मेरी चीखें निकलवा दी ननदोई जी ने

मेरी चीखें निकलवा दी ननदोई जी ने

मेरी पहली आपबीती तो आपने पढ़ी ही होगी कि किस तरह से मेरे ननदोई ने मेरे साथ पहले बलात्कार किया और बाद में मुझे कैसे मेरी मर्जी से मुझे पूरा मज़ा दे दे कर चोदा।
घर के सभी लोग तो शादी में जाने की तैयारी कर रहे थे, मैं खुद भी शादी में जाना चाहती थी।
मैं बड़ी उत्साहित थी शादी में जाने के लिए।
एक दिन ननदोई जी का फ़ोन आया कि मैं किसी बहाने से शादी में जाने से मना कर दूँ और बाद में उनके साथ शादी में चलूँ। क्योंकि ननद को तो हमारे साथ जाना था जबकि ननदोई जी को दो दिन बाद शादी में जाना था। उनका कोई जरूरी काम था जिसकी वजह से वो शादी में लेट जा रहे थे।
जब मैंने न जाने की वजह पूछी तो वो कहने लगे- यहाँ पर मजे करेंगे।
मैं मान गई और ना जाने का कोई जानदार बहाना सोचने लगी।
मैं शादी में जाने के एक दिन पहले से ही तबीयत ख़राब होने का नाटक करने लगी इसलिए सब लोग सोचने लगे कि मुझे बीमार छोड़ कर कैसे जायें।
तब मैंने कहा कि मैं शादी में बाद में ननदोई जी के साथ आ जाऊँगी वरना पहले जाने से कही मेरी तबीयत और ज्यादा ख़राब ना हो जाये।
शादी में जाना जरूरी था पर मेरे पति भी मेरे साथ रुकने के लिए कहने लगे।
पर बाकी सबको कौन ले जाता इस कारण उन्हें जाना पड़ा।
दिन के 3 बजे के आस पास वे लोग शादी के लिए निकल गए।
ननद मुझे कह कर गई थी कि ननदोई जी शाम को 7 बजे के आस पास आ जायेंगे। पर 4 बजे ही ननदोई जी तो घर पर आ गए।
आते ही वो तो मुझ पर टूट पड़े।
मैंने कहा- थोड़ा सब्र भी कर लिया करो। हर बार उतावले ही रहते हो..
ननदोई जी- क्या करूँ जान… तुम हो ही ऐसी कि सब्र तो छोड़ो, मन तो ऐसे करता है कि जब भी तुम सामने आती तो हो बस सबके सामने ही तुम्हें चोद दूँ। पर क्या करूँ, मन मारना पड़ता है।
मुझे इस बात पर हंसी आ गई।
ननदोई जी- इसमें हंसने की क्या बात है… तुम हो ही ऐसी !
इस पर तो मैं जोर से खिलखिला पड़ी आखिर मेरी तारीफ हो रही थी।
ननदोई जी- कोई बात नहीं, हंस लो, जितना चाहे हंस लो पर तुम्हें चोद चोद कर उतना ना रुलाया तो मेरा नाम बदल देना।
मैंने कहा- अच्छा… देखो कहीं उल्टा ना हो जाये…
ननदोई जी- तो लो फिर… अब से ही चालू हो जाता हूँ। फिर तुम्हें पता लगेगा।
कहते कहते ही उन्होंने मेरी साड़ी पूरी खींच कर हटा दी और मुझे हॉल के दीवान पर गिरा लिया।
मेरे गिरते ही मुझ पर लेट कर मुझे चूमना चालू कर दिया।
मैं भी इसमें उनका साथ दे रही थी।
थोड़ी देर बाद उन्होंने मेरे ब्लाउज के हुक खोले और मुझे बाजू का शारा देकर ऊपर उठा कर मेरा ब्लाउज हटा दिया और ब्रा को भी हटा दिया।
वो मेरे उरोजों को बुरी तरह से चूस रहे थे।
चूसते चूसते कई बार वो काट लेते जिससे मेरी आहें निकल जाती तो इस पर वो मुस्कुरा देते थे।
मेरे स्तनों को मसल मसल कर लाल कर दिया था और कई जगह काट भी खाया था ननदोई जी ने।
ननदोई जी ने इसके बाद मेरा पेटीकोट भी उतार दिया और मेरे पेट पर चुम्मा ले लिया।
इस चुम्मे से तो मुझे 440 वोल्ट का झटका लगा।
इसके बाद ननदोई जी ने मेरी चूत की चुम्मी लेते लेते हुए मेरी पेंटी भी हटा दी। मेरी साफ चूत उनके सामने आ गई।
ननदोई जी- इसकी खास सफाई कर रखी है… क्यों?
मैं- पहले शादी में जाने के लिए थी, अब तुम्हारे लिए है।
इस पर ननदोई जी मेरी चूत को चाटने लगे।
मैं तो बुरी तरह से झनझना गई, मेरी तो हालत ख़राब होने लगी।
ननदोई जी का मुँह मैं पैर से तो कभी हाथ से चूत पर दबाती।
इसके थोड़ी देर बाद ही ननदोई जी उठे और उनके कपड़े उतार दिए।
उनका खड़ा लण्ड देख कर तो मजा ही आ गया था। मुझे लगा कि यह बस अभी मेरी चूत में चला जायेगा।
पर ननदोई जी ने तो उसे मेरे होंठों से भिड़ा दिया तो मैंने उसे मुँह में ले लिया।
थोड़ी देर लण्ड चुसवाने के बाद उठे, उन्होंने मेरी टांगें फैलाई और उनका लण्ड मेरी चूत में सरकने लगा।
चूत के गीली होने से एक बार में ही अंदर समा गया पर मेरे मुँह से तो चीख ही निकल गई।
ननदोई जी जोर जोर से धक्के मार रहे थे, मेरी सांसें बड़ी तेज चल रही थी और मेरे मुँह से तो आह्ह्ह… ह्ह्ह्ह्ह… हुन्न्न्न्न… न्न्न्न्न… आउउच्च… चच्छक… की आवाजें निकल रही थी और ननदोई जी लगातार मुझे चोदते जा रहे थे।
करीब दस मिनट बाद मेरा शरीर अकड़ने लगा और मैं ननदोई जी से कहने लगी- आआह्ह्ह्ह जान्न्न्न्न… जरराआआ जोअर से आउच्च… च्च्च्च्च… च्च्छ्ह्हह… अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह… ह्ह्ह्ह्ह…ओह्ह्ह्ह्ह… ह्ह्ह्ह करो… मजा आआ… रहा आआ आ अऊऊछ्ह्ह्ह्हह्ह है।
एक जोरदार चीख के साथ मैं ननदोई जी से लिपट गई..
पर ननदोई जी तो झटके मारे जा रहे थे, हॉल में फच फच की आवाजें आ रही थी… मेरी सिसकारियाँ पूरे हॉल में गूंज रही थी।आज तो मैं खूब जोर से चिल्ला रही थी क्योंकि घर में कोई नहीं था..
मेरी आहें और सिसकारियाँ तो ननदोई जी में जोश भर रही थी।
करीब 15 मिनट जबरदस्त चुदाई के बाद ननदोई जी ने पूरा वीर्य मेरी चूत में उड़ेल दिया।
ननदोई जी हाँफते हुए मुझ पर पसर गए।
इसी बीच मेरा काम एक बार और हो चुका था..
ननदोई जी और मैं ऐसे ही हाल में सो गए।
उसके बाद काफी देर बाद में उठी और कपड़े पहन कर रात के लिए खाना बनाने लगी।
थोड़ी देर बाद ननदोई जी भी उठ गए और उनको चाय पिलाई…
उसके बाद हम दोनों बस आपसी छेड़छाड़ ही कर रहे थे।
रात को ननदोई जी ने कम खाना खाया, पूछने पर बोले कि ज्यादा खाने से नींद आती है और आज तो मुझे सोना भी नहीं है और सोने देना भी नहीं है।
मैं हंस पड़ी।
हमने खाना खाया और बर्तन साफ करके मैं हॉल में आ गई।
ननदोई जी टीवी देख रहे थे, मैंने सोचा पहले नहा लूँ फिर उनके पास जाऊँगी।
मैं सीधे कमरे में आकर नहाने चली गई।
ननदोई जी ने म्यूजिक चला दिया। थोड़ी देर बाद ननदोई जी भी बाथरूम में आ गए और मुझसे लिपट गए।
हम एक दूसरे को चूमने लगे और एक दूसरे को नहलाया ।
उसके बाद ननदोई जी मुझे उठा कर बेड पर ले आये और मुझे पर सवार हो गए।
उन्होंने मेरी टाँगें चौड़ी की, अपना खड़ा लण्ड मेरी चूत में भिड़ाया और उनका लंड मेरी धुली हुई फ़ुद्दी मे प्रविष्ट हो गया।
ननदोई जी के धक्कों से मेरे मुँह से तो सिसकारियाँ रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी।
मैं आआ अह्ह्ह थोड़ाआआ धीरेएए… आआह्ह ओह्ह्ह्ह ईईई थोड़ाआ आह्ह्ह म्म्म्म्म अम्म्म्म !
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पर वो तो जैसे घोड़े पर सवार थे… थोड़ी देर बाद उन्होंने मुझे घोड़ी बना दिया और पीछे से मेरी चूत में अपना लौड़ा डाल दिया।
इसके बाद जो उन्होंने धक्के मारने चालू किये कि क्या बताऊँ… मैं तो बुरी तरह से आगे पीछे हो रही थी, मेरे चूचे तो ऐसे हिल रहे थे की लग रहा था कि ये तो नीचे लटक कर अलग ही जाएँगे…
मेरे मुँह से तो बस अह्ह… ह्ह… ह्ह्ह… धीरे… मर गई… ही निकल रहा था।
और ननदोई जी तो चूत की रगड़ाई, मसलाई, पिसाई में लगे थे।
ननदोई जी बोले- कितने दिनों से ऐसी बहशियाना चुदाई करना चाह रहा था, आज तो मिला है मौका… खूब चिल्ला… और मजे ले…
मुझे अब समझ में आया कि यह म्यूजिक क्यों चला रखा है, ताकि हमारी आवाजें बाहर तक ना जा सकें।
अब तो मैं और जोर से मजे में चिल्लाने लगी।
इससे ननदोई जी और जोश में आ गए और उनकी स्पीड बढ़ गई..
मेरी तो जैसे जान ही निकलने को हो गई..
मै- बस जान… थोड़ाआ… आईईईए धीरेएए…
और मैं आगे खिसक कर उनसे अलग हो गई…
इसके बाद ननदोई जी ने मुझे अपनी गोद में बिठाया और लंड मेरी चूत में डाल कर चुदाई करने लगे।
इस तरह इस आसन में यह मेरा पहल अनुभव था।  ननदोई जी मेरे होंठ चूसने लगे।
इसमें तो बड़ा मजा आ रहा था मेरी सिसकारियाँ तो बस दब सी गई थी केवल ह्म्म म्म्म्म ह्म्म्म्म म्म्म्म्म ही मुँह से निकल रहा था। ननदोई जी कभी कभी मेरे चुचूक चूसते तो बस मजा आ जाता…
काफी देर तक ऐसे ही करने के बाद ननदोई जी ने मुझे ऐसे ही बिस्तर पर लेटा दिया और मुझसे चिपक कर धक्के मारने लगे।
इस बार धक्के ज्यादा अन्दर तक और रुक रुक कर मार रहे थे।
मुझे लग गया कि बस अब वो फारिग होने वाले हैं और मैंने अपनी चूत को थोड़ा और खोल कर उनके वीर्य को उसमें समाने के लिए तैयार कर लिया और कुछ देर में ही सारा माल मेरी चूत में भर गया।
बड़ी गजब की गर्मी थी उसमें, जिसने मुझे पूरा ठंडा कर दिया।
ननदोई जी तो बस निढाल हो कर मेरे ऊपर पसर गए..
मैं भी बहुत थक गई तो ऐसे ही मैं भी सो गई..

सुबह तक तो आँख ही नहीं खुली, बड़ी गजब की नींद आई थी उस रात।
उठ कर देखा तो पाया कि हम दोनों ही नंगे थे और ननदोई जी का लंड अभी भी खड़ा था।
मन किया कि बैठ जाऊँ उस पर !
पर रात बात याद आ गई तो हिम्मत ही नहीं हुई, कहीं सुबह सुबह हालत ख़राब न कर दें..
चाय बना कर ननदोई जी को जगाया, फिर चाय पीते पीते वो फिर मूड में आ गए।
मैंने मना कर दिया कि दिन भर थकान रहेगी, रहने दो, फिर कभी..
ननदोई जी- कोई थकान नहीं होगी।
मैं- कैसे नहीं होगी… रात की अब जाकर हटी है, पूरी रात सोने के बाद !
ननदोई जी- तुम मत करना, मैं कर लूँगा, तुम तो बस लेटी रहना। लेटी रहने से कोई थकान थोड़ी होती है।
पर मैं नहीं मानी तो ननदोई जी ने जबरदस्ती मुझे पकड़ा कर लेटा दिया और कहा- हाथ पैर मारोगी तो थकान होगी।
इस पर मैं मान गई और बेड पर लेट कर अपनी मैक्सी ऊपर कर अपने पैर पसार कर अपनी चूत ननदोई जी के लिए आगे कर दी..
ननदोई जी- यह मैक्सी उतार दो, इसमें मजा नहीं आएगा, जब तक तुम्हारा पूरा नंगा बदन नहीं सामने आता, मज़ा नहीं आता !
और उन्होंने मेरी मैक्सी उतार कर फ़ेंक दी।
ननदोई जी मेरी टाँगों के बीच में आकर अपने लण्ड से मेरी चूत में निशाना लगाने लगे और एक झटके में ही पूरा लंड मेरी चूत की गहराई में उतार दिया..
मेरे मुँह से हल्की सी चीख निकल गई।
ननदोई जी- क्या हुआ? दर्द हुआ..?
मैं- और नहीं तो क्या… ऐसे घुसाते हैं क्या !
ननदोई जी- वो गीली नहीं थी, शायद इसलिए हुआ होगा !
और चालू हो गए..
मैं तो बिस्तर पर ऐसे ही पड़ी रही और मजे लेने लगी।
करीब 10 मिनट की चुदाई के बाद ननदोई जी का सारा माल मेरी चूत में आ गया और वो मेरे ऊपर पसर गए..
मैंने उन्हें हटाते हुए कहा- हो गया ! अब काम कर लूँ या अभी आग ठंडी नहीं हुई है?
ननदोई जी हांफ़ते हुए कहने लगे- हो गया… कर लो…
मै- अब और नहीं करेंगे… पैकिंग भी करनी है मुझे…
ननदोई जी- ठीक है…
मैं मैक्सी पहन कर आ गई और घर के काम में लग गई।
दिन भर ननदोई जी शांत ही रहे। शाम को हमें निकलना था इसलिए मै पैकिंग में लग गई।
शाम को करीब 3 बजे मैंने ननदोई जी से तैयार होने को कहा और खुद भी तैयार होने लगी..
मुझे करीब आधा घंटा लगा तैयार होने में और जब बाहर आई तो देखा ननदोई जी तो वैसे के वैसे ही हैं, तैयार नहीं हुए।
पूछने पर कहने लगे- मैं तो ऐसे ही जाऊँगा।
मैं- कैसी लग रही हूँ?
ननदोई जी- कातिल लग रही हो।
मैं- मतलब?
ननदोई जी- बड़ी सुन्दर लग रही हो… जी कर रहा कि बस चिपक ही जाऊँ…
मैंने सोचा कि चिपक तो सकती ही हूँ तो मैंने अपनी बाहें फैला ली।
ननदोई जी तुरन्त उठे और मुझे लिपट गए, मेरे होंट चूसने की कोशिश करने लगे।
मैं- मेरी लिपिस्टिक ख़राब हो जाएगी, बड़ी मेहनत से लगाई है।
ननदोई जी- कोई बात नहीं, फिर लगा लेना, अगर चूमूंगा नहीं तो मजा भी नहीं आएगा।
मैंने सोचा कि कोई बात नहीं, लिपिस्टिक तो फिर लगा लूंगी, पर यह मेरी गलती थी।
वो मेरे होंट चूसने लगे और मेरे चूतड़ों को जोर से दबाने लगे, मेरी कमर पर हाथ फेरने लगे।
इसमें मुझे अच्छा लग रहा था तो मैं कुछ नहीं बोली।
धीरे धीरे मेरी इच्छा भी होने लगी।
इतने में ही ननदोई जी ने पता नहीं कैसे मेरे पेटीकोट का नाड़ा ढूंढ कर खींच दिया।
साड़ी भारी थी तो पेटीकोट और साड़ी नीचे गिर गई।
ननदोई जी नीचे झुके और मेरी पैंटी के ऊपर से ही मेरी चूत चाटने लगे।
मेरे तो सारे शरीर में करंट दौड़ गया, पांव जमीं पर टिक ही नहीं रहे थे।
मैं बड़ी मुश्किल से ननदोई जी के बाल पकड़ कर खड़ी रही…
ननदोई जी मुझे धीरे धीरे बिस्तर की ओर सरकाने लगे और बिस्तर के पास जाकर तो मैं सीधे पसर गई।
ननदोई जी ने मेरी पैंटी उतार कर चूत चाटनी शुरु कर दी। मैं तो जैसे जन्नत में ही पहुँच गई थी।
अब ननदोई जी ने चूत चाटते चाटते ही मेरा ब्लाऊज़ और ब्रा हटा दी।
कुछ देर बाद ऊपर सरक कर मेरे चूचे चूसने चालू कर दिए। मुझे इस बार बड़ा मजा आ रहा था।
मैं तो बस आँखें बंद कर मजे लूट रही थी और ननदोई जी मुझे लूट रहे थे।
थोड़ी देर बाद ननदोई जी ने अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया और चुदाई चालू कर दी।
उन्होंने कई तरह के आसनों से मेरी चुदाई की, मुझे सभी में मजा आया और दो बार मैं झड़ भी चुकी थी।
थोड़ी देर बाद ननदोई जी ने मुझे उनका लंड चूसने को कहा और मैं उनके लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी।
इस बार चूसने में ज्यादा मजा आ रहा था।
तभी ननदोई जी बोले- जान, क्या तुम पीछे से करने दोगी?
मैं- दर्द होगा !
ननदोई जी- मजा भी तो आएगा ! और फिर पता नहीं अब कब मौका लगेगा। मैं एक बार तुम्हारी गांड में अपना वीर्य डालना चाहता हूँ।
मैं मना नहीं कर पाई क्योंकि उन्होंने मुझे बड़े मजे दिए थे, मेरी चुदने की सारी इच्छा पूरी की थी।
मै मान गई और उठ कर क्रीम लेकर आई।
मैंने उल्टी होकर अपनी अपनी गांड ननदोई जी की तरफ कर दी। ननदोई जी उठे और क्रीम मेरी गांड के छेद पर लगा दी और उसे मसलने लगे तभी उन्होंने अपनी एक अंगुली मेरी गांड के छेद में डाल दी।
मैं तो आगे हो गई..
ननदोई जी- क्या हुआ?
मैं- कुछ नहीं… बस ऐसे ही !
अब ननदोई जी फिर से अंगुली डाल कर छेद को लंड के लिए तैयार करने लगे।
अब तो मुझे भी मजा सा आने लगा था।
थोड़ी देर बाद ननदोई जी उठे और मेरी गांड और टाँगों को थोड़ा फैलाया और गांड के छेद पर लंड लगाने लगे।
मुझे पता था कि दर्द होगा और एक बार पहले ही वो ऐसा कर चुके थे।
मैंने आँखें बंद कर ली और मुँह तकिये में छुपा लिया कि कहीं मेरी चीख ज्यादा तेज हो और आवाज बाहर चली जाये।
पर इस बार लंड धक्के से साथ फिसल गया क्योंकि मैं आगे सरक गई थी।
ननदोई जी- जानू, आगे मत जाओ वर्ना यह अन्दर नहीं जायेगा।
मैं- क्या करूँ… दर्द होता है तो आगे अपने आप ही हो जाती हूँ।
इस पर ननदोई जी ने मेरी कमर को कस कर पकड़ा और लंड को आगे धक्का दिया और मेरी कमर को पीछे खींचा।
इस बार लंड गांड के अंदर चला गया और मेरी तो जान ही गले में आ गई।
“आइ… इइइइइइइइइइ… इस्स्सीईईईईईए… बाहाआआआआईईईईईईईई रर निकालो… मर गई !
इस पर ननदोई जी ने लंड थोड़ा पीछे किया तो जैसे जान में जान आई, वो वहीं पर लंड को आगे पीछे करने लगे।
अब दर्द थोड़ा काम हुआ था कि इस बार ननदोई जी पूरा जोर लगा कर जोर से धक्का दिया।
इस अचानक हमले से मैं तो घबरा ही गई और मुंह तकिये में दबा कर चीखने और रोने लगी।
ऐसा लग रहा था कि मेरी गांड फट गई और उसमें से खून आने लगा हो।
ननदोई जी धीरे धीरे लंड को आगे पीछे कर रहे थे।
अब दर्द कम होने लगा और कुछ राहत महसूस हुई।
इतने में ही मेरे पति का फ़ोन मेरे मोबाइल पर आ गया।
मैं तो डर ही गई।
ननदोई जी- बात कर लो, क्या कह रहा है।
मैं- नहीं… मुझे डर लग रहा है।
ननदोई जी- उसे कौन सा मोबाइल में दिख जायेगा कि तुम नंगी हो और अभी मुझ से चुद रही हो।
इस पर मैंने फ़ोन उठाया और कहा- हम निकल ही रहे हैं।
मेरे पति भी कहने लगे- आ जाओ ! मुझे चोदने का मन है।
मैंने ‘रात को…’ कह कर फ़ोन काट दिया।
ननदोई जी ने पूछा- क्या होगा रात को?
मैं- अब रात को वो भी चोदने के लिए कह रहे हैं। मैं कितनी बार चुदूँ?
ननदोई जी- जान, तुम चीज ही ऐसी हो कि कोई तुम्हें देखे तो बस चोदने की ही सोचेगा। और मैं तो बस 24 घण्टे तुम्हें चोदना चाहता हूँ।
मैं- अच्छा चलो फिर अभो तो पूरा करें !
और ननदोई जी चालू हो गए।
अब तो ननदोई जी ने धक्के के लिए भी सही जगह बना ली, वो धक्के तेज करने लगे।
दर्द तो काम हो गया था और मजे भी आने लगे..
थोड़ी देर बाद ननदोई जी ने मुझे बिस्तर पर उल्टा ही लेटा दिया और मेरी गांड मारने लगे..
करीब 5 मिनट बाद उन्होंने लंड पूरा अंदर घुसा कर रोक लिया और पूरा वीर्य मेरी गांड में भर दिया और हम ऐसे ही पड़े रहे।
काफ़ी देर बाद मैं उठ कर फिर नहा कर तैयार होकर आई और हम लोग शादी के लिए निकले..
ये मेरी चुदाई की सबसे अच्छे दिन थे जब मैंने पूरे मजे लिए और दिए…
मैं शादी के बाद से ही ऐसी चुदाई के सपने देखा करती थी जो अब पूरे हुए।
इसके बाद ननदोई जी ने मुझे रास्ते में गाड़ी की पिछली सीट पर चोदा जो बड़ा मजेदार अनुभव रहा था और रात को मेरे पति ने…

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मेरी चीखें निकलवा दी ननदोई जी ने