मेरी पहली चुदाई चाचा की बेटी के साथ

मेरी पहली चुदाई चाचा की बेटी के साथ

अन्तर्वासना पर लोग अपनी चुदाई की कहानियों को शेयर करते हैं, मैंने भी सोचा कि मैं भी अपनी कहानी शेयर कर दूँ।

बात उस समय की है जब मैं अपने गाँव से शहर पढ़ने गया था।
शहर में जो हमारा किराये का मकान था वहाँ पर मैं, मेरे पापा और मेरा छोटा भाई था।

मेरे गाँव के और भी कई लोग शहर में थे, उन्हीं में से एक मेरे गाँव के एक चाचा भी थे।
चाचा के घर में चाची और उनकी बेटी भी थी, उनका बड़ा लड़का अपनी पत्नी के साथ दूसरे शहर में रहता था।
चाचा की बेटी भी पढ़ती थी।

एक दिन चाचा के बड़े लड़के का फोन चाचा के पास आया और भैया ने बताया कि भाभी पेट से हैं और दर्द के कारण उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है।

भैया ने सभी को अपने यहाँ आने के लिए कहा लेकिन दो सप्ताह बाद हम लोगों के स्कूल में यूनिट टेस्ट होने वाला था जिसके कारण दीदी नहीं जा सकी और चाचा जी ने उन्हें मेरे घर पर मेरे पापा से कह कर छोड़ दिए और चले गए।

दीदी के आने से घर में जगह कम पड़ गई जिसके कारण पापा को बगल के एक क्लब में सोने जाना पड़ा और घर में हम तीनों सो गये।

पहली रात तो नहीं लेकिन दूसरी रात हमारा छोटा भाई बीच में सोने के लिए राजी नहीं हुआ क्योंकि उसका कहना था कि सब उसे बीच में दबा देते हैं इसलिए उसे परेशानी होती है।

जब वो नहीं माना तो मुझे ही बीच में सोना पड़ा।

उस समय तक मैं चुदाई के बारे में सिर्फ सुना था लेकिन चुदाई कैसे होती हैं इसके बारे में सिर्फ सुना था कि लंड जब लड़की की चूत में घुसता है तो उसे चुदाई कहते हैं।

कुछ देर बाद ठण्ड बढ़ गई और दीदी मेरे शरीर में सट गई, दीदी ने मुझे जकड़ लिया।

मैं समझा शायद ठण्ड के कारण दीदी ने ऐसा किया लेकिन कुछ देर बाद दीदी का हाथ जब मेरे पैंट पर पड़ा तब मैं घबरा गया लेकिन सोने का बहाना करके मैं ये सब देखता रहा।

धीरे धीरे दीदी ने अपना हाथ मेरे पैंट के अंदर डाला और मेरे लंड को अपने हाथों से पकड़ लिया जिसके कारण मैं और मेरा लंड एकदम गर्म हो गया।
मैंने दीदी का विरोध नहीं किया और उनके इधर करवट ले लिया।

दीदी भी समझ गई कि यह कुछ नहीं बोलेगा तो उसने अपनी एक चूची मेरे मुँह में दे दी और दूसरे पर मेरा हाथ रख दी।

मैं भी दीदी की चूची को चूसने लगा और ऐसे में ही कम्बल के भीतर दीदी ने अपना और मेरे पैंट को नीचे खींच दिया और मेरे लंड को अपनी चूत से सटाकर मुझे धक्का देने लगी।

मैंने एक पॉर्न मूवी में लड़के को लड़की के ऊपर चढ़कर चोदते देखा था इसलिए मैं भी दीदी के ऊपर चढ़ गया और उनकी चूची को और जोर से चूसने लगा।

तब दीदी बोली- मेरे में घुसा दे!
तो मैंने बहुत कोशिश की लंड घुसाने की लेकिन घुसा ही नहीं।

असल बात थी मुझे यह पता ही नहीं था कि कहां घुसता है।
तब दीदी ने मेरे लंड को पकड़ कर चूत में डाल लिया।

उसके बाद मैं आगे पीछे होकर दीदी को चोदने लगा।
जब मैंने अपना सिर ऊपर उठाया तो देखा दीदी रो रही हैं, दर्द के कारण जैसी आवाज होती है, वैसी आवाज निकाल रही थी।

मैं तो एकदम डर सा गया और चोदना बंद करके अपना लंड निकाल लिया।

उसके बाद दीदी बोली- मैं रो कहाँ रही थी, लंड घुसते समय जो दर्द हुआ था, ये उसके आँसू थे, मुझे तो बड़ा मजा आ रहा था।

मैंने जब यह सुना तो फिर दीदी के ऊपर चढ़ गया और दीदी को चोदने लगा, मुझे भी बड़ा मजा आ रहा था।
कुछ देर बाद मुझे पेशाब लग गया और मैंने दीदी की चूत में ही आधा पेशाब कर डाला।

उसके बाद जब बाहर पेशाब करने गया तो पेशाब लगा ही नहीं।

मैं सोचने लगा इस पेशाब को भी अभी लगना था कितना मजा आ रहा था।

मैंने फिर जाकर दीदी को चोदना चाहा लेकिन मैं चोद ही नहीं पाया।

उसके बाद तो मैंने सोच लिया कि अब जब भी दीदी को चोदूँगा तो पेशाब करके ही!

लेकिन जब मैं दीदी को एक दिन दोपहर में पूरी तरह से पेशाब करके चोद रहा था तो फिर से पेशाब लग गई और फिर चुदाई खत्म हो गई।

मैंने जब यह बात दीदी को बताया तो वो हँसने लगी और बोली- तुम्हें पेशाब नहीं लगा था, तुम झर गये थे, चुदाई करते समय ऐसा सबके साथ होता है। और जिस चीज को तुम पेशाब का पानी समझ रहे वो पानी नही हैं बल्कि उसी के कारण बच्चे होते हैं।

मैं बच्चा नाम सुनते ही डर गया और दीदी से बोला- तुम्हें बच्चा हो गया तो मैं तो बदनाम ही हो जाउँगा, और पापा की इज्जत चली जाएगी।

ऐसा कहकर मैं दीदी को बहुत डांटने लगा कि तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताई।

तब दीदी बोली- मैं एक दवाई खाती हूँ, उससे बच्चा नहीं होता और मैं तुम्हें छोड़कर और दो लड़कों से चुद चुकी हूँ।

उसके बाद मुझे शांति मिली।
फिर मैंने दीदी से पूछा- लंड से तो सिर्फ पेशाब को पानी ही निकलता है, ये बच्चा होने वाला पानी कहाँ से निकलने लगा?

तब दीदी बोली- तुम लेट जाओ, मैं तुम्हें वो चीज दिखाती हूँ।

और दीदी ने मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया, मेरा लंड खड़ा हो गया तो दीदी अपने हाथ से लंड को सहलाने लगी।

कुछ देर बाद मुझे पेशाब लगने लगा तो मैंने दीदी को बताया।
दीदी बोली- वो चीज निकलने वाली है, तुम लेटे रहो।

कुछ देर बाद जब सफेद द्रव निकला तो दीदी ने मुझे दिखाया और उसके बाद उसे चाट गई।
तब जाकर मैंने चुदाई के बारे में समझा और अब जब भी दीदी और हम अकेले मिलते हैं तो जमकर चुदाई तो होती ही है।

दोस्तो, मेरी यह कहानी आपको कैसी लगी, मुझे जरूर बताएँ।
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