट तक उसकी गाण्ड मारी और गाण्ड में ही झड़ गया।
फिर थोड़ा आराम करने के बाद हम खड़े हो गए।

मैंने बाहर देखा तो किसी के होने का एहसास हुआ।
मैंने ज़ोया को चुप रहने का इशारा किया और हमने जल्दी से कपड़े पहने और बाहर की तरफ चले गये।
इमारत से बाहर निकलते ही मैंने ज़ोया को आगे भेज दिया और खुद बिल्डिंग के गेट के पास एक पेड़ के पीछे छिप गया यह देखने के लिए कि अंदर कौन है।
मैं जानता था कि बाहर आने का यह एक ही रास्ता है और जो भी हमे देख रहा था, वो बाहर ज़रूर आएगा…

मेरा शक दरबान पर था, उसकी आदत थी छुप चुपके देखने की…
खैर करीब दस मिनट के बाद मुझे पैरों की आहट आई, मैं सतर्क हो गया और देखने लगा कि है कौन आख़िर!

मेरे पैरों के नीचे से ज़मीन निकल गई जब मैंने देखा कि वो सिविक्स की टीचर सुषमा मैडम है।
मुझे डर लगा कि अब क्या होगा क्यूँकि सुषमा मैडम ने मुझे और ज़ोया को चुदाई करते देख लिया है, अगर प्रिंसीपल से शिकायत की तो??
खैर ऐसा कुछ नहीं हुआ और मेरी मस्ती चलती रही।
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