एक भाई की वासना -22

एक भाई की वासना -22

सम्पादक – जूजा जी
हजरात आपने अभी तक पढ़ा..
वहाँ पर कपड़े देखते हुए मुझ एक मॉडल पर पहनी हुई एक बहुत ही कामुक किस्म की ड्रेस नज़र आई। इसमें चूचियों का भी ऊपरी हिस्सा नंगा हो रहा था.. लेकिन बाक़ी चूचे नीचे तक का हिस्सा सिल्की टाइप के बिल्कुल झीने से कपड़े से कवर था और उस ड्रेस की लम्बाई भी सिर्फ़ कमर तक ही थी जिससे सिर्फ पेट कवर हो सके। नीचे उस मॉडल पर उस ड्रेस के साथ सिर्फ़ एक छोटी सी पैन्टी बंधी हुई थी।

दरअसल यह एक जालीदार ड्रेस शौहर और बीवी के लिए तन्हाई में पहनने के लिए था।
मुझे वो ड्रेस पसंद आ गया.. मैंने फैजान से कहा- मुझे यह ड्रेस पसंद आया है।
पास ही जाहिरा भी खड़ी थी.. वो थोड़ा और घबरा गई।

अब आगे लुत्फ़ लें..

फैजान बोला- पसंद है.. तो ले लो.. रात में पहनने के लिए हो जाएगा।
मैं मुस्कराई और जाहिरा की तरफ देख कर बोली- दो लूँगी।
फैजान- दो किस लिए?
मैं- एक जाहिरा के लिए भी लेना है।

जाहिरा ने चौंक कर मेरी तरफ और फिर मेरी सामने की ड्रेस को देखा और बोली- भाभी मैं.. मैंने इस ड्रेस का क्या करना है।
मैं- अरे यार.. ले लो.. कभी-कभी पहन लिया करना.. क्यों फैजान ठीक कह रही हूँ ना?

फैजान ने एक नज़र अपनी बहन की तरफ देखा तो उसकी आँखों में एक वहिशयाना चमक थी.. लेकिन बहुत ही साधारण से अंदाज़ में बोला- हाँ.. ले लो लेना है तो.. हर्ज तो कोई नहीं है.. काफी आरामदायक रहेगी।

मैंने दो का ऑर्डर दे दिया.. सेल्समेन ने मुझसे साइज़ नम्बर जानना चाहा.. जिस पर जाहिरा आहिस्ता-आहिस्ता ऐतराज कर रही थी.. लेकिन मैंने उसका साइज़ नम्बर भी बता दिया।

सेल्समेन ने दो ड्रेस निकाल दिए, दोनों अलग-अलग रंग के थे, मेरी ड्रेस हल्के नीले रंग की थी और जाहिरा की गुलाबी रंग की थी।

मैंने शरारत के अंदाज़ में जाहिरा की तरफ देखा और बोली- जाहिरा तुम ऐसा करो कि अन्दर जाकर ट्राई करके देख लो.. कि साइज़ वगैरह ठीक है कि चेंज करना है।
जाहिरा घबरा कर- नहीं नहीं.. कोई ज़रूरत नहीं है..
सेल्समेन- नहीं मैडम.. प्लीज़ आप एक बार पहन कर चैक कर लें.. उधर ऊपर है हमारा ट्राइयरूम.. वहाँ पर कोई भी नहीं है.. आप लोग ऊपर जाकर चैक कर लें।

मैंने दोनों ड्रेसज उठाए और जाहिरा का हाथ पकड़ कर बोली- आओ मेरे साथ..
साथ ही मैंने फैजान को भी आने का कह दिया। ऊपर गए तो छोटा सा ही एक कमरा था.. जिसमें एक हिस्से में ट्रायल रूम बना हुआ था।
मैंने जाहिरा को कहा- जाओ चैक कर लो..

मैंने पकड़ कर जाहिरा को ट्रायल रूम में जबरिया ढकेल दिया।
जाहिरा सुर्ख चेहरे के साथ अन्दर चली गई।

थोड़ी देर के बाद मैंने उसे आवाज़ दी और पूछा- हाँ बोलो.. ठीक है या नहीं?
जाहिरा- जी भाभी ठीक है..
मैं- खोलो दरवाजा.. मुझे देखने तो दो..

जाहिरा ने अन्दर से लॉक खोला तो मैं ट्रायलरूम में दाखिल हुई और अन्दर का मंज़र देखा तो मेरे तो होश ही उड़ गए।

उस सेक्सी नाईट ड्रेस में जाहिरा तो क़यामत ही लग रही थी, उसका खूबसूरत चिकना चिकना सीना बिल्कुल खुला हुआ था, उसकी चूचियों का ऊपरी हिस्सा उस ड्रेस में से बाहर ही नंगा हो रहा था, कन्धों से तो बिल्कुल ही नंगी लग रही थी.. उन पर सिर्फ़ पतली पतली सी डोरियाँ थीं।

मैंने देखा और बोली- हाँ.. परफेक्ट है यार.. तुम पर बहुत ही प्यारा लग रहा है.. बस अब चेंज कर लो..
मैं जैसे ही बाहर निकलने लगी तो मैंने फैजान जो गेट के पास ही खड़ा था.. को कहा- फैजान देखना.. जाहिरा ठीक है ना इस ड्रेस में?

मेरी इस बात से दोनों ही बहन-भाई चौंक पड़े.. लेकिन ज़ाहिर है कि फैजान यह मौक़ा कैसे जाने दे सकता था.. वो फ़ौरन ही दरवाजे के नजदीक आ गया और अन्दर अपनी बहन को उस ड्रेस में देखा तो उसकी आँखें तो जैसे फट गई थीं और मुँह खुल गया.. लेकिन कोई लफ्ज़ मुँह से ना निकला।
फिर हकलाते हुए बोला- हाँ.. ठीक है.. अच्छा है..

मैंने अब फैजान को बाहर धकेला और खुद भी बाहर आ गई और अपने पीछे दरवाज़ा बंद कर दिया। जाहिरा ने दरवाज़ा लॉक किया और उसने ड्रेस चेंज करके दोबारा अपनी शर्ट पहन ली।

कुछ देर के बाद वो बाहर आई तो उसका चेहरा सुर्ख हो रहा था और फैजान के चेहरे पर ऐसे आसार थे.. जैसे उसे बहुत ही मज़ा आया हो।
फैजान मुझसे बोला- डार्लिंग यह ड्रेस तो अच्छा है.. तुम रात के अलावा भी घर में वैसे भी पहन सकती हो।

फैजान की दिल की बात मैं समझ गई थी.. इसलिए उसका दिल रखने के लिए बोली- हाँ हाँ.. क्यों नहीं पहना जा सकता.. वैसे भी आजकल इतनी गर्मी तो हो ही रही है.. तो ऐसी ही हल्की-फुल्की ड्रेसज घर में पहनने के लिए तो होनी ही चाहिए।

फिर नीचे आ कर हमने वो ड्रेस पैक करवा लिए और फिर मैं कुछ और देखने लगी कि शायद कुछ और भी मुझे मेरे मतलब का मिल जाए.. जो कि एक बहन को अपने भाई की सामने खुला और नंगा करने में.. मेरे खेल में मेरी मददगार हो।
फिर फैजान से थोड़ा हट कर मैंने एक एक ब्रा खरीदी अपने और जाहिरा के लिए।

जाहिरा तो नहीं लेना चाह रही थी लेकिन मैंने उसे भी लेकर दी। ब्लैक रंग की जाली वाली.. जिसमें से उसकी दोनों चूचियाँ ही नंगी नज़र आएं।
जाहिरा बोली- भाभी यह नहीं..

मैंने उसे चिढ़ाया उअर उसके मम्मों की तरफ उंगली करते हुए कहा- अच्छी है यह.. यार ले लो.. इसमें तुम्हारी यह दोनों ही साफ़-साफ़ दिखेंगी।

जाहिरा मेरी बात सुन कर फिर शर्मा गई क्योंकि थोड़ी ही फासले पर खड़ा हुआ सेल्समेन भी मुस्कराने लगा था.. शायद उसने मेरी बात सुन ली थी।

इतनी शॉपिंग करते हुए ही हमें 11 बज गए.. फिर हम वहाँ से निकले और एक जगह से आइसक्रीम ली और खाने लगे। फिर एक बड़ा पिज़्ज़ा खरीदा और फिर घर पहुँच गए।
घर पहुँच कर लाउंज में ही हम तीनों बैठ गए और बातें करने लगे।

फैजान बोला- लाओ यार.. दिखाओ तो क्या-क्या लिया है?
मैंने फ़ौरन ही हैण्डबैग खोला और दोनों नाईट ड्रेसज उसके सामने रख दिए और बोली- यह लिए हैं।

फैजान- यह तो मैंने देखा था.. और भी कुछ लिया है या तुम दोनों ऐसे ही फिरती रही हो?

फैजान की बात सुन कर जाहिरा घबरा गई। मैंने जाहिरा को इस स्थिति में देखा तो मैं मुस्कराई और उसकी घबराहट का मज़ा लेते हुए फिर हैण्ड बैग में अपना हाथ डाल दिया।

जाहिरा ने इशारे से मुझे रोकना चाहा.. लेकिन मैंने दोनों ब्रा बाहर निकाल लीं और फैजान की तरफ बढ़ा दीं।

फैजान ने दोनों ब्रा मेरे हाथ से लीं और देखने लगा.. जाहिरा अपनी नजरें चुरा रही थी।

फैजान ब्रा को निप्पल की जगह मसल कर उनकी क्वालिटी देखने का बहाना करता रहा.. फिर बोला- अरे यह तुम दोनों डिफरेंट नम्बर की क्यों लाई हो?

मैं मुस्कराई और जाहिरा की तरफ देखा कर बोली- अरे यार.. एक मेरी है और दूसरी ब्रा जाहिरा की है..
फैजान ने भी फ़ौरन ही जाहिरा की तरफ देखा.. तो वो फ़ौरन ही दूसरी तरफ देखने लगी।

फैजान ने भी जल्दी से मेरे हाथ में दोनों ब्रा दे दीं और बोला- हाँ.. ठीक हैं.. अच्छी हैं दोनों..
जाहिरा उठ कर रसोई में चली गई।
उसके जाने के बाद फैजान बोला- यार तुम मुझे यह अपनी नई ड्रेस पहन कर तो दिखाओ..

मैंने कहा- ठीक है.. हम दोनों ही पहन कर आती हैं.. फिर देखना कि ठीक है कि नहीं..
फैजान बोला- हाँ.. ठीक है आप लोग पहन कर आओ और मैं जब तक ओवन में पिज़्ज़ा गरम करता हूँ।
िवो रसोई में गया और जाहिरा को बाहर भेज दिया।

मैंने उससे कहा- तुम्हारे भैया कहते हैं कि यह जो ड्रेस लिया है ना.. वो पहन कर दिखाओ।
जाहिरा बोली- नहीं.. भाभी मैं नहीं पहनूंगी।

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अभी वाकिया बदस्तूर है।
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