चूत की खिलाड़िन-6 – Antarvasna

चूत की खिलाड़िन-6 – Antarvasna

कुछ देर बाद उसने मेरी चूत में 3-4 धक्के और मारे और अपने वीर्य कि मेरी चूत की कन्दरा में भर दिया।

अब हम दोनों चिपक कर बातें करने लगे, देवर ने बातें करते करते मेरी गांड में उंगली घुसा दी और भोले बनते हुए पूछा- भाभी, गांड में भी लंड डाला जाता है ना?

मैंने उसके गाल नोचते हुए कहा- जहाँ छेद हो, लंड तो वहाँ घुस ही सकता है, लेकिन जो मज़ा चूत चोदने का है, वो किसी और जगह का नहीं है। तेरे भैया गांड चोदते हैं, इसी कारण जल्दी झड़ जाते हैं। गांड कभी मत चोदना, लंड कमजोर हो जाता है। दुनिया में जानवर तक गांड नहीं चोदते।

मैं नहीं चाहती थी कि शादी के बाद देवर मेरी बहन की गांड मारे।देवर मेरी बातों से संतुष्ट दिख रहा था। इसके बाद मैंने उसके होंटों पर एक पप्पी ली और बोली- लेकिन पीछे से चूत मारने का मज़ा अलग ही है… अब जरा पीछे से एक बार मेरी चूत चोद दो।

मैं बिस्तर पर चूतड़ उचका कर लेट गई।

देवर अब एक अच्छा चोदु हो गया था, उसने बिना देर किये अपना लंड मेरी चूत में घुसा दिया और पीछे से मुझे चोद दिया। एक बार दुबारा मैं वीर्य से नहा गई थी।

अगले दिन से देवर ने मेरे कहे अनुसार दाढ़ी बढ़ानी शुरू कर दी, उसने मुझसे वादा जो किया था। जब 10 दिन बाद दाढ़ी अच्छी बढ़ गई तो सासू ने बहुत कहा लेकिन उसने दाढ़ी नहीं बनाई।

अगले दिन चमेली मेरे सामने कुछ कागज सासू जी को दिखाती हुई बोली- माताजी, ये कागज मुझे विनोद भैया के कमरे से मिले हैं। उन कागजों पर मैंने जान कर खून से ‘आई लव यू रजनी !’ 5-6 बार अपने हाथों से लिख कर चमेली को दे दिया था।

चमेली बोली- माताजी, भैया की हालत ठीक नहीं है। रोज़ शाम को 3-4 दिन से वो शाम को जंगल वाले हनुमान जी के मंदिर के पास जो रेलवे लाइन है उस पर खड़े रहते हैं। कल मैं आपको ले चलूँगी।

मैंने शाम को देवर से कहा- दूसरी बात कल मैं तुम्हें शाम को 4 बजे जंगल वाले हनुमान जी जो रेलवे लाइन के पास है, वहाँ आकर बताऊँगी, अगर मैं 5 बजे तक नहीं आती हूँ तब तुम वापस आ जाना।

अगले दिन चमेली मेरे कहे अनुसार मेरी सास को तीन बजे ही रेलवे लाइन पर ले गई। देवर चार बजे वहाँ पहुँचा और मेरा इंतज़ार करने लगा।

यह सब देखकर सास बहुत डर गई कि कहीं विनोद कट के मर न जाए, दौड़ती हुई विनोद के पास गई और हाँफते हुए बोली- तू घर चल ! मैं तेरी शादी रजनी से करा दूँगी, मुझे कुछ नहीं चाहिए।

देवर कुछ समझ नहीं पाया, वो सासू के साथ वापस आ गया। घर आते ही सास घबराते हुए बोली- रसीली, मैं शादी के लिए तैयार हूँ, मुझे कुछ नहीं चाहिए।

मैंने उन्हें पानी दिया और बोली- मम्मीजी, आप पानी पियें, कल हम इस बारे में बात करेंगे।

मेरा प्लान सफल हो गया था। मैंने शाम को ही देवर की दाढ़ी बनवा दी।

अगले दिन सास से मेरी बात हुई, वो शाम की घटना से डरी हुई थीं, बोली- मुझे पैसे वैसे कुछ नहीं चाहिए। जैसा तुम लोग चाहो, वैसे शादी हो जाएगी।

मैंने उनसे कहा- मेरा भाई कमाने लगा है, पापा मम्मी शादी तो अच्छी करेंगे लेकिन नकद पैसा नहीं दे पाएँगे।

सब बात हो गई। मैंने दो लाख रुपए अपनी माँ के पास पहले ही रखवा रखे थे। इसलिए धूमधाम से शादी में कोई दिक्कत नहीं थी। अगले दिन मैं अपने मायके जाने के लिए तैयार होने लगी। घर पहुँच कर मैंने सारी बात अपनी माँ को बताई, माँ बहुत खुश हुई। जब मैंने माँ से कहा कि मैं दो लाख की शादी बोल आई हूँ और मैंने उनके पास जो दो लाख रखवाए थे उनसे शादी हो जाएगी।

माँ बोली- लेकिन वो तो खर्च हो गए।

यह सुनकर मेरे पैरों के नीचे से जमीन सरक गई, मैंने चिल्लाते हुए कहा- इतने पैसे कहाँ गए?

माँ बोली- बेटी 50 हज़ार तो तेरे भाई को दिल्ली में कंप्यूटर कोर्स कराने में लग गए, उसके बाद ही उसकी नौकरी लग पाई थी। पचास… एक बार…

माँ कुछ हिचकिचा रही थीं, मैंने कहा- बोलो जल्दी बोलो !

माँ बोली- एक बार तेरा भाई एक रंडी के साथ होटल में पकड़ा गया था, 50 हज़ार उसे छुड़ाने में लग गए और कुछ तेरे पापा ने घर में खर्च कर दिए, थोड़े से बैंक में हो सकते हैं।

मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था, बैंक की पासबुक लेकर मैं भागकर बैंक गई। बैंक में 20 हज़ार थे। एक लाख के अलावा हर हफ्ते कभी 10 कभी 5 हज़ार निकाले गए थे। पासबुक मेरे और पापा के नाम थी। मन ही मन मैं बुदबुदा रही थी- साली बड़ी बेटी तो गरीबी के चक्कर में बुड्ढे से ब्याही गई, छोटी का भी यही हाल न हो। पैसे की इज्जत करना ही नहीं जानते तभी तो गरीबी सर चढ़कर बोल रही है।

20 हज़ार रुपए मैंने निकाल लिए और वापस घर आ गई।

शाम को ऊपर का कमरा साफ़ कर रही थी तो मैंने देखा वहाँ 3-4 विदेशी शराब की बोतलें पड़ी थीं, सबका MRP 5-6 हज़ार के बीच था। मुझे समझ में आ गया कि बाप ने पैसे विदेशी शराब में उड़ा दिए। अपने पर भी गुस्सा आ रहा था कि पैसे घर में क्यों रखवा दिए थे। भाई को फ़ोन किया- कुछ पैसे दे दे बहन की शादी के लिए !

उसका जवाब ही उल्टा था- दीदी मैं कहाँ से दे दूँ? मुझे तो दस हज़ार भी नहीं पड़ते नौकरी में !

मुझे गुस्सा आ रहा था, साले रंडी बजाने के लिए कम नहीं पड़ते, घर में देने के लिए कम पड़ रहे हैं।

मैं बड़ी दुविधा में पड़ गई थी कि दो लाख कहाँ से आएँगे। घर का हाल मैंने देख लिया था। मुझे पता था कि अगर मेरे देवर से बहन की शादी नहीं हो पाई तो उसकी आगे की जिंदगी ख़राब है।

अपनी बहन की शादी कराने के लिए मैं तो कोठे पर बैठने को भी तैयार थी लेकिन 5-7 बार चुदने के कौन दो लाख दे देता, ऊपर से मेरा घर टूटने का खतरा और था। किसी तरह से मैंने इन 20 हज़ार रुपयों में बहन की सगाई की और ससुराल वापस आ गई।

ससुराल में अगले दिन जब चमेली ससुर की मालिश कर रही थी तब मेरे दिमाग में एक प्लान आया। कुछ दिन बाद मेरी सास को अपने भाई के घर 2-3 दिन को जाना था। मैंने चमेली को चार सौ रुपए दिए और उससे कहा- तू 7 दिन की छुट्टी मार दे।

अगले दिन से चमेली छुट्टी पर थी, ससुर 3-4 दिन बाद सोमवार को बिना मालिश के परेशान दिख रहे थे, सास घर में नहीं थीं। मैं उन्हें अर्धनग्न ब्लाउज और पेटीकोट में चाय देने गई, मैंने पूछा- पापा जी आपकी तबीयत तो ठीक है? शरीर में कुछ दर्द हो रहा है क्या?

ससुर खी खी करते हुए बोले- हाँ दर्द तो हो रहा है, मालिश की जो आदत पड़ गई है। मैं अपनी नाभि पर उंगली घुमाते हुए बोली- कल मम्मीजी 3 दिन के लिए मामा के यहाँ जा रही हैं अगर आप बुरा न मानें तो कल से मैं आपकी मालिश कर दूंगी लेकिन आप किसी से भूलकर भी यह मत बताना।

इतना सुनते ही ससुर के लंड में हलचल हुई और वो बोल उठे- तेरी मर्ज़ी ! मैं किसी को नहीं बताऊँगा।

अगले दिन सास सुबह निकल गई, मैं और ससुर घर में अकेले थे।

सुबह को ससुर बैचेनी से इधर उधर टहल रहे थे। मैं सीधी सी बनी हुई अपना काम कर रही थी। थोड़ी देर बाद उनसे रहा नहीं गया और बोल पड़े- रसीली तू कल कुछ कह रही थी !

मैंने अनजान बनते हुए कहा- क्या कह रही थी?

ससुर नज़रें नीची करके बोले- वो तू मालिश के लिए कह रही थी !

मैं सर पर झटका देती हुई बोली- ओह पापाजी, मैं तो भूल ही गई थी, आप कमरे में पहुँचें, मैं आ रही हूँ !

थोड़ी देर बाद मैं ससुर के कमरे में आ गई। ससुर जी कुछ शरमा भी रहे थे, मैंने कहा- पापाजी, हम और आप अकेले हैं, आप कपड़े उतार दीजिये।ससुर ने अपनी धोती कुरता उतार दिया देसी चड्डी में उनका तना हुआ लंड साफ दिख रहा था। वो पेट के बल लेट गए, मैंने पीछे से पीठ पर उनके धीरे धीरे मालिश शुरू कर दी। मालिश करते करते मैं बोली- पापाजी मैं साड़ी उतार देती हूँ, वर्ना गन्दी हो जाएगी।

10 मिनट बाद मैंने उठकर ससुर के सामने अपनी साड़ी उतार दी और पेटीकोट जानबूझ कर काफी नीचे बाँध लिया मेरा चिकना पेट और गर्भ प्रदेश पापाजी का लंड गरम किये हुए था।

इसके बाद अंगड़ाई लेकर मैं बोली- अब मैं आपके पेट और सीने पर मालिश कर देती हूँ।

मैं पलंग पर बैठ गई और बोली- आप शर्म छोड़कर सीधे लेट जाओ।

ससुर जी लेट गए, उनके सीने पे दोनों हाथों से मैंने निप्पल नोचते हुए मालिश शुरू की और पूरे बदन पर 5 मिनट तक हाथ फिराया। लंड उनकी अंडी में पूरा टनक रहा था, वो मेरी चूचियों के उभार पर अनजान बन कर हाथ लगा देते थे, मेरा हाथ भी एक दो बार उनके तने हुए लंड से टकरा चुका था।

मालिश करने में मेरे ब्लाउज के बटन खुल गए थे सिर्फ दो बटन लगे हुए थे नीचे कुछ पहने नहीं थी बार बार नंगे दूध हिल रहे थे और बुड्ढे के बदन में आग लगा रहे थे, ससुर से रहा नहीं गया, उन्होंने कस कर मेरी चूचियाँ दोनों हाथों से दबा दीं।

मैंने नकली गुस्सा दिखाते हुए कहा- पापाजी, गंदी बात !

ससुर झेंप गए।

कुछ देर बाद मैंने ससुर का कच्छा ऊपर उठाते हुए जाँघों की मालिश शरू कर दी। हाथ जब भी उनकी जंघा पर पहुँचता उनके टट्टों और लंड का स्पर्श होता था। मेरी बुर का बुरा हाल हो रहा था, मन कर रहा था कि सब कुछ भूल कर लंड चूत में घुसवा लूँ। लेकिन इस चूत के खेल में जल्दबाजी करना मुझे सही नहीं लगा।

ससुरे की तारीफ़ थी, 50 का हो रहा था लेकिन इतनी गरम मालिश के बाद भी लंड पूरा हथोड़े की तरह तना हुआ था। मालिश करने में अब मेरे ब्लाउज के सारे बटन खुल गए थे और मेरी दोनों चूचियाँ बाहर निकल आइ थीं।

इसके बाद मैं उठकर बोली- पापाजी आपने कच्छा नाभि के बहुत ऊपर बाँध रखा है अगर आप बुरा नहीं मानें तो तो जो थोड़ा पेट बचा है उस पर भी मालिश कर दूँ।

ससुर बोले- जल्दी से कर दे ! बड़ा मज़ा आ रहा है।

मैंने उनके कच्छे का नाड़ा खोल दिया और अपना हाथ थोड़ा सा अंदर घुसा दिया और नाभि के चारों तरफ मालिश शुरू कर दी। बार बार मेरे हाथ उनके टनटन करते लंड के टोपे से टकरा रहा था।

कहानी जारी रहेगी !

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