छत से कूदा तब जाके चोदा

छत से कूदा तब जाके चोदा

एक नम्बर का देसी माल… बस लग गई उसे फंसाने की! वो दिन सॉरी रात भी आ ही गई… देसी चुदाई की कहानी पढ़े कर मजा लें!
हैलो फ्रेंड्स, मैं हूँ कमल, 27 साल का जवान कसरती बदन वाला लौंडा कानपुर से। फिलहाल तो वैल सेटल्ड हूँ मतलब गाड़ी, बंगला, बैंक बैलेंस सब ही है पर इस सब के चक्कर में बुरों का अकाल पड़ गया है आजकल ज़िन्दगी में!
ऐसा नहीं है कि अब तक कोरा ही हूँ। हाँ पर गिनती की बस छः बुरों का ही उदघाटन किया है अभी तक!

चूँकि अब कोई लौंडिया तो है नहीं जिसके अंदर डाल के मैं अपना टाइम पास कर लूँ, इसीलिए अन्तर्वासना का ही सहारा लेना पड़ रहा है आजकल!
अब जब टाइम खपाना ही है तो क्यों ना अपना पहला प्यार… पहली चुदाई से रूबरू कराऊँ आप सब को भी!
और हाँ अगर आप आठ इंच लंबे लण्ड से घंटों होने वाली काल्पनिक कहानियॉ पढ़ने के शौकीन हैं तो यह कहानी आप के लिए नहीं है, यह मेरी आपबीती है, जो कल्पना से कोसों दूर है।

बात तब की है जब मेरी झांटें उगना शुरू हुई थी, मतलब काफी पहले की। हमारी फैमिली दूसरे शहर से हमारे नए शहर में शिफ्ट हुई थी। नया नया माहौल नए पड़ोसी, कुल मिला कर पुराने शहर छूटने और नए शहर में आने की मिक्स्ड फीलिंग थी वो!
जोश को बढ़ाने की वजह मिली तब जब मैं अपने घर के सामने रहने वाली देसी सी लड़की से मिला, नाम था निहारिका… एक नम्बर का छंटा हुआ माल… मुझसे तो बहुत गोरी थी, साली शायद इसी बात पे चूर भी रहती थी या फिर शायद अपने नए नए उभरते उभारों पे, जो उसकी जवानी को उसके अंग अंग में भर रहे थे। टॉप में उभरे नुकीले चुचे और कैपरी में डोलते चूतड़ आहह्ह्ह्ह… बस लंबाई से मात खाती थी वरना तो पिक्चर परफेक्ट टाइप थी।

खैर पड़ोसी थी, वो भी आमने सामने वाली… तो बातचीत होना शुरू हुई, आप सब भी जानते होंगे वो शुरुआत वाला पड़ोसीपना!

पसंद तो पहले दिन ही आ गई थी निहारिका हमको और अब हमारी गांड में भी चुल्ल मची रहती थी उससे बात करने की, उसके साथ टाइम बिताने की, तो हम भी कोई न कोई जुगत भिड़ाये रहते थे उससे लबरियाने की। पर बात बन नहीं रही थी फिर हमने उसकी गांड में बीज बोया मोबाइल लेने का… कि अम्मा पिताजी के पोते पी जाओ मोबाइल दिलाने के लिए।

वो भी एक नम्बर की सयानी निकली… ले ही लिया मोबाइल!
अब तो पहली सीढी पे चढ़ गए थे हम दोनों, होने लगी थी बातें बिना रोक टोक के हमारी।
साला हम कमाते तो थे नहीं उस टाइम कसम से सच्ची बता रहे हैं, 450 रूपए वाला रिचार्ज करने में लौड़े लग जाते थे। पर साला चड्डी के अंदर जो केला लटकता है न वो सब कुछ करा लेता है। फ़ोन पे बात करते करते एक दिन हमने कर दिया इजहार अपनी मोहब्बत का!
हम कहे- देखो रानी, पसंद तो हम हिं ही तुमको और तुम हमें… तो काहे टाइम वेस्ट करना कि पहले तुम बोलो, पहले तुम… तो हमही बोले देत है प्यार हो गया है हमें तुमसे और तुम्हारा जवाब भी पता ही है हमें।

वो बोली- अच्छा प्यार करते हो तो सामने इज़हार कर के दिखाओ वो भी अभी!
अब हमें क्या पता था कि रात को 12 बजे इज़हार करना इत्ता भारी पड़ जायेगा हमें।
फिर भी हम बड़ी अम्मा बन के बोले- चलो, हम तैयार हैं फेस टू फेस इज़हार करने के लिए!
हमें लगा कि सीरियस थोड़े ही होगी इत्ती रात को…

‘लेकिन अगर आ गए तो मिलेगा क्या?’
वो भी ढेर सयानी निकली, बोली- वही मिल सकता है जिसकी वजह से तुम प्यार का इज़हार करने आ रहे हो।
अब तो मामला सस्पेंस में था कि क्या मिलना है… पॉजिटिव रिप्लाई या बुर?
वैसे भी बात तो अब इज़्ज़त की थी तो हमने भी चैलेंज पूरा करने की ठान ही ली, बोला उसको- रुको, दस मिनट आते हैं.
और फोन रख दिया।

बोल तो दिया था कि आते हिं… पर जायें तो जायें कैसे… मेन गेट पे ताला और चाभी मम्मी पापा के रूम में!
लगा… चूत गई माँ चुदाने… मुठ मारो सो जाओ।
पर नींद कहाँ थी इन कमीनी आँखों में… फिर वही जुमला जो हर आशिक की ज़ुबान पे होता है ‘हटाओ माँ चुदाये जो होगा देखा जायेगा!’

यही सोच के हम निकले अपने रूम से, पहुँचे अपनी छत पर यह सोच कर कि बगल वाले खाली प्लॉट में उतर के चले जायेंगे आराम से।
पर जब छत से देखे 11 फुट नीचे तो सारा चुदाई का भूत उतर गया।
फिर कन्फर्म करने के लिए फोन किया निहारिका को कि अगर हाथ पैर तुड़वा के आएंगे तो बिना लिए जायेंगे नहीं।
हमने सोचा शायद मना कर दे तो इज़्ज़त भी बच जायेगी और गांड भी नहीं टूटेगी।

पर वो तो एक नम्बर की भेन की लौड़ी… जैसे कसम खा के बैठी थी कि आज रात तो कमल की आखिरी रात होनी है, बोली- आ रहे हो या मैं सो जाऊँ?
अब मरता क्या ना करता… अगल बगल झाँका, देखा एक जगह से जुगाड़ है उतरने की… तो भैया… की कोशिश जैसे तैसे उतर तो गए।

दिल साला ऐसे धड़क रहा मानो अभी सीना फाड़ के बाहर गिर पड़ेगा।
ऊपर से हम रात को 1 बजे बंजर वीरान प्लाट में खड़े उसे फोन कर रहे हैं और वो भेन की लौड़ी फोन नहीं उठा रही… एक बार, दो बार, पांच बार मेरी तो झांट सूर्ख लाल…
खैर फोन उठाया उसने… मन तो किया कि माँ बहन कर दूँ… फिर लगा अगर गुस्सा होकर मना कर दिया तो सब किये धरे पे पानी फिर जायेगा. इसीलिए बोला- जानू सो गई थी क्या? मैं यहाँ प्लाट में खड़े होकर फोन कर रहा हूँ और आप बताओ सो रही हो?

थोड़ा सेंटी खेला उसके साथ तो बोली- अब यहाँ कैसे आओगे?
मैंने उसको उसकी छत पे बुलाया और बोला- बस तुम छत से मुझे अपने रूम में ले चलो और मैं रोड क्रॉस कर के जैसे तैसे उसकी ग्रिल और गेट पकड़ के चढ़ गया उसकी छत पे।

अब फटने की बारी थी उसकी… पर वो तो एकदम नार्मल थी उसने मुझे अपने पीछे चलने को बोला और मैं सीढ़ियों से होता हुआ उसके कमरे में पहुँच ही गया।
मानो लग रहा था कि कोई जंग जीत ली हो।
कमरा बंद करते ही निहारिका मुझसे बोली- अब करो प्रोपोज़!

और इससे पहले कि मैं उसे प्रोपोज़ करता वो मुझसे लिपट गई। मैंने प्यार से उसे खुद से अलग किया उसकी आँखों में आँखे डाल कर बोला- निहारिका, आई आई आई वांट सम वाटर… (मुझे थोड़ा पानी चाहिए)
साला हलक तक सूख गया था इतनी मेहनत की वजह से…
और यह सुनते ही हम दोनों खूब हँसे।

अब फाइनली, मैं अपने माल गर्लफ्रंड लव के पास उसके रूम में उसके साथ अकेला था।
आज पहली बार उसके मुलायम हाथों को छूने से जो सिहरन हुई थी मेरे बदन में, उसे मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता, शायद वैसी ही फीलिंग उसे भी हुई होगी पर ना जाने कब मैंने उसे अपने आगोश में ले लिया पता ही नहीं चला।

पहली बार कोई इतना करीब था कि साँसों की आवाज तक सुनाई दे रही थी। उसके गुलाबी होंट मौन आमंत्रण दे रहे थे मुझे कि आओ और कर लो रसपान इन लबों का!
और फिर ज़िन्दगी की पहली किस मानो पूरे शरीर में मदहोशी सी जगा गई।

अनायास ही हमारी जीभें एक दूसरे के सम्बन्ध जोड़ने लगी।

मदहोशी पूरे शवाब पे थी, न जाने कब मेरे हाथ उसके बदन को सहलाते हुए उसके स्तनों तक पहुँच गए… आहह्ह्ह्ह… ज़न्नत नसीब हो गई लगती थी मानो!
ऊपर से उसकी रज़ामंदी ने सारी अड़चनों की सिरे से खारिज कर दिया था.
अपने हाथ को टॉप के अंदर डाल के उसके दायें स्तन को अपनी हथेली में भरा तो मानो लगा स्माईली बाल हाथ में आ गई हो, मुलायम और नाज़ुक।

चूँकि हम अभी भी चुम्बन में लगे हुए थे पर मेरी उत्सुकता अब उसके गोर नंगे बदन को निहारने में थी, मैंने धीरे से उसके टॉप को ऊपर किया और मेरे सामने दुनिया की दो सबसे हसीन गेंदें थी, गुलाबी निप्पल मुझे अपनी ओर खींच रहे थे.
आखिर कार पहली बार मुझे कुदरत की बनाये उन सबसे बेहतरीन जिस्मों से एक को अपने होंठों से छूने का सौभाग्य प्राप्त हो ही गया था। दोनों के बदन में जोश पूरे उफान पर था.

मैंने धीरे से खुसफुसाते हुए उसके कान में कहा- निहारिका अपने कपड़े निकालो ना, मुझे तुमको पूरा देखना है।
वो इतराते हुए बोली- इतनी मेहनत कर के यहाँ आये हो, थोड़ी और कर लो।

मन में आया ‘साला मैं ही चुतिया हूँ जो पूछ के फॉर्मेलिटी निभा रहा हूँ।’
अब तो झटके में हम दोनों के कपड़े बिस्तर के नीचे पड़े थे।

मैं उस दिन पहली बार किसी लौंडिया को नंगी देख रहा था, उसकी गुलाबी चूत पर बहुत ही हल्की हल्की झांटें थीं.. शायद उसने चूत के बालों की शेव सप्ताह भर पहले की होगी.. मैं उसकी चूत को देखता ही रह गया और वो शरमा रही थी।

मैंने उसे बाँहों में लिया और उसके चुचों को मसलने लगा और एक हाथ से उसकी चूत को सहलाने लगा.. इससे वो पागल होने लगी।

मैंने उससे मेरा लंड पकड़ने को कहा.. तो वो मना करने लगी… फिर मैंने थोड़ा सेंटी खेला तो वो मान गई। मैं भी चूत चोदना चाहता था और शायद वो भी अपने चुदाई के सपनों को आज जी लेना चाहती थी.
एक्सपीरियंस की कमी कह लो या जल्दबाजी… फोरप्ले के नाम पे बस इत्ता ही हुआ… ना मैंने उसकी चूत चाटी ना ही उसने मेरा लंड चूसा।

मैंने थोड़ा सा थूक उसकी चूत पर लगाया और फिर चूत को उंगली से सहलाया..
वो बहुत बेचैन हो रही थी।
फिर मैं अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा और अब वो पागल सी होने लगी, वो सिसकार कर बोलने लगी- हय.. बर्दाश्त नहीं हो रहा है.. प्लीज कुछ करो भी.. सताओ मत अब.. मैं मर जाऊँगी..

मैं अपना लंड उसकी चूत में घुसाने लगा.. पर अन्दर जा ही नहीं रहा था.. वो सील बंद चूत थी। मैंने फिर से कोशिश की और उसकी चूत पर थोड़ा सा और थूक लगाया.. और बोला- थोड़ा बहुत दर्द होगा.. चीखना मत..
उसने ‘हाँ’ कही.. पर बोली- धीरे से करना प्लीज..
मैं बोला- हाँ.. तुम डरो मत!..

फिर मैंने जोर लगाया तो मेरा थोड़ा सा लंड अन्दर गया।
लेकिन वह चिल्ला पड़ी..
मैंने हाथ से उसका मुँह बंद किया और कुछ देर रुक गया।

फिर मैं अपने चूतड़ हिला कर धीरे धीरे लंड अंदर बाहर करने लगा। मेरा आधा लंड निहारिका की चूत में घुस गया था, वह दर्द से तड़प रही थी- निकालो प्लीज.. मैं मर जाउंगी.. अहह.. अहह.. ऊओह्ह मुझे मार डालने की सोच के आये हो क्या?

मैंने उसके लबों को अपने लबों से दबा लिया और मैं उसे चूमने लगा।
वो अब शांत होने लग गई.. और दर्द भी कम हो गयातो अब मैंने एक जोर का झटका मारा तो इस बार पूरा का पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया था।

उसकी एक तेज चीख निकली.. उसकी चूत फट गई… मैं कुछ देर रुका, फिर उसे किस करने लगा, जब वह कुछ शांत हुई तो मैं फिर धक्के देने लगा।

अब वो कुछ कुछ मस्ती में आने लगी- उम्म्ह… अहह… हय… याह…
अब वो खुद अपनी चूत, चूतड़ हिला हिला कर लंड अन्दर बाहर कर रही थी- ऊउह्ह्ह ह्हम्म… मज़ा आ रहा है..

मैं अब जोर जोर से चूत चोदने लगा.. उसे भी मज़ा आ रहा था।

पहली बार की वजह से 5-6 मिनट की चुदाई के बाद.. मेरा लंड झड़ने वाला था.. तब तक वो झड़ी या नहीं झड़ी, मुझे नहीं पता।

मैंने उसकी चूत से लंड निकाला और बाहर झड़ गया.. सारा पानी उसके पेट पर छोड़ कर उसे चुम्बन किया और उसके ऊपर निढाल होकर लेट गया.
हम थोड़ी देर बाद उठे।
उसका भी खून निकला होगा और मेरे भी टोपे का बुरा हाल था। सबूत था चादर पे पड़े खून के दाग…
मेरा टोपा ऐसे दर्द कर रहा था जैसे कटे पे मिर्ची रगड़ दी हों… फिर भी मेरे ऊपर चुदाई का भूत चढ़ा हुआ था, मैंने उसे दोबारा गर्म करने के लिए उसके चूचों को सहलाना शुरू किया, पर वो अभी चुदने के लिए तैयार नहीं थी.. लेकिन फिर भी मैंने उसे मनाया और उसे लंड को हाथ में हिलाने को बोला।

फिर जब मेरा लंड पूरा टाइट हो गया.. तो मैंने लगभग दस मिनट तक चोदा.. उसके बाद मैं बिस्तर पर लेट गया.
अब दूसरे राउंड में मज़ा आ रहा था चुदाई का और उसको मेरे ऊपर आकर चुदने को कहा।
यह देसी चुदाई स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

उसको अपने लौड़े पर झूला झुलाते हुए और चोदा और अब वो बहुत मस्त हो चुकी थी और चुदाई का मज़ा ले रही थी।
उसके चूचे जोर जोर से हिल रहे थे, मैंने उसके चूचे खूब मसले जिससे उसकी चूत बार बार रस बहा रही थी।

उसको चोदते चोदते पता ही नहीं चला.. काफी देर हो गई.. वह काफी खुश लग रही थी, बोली- कमल, मैं सेक्स तो करना चाहती थी.. पर डर लगता था.. मैं तुमसे प्यार करती थी.. लेकिन कभी कुछ कह नहीं पाई, न ही तुम मुझे कुछ कह पाए थे। पर आखिर आज सब हो ही गया जिसके बारे में हम दोनों जब से मिले हैं, तब से सोच रहे थे।

खैर बातों बातों में न जाने कब 4 बज गए, पता ही नहीं चला, अचानक घड़ी पर नज़र गई तो पैरो तले से ज़मीन खिसक गई।
यार वापस भी तो जाना था अपने घर!
मज़ा तो बहुत मिला था पर अब सज़ा की बारी आ गई थी क्योंकि छत से उतारना तो आसान था लेकिन अब वापस चढ़ने में गांड फटने वाली थी।

पर चढ़ना तो था ही… सो चढ़े।
वो बोलते हैं ना प्यार मोहब्बत के लिए ‘एक आग का दरिया है और तैर के जाना है…’

आशा करता हूँ आप सबको मेरी आपबीती देसी चुदाई पसंद आई होगी, अपने विचारों से मुझे अवश्य अवगत करायें.
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