मेरी सुप्रिया डार्लिंग-5

मेरी सुप्रिया डार्लिंग-5

इतिश्री सुप्रिया

लेखक : रोहित

मित्रो, आपने मेरी कहानी के चार भाग पढ़े, अब पेश है इस श्रृंखला की अंतिम कड़ी !

सुप्रिया की नशीली जवानी का रसपान करते हुए लगभग डेढ़ वर्ष कैसे बीत गए, पता ही नहीं चला। इस दौरान सुप्रिया ने न केवल अपनी मदमस्त जवानी को मुझ पर लुटाते हुए जमकर अपने तीनो छेदों को चुदवाया बल्कि पत्नी की भाँति मेरी सेवा भी की। इतने दिन हम पति-पत्नी की ही तरह रहे। वो मेरा खाना-नाश्ता बनाने के अलावा मेरे कपड़े तक धो दिया करती थी, बदले में उसने कभी कोई फरमाइश नहीं की। उसे केवल मेरा प्यार ही पर्याप्त था। मेरी नियमित चुदाई से उसका सेक्सी बदन खूब निखर गया।

सुप्रिया के होने वाले पति ने उसे बता दिया था कि शादी के बाद उसे गृहिणी की ही भूमिका रहना है, नौकरी नहीं करनी है। अतः सुप्रिया भी अपना कोर्स केवल टाइमपास के लिए कर रही थी, दो-तीन घंटे की क्लास के बाद वो घर पर ही रहती थी लिहाजा मेरा जब भी मूड करता उसे पकड़ कर पेल देता था और वो भी शायद ही कभी ना-नुकुर करती थी। जब वह अपने घर जाती या मैं कहीं बाहर जाता तो हम दोनों फोन सेक्स करते थे।

सुप्रिया को तो मुझसे चुदवाए बिना नींद ही नहीं आती थी। एक रात मैंने उसे बिना चोदे छोड़ दिया तो वो थोड़ी देर बाद मेरे पास फिर आ गई कि उसे घबराहट हो रही है, मैं उसकी स्थिति समझ गया और उसकी चुदाई की। मेरे उसके सम्बन्ध इतने सेक्सी थे कि फोन पर मेरी आवाज सुनते ही उसके जिस्म में चीटियाँ रेंगने लगती थी और बात करने के पाँच मिनट के भीतर ही वो गीली हो जाती थी, भले ही बात किसी विषय पर हो।

मजे की बात यह थी कि हमारा रिश्ता पूरी तरह गोपनीय रहा। कोई भी तीसरा व्यक्ति इसके बारे में नहीं जानता था। हम कभी भी बाहर नहीं मिलते थे। केवल एक बार उसे दिल्ली जाना पड़ा तो मैं भी पहुँच गया। दरअसल मेरी एक फैंटेसी थी, उसे ही पूरा करना था। मैं उसे एक पार्क में ले गया जहाँ प्रेमी जोड़ों की भरमार रहती है।

मैं ट्रेक सूट पहने था और अंडरवीयर नहीं पहने था, जबकि सुप्रिया ने टॉप और लाँग स्कर्ट पहना और पैंटी नहीं पहनी। मैं एक पेड़ के सहारे अपनी टाँगें फैला कर बैठ गया और अपना लंड बाहर निकाल लिया, सुप्रिया मेरी गोद में ऐसी बैठी कि उसकी चूत में मेरा लंड चला गया और उसकी स्कर्ट से सब ढक गया। वो धीरे-धीरे ऊपर-नीचे होकर चुदवाने लगी। कोई देखता भी तो यही समझता कि लड़का अपनी गर्लफ्रेंड को अपनी गोद में बिठाए है। किसी को अंदाजा नहीं था कि अंदर ही अंदर रचनात्मक काम हो रहा है।

खैर बाहर हमारी यही एक मुलाकात थी।

उसकी शादी का दिन भी करीब आ गया। अपनी शादी के 15 दिन पहले वो अपने घर चली गई। मैं उसकी शादी में नहीं गया, उसी ने मना कर दिया था।

शादी के करीब 15 दिन बाद सुप्रिया ने फोन किया और शादी के बाद के किस्से बताए कि कैसे उसके पति ने उसकी वैधानिक चुदाई कर सुहागरात मनाई। सुप्रिया अपने पति से खुश थी अतः मुझे भी सन्तोष था। मेरी दिलचस्पी इस बात को जानने में थी कि उसके पति ने उसकी गाण्ड मारी या नहीं।

सुप्रिया ने बताया कि उसके पति की गाण्ड मारने में दिलचस्पी नहीं है। मैंने सुप्रिया से वादा ले लिया कि वो कभी अपने पति से न तो गांड़ मरवाएगी न ही उसका लंड चूसेगी, यह केवल मेरे लिए ही रहे।

सुप्रिया ने इस वादे को निभाया। सुप्रिया का पति लखनऊ में ही रहता था अतः सुप्रिया कभी-कभी मुझसे चुदवाने के लिए कहती थी लेकिन मैंने मना कर दिया कि अब तुम पर मेरा हक नहीं है।

हमारे बीच बातें होती रहती थी। उसकी सेक्स लाइफ बहुत अच्छी थी, उसका पति उसका दीवाना था। लिहाजा साल भर में ही उसने सुप्रिया से एक बच्चा पैदा कर लिया। बच्चे का नाम सुप्रिया ने रोहित ही रखा। बच्चा पैदा होने के बाद जब वह मिली तो उसका बदन बेहद शानदार हो गया था। अब मेरा मन डोलने लगा और सुप्रिया तो मुझसे अभी भी प्यार करती ही थी लिहाजा हमारी चुदाई का रिश्ता फिर शुरू हो गया।

एक ही शहर में रहने से हमे मिलने के मौके बराबर मिलते थे और हम इसका लाभ उठाते थे।

उसे दूसरा बच्चा भी पैदा हो गया लेकिन हमारे सम्बन्ध बने रहे। मैं उससे पूछता भी था कि इतने अच्छे पति के होते तुम्हें मुझसे चुदवाना क्यों पसंद है?

तो उसने कहा कि उसे मानसिक संतुष्टि मिलती है, दूसरी बात ये मेरे प्यार करने का तरीका बहुत शानदार है।

सुप्रिया अब चुदाई की माहिर खिलाड़ी बन गई थी, उसे लंड की सवारी गाँठना बहुत पसंद था। पहले जब वो ऐसा करती थी तो लंड पर ऊपर-नीचे होती और ये पूछने पर कि क्या कर रही हो, कहती कि चुदवा रही हूँ; लेकिन अब तो सुप्रिया लंड पर बैठ कर इतनी तेजी से आगे-पीछे करती कि मेरे होश उड़ जाते। अब मेरे पूछने पर कि क्या कर रही हो वो बोलती कि तुम्हें चोद रही हूँ या तुम्हारी चुदाई हो रही है। हार मान कर मुझे ही कहना पड़ता कि तुझ जैसे मस्त माल से कौन नहीं चुदवाना चाहेगा।

खैर यह रिश्ता भी खत्म हो गया जब उसके पति का लखनऊ से ट्रांसफर हो गया। आज सुप्रिया से मेरा कोई संपर्क नहीं है कि वो कहाँ और कैसे है लेकिन जिस निःस्वार्थ भाव से उसने मुझे प्यार किया, मैं हमेशा उसका आभारी रहूँगा।

सुप्रिया के साथ मैं तीन चीजें नहीं कर पाया- पहली यह कि उससे अपनी मूठ नहीं मरवाया, दूसरा उससे खूब लंड चुसवाने के बाद भी उसे अपना लंडामृत कभी नहीं पिलाया ! मेरी इच्छा है कि वो मेरा लंडामृत पीकर लंड को चाट कर साफ करे, तीसरा उसकी जम कर गांड़ मारने के बाद भी उसकी गाण्ड के छेद में अपनी जीभ को नुकीला कर नहीं घुमा पाया।

अगर जीवन में कभी उससे मुलाकात हुई और उसने करने दिया तो ये तीन चीजें जरूर करूँगा।

तो यह थी मेरी और सुप्रिया की कहानी। अब तक मेरे जीवन में कई लड़कियाँ आकर चुदवा चुकी हैं, उनकी कहानी भी लिखूँगा, लेकिन प्यार केवल सुप्रिया से रहा।

काश वो मेरी पत्नी हो सकती। सुप्रिया भी अपने पति से संतुष्ट होने के बाद भी मुझे पति के रूप में देखना चाहती थी।

लेकिन… हम हिम्मत न कर सके…

इतिश्री सुप्रिया, जहाँ रहो सुखी और प्रसन्न रहो ! आबाद रहो !

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