नीतू और मेरा तन-मिलन

नीतू और मेरा तन-मिलन

लेखक : लवली सिंह

दोस्तों मैं लवली, फगवाड़ा पंजाब, से आपके लिए अपनी पहली कहानी लेकर हाजिर हूँ। मैं वैसे तो गाँव से हूँ पर 4 साल पहले इंजीनियरिंग करने के लिए फगवाड़ा के कालेज में प्रवेश लिया था। तब से मैं फगवाड़ा में मामा घर ही रहता हूँ।

मामा के घर में मैं, मामा, मामी और उनके दो बच्चे रहते हैं। मामा सुबह काम पर जाते हैं और शाम को वापिस आते हैं। मामी घर पर अकेली होती हैं तो उनकी सहेलियाँ उनसे मिलने के लिए आ जाती हैं। उनकी एक सहेली जिसका नाम नीतू है वो मुझे बहुत सेक्सी लगने लगी क्यूंकि उसके बड़े बड़े मम्मे मेरा होश उड़ा ले जाने लगे थे और उसकी गांड का क्या बताऊ दोस्तों, शकीरा जैसी थी।

मैं जब भी उसको देखता, बस देखता ही रह जाता। इतनी सुन्दर हुसन परी थी वो कि 35 साल की उम्र में भी 21 साल की लगती थी। उसको चोदने के ख्याल मेरे दिल और दिमाग में पनप चुके थे। मैं तो उस घड़ी की इंतज़ार में था कि कोई मौका मिले और मैं उसकी मस्त जवानी का लुत्फ उठा सकूँ।

एक दिन मैं कॉलेज से वापिस आया और देखा कि मेरी हुस्न परी लॉबी में बैठी है, मामी जी कहीं जाने की तैयारी कर रही थी और नीतू उनकी मदद कर रही थी।

मेरी नज़र कभी नीतू के कूल्हों पर और कभी मम्मों पर घूम रही थी तो अचानक मामी जी ने कहा- थोड़ी मदद कर दे अभी हमारी, नीतू को बाद में देख लेना, आज शाम का खाना नीतू ही बना कर खिलाएगी तुम्हें क्यूंकि हम आज अमृतसर जा रहे हैं।

मेरे दिल में लड्डू फूटने लगे और उधर नीतू मुस्कुरा रही थी।

थोड़ी देर बाद मामा, मामी और उनके बच्चे अमृतसर के लिए निकल गए। नीतू मुझे कह कर चली गई कि थोड़ी देर में आएगी क्यूंकि उसके घर में उसका एक साल बच्चा शरण अकेला सो रहा था।उसका पति डेढ़ साल से अमेरिका में है और वो यहाँ अकेली रहती है अपने एक साल के बच्चे के साथ। ज़ाहिर है कि उसकी चूत लंड के लिए तड़प रही होगी। बस मेरा काम अब उसी तड़प को शांत करना था।

करीब शाम को सात बजे नीतू आई और उसको देख कर मेरे होश उड़ गए। क्या सेक्सी लग रही थी वो ! मानो परी आ गई हो।

तंग पाजामी और उभरे हुए मम्मे मेरी जान निकाल रहे थे।

आते ही उसने मुझे कहा- लवली, तुम शरण को सम्भालो, मैं रसोई में रात का खाना तैयार करती हूँ।

मैंने बच्चा पकड़ते वक़्त उसके मम्मों को छू लिया तो वो मुस्कुरा कर चली गई।

यह मेरे लिए ग्रीन सिग्नल था। मैं उसके बच्चे के साथ खेलता रहा और 8:30 हो गए। उसने खाना तैयार करने के बाद मुझे आवाज़ लगाई कि शरण को लेकर आ जाऊँ।

हम दोनों ने खाना खाया और साथ साथ में उसने अपने बच्चे को भी दूध पिलाया। बर्तन साफ़ करने के बाद वो जाने लगी तो मैंने उसे रोका- आज रात यहाँ पर ही रुक जाओ। मुझे अकेले को डर लगता है।

उसने झट से हाँ बोल दिया, जैसे वो पहले से चाहती हो, उसने कहा- अगर तुम्हें डर लगता है तो मैं तुम्हारे कमरे में ही सो जाती हूँ। मेरी ख़ुशी का कोई अंत नहीं था। हम दोनों बेड पर लेट गए और वो अपने बच्चे को दूध पिलाने लगी। उसके सुंदर मम्मे मेरे सामने थे। मैंने कहा- आंटी जी, मुझे भी दुधु पीना है।

वो मुस्कुराने लगी और बोली- शरण को सोने दो, फिर तुम्हें भी दुधु पिला दूंगी मेरे लाल !

मुझे समझ में आ चुका था कि आज नीतू पूरी प्लानिंग के साथ आई है अपनी प्यास बुझाने के लिए। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

शरण सो गया तो उसको साइड में लेटा कर नीतू मेरी तरफ आ गई और अपना सूट उतार दिया और ब्रा भी खोल दी।

मेरी आँखें फटी की फटी रह गई। मैंने झट से उसके मम्मे चूसने शुरू कर दिए, वो मस्ती में आहें भरने लगी और मेरे सर पे हाथ फेरती रही।

मैंने दूध पिया और फिर उसके होंठ चूसने लगा। वो पूरी मदहोश हो चुकी थी। वो अब तंग पाजामी में थी। मैंने उसकी पाजामी को उतार दिया और पैंटी भी उतार दी, अपने कपड़े भी उतार दिए।

तब मैंने उसके कूल्हों को चूमना शुरू किया। बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। मैंने उसको सीधा लेटाया और उसकी चूत पर होंट रख दिए। मेरी जीभ उसके दाने को जब छूती तो वह एक जोर से आअह भरती तो और मेरे बदन में जोश भर जाता।

वह लगातार मादक आहों से मुझे मदहोश किये जा रही थी। फिर उसने ऊपर आके मेरा 6 इंच का लंड पकड़ कर मुँह में डाल लिया और पूरे जोश में चूसने लगी।

मेरा अपने ऊपर कोई कण्ट्रोल नहीं रहा और उसको लेटा कर टाँगें ऊपर उठा कर लंड चूत के द्वार पर रख के जोर का झटका मारा और पूरा लंड चूत में घुस गया।

नीतू चिल्लाने लगी- निकालो, निकालो।

पर मैं पूरे जोश में था, मैंने लंड अंदर बाहर करना शुरू कर दिया। मैं तेज तेज लंड से घर्षण कर रहा था। दोनों अंतर सुख ले रहे थे। वो भी मेरा साथ देने लगी, फच फच की आवाज़ों से कमरा गूँज रहा था।

कुछ देर बाद मैंने उसको घोड़ी बनने के लिए कहा तो वो झट से घोड़ी बन गई और मैंने लंड पीछे से चूत में डाल दिया और तेज तेज घर्षण करना शुरू कर दिया। उसकी मोटी गांड पर जोर जोर से जांघें बज रही थी। दोनों पूरे जोश में सेक्स का मज़ा ले रहे थे। तो इतने में उसने कहा- मेरा होने वाला है मेरे लल्ला !

मैंने पूछा- मेरा भी, कहाँ छोड़ूँ?

उसने कहा- अपनी मामी की चूत में !

मैंने कहा- मामी यहाँ कहाँ?

उसने कहा- मामी की सहेली भी तो मामी ही हुई ना !

मैं और तेज हो गया और उसकी चूत में झड़ गया। फिर हमने दो बार और सेक्स किया और एक दूसरे की बाहों में लिपट कर सो गए। इसके बाद से हमें जब भी मौका मिलता है, हम सेक्स का मज़ा लेते हैं।

मेरी पहली कहानी कैसी लगी, जरूर लिखिए।

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प्रकाशित : 15 अक्तूबर 2013

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