मर्दानगी साबित तो करनी पड़ेगी

मर्दानगी साबित तो करनी पड़ेगी

दोंस्तों, मैं जिग्नेश आपको अपनी कहानी बता रहा हूँ। मैं 27 साल का हूँ। देखने में बहुत ही आकर्षक हूँ। बिलकुल सलमान लगता हूँ। मैं बरेली का रहने वाला हूँ। 3 साल पहले मेरी नौकरी कानपुर में लग गयी। मैं क्लर्क बना दिया गया था।

मैंने अपना सामान बांध लिया और कानपुर जाकर ग्रामिड बैंक ज्वाइन कर ली। वहां पर सब जेंट्स स्टाफ था। जिंदगी और बोरिंग हो गयी। मैं सोचने लगा की कास कोई लेडीज या लड़की साथ में काम करती तो हँसी ठिठोली होती। पर नौकरी तो करनी ही थी। मन बेमन से मैं काम करने लगा। मेरे साथ एक युवा लड़का मिलिंद भी था। वो पूर्वांचल से था।

जब हम बात करते तो बस यही बात निकलती की कास कोई अच्छी लड़की यहाँ होती तो थोड़ा हँसी मजाक होता।
दिन आराम से कट जाता। हम दो युवा लकड़ों को छोड़कर बैंक में सब बुड्ढे बुड्ढे थे। दोंस्तों, मैं बता नही सकता ये बुड्ढे कितने बोरिंग होते है। हमेशा चुप बैठे रहते है। कभी कोई नई बात तक नही करते है।

फिर 6 महीनो बाद हमारी किस्मत खुली। 3 जवान लड़कियां क्लर्क बनके हमारी ब्रांच में आयी। 1 मैरिड थी, 2 कुंवारी थी। सुन्दरवाली का नाम हीना था, और दूसरी जो थोड़ी कम सूंदर थी उसका नाम पंखुड़ी था। मैंने हीना को देखते ही सोच लिया था कि इसे लाइन दूंगा।

मेरा दोस्त मिलिंद पंखुड़ी को लाइन देने लगा। वो भी मेरी तरह चूत का बहुत भुखा था। पंखुड़ी थोड़ी खुले विचारों की थी। एक दिन मिलिंद उसे डेट पर ले गया। उसके होंठ पर किस कर लिया मम्मे भी दबा लिए। मिलिंद ने मुझे ये
बताया। यार! तू तो बड़ा फ़ास्ट निकला! मैंने कहा। मेरी वाली तो बड़ी सीरियस है मैंने कहा।

सच में दोंस्तों हीना नाम जितना हल्का था, वो उतनी ही गंभीर और सीरियस थी। वो मेरे साथ बाहर रेस्टोरेंट जरूर जाती थी, पर मैं जब भी उसका हाथ पकड़ लेता था वो हाथ छुड़ा लेती थी। हीना बड़े सीरियस नेचर की थी। हालांकि उसका बदन बड़ा गढ़ीला था। मस्त मम्मो की मालकिन थी हीना। उसके गाल में डिंपल्स थे। कभी कभार मुँहासे भी निकल आते थे। मिलिंद मजाक में कहता था हीना चुदाई के सपने खूब देखती होगी, तब ही मुँहासे निकल आये है।

मैं कहता यार वो तो हाथ ही नही छूने देती है। चूत क्या घण्टा देगी। कहीं कोई मनोरंजन भी नही था। सुबह 10 बजे बैंक आओ और 7, 8 बजे घर जाओ। खाना बनाओ, खाओ और सो जाओ। यही मेरी दिनचर्या हो गयी थी। यार, कल रात को मैंने पंखुड़ी को चोद लिया! इतने में एक दिन मिलिंद ने खबर दी। मेरी तो झांट सुलग गयी। 4 महीनो से हीना को लाइन दे रहा हूँ। अभी तक दबाने को नही मिला, बस एक बार बड़ी रिक्वेस्ट पर किस मिल गयी थी।

मिलिंद बताने लगा कैसे कैसे क्या हुआ। मेरी झांटे लाल हो गयी। अगले संडे को मैं हीना को डेट पर ले गया। हीना! मुझे आज तुम्हारी चूत चाहिए! अब मैं और इंतजार नही कर सकता। वरना मैं और किसी लड़की को पकडूं मैंने उससे साफ साफ कह दिया। वो थोड़ा हड़बड़ा गयी। आप कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है l

देखो जिग्नेश, जो तुम मांग रहे हो वो तुमको तब ही मिल सकता है जब तुम मुझसे शादी करो! हीना बोली ये क्या बात है?? आजकल की लड़कियां तो बड़ी मॉडर्न होती है। सब कुछ पहले ही कर लेती है मैंने हाथ हिलाते हुए कहा। मैं उतनी मॉडर्न नही हूँ । जो तुम कह रहे हो वो शादी के बाद मिल सकता है हीना बोली ठीक है! मैं तुमसे शादी करूँगा! मैंने कहा। हीना वैसे भी कड़क मॉल थी।

हीना वैसे भी कड़क माल थी, इसलिये मैं शादी को भी तैयार था। पर तुमको कंडोम यूज़ करना होगा! इससे प्रेगनेंसी प्रोटेक्शन रहता है! उसने कहा। ओके कंडोम लगाकर करूँगा! मैंने कहा हम दोनों रेस्टोरेंट से निकले। मैंने मेडिकल स्टोर से। कंडोम के कुछ पैकेट्स लिए। कुछ पावर पिल्स भी ले ली। उसके रूम पर गये। चाय पी फिर बेडरूम में चले गए। पहले हम एक दूसरे को चूसने लगे।

मैंने खूब उसके चुच्चे दबाये। हर रोज हीना को देखता था, पर कपड़ों में। आज लाइफ में पहली बार उसको बिना कपड़ों
में देख रहा था। उसके गोल गोल भरे भरे हाथ थे, मम्मे मस्त टाइट दूध थे। चुच्चो पर काले घेरे चिकने चिकने थे। मेरा तो पानी बहने लगा लण्ड से। काले घेरों को तो विशेष रूचि से मैंने पिया।

उसके बगलों भी बाल थे। सायद कई दिन से ज्यादा काम होने के कारण नही बना पाई होगी। थोड़ी थोड़ी झाँटे भी थी। काम के बोझ के कारण नही बना पाई थी। हम दोनों नंगे हो गए। एक दूसरे से चिपक गये। लगा कि एक स्त्री के जिस्म को मैं जितना प्यासा था, उतनी ही हीना भी एक मर्द के जिस्म को अपनी बाँहों में भरने को प्यासी थी। आधे घण्टे तक तो हम दोनों ने एक एक दूसरे को छोड़ा ही नही ।

सर्दी के मौसम में बस एक दूसरे को खुद से चिपकाये रहे। फिर बड़ी देर बाद हम दोनों अलग हुए। उसने उठकर रूम हीटर जला दिया। कमरा गरम होने लगा। मैंने उसे लिटा दिया और उसके मम्मे पीने लगा। एक हाथ से मैं दबाता जाता था, तो दूसरे हाथ से मम्मे को पकड़ पीता जाता था। हीना मस्त हो गयी। मैंने उसके पैर उठा दिए।। और चुत को चाटने लगा।
उसकी चूत पर काली काली झाँटे घास की तरह उग आयी थी, पर मुझे कोई ऐतराज नही था।

बचपन से चूत का प्यासा था इसलिए झांटो से कोई परहेज नही था। मैं झांटो को हटाकर चूत तक आ गया था और बालों को हटाकर चूत पी रहा था। चाट चाटकर मैंने चूत लाल कर दी। उधर हीना तड़पने लगी। बार बार झांघे, कमर, चुत्तड़ उठाने लगी। मैं जान गया कि अब ये चुदवाने को बिलकुल तैयार है।

अब इसे जमकर चोदने का सही वक़्त आ गया है। मैंने अपना बड़ा सा लंड उसकी चूत पर रख दिया और धक्का दे दिया। चूत फट गई। खून बहने लगा। मैं उसे चोदने लगा। हीना से आँखे बंद कर ली। मैं उसे बजाने लगा। मैंने उसके दोनों पैर अपने कंधों पर रख लिए। इससे बेहतर पकड़ बन गयी। मैं चोदने लगा।

मैं हीना के चूत के लबो को उँगलियों से सहलाने मलने लगा। वो और और उत्तेज्जित होने लगी। मैं उसे बिना रुके बजाता रहा। मेरे जोर जोर धक्के मारने से लगा कहीं पलंग ना टूट जाए। हीना को एक्स्ट्रा लार्ज मम्मे जो असल में चुच्चे थे ऊपर नीचे जोर जोर से झटके खाने लगे।

अपनी छातियों को पकड़ ले! कहीं टूट ना जाए! मैंने हीना से कहा। उसने अपने दोनों दूध को हाथों से पकड़ लिया। मैं चोदने लगा। दोंस्तों, आज तो बरसों की तपस्या पूरी हो गयी थी। बैंक की सबसे खूबसूरत लड़की को मैंने शादी का वादा करके चोद लिया था। हीना को चोदने में अच्छी खासी ताक़त लगी।

दोंस्तों सील तोडना कोई आसान काम नही होता है। ताक़त चाहिए होती है, पौरुष की जरूरत होती है। मर्दानगी साबित करनी होती है। हीना को चोदने में कुल मेरी 10000 कैलोरी खर्च हुई होगी। मैंने अंदाजा लगाया। अब तो मुझे कई ग्लास मुसम्मी का जूस पीना पड़ेगा ताक़त के लिए। मैंने सोचा।

फिर मैंने उसके मुँह पर अपना पानी झाड़ दिया। कुछ देर तक मैंने हीना की बुर खायी और चुच्चे पिये। फिर मैं नीचे लेट गया। हीना! लण्ड खड़ा कर! मैंने कहा वो आज्ञाकारी दासी की तरह मेरे लण्ड को हाथ में लेकर मुठ मारने लगी। बीच बीच में मुँह में लेकर चूसती भी। दोंस्तों मैं बता नही सकता कि कितना मजा आ रहा था।

मैंने जान बूझकर अपने लण्ड को ढीला कर लिया था जिससे हीना से अपनी सेवा जादा देर तक करवायुं। काफी देर तक मेरा लण्ड मलने के बाद लण्ड खड़ा हुआ। ऐ हीना!।आजा लौड़े पर बैठ जा! मैंने उससे कहा। मैंने उसे लौड़े पर बैठा लिया। ये हम दोनों का इस तरह मिशनरी स्टाइल वाले सेक्स का पहला अनुभव था। हीना जोर जोर से मेरे लण्ड पर कूदकर खूब अच्छी तरह से चुदवा रही थी।

इस तरह लड़की को ऊपर बैठाके चोदने में सबसे बड़ा फायदा है कि लण्ड बुर में पूरा अंदर घुस जाता है। गहराई तक लड़की को चोदता है और वो पेट से भी नही होती। मैं हीना के गोल गोल चिकने पूट्ठों को सहलाने लगा। वो कूद कूदकर चुदवाने लगी। मैं बीच बीच में उसके मम्मे भी दबा देता। निप्पल्स को गोल गोल ऐंठता। आप कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है l

हीना ठक ठक करके फटके मारने लगी। ओहः गॉड!! ओहः गॉड!! फक भी बेबी! वो मीठी मादक आवाज निकलने लगी। हीना! तुझको गॉड नही मैं फक कर रहा हूँ! इसलिए मेरा धन्यवाद दे!! मैंने कहा ओह जिग्नेश!! ओह जिग्नेश फक मी हार्ड बेबी! हीना उत्तेजना में आकर बोली ओह यस! ओह यस बेबी!

मैंने भी कामुकता में कहा। हीना जरा थक गयी। उसकी रफ्तार धीमी पड़ गयी तो मैंने उसकी कमर दोनों हाथों से अच्छे से पकड़ ली और मैं नीचे से धक्के मारने लगा। हीना के 36 साइज के मम्मे ऊपर नीचे रबर की गेंद की तरह उछलने लगे। वो कामुकता से ओठ चबाने लगी। उसे इस तरह चुदाई के नशे में देखकर मैं और जादा उत्तेज्जित हो गया और जोर जोर से गहरे धक्के देने लगा। ये काफी मेहनत वाला काम था। पर मजा आ रहा था।

दिल कर रहा था काश कभी मेरा पानी ना छूटे, सारि उमर हीना को इसी तरह बजाता रहू। फिर काफी देर बाद हीना झड़ने वाली थी। उसकी कमर मेरे लण्ड पर गोल गोल नाचने लगी। उसका पेड़ू, चूत, पेट ऐड़ने लगा। मैं जान गया कि
गुरु हीना झड़ने वाली है। किसी लड़की को पहले आउट करवाकर चोदने में खास मजा मिलता है। इससे मर्दानगी साबित हो जाती है।

मैंने भी झड़ती हुई हीना को देख रफ्तार बड़ा दी और जोर जोर से उसकी चूत कूटने लगा। ले कुतिया! ले ले ले! तूभी क्या याद करेगी किसी मर्द से पाला पड़ा था! मैंने कामोत्तेजक होकर बोला और 100 की रफ्तार में धक्के मारने लगा। हीना के बदन पर पसीना झलक आया। फच फच की आवाज करती हुई वो झड़ गयी वही कुछ सेकंड बाद मैं भी झड़ गया। पर अब भी मैंने उसे कुटना बंद नही किया।

मैंने देखा की उसका और मेरा मिलाजुला पानी उसकी चुट से निकलकर नीचे बहने लगा। सब गीला और चिपचिपा होकर नीचे मेरी गोलियों और लण्ड की जड़ पर बहने लगा। मुझे सन्तोष हुआ की कम से कम मेरी मेहनत तो रंग लाई। इस तरह से लड़की को झाड़कर चोदने में एक खास तरह की इज्जत मिलती है। लड़की जान जाती है कि आप सच्चे मर्द है। वो आपके लण्ड की गुलाम की गुलाम बन जाती है।

एक बार इस तरह चुदवाने के बाद वो आपकी दासी बन जाती है। ठीक ऐसा ही हुआ था। सन्तोष और संतुष्टि के भाव मैं हीना के चेहरे पर दिख रहे थे। जबरदस्त चुदाई से उसका मुख लाल लाल हो गया था। मैं खुश था और सोच रहा था कितना मधुर, कितना मीठा है ये चुदाई मिलन। हम दोनों स्वर्ग में पहुँच गये थे। हीना का बदन ऐंठने लगा। ये देखकर मुझे बड़ा सुख मिला। मैं रुक नही और जोर जोर से धक्के मारने लगा।

फिर मैं दूसरी बार झड़ गया। रात अब भी बाकी थी। अभी तो केवल 1 बजा था। 5 घण्टे मस्ती करने के लिए अब भी हमारे पास थे। हम दोनों से एक नींद मार ली और तरो ताजा हो गए। 3 बजे हम फिर उठे। हीना! कभी गाण्ड मराई है तुमने मैंने पूछा ये कैसी बात कर रहे हो?? वो ऐतराज करने लगी। सच में क्या तुमने कभी गाण्ड नही मराई??

अरे पगली बड़ा मजा मिलता है इसमें! मैंने कहा। उसे राजी कर लिया। मैं उसके किचन में गया और एक कटोरी में सरसों का तेल ले आया। मैंने हीना को कुटिया बना दिया। थोड़ा तेल उसकी गाण्ड पर मला और मलने लगा। धीरे धीरे गाण्ड में ऊँगली करने लगा। बहनचोद! क्या मस्त कुंवारी गाण्ड थी। आप कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है l

फिर मैंने अपने लण्ड पर ढेर सारा तेल मला और गाण्ड चोदने लगा। दोंस्तों, मुझे विस्वास नही हुआ की मेरा लंड इतनी आसानी से उसकी गाण्ड में चला गया। मैं मजे से हीना की गाण्ड मरने लगा। ये दिन सायद मेरी जिंदगी का सबसे यादगार दिन था। गाण्ड चूत की तुलना में बड़ी कसी थी। बड़ा मजा आ रहा था।

मुझे काफी मेहनत करनी पड़ रही थी, पर मजा फूल आ रहा था। उफ़्फ़ ये टाइट गाण्ड। कुछ देर हुए हीना की गाण्ड चोदते लगा आउट हो जाऊंगा। मैंने तुरन्त लण्ड निकाल लिया। कुछ देर बाद फिर डाला, फिर जब लगा की आउट होने वाला हूँ, फिर निकाल लिया।

दोंस्तों, इस टेक्नीक से मैंने 1 घण्टे हीना की गाण्ड चोदी फिर उसी में आउट हो गया। हम दोनों की अब अच्छी सेटिंग बन गयी थी। जिस दिन हमारा बैंक जल्दी बन्द हो जाता था, उस दिन चुदाई हो जाती थी। 2 साल तक हम लोगों की चुदाई चलती रही। कुछ महीनो बाद हीना 15 दिन की छुट्टी लेकर घर गयी।

मैं थोड़ा परेशान हो गया। जब लौटी तो वो शादी ब्लॉउज़ में थी। मांग भरे थी, लाल रंग की चूड़िया पहने थी। उसके घरवालों ने उनकी शादी कर दी थी। अरे भोसड़ी के!! ये तो शादी करके लौटी। अच्छा हुआ इसको पहले ही चोद खा लिया। मैंने सोचा।

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