मेरी कमसिन जवानी की आग

मेरी कमसिन जवानी की आग

मेरा नाम संध्या है, मैं सतना जिले के रामपुर के पास एक कस्बे की रहने वाली हूं, हम तीन बहनें और एक भाई है, मुझसे बड़ी दो बहनें हैं दोनों की शादी हो चुकी है. मैं सबसे छोटी हूं, दसवीं कक्षा की छात्रा हूं, सब कहते हैं मैं बिल्कुल हिरोइन अमृता राव जैसी दिखती हूं, मैं अपनी सच्ची बात आज लिखने की बड़ी मुश्किल से हिम्मत जुटा पाई हूं. इसमें लिखी एक एक शब्द एक एक बात सच है.
मैं बहुत स्लिम लड़की हूं, मेरे साइज में मेरी कमर 26″ मेरे ब्रेस्ट 32″ और हिप्स 36″ के हैं. पर मेरे पापा मुंबई में जहाज में काम करते हैं.हम गरीब घर से हैं, ज्यादा पैसा नहीं है मेरे मम्मी पापा के पास, मेरे पापा एक साल के लिए मुंबई चले जाते हैं.

मेरी बड़ी बहन मेरी दीदी के यहां से निमंत्रण आया कि वहां भागवत की कथा है, मुझे दीदी ने बुलवाया, मम्मी से दीदी बोली- संध्या को भेज दो सात आठ दिन के लिए, मेरे काम में हेल्प करायेगी. मम्मी भाई को बोली- जा इसे दीदी के पास पहुंचा दे!और मेरा भाई मुझे दीदी के यहां पहुंचा के चला आया.

दीदी के हसबैंड यानी मेरे जीजा जी चार भाई हैं और दीदी के घर वाले सबसे बड़े हैं भाईयों में… तो उनसे जो तीन छोटे भाई हैं मैं उनको भी जीजा कहती हूं. जो दीदी के हसबैंड हैं उनसे दूसरे नंबर के हैं उनका नाम सतीश है, वो अक्सर मुझसे मजाक करते और मुझे घूरते रहते थे, उनकी नियत मेरे प्रति अच्छी नहीं थी.
दीदी के यहां सब बोरवेल में नहाते थे और शौच के लिए बाहर जाना पड़ता था.एक दिन मैं नहा के आयी, व्हाइट कलर की मैक्सी पहन कर नहाई थी, अंदर ब्लैक कलर की ब्रा और पैंटी थी पानी में भीगने के कारण सब दिख रहा था.

मैं जैसे ही आंगन में नहा कर आई, सतीश जीजा सामने आ गये और उस समय अगल बगल कोई नहीं था तो मुझे बोले- संध्या जी, तुम्हारा सब कुछ दिख रहा है, मेरी नियत मत खराब करो नहीं तो अच्छा नहीं होगा. ऐसे दिखा देती हो तो फिर कंट्रोल नहीं होता है.मैं भी उनसे खूब मजाक कर लेती थी तो मैं बोली- जीजा जी मत देखा करो जब हिम्मत नहीं है तो!
और उन्हें चिढ़ाते हुए बोली- मर्द वो होता है जो बोलता नहीं, करके दिखा देता है. जो बादल गरजते हैं बरसते नहीं जीजा जी.तब वो बोले- संध्या, तुम मेरी साली लगती हो, मतलब आधी घरवाली हो, मेरा हक बनता है तुम पर… फिर भी तुमने मेरी मर्दानगी पर सवाल खड़े कर दिए, अब तो तुम्हें बताऊंगा कि मैं कैसा मर्द हूं.मैं बोली- क्या कर लोगे?जीजा पास आये और बोले- संध्या, मेरी सेक्सी साली पकड़ के लगता है अभी यहीं आंगन में तुम्हें चोद दूं, मेरा लन्ड तुम्हारी बुर में घुसेगा तो सारी गर्मी उतर जाएगी तुम्हारी संध्या… चीखने लगोगी इतना बड़ा मस्त लंड है मेरा, लड़कियां तरसती हैं मुझसे चुदवाने के लिए.
मैं बोली- कोई नहीं तरसता… अपने मुंह से अपनी तारीफ मत करो जीजा, मुझे भी नहीं जानते हो कि मैं कौन हूं? मुझे संध्या कहते हैं, ऐसा कोई मर्द नहीं जो मेरी चीख निकाल दे समझे सतीश जीजा, फ्री में सब कर लोगे क्या मुझसे, सड़क में पड़ा फ्री का माल समझ लिया क्या मुझे आपने जीजा? भला छूकर दिखाओ?

सतीश बोले- वाह संध्या, तुम शहर की हो और तुम्हें शहर का पानी लग गया, शहर की लड़कियां तो सही हैं पैसे के बिना या कुछ लिए नहीं देती.तब मैं बोली- जानते सब हो, जीजा समझदार हो, और समझदार के लिए इशारा काफी होता है.
तब सतीश जीजा बोले- अब साफ साफ संध्या अपना रेट बोलो और मुझे तुम्हें आज ही चोदना है.
मैं बोली- पागल हो गये क्या जीजा? मैं वैसी लड़की नहीं कि पैसे में बिक जाऊं, मैं अनमोल हूं कोई खरीद नहीं सकता, हां प्यार से कोई कुछ भी दे दे चलता है.तब जीजा बोले- चलो फिर सतना कल… जैसी ड्रेस चाहिए दिलवा दूंगा.मैं यह बात सुनकर खुश हो गई और बोली- मजाक तो नहीं कर रहे हो? सच नहीं हो तो मत बोलना.जीजा बोले- पक्का वादा, ड्रेस दिलवाऊंगा!
मैं बोली- कल मैं अपने घर जा रही हूं, आप कल की जगह परसों आओ, मैं मम्मी को बता दूंगी कि सतीश जीजा मुझे ड्रेस दिला रहे हैं. आप आकर कह देना कि मैं संध्या को ड्रेस दिलवाने ले जा रहा हूं फिर घर पहुंचा दूंगा.

सतीश जीजा बोले- अब आप के लिए कल का पूरा कार्यक्रम रद्द करना पड़ेगा, चलो ठीक है परसों तैयार रहना अपनी मनपसंद ड्रेस के लिए… मैं सुबह नौ से दस के बीच आ जाऊंगा.मैं सच में खुश हो गई कि परसों मुझे मेरे पसंद की ड्रेस मिलेगी.
मैं दूसरे दिन अपने घर मम्मी के पास पहुंच गयी और अब सुबह का इंतजार करने लगी, सवेरा हुआ, जल्दी सेतैयार हो गई, मम्मी को पहले ही बता चुकी थी कि सतीश जीजा मुझे सतना ड्रेस दिलाने ले जाने को बोले हैं.मम्मी ने पूछा- तूने तो नहीं बोला?मैं बोली- नहीं मम्मी, वो खुद ही दिला रहे हैं.मम्मी ने बोला- ठीक है, चली जाना, पर उन्हें ज्यादा परेशान मत करना!मैं बोली- ठीक है मम्मी!
मैं इंतजार कर रही थी कि तभी सतीश जीजा जी बाइक लेकर आये ठीक नौ बजे… मैं तैयार खड़ी थी, मैं आसमानी कलर की फ्राक वन पीस पहनी थी, पिंक कलर की लिपस्टिक लगाई थी, जीजा जी मुझे देखने लगे.मैं बोली- जल्दी चलो जीजा!मम्मी बोली- पानी चाय तो पी लेने दे.तब जीजा जी बोले- लौट के आके सब करेंगे आंटी, अभी जाने दो!मम्मी बोली- ठीक है, जाओ! और ये संध्या अगर ज्यादा परेशान करे तो बताना या आप ही डांट देना.

जीजा बोले- अरे इतनी अच्छी साली है, मैं थोड़ी न डांटूंगा.और हम दोनों चल दिए. मैं बाइक पर दोनों पैर एक तरफ करके बैठ गई तो जीजा बोले- टांगों को इधर उधर करके बैठो!तब मैं बोली- अभी यहां से चलो, फ्रांक पहनी हुई है!
जीजा चल दिए, थोड़ी देर में सतना पहुंचे तो जीजा बोले- अभी साढ़े नौ बजे हैं, इतनी सुबह दुकान नहीं खुलती, ग्यारह बजे तक दुकान खुलेगी. तब तक मेरा किराये का कमरा है कृष्ण नगर में वहीं दो घंटे थोड़ा रूकेंगे, नश्ता करेंगे फिर चल के तुमको बढ़िया ड्रेस दिलवाऊंगा.मैं बोली- ठीक है!

काफी हाउस से जीजा ने नाश्ता पैक कराया और कोल्डड्रिंक लिए और चल दिए, रूम पहुंच गए. जीजा ने कमरे का ताला खोला, सिर्फ एक ही कमरा था, उसमें चारपाई रखी थी, उसमें बिस्तर लगा हुआ था.जीजा जी बोले- आराम से बैठ जाओ संध्या बिस्तर में, यही गरीबखाना है जहां रहकर मैं ड्यूटी करता हूं.मैं बोली- अच्छा तो है जरूरत के हिसाब से अकेले रहने के लिए!और मैं बिस्तर में बैठ गई.
तभी जीजा ने अंदर से रूम को लॉक कर दिया.मैं बोली- जीजा, तुमने दरवाजा क्यों बंद कर दिया अंदर से?तो जीजा बोले- अपन अभी नाश्ता कर लें, वैसे भी मैं जब कमरे में आता हूं तो बंद ही कर लेता हूं.मैं कुछ नहीं बोली.

तभी जीजा ने एक प्लेट में इडली निकाली और गलास में कोल्ड ड्रिंक और सामने रखे, मैं बोली- मुझे खाने की इच्छा नहीं!तो जीजा अपने हाथ से लेकर मेरे मुंह में डालने लगे और बोले- मेरी खूबसूरत साली संध्या, तुम यह मेरे हाथ से खाओ!मैं खाने लगी.
तभी जीजा प्लेट रखकर मेरे को बोले- थोड़ा मुंह में होंठ के नीचे यहां पर कुछ लग गया है.मैं बोली- मैं पौंछ लूंगी!लेकिन जीजा ने अपने हाथों से मेरे होठों को अपनी उंगलियों से छुआ और बोला- कितने कोमल होंठ हैं तुम्हारे साली जी!मैं शरमा गई कुछ नहीं बोली.

तभी जीजा ने रुमाल निकाला तो मैंने सोचा कि कुछ पौंछ रहे हैं. कि तभी वो सीधे मेरे होठों को अपने होठों से चूमने लगे.मैं बोली- यह क्या कर रहे हैं जीजा? यह मुझे पसंद नहीं, प्लीज यह मत करिए, मुझे छूना नहीं मैं आप से कितनी छोटी हूं.तभी जीजा बोले- परसों अपनी बात हो गई थी, संध्या तुमसे क्या बात हुई थी? तब तुम बोली थी कि फ्री में कुछ नहीं होगा तब मैं बोला था कि कितना लोगी तो तुमने कहा था कि मैं पैसे नहीं लेती, तो मैं पूछा क्या पसंद है चलो मैं तुम्हें अच्छी सी ड्रेस दिला दूंगा और आज मैं अपना वादा पूरा करने तुम्हें ले आया, अब तुम अपना वादा पूरा करो संध्या!मैं बोली- नहीं जीजा, वह मजाक था, मैं तो ऐसे ही मजाक में सब कह रही थी.तो जीजा बोले- मजाक था तो तुम सतना यहां ड्रेस के लिए क्यों चली आई? यह उसी मजाक में ही तो यह बात हुई थी.
तब मैं कोई जवाब नहीं दे पाई. लेकिन असल में तो मैं जानती थी कि मैं अपनी मर्जी से यहा जीजा के साथ अपनी बुर चुदवाने ही आई हूँ. मैंने सोचा कि अब मैं इस जीजा को पूरा तड़पाऊँगी अपनी बुर चुदाई करवाने से पहले! खूब मजा लूंगी, फिर बुर चुदाई की मजा लूंगी. खूब नखरे करूंगी, रोऊंगी, गिदागिदाऊँगी, पूरा विरोध करूंगी फिर आखिर में मैं अपनी बुर चोदने दूंगी.
जीजा मेरे बगल से बैठ गए चारपाई में और मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया, मैं छुड़ाने लगी, तो जीजा बोले- मैं बोला था ना कि चैलेंज मत करो संध्या डार्लिंग, तुम मेरी साली हो और साली आधी घरवाली होती है, मान जाओ तुम इतनी सेक्सी तो हो फिर क्यूं नाटक करती हो.मैं उनके हाथ जोड़ने लगी, बोली- छोड़ दो मुझे, जाने दो, मुझे आपसे ड्रेस नहीं चाहिए जीजा, प्लीज मुझे जाने दो, नहीं तो मैं चिल्लाऊंगी, सबको बता दूंगी, दीदी को भी बता दूंगी, मुझे जाने दो.

जीजा बोले- नाटक मत करो संध्या, तुम अब छोटी नहीं हो, मैंने तुम्हें देखा है तुम्हारे हुस्न और जिस्म को अच्छी तरह से सब देखा है, मैं चोरी से तुम्हारे पीछे पीछे ही लगा रहता था, जब तुम लैट्रिन के लिए लोटा लेकर बाहर जाती थी, मैं पीछे-पीछे आता था और झाड़ी के पीछे छुपकर लेट्रिन करते हुए तुम्हारी नंगी गांड, बहुत टाइट थी और बहुत बड़ी है अच्छे से देखा, छुप कर लेट्रिन कर जब तुम कपड़े पूरे उतार कर नंगी हो कर फिर सही वाले कपड़े पहनती थी तब जिस पीछे वाले कमरे में बदलती थी वहीं तख्त के नीचे मैं दौड़कर पहले से घुस जाता था और जब तुम कपड़े उतारने लगती, तब मैं तुम्हें नंगी देखकर वहीं मुट्ठ मारता रहा हूं, कई बार तो लगा था कि तुमसे लिपट जाऊं और तुम्हें जमके चोद दूं. तुमने दो तीन बार नंगी होकर अपनी बुर फैलाकर उसे अपनी उंगली से साफ कर रही थी, क्या मस्त बुर थी तुम्हारी संध्या, उस समय तो कैसे सम्हाला अपने आप को मैंने… मैं ही जानता हूं. जब तुम नहाने जाती थी तब मैं रोज देखता था कि कैसे अपने जिस्म को रगड़ रगड़ कर साफ किया करती रही हो, भीगे होंठ, भीगे गाल, भीगा सीना उठा हुआ, भीगा चिकना पेट और उसमें कयामत सी दिखने वाली नाभि तुम्हारी संध्या, पानी में तुम्हारा पूरा बदन वाह माई गॉड, पागलपन था संध्या! तुम क्या जानो संध्या कि तुम कितनी मस्त माल हो गई हो, इसलिए झूठ बोलना बंद करो कि तुम कोई छोटी लड़की हो. आज तुम्हें मैं बहुत मजा दूंगा, तुम जन्नत में पहुंच जाओगी.
मैं बोली- कितने गन्दे हो, छी मुझे लेट्रिन करते देखा… थू!

मैं बोली- कितने गन्दे हो, छी मुझे लेट्रिन करते देखा… थू!मैं उनके हाथ जोड़ने लगी, बोली- जीजा प्लीज मैं चिल्ला दूंगी!और मैं रोने का नाटक करने लगी, बोलने लगी- हाथ मत लगाओ मुझे जीजा, मुझे जाने दो. मैं ड्रेस नहीं लूंगी!और जैसे ही मैं चारपाई से उतरने लगी, जीजा ने मुझे पीछे से पकड़ लिया और मुझे बिस्तर में फिर से पटक दिया.
अब वे बोले- मजाक मत करो संध्या मेरी जान!और मेरे होठों के चुम्मा लेने लगे. मैं हाथ पैर दोनों झटक रही थी.
पर जीजा को कुछ समझ नहीं आया, उन्होंने तुरंत मेरी वन पीस फ्राक को ऊपर किये तो वह मेरे पेट तक आ गई, अब कमर के नीचे मैं नंगी हो गई सिर्फ पैंटी रह गई, मेरी नंगी जांघों और टांगें देखकर जीजा बोले- क्या मजाक कर रही हो संध्या… कितनी मस्त माल हो, तुम्हारी यह प्यारी मस्त पैंटी के ऊपर से फूली चूत सब बता रही है कि तुम्हारी चूत को अब लंड चाहिए.जीजा मेरी पैंटी के ऊपर जहां फूली हुई चूत थी, वहीं पे हाथ रखकर बोले- कितनी तो गर्म है तुम्हारी चूत… फिर भी चिल्ला रही हो.

मैंने जोर से धक्का मारा और जीजा के हाथ में दांत से चबा कर काटने लगी और उनसे खुद को छुड़ा लिया. बिस्तर से नीचे उठी, एक चाकू पड़ा था सब्जी वाला उसे ले लिया, और बोली- अगर अब अगर छोड़ोगे नहीं तो मैं मार दूंगी तुझे गन्दे जीजा, मुझे जाने दो, मुझे तेरे ड्रेस नहीं चाहिए.मैं पूरी नौटंकी कर रही थी और मजा ले रही थी.

मैं जैसे ही दरवाजा की खिटकिली अंदर से खोलने लगी, जीजा ने फिर से पकड़ लिया पीछे से और मेरे हाथ से चाकू छीनकर ऊपर रैक में फेंक दिया, और मुझे फिर से उठाकर बिस्तर में पटक दिया.जीजा बोले- संध्या मान जाओ प्लीज!और मेरे ऊपर चढ़ गए इस बार… मैं फिर से उनसे छुड़ाने लगी लेकिन इस बार जीजा मेरे बिल्कुल पेट के ऊपर दोनों टांगें इधर उधर करके ऐसे चढ़ गये कि मैं कुछ भी कर के नहीं उठ सकती थी न ही छुड़ा सकती थी.

अब जीजा एक हाथ से मेरी फ्रॉक को ऊपर करके मेरे सीने तक कर दिया, तो पैर से लेकर सीने तक पूरी नंगी हो गई बीच में सिर्फ पैंटी बची बदन में!जीजा एक दम ललचाई आंखों से मुझे देखकर बोले- संध्या, क्या मस्त चिकनी माल हो! मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है कि मैं तुम्हारे ऊपर चढ़ा हूं, दुनिया की सबसे सेक्सी लड़की को चोदूंगा.यह कहते हुए जीजा ने मेरी पैंटी के अंदर हाथ डाल दिया.
वो मेरे ऊपर टांगें इधर उधर करके बैठे थे, इस वजह से मैं उनके हाथ अपने हाथ से पकड़ नहीं सकती थी.
और जीजा ने पैंटी के अंदर से हाथ ले जाकर मेरी चूत में हाथ रख दिया और बोले- बहुत गीली हो रही है तुम्हारी चूत संध्या… और तुम बोलती हो कि मैं अभी छोटी हूं. तुम बहुत झूठी हो संध्या! मुंह से मना कर रही हो पर तुम्हारी चूत कुछ और बोल रही है. तुम यहां बैठे बैठे गीली हो गई मतलब तुम्हारे मन में तन में अंदर चुदवाने का ख्याल चल रहा है.
यह बात जीजा ने बिल्कुल सच बोली, मेरे मन में अंदर से कुछ अकुलाहट सी और अलग फीलिंग हो रही थी, मैं अंदर ही अंदर सोच रही थी कि काश जीजा मुझे जबरदस्ती चोद दें, मैं मना भी करूं तो ना माने!पर मैं फिर भी जीजा से बोली- नहीं, ऐसा कुछ नहीं है, जीजा मुझे छोड़ दो!

तब जीजा बोले- नहीं सेक्सी संध्या, तुम बहुत चुदासी हो!और उन्होंने मेरी चूत में उंगली डाल कर उसका चिपचिपा चूत रस निकाल कर मुझे दिखाया और बोला- देखो, यह तुम्हारी चूत का रस है, यह लड़की जब चुदासी होती है तभी चिपचिपाहट वाला रस निकलता है.मैं अब क्या बोलूं मुझे समझ नहीं आया.
तभी मेरी छाती के ऊपर हुई फ्राक को गले तक कर दिया, उसी समय मैं हाथ जीजा के पकड़ने लगी पर तब तक वह मेरी ब्रा के ऊपर से मेरे दूध दबाने लगे और मेरे मुंह में अपने होठों को रगड़ने लगे. मैं चेहरा इधर-उधर झटक रही थी कि वह अपने होठों से मुझे चूम ना पायें, पर जीजा एकदम से पकड़ के मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए, उनके बहुत गर्म होंठ मेरे होंठों को चूमने लगे और उनकी गर्म सांसें मेरी नाक में समाने लगी.

और उधर नीचे अपने एक हाथ को मेरी पेंटी के नीचे फिर से घुसा कर मेरी चूत में जैसे उंगली डाली मुझसे रहा नहीं गया. मुझे बिल्कुल पता नहीं कैसे क्या होने लगा, मैं एक बार फिर से बोली- जीजा मुझे छोड़ दो, मैं कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं रहूंगी, प्लीज मुझे जाने दो मत करो कुछ भी!
पर जीजा कहां मानने वाले… वो अपनी उंगली को मेरी चूत में अंदर बाहर करने लगे, मुझे अब ना जाने कैसी अजीब सी सुरसुराहट और कम्पकपी पूरे बदन में होने लगी, जीजा की यह हरकत मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रही थी, वह अपनी उंगली जोर जोर से अंदर बाहर चूत में करने लगे मैं कांपने लगी.
और तभी जीजा का एक हाथ जो खाली था, उससे बूब्स को दबा रहे थे, मेरे दोनों बूब्स ब्रा के ऊपर से ही दबाने लगे, मैं अब कुछ बोल ही नहीं पा रही थी, मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था और मैं बिल्कुल मचलने लगी.जीजा बोले- क्या मस्त माल हो संध्या… तुम अभी तक कितने लन्ड ले चुकी हो?मैं बोली- यह क्या बोल रहे हो जीजा, आज तक मुझे किसी ने छुआ भी नहीं है, आप भी मत करो. मुझे बहुत डर लग रहा है, ना जाने मुझे क्या होने लगा है, मैं छोटी हूं, मुझे कुछ नहीं पता.

तभी जीजा जोर से मेरे होठों को चूमने लगे और बोले- संध्या, तुम बहुत बड़ी वाली हो, झूठ बहुत बोलती है. मैं अभी तुम्हारे चूत में उंगली कर रहा हूं वह शट-शट अंदर बाहर जा रही है, तुम चुप ही रहो भले ही ना बताओ!मैं थोड़ी सी अकड़ कर बोली- अपने मन से कुछ भी मत बोलो जीजा, आज तक मुझे किसी ने छुआ भी नहीं, करना तो दूर की बात है.हालांकि मैंने यह झूठ बोला, कमलेश सर पहले मर्द हैं जिसने मेरे बदन को छुआ और मेरे चूत को चाट चुके थे पर उन्होंने भी मुझे चोदा नहीं था.
तभी जीजा मेरे होठों को फिर से कस के चूम लिया अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था, जीजा मेरे मुंह को खुलवाने लगे और जैसे ही मैंने अपना मुंह खोला, मेरे जीभ को अपने होठों से पकड़कर चूसने लगे और चाटने लगे.मैं अब बिल्कुल मचलने सी लगी, जाने कैसे मेरे हाथ जीजा के पीठ में चले गए और मैं हांफने लगी, तभी जीजा बोले- संध्या तुम बहुत मस्त माल हो, तुम मेरी रखैल बनना.
मेरी हालत अब ये हो गई कि मैं अब कुछ नहीं करने की स्थिति में पहुंच गई थी.

तभी जीजा बिस्तर से उठे और अपने कपड़े उतारने लगे, मैं उठकर बैठने लगी तो जीजा बोले- संध्या, अब नाटक किया तो उठा कर पटक दूंगा, तुम्हारा मन है बहुत चुदवाने का है फिर ऐसा क्यों कर रही हो.मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था क्योंकि आज के पहले सिर्फ कमलेश सर ने मुझे छुआ, वह भी मेरे ही घर में मुझे छुआ था, तो मैं कुछ समझ नहीं पा रही थी, पर जीजा ऐसा बोले तो मैं बिस्तर में ही रह गई.
अब जीजा मेरी सामने अपनी शर्ट पैंट उतार के पहले अंडरवियर बनियान में आए, मैं उनको देख ही रही थी, मेरे सामने अपना बनियान उतारा उनकी नंगी छाती देखी और फिर जैसे ही अपनी अंडरवियर नीचे खिसकाने लगे, कमर से नीचे करते ही जीजा का लन्ड बहुत लंबा और मोटा मेरे सामने तना हुआ खड़ा था.
अपनी अंडरवियर उतार फेंक कर जीजा पूरे नंगे हो गए, उनके लन्ड के पास बहुत सारे बाल थे, नंगे होकर जीजा मेरे बिस्तर पर चढ़ आए, मेरा सीना जोर जोर से धक धक करने लगा, मेरी सांसें बहुत तेज़ हो गई अब मुझे बहुत घबराहट होने लगी.

बिस्तर में आकर मेरे सीने में हाथ रखकर मुझे बोला- सीधी हो जाओ संध्या!मैं वैसी ही लेटी रही तो जीजा ने खुद पकड़ कर मुझे सीधा लिटा दिया और मेरी फ्रॉक को खींच कर ऊपर किया और गर्दन से उतार बाहर कर दी, अब मैं जीजा के सामने ब्रा और पैंटी में लेटी थी.जीजा बोले- ओहहह गाड… संध्या तुम तो कयामत हो, क्या मस्त लौंडिया हो क्या माल हो! मैंने आज तक तुमसे मस्त माल नहीं देखा, इतनी हिरोइन फिल्मों में देखी, इतनी लड़कियां देखी, कोई भी लड़की तुम्हारे आस पास भी नहीं! संध्या तुम बहुत मस्त माल हो, क्या गजब की चिकनी टांगें हैं तुम्हारी, क्या मस्त सेक्सी गहरी नाभि है, और क्या कड़क बूब्स लग रहे हैं, मुर्दे के सामने ऐसे चली जाओ संध्या तो वो भी खड़ा हो जाए, कितने मस्त मस्त प्यारे लाल सुर्ख होंठ हैं, और उसमें प्यारी सी तुम्हारी सेक्सी नाक है, आंखों का तो कहना ही क्या… है लगता है बिल्कुल चुदवाने का इशारा कर रही हैं.

जीजा की यह बातें मेरे को अंदर से अच्छी लगी.
इतने में जीजा मेरी पेंटी को धीरे से पकड़कर उतारने लगे, मैं बोली- जीजा मत करिए… हाथ जोड़ती हूं मुझे छोड़ दो, बहुत डर लग रहा है कभी नहीं करवाया.पर जीजा कहां मानने वाले… उन्होंने पैंटी को उतार फेंका अब मेरे बदन पर सिर्फ ब्रा बची थी, जीजा ब्रा के ऊपर से ही दोनों बूब्स अपने दोनों हाथों से पकड़ कर जोर से दबाने लगे.मैं चीख उठी, जैसे चीखी जीजा ने मेरे होठों को चूम लिया और बोले- इस तड़प और दर्द में बहुत मजा होता है संध्या!
फिर जीजा ने मेरी ब्रा के हुक पर हाथ रखकर ब्रा को खींच दिया, हुक टूट गई, ब्रा अलग हो गयी, मैं बोली- मेरा ब्रा तोड़ ड़ी!तभी जीजा बोले- तुझे आज 4-5 ब्रा खरीदवा दूंगा, चिंता मत कर!
अब मैं जीजा के सामने बिस्तर में पूरी नंगी लेटी थी, जीजा भी पूरे नंगे थे, इस तरह पहली बार आज कोई मर्द मेरे ऊपर मुझे पूरी नंगी करके और मेरे ऊपर पूरा नंगा होकर लेट गया.

जीजा मेरे ऊपर चढ़ गये, फिर मुझसे चिपक गए, मेरा अब हाल बहुत बुरा था, मैं कुछ सोच नहीं पा रही थी कि यह सब क्या है?जीजा का शरीर बहुत गर्म होकर तप रहा था, उनका सीना मेरे सीने से चिपक गया, मेरे होंठ पर अपने होंठ रख दिए, नीचे उनका लन्ड मेरी चूत में रगड़ खा रहा था.
जीजा बोले- संध्या, तुम्हारा जिस्म तो आग की भट्टी की तरह बहुत गर्म है, तुम प्यासी हो, बहुत चुदासी हो!मैं यह बात समझ नहीं पा रही थी.
तभी जीजा उल्टे हो गए, उन्होंने अपने पैर मेरे मुंह तरफ कर दिए और अपना मुंह मेरे पैरों तरफ…मैं बोली- जीजा छोड़ दो, जाने दो!मेरे मुंह से सिर्फ यही सब निकल रहे थे, जीजा को इन बातों से कोई मतलब नहीं था कि मैं क्या बोल रही हूं, मेरी क्या हालत है?
उल्टा लेटने के कारण उनकी कमर मेरे मुंह की तरफ हो गई और जीजा ने अपना मुंह मेरे पैरों तरफ करके मेरी टांगों को फैलाया और सीधे अपना मुंह मेरे चूत में रख दिया और अपने होठों से जैसे मेरी चूत को चूमा मैं उछल पड़ी और मेरे मुंह से उंहहह निकल गया!

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मेरी कमसिन जवानी की आग