शेर का पुनः शिकार-3

शेर का पुनः शिकार-3

लेखक : मुकेश कुमार

दो दिन मैंने शर्मीला ले साथ खूब रंगरेलियाँ मनाई। फिर उसके पति आ गए थे।

शर्मीला के पति पूरे सप्ताह कहीं बाहर नहीं गए इसलिए मुझे और शर्मीला को सम्भोग करने का मौका ही नहीं मिल रहा था। मेरे से ज्यादा वो दुखी थी। दिन में फ़ोन करती मेसेज करती कि आधे दिन की छुट्टी लेकर आ जाओ, पर काम की वजह से नहीं ले पाया। कैरोल के जाने के बाद झांटें भी काफी बढ़ गई थी, साफ़ नहीं कर पाया। शर्मीला को तो फर्क नहीं पड़ा क्यूँकि वो घने जंगल वाली थी। गुरुवार शाम घर पर आते वक़्त स्टेशन के पास एक एसी पार्लर में घुस गया, बोला “शेव भी करानी है !”

तीन में से मैंने मुस्कान को चुना और पार्लर की इजी चेयर पर नग्न लेट गया। लौड़े पर टॉवल डाल दिया। मुस्कान अन्दर आई और पर्दे को हेयर क्लिप से बंद कर मेरे छाती पर हाथ फिराने लगी। मैं भी उसके चूतड़ों के माप ले रहा था। फिर उसको टॉप निकलने के लिए कहा तो रंडी ने ब्रा भी निकाल दी, झुक कर मम्मों से मेरी छाती और पेट पर गुदगुदी करने लगी।

मेरा शेर जागने लगा तो बोली, “पहले शेव कर लेती हूँ।”

टॉवल हटाया और कहा, “मस्त लंड है तेरा, बीवी की चूत तो फट गई होगी !”

मुस्कान ने उस्तरा निकाला, नया ब्लेड लगाया, डेटोल में डुबाया और झांटें साफ़ करने लगी। मैं उसके मम्मे दबाने लगा तो चुटकी लेते हुए बोली, “सब्र कर राजा, कहीं सामान कट गया तो चुदाई किससे करेगा?”

मेरा लंड पकड़ कर और टट्टे पकड़ कर सारे बाल साफ़ किये हाथ फिरा कर चेक किया। मुझे घोड़ा बना कर गांड के बाल भी साफ़ किये। तब मुझे एपिलेटर से कैरोल के साथ की गई सफाई याद आ गई। बहरहाल, जंगल साफ़ हो जाने के बाद डेटोल के पानी से धोया और अपनी जीन्स और पेंटी निकल दी, मेरे लौड़े पर अपने मम्मो से मालिश करने लगी। मुझे मुस्कान की यह हरकत बहुत उत्तेजक लगती थी। बाद में भी में उस पार्लर में 6-7 बार गया और मुस्कान होती तो उसे ही लेता, कोई नया माल आता तो नई लड़की और मुस्कान को साथ में लेता।

शुक्रवार सवेरे थोडा देर से उठा सोचा शर्मीला अकेली होगी एक शॉट मार लू वह भी तृप्त हो जाएगी। सिर्फ बॉक्सर और टी-शर्ट में दरवाजे पर घंटी बजाई तो उसके पति ने खोला, मैंने सकपका कर अखबार माँगा और घर आ गया।

शर्मीला भाभी को मैंने कई बार शारीरिक सुख दिया। जब तक उनके पति का तबादला दिल्ली नहीं हो गया। उसके बाद भी हम टच में हैं। मैं जब भी काम के सिलसिले में दिल्ली जाता हूँ तो अगर संभव होता है तो वो जरूर “कामक्रीड़ा” में सहभागी होती है। अन्यथा उनकी किसी महिला मित्र का पता देती है।

रविवार शाम अकेला बैठा था तभी सूसन का फ़ोन आया।

“व्हाट आर यू डूइंग डिअर, नेक्स्ट सैटरडे ऑय ऍम लीविंग मुंबई !”

(क्या कर रहो?, अगले शनिवार में मुंबई छोड़ रही हूँ)

“व्हाई व्हाट हप्पेंड?”

(क्यूँ, क्या हुआ)

“लन्दन जा रही हूँ, रोहन के पास, शादी करने वाली हूँ, कैन वी मीट?” (क्या हम मिल सकते है?)

“जरूर अगली शुक्रवार को मेरी छुट्टी है।” मैंने कहा।

“डू वन थिंग (एक काम करो), फ्राइडे मेरा आखरी दिन है ऑफिस में हाफ डे के बाद मुझे पिक कर लो, मेरा सामान ले कर तुम्हारे यहीं आ जाऊंगी। सैटरडे को मुझे एअरपोर्ट छोड़ देना।” सूसन ने फरमान जारी किया।

उसने बाद में बताया उसकी पीजी की मियाद शुक्रवार तक ही थी।

“रोहन कहाँ है?” मैंने पूछा। अब कोई जवान कमसिन हसीना रात बिताने आये और साथ में बॉय फ्रेंड हो तो किसे मज़ा आएगा।

“ओ, वो लन्दन गया, वीसा खत्म हो रहा था।” सूसन की इस बात में मज़ा आ गया, शायद शेर फिर शिकार कर आया था इसलिए।

यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉम पर पढ़ रहे हैं।

तय समय पर सूसन के ऑफिस के बार खड़ा हो सिगरेट पीने लगा। पौने घंटे के बाद सूसन आई और सॉरी सॉरी कहते हुए गले मिली और फिर अपनी सिगरेट सुलगा (उसका ब्रांड दूसरा है) ऑफिस के आखरी दिन की बात बताने लगी। उसके पीजी के यहाँ से सामान उठाया, टैक्सी की और मेरे घर के तरफ चल दिए।

पूरे रास्ते सूसन बोलती रही कभी ऑफिस के बारे में कभी रोहन के बारे में लेकिन एक बार भी कैरोल के बारे में नहीं बोला।

रूम पर सामान रख बैठे तो मैंने ही पूछ लिया, “हाउ इस कैरोल? (कैरोल कैसी है?)”

“अच्छी है, बट ऑय डोंट वांट यू टू बी सैड (में तुम्हे उदास नहीं होने देना चाहती हूँ), भूल जाओ” वो बोली, “मुझे देखो, सिर्फ तुम्हारे साथ वक्त बिताने के लिए मैंने शनिवार का टिकेट निकाला।”

“जब हम पहली बार मिले तो तुम इतना ओपन (खुली) नहीं थी?” मैंने पूछा।

“तुम तो मारिया के बूब्स पर नजर गड़ाए हुए थे, मेरे छोटे ब्रेस्ट (छाती) तुम्हें कहाँ दिखाई देगी।” सूसन ने कहा तो मेरी नजर उसकी छाती पर गई। बेहतर दर्शन के लिए उसने टी-शर्ट निकाल दी। छोटे थे पर कड़क और कुप्पी जैसे आकार के थे।

“रोहन के साथ बेवफाई कर रही हो?” मैंने पूछा।

हम मर्द भी ना औरत को चोदना भी चाहते हैं और उसे बेवफा भी कहते हैं।

“कम-ओन ऑय ऍम नोट हिज फर्स्ट गर्ल फ्रेंड एंड ही इस नॉट माय फर्स्ट बॉय फ्रेंड (मैं उसकी पहली लड़की या वो मेरा पहला लड़का नहीं है)। और यह बात हम दोनों को मालूम है। फिर शादी के पहले में आजाद हूँ, जैसे वो”, सूसन ने कटाक्ष किया।

आगे बोली, “मरिया ने बताया था कि तुम मस्त चुदाई करते हो, मैंने तुम्हें कई बार फोन किया पर तुम मिले ही नहीं।”

मैंने वक्त ख़राब ना करते हुए सूसन को बाँहों में भर लिया और चूमने लगा। सूसन मेरा कान अपनी जबान से गीला करने लगी, मैं भी उसके गर्दन और कंधों पर चूमने लगा। उसने मेरी बेल्ट और ज़िप खोल जीन्स और शॉर्ट्स नीचे कर मेरे लौड़े को हाथों में ले मर्दन करने लगी। फिर घुटनों के बल बैठ मुँह में ले लिया। सूसन एक कलाकार की तरह अपनी जबान को मेरे लंड पर नचा रही थी। बीच बीच में टट्टे चूसती तो थूक लगा कर हाथों से मुठ मारती।

मेरा लंड पूरा जागृत हो गया, मैंने सूसन को उठाया और चूमते हुए ब्रा खोल दी। लॉन्ग स्कर्ट और पेंटी एक झटके में खोल दी। गोद में उठाया और कमरे में बिस्तर पर पटक दिया, पैर चौड़े कर चूत चाटने लगा। सूसन मेरे लौड़े को चूसने के लिए मुझे खींचने लगी तो हम 69 की पोजीशन में आ गए। सूसन मस्ती से मेरा लंड चूस रही थी और में उसके चूत रस का स्वाद।

मेरा लंड अब सूसन की चूत में घुसना चाहता था, मगर सूसन थी कि मेरे लौड़े को छोड़ ही नहीं रही थी। मैं पलंग के किनारे खड़ा हो गया और सूसन गर्दन लटका मेरा लंड मुँह में ही चुदवा रही थी। बीच बीच में टट्टे चूसती और गांड चाटती। में उसके छोटे मगर कड़क बोबो को मसल रहा था। जब टट्ते चूसती और गांड चाटती तो खड़ा शेर निप्पल से छेड़छाड़ कर आता। सूसन अपने हाथों से अपनी चूत मार रही थी और चूत का रस लाकर मुझे चूसा रही थी। थोड़ी देर में मेरी पिचकारी चल गई, सूसन ने सारा वीर्य पी लिया और मेरा लौड़ा चाट के साफ़ किया।

“वाओ ! यम्मी ! ऑय लाइक कम (स्वादिष्ट! मुझे वीर्य पीना अच्छा लगता है)” सूसन ने एलान किया।

“पर इसे तो चूत में जाना है।” मैंने कहा।

“ओह बेबी, आज रात चूत और गांड दोनों मार लेना !” सूसन बोली और हम दोनों अपनी अपनी सिगरेट पीने लगे।

शाम को बाहर निकले तो शर्मीला ने देख लिया, मैसेज किया ‘मुझे प्यासी छोड़ किसके साथ हो?’

मैंने बताया- सुबह आया था प्यास बुझाने पर तुम्हारा स्तम्भन दोष घर पे था।

रात को डिस्को गए, खा पीकर हम लड़खडाते हुए घर आये तो मैं वनीला आइसक्रीम ले आया था। अधिक पीने और दो तीन तरह की दारू एक साथ पीने पर अगर वनीला आइसक्रीम खा लो तो एसिडिटी नहीं होती है।

सूसन को आइसक्रीम से ज्यादा लंड चूसने में इंटरेस्ट था। उसने अंदर घुसते ही अपना टॉप निकाल फेका तो मैं दंग रहा गया, पूरी शाम सूसन बिना ब्रा के थी। अपनी जीन्स और पेंटी भी बिजली की गति से निकाल मेरे लौड़े को आज़ाद करने लगी। दोपहर की चुसाई से अभी भी लाल था। मैंने भी अपने कपड़े निकाल दिए और बोला, “डार्लिंग, वांट टू पी ! कांट कंट्रोल !”

(जोर से मूत लगी है रोक नहीं सकता)

“मुझे भी लगी है !” कह वह कमोड पर जा कर बैठ गई। मैं भी उसकी और मुँह कर उसके गोद में बैठ गया। उसके पिशाब से मेरा लंड नहा गया और खड़ा भी होने लगा। हम कमोड पर ही चूमा चाटी करने लगे।

फिर रूम में जा कर सूसन को लिटाया और उसने मेरा गिला लौड़ा मुँह में ले लिया। मैंने एक आइसक्रीम खोली और उसके चूचों पर डाल झुक कर चूचे चूसते हुए खाने लगा। और आइसक्रीम ली और चूत पर डाल दी, मीठी आइसक्रीम उसके अमृत के साथ मिल मस्त नमकीन मीठा स्वाद बना रहे थे। मैंने थोड़ी अपने लंड पर डाली और सूसन खा गई।

सूसन ने मुझे लिटाया और वादे के मुताबिक मेरे ऊपर बैठ खड़े शेर को चूत नामक मांद में घुसा दिया। उचक उचक कर चुदाई कराने लगी। मेरा लंड उसकी अनुमान से ज्यादा मोटा था उसने मीठी सिसकारियों और चीखों से पूरा घर गूंजा दिया। थोड़ी देर बाद फिर झुक कर चूसने लगी।

मैंने उसे कुतिया बना उसका चेहरा बिस्तर पर लगा दिया और पीछे से चूत में जोर जोर से अन्दर बाहर करने लगा। उसकी चीखें और बढ़ गई।

मैंने पिंघली आइसक्रीम सूसन की गांड में डाली और थूक लगा के और चिकना किया तथा लौड़ा उसके मुंह में दे उसके थूक से चिकना किया। फिर उसकी गांड में पेल दिया। सिर्फ क्राउन ही गया कि सूसन दर्द के मारे चीख पड़ी।

मैंने धीरे धीरे पूरा पेल दिया और उसे सांस लेने दिया। फिर क्या था वो ओह ओह करती रही और मेरा शेर गांड में आगे पीछे करने लगा। सूसन को भी आनन्द आने लगा, चूत फिर टपक गई। चिकनाई कम हुई तो गांड से निकाल चूत में घुसा दिया। कभी चूत कभी गांड करते करते जब मेरे शेर की उत्तेजना चरम पर पहुँच गई तो मेरे वादा निभाने की बारी आई और सूसन को बैठने बोल लौड़ा मुँह में दे दिया।

मेरे शेर ने उसके मुँह में उलटी कर दी, जिसे सूसन ने मज़े से खाया और शिथिल ना होने तक चाटती रही।

हम दोनों बेसुध से सो गए। सुबह एक बार फिर चुदाई की, हैवी नाश्ता किया और सूसन अपना बैग लगाने लगी। टैक्सी पकड़ने से ठीक पहले सूसन ने एक बार और मेरा वीर्य पीने की जिद की और सिर्फ ज़िप खोल लंड बाहर निकाल कर चूस चूस कर उसको निचोड़ा। एअरपोर्ट तक हम एक दूसरे को चूमते रहे। मुंबई के टैक्सी वालों के लिए यह कोई नई बात नहीं थी।

बाद में पड़ोसन शर्मीला बताया कि उसने हमारी सीत्कारें सुन कर खीरे की मदद से अपनी प्यास बुझाई। वो खीरा फ्रीजर में रख दिया बाद में मुझे खिलाया।

हैप्पी चोदिंग…

मुकेश कुमार

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