मेरी प्यास बुझा दे – Antarvasna

मेरी प्यास बुझा दे – Antarvasna

प्रेषक : हर्ष गुप्ता

नमस्कार दोस्तो, मैं हर्ष गुप्ता आप सबके सामने अपनी मामी के साथ हुई पहली चुदाई की घटना लेकर हाज़िर हूँ।

मैं बहुत दिनों से अन्तर्वासना से जुड़ा हुआ हूँ मैंने यहाँ बहुत सी कहानिया पढ़ी है वैसे मैं अपने बारे में बता दूँ कि मैं अपनी पहली चुदाई से लेकर अब तक शादीशुदा औरतों, मम्मियों, भाभियों और उम्रदराज औरतों का बहुत बड़ा पुजारी हूँ।

मैं 23 साल का हूँ, भोपाल का रहने वाला हूँ और अभी अभी मैंने अपनी इंजिनियरिंग कॉलेज की पढ़ाई ख़त्म की है।

मेरे घर पर मैं, मेरे पिताजी, माँ, मेरे दादा दादी और मेरे बड़े भैया रहते हैं।

मेरी मामी के बारे में आप सबको एक ज़रूरी बात बता दूँ कि उनकी उमर 36-37 वर्ष के आस पास होगी और वो दो बच्चों की माँ है। उनका फिगर 32-34-36 है, देखने में वो चिकनी मोटी सी हैं, उनके चूतड़ किसी बुड्ढे के लंड को भी खड़ा कर दें, ऐसी मस्त है, एक और बात बता दूँ, मेरी मामी की उमर का उनके चहेरे पर कोई असर नहीँ हुआ है, अभी भी उनके चेहरे से वो ज़्यादा से ज़्यादा 27-28 की लगती हैं।

एक बात और बता दूँ, उनके पति मतलब मेरे मामाजी का आठ साल पहले किडनी स्टोन का ऑपरेशन हुआ था और उसकी वजह से मामा चाहते हुए भी मामी को चोदने में असमर्थ थे।

सीधे मुद्दे पर आता हूँ, मैंने अपनी दूसरे वर्ष की परीक्षा ख़त्म की और कोलेज की छुट्टियाँ चल रही थी। उस समय घर पर बड़े भैया की सगाई का उत्सव था जिसमें मेरे घर पर बहुत से मेहमान आए हुए थे, जिनमें एक यह मामी भी थी।

उस दिन सगाई के कार्यक्रम के बाद रात में सब मेहमान वापस चले गये कुछ घरे में रुके हुए थे, सो वो थे।

रात को खाना खाने के बाद जब मैं सोने जा रहा था पर मेरे कमरे में कुछ मेहमान थे तो मेरी माँ ने मुझे घर के अंदर वाले कमरे में जाकर सोने के लिए कहा।

जब मैं अंदर वाले कमरे में पहुँचा तो देखा वहाँ मामी सो रही हैं।

उन्हे देख कर मैंने कहा- मामी, आप यहाँ सो रही ना?

तो उन्होंने कहा- तू भी यहीं सो जा ! तेरे कमरे में बड़ी मम्मी और कुछ लोग सोए हुए हैं।

मैंने मामी की बात मान ली और उनके बगल में सो गया। रात को सब ही जल्दी सो गये।

रात के दो बजे होंगे, मैं बाथरूम जाने को उठा। जब मैं उठा तब मेरा ध्यान मामी की चूचियों पर गया जो साड़ी हटने के कारण ब्लाउज़ में से बाहर आने को बेताब थी। उनके वो गदराए कबूतर तो कयामत ही ढा रहे थे और उनकी साड़ी टाँगों के ऊपर चढ़ आई थी तो उनकी गदराई टांगें भी मुझे उत्तेजित करने के लिए काफ़ी थी।

मैं उनके बारे सोचता हुआ पेशाब करने बाथरूम गया और मैंने मुठ मार ली।

मैं लौटकर वापस आया वापस आया तो देखा कि उनकी चूचियाँ और बाहर आ गई हैं।

सच बताता हूँ दोस्तो, उनकी चूचियाँ मेरे लंड को फिर से खड़ा करने के लिए काफ़ी थी, मैं जाकर मामी के पास लेट गया। अब मैंने देखा उनके ब्लाऊज़ का हुक पीछे से खुल गया था, जिसके कारण उनकी गोरी चिकनी पीठ मुझे दिख रही थी।

मुझसे भी रहा ना रहा गया और मैंने धीरे से उनकी पीठ को चूम लिया। इस समय तक तो मेरे लॅंड राज महाराज मेरी चड्डी में घमासान मचा चुके थे !

मुझसे रहा ना गया और मैंने फिर मूठ मारने का निश्चय किया, अबकी बार मैंने बिस्तर पर ही अपनी चड्डी में से लंड बाहर निकाला जैसे कि पेशाब करते वक्त निकलते है और अब मैं ऐसी अवस्था में आ गया कि मामी की टाँगों के पास मेरा लंड और उनके पेट के पास मेरा मुँह हो, और मैंने उनकी टाँगों को देखते हुए मूठ मारनी चालू की। मूठ मारते वक्त मुझे उनके पेट और उनके बदन से आती मादक खुश्बू पागल किए जा रही थी, मुझसे रहा ना गया और मैंने उनके पेट पर एक चुंबन ले लिया।

मूठ के जोश में मैं बहुत ज़ोर से मूठ मार रहा था कि मेरा हाथ ज़ोर से मामी की टाँगों पर जा लगा जिससे की मामी की नींद खुल गई।

अब मैं बहुत घबरा गया।

मामी उठ कर बैठ चुकी थी और उन्होंने अपनी साड़ी ठीक करते हुए मुझे कहा- ये क्या कर रहे हो हर्ष?

मेरे दिल की धड़कनें तेज हो गई, मैंने तुरंत अपना लॅंड अपनी चड्डी में डाला और उनसे माफी माँगने लगा- मामी, मुझे माफ़ कर दो ! ग़लती हो गई !

मामी ने मुझे कहा- ये क्या कर रहे थे तुम? बताऊँ तुम्हारी मम्मी को?

मैंने सोचा कि आज तो मैं गया ! आज मेरी जमकर पिटाई होगी, मैंने मामी को हाथ जोड़कर कहा- मामी, मुझे माफ़ कर दो, आप जो बोलोगी, मैं वो करूँगा।

मामी ने मुझे कहा- मैं जो भी कहूँ, करोगे?

फिर उन्होंने कहा- अरे अपना इतना अनमोल वीर्य बर्बाद क्यों करते हो, इसे मुझे ही दे दो।

अब मैं समझ गया कि मामी की क्या इच्छा है।

अब मैं सीधे ही उन पर टूट पड़ा, मैंने उन्हें अपनी बाहों भरकर उनके अधरों का चूमना चालू कर दिया, फिर उनके चूचे दबाने लगा।

उन्होंने मुझे दूर करते हुए कहा- इतने उतावले क्यों हो रहे हो? ज़रा प्यार से करो, सारी रात हमारी है।

आख़िर अब उन्होंने खुद ही अपना ब्लाऊज़ उतार दिया और मुझे अपनी बनियान उतरने को कहा।

अब हम दोनों एक दूसरे की बाहों में बाहें डाल एक दूसरे को चूस रहे थे, मेरा एक हाथ उनकी गांड दबा रहा था और दूसरे हाथ से मैं उनकी पीठ सहला रहा था, उनका एक हाथ मेरे लंड पर था।

चिपकते चिपकते उन्होंने मुझसे कहा- मेरी प्यास बुझा दे हर्ष ! मैं कई सालों से प्यासी हूँ। तेरे मामा के ऑपरेशन के बाद से वो मुझे चोद नहीं पाए क्योंकि उनके पेशाब से खून आता है और वो नहीं चोद पाते।

मैंने उनसे कहा- मेरी प्यारी मामी, मैं आपको संतुष्ट कर दूँगा !

फिर मैंने उन्हें साड़ी उतारने के लिए कहा और खुद भी अपनी पैंट और चड्डी उतार फेंकी। अब हम दोनों पूरी तरह नंगे बदन थे, सच कहता हूँ दोस्तो मेरी मामी का मस्त गदराया हुआ शरीर देख मेरा लण्ड 90 डिग्री पर आ गया था।

अब मैंने उन्हें अपनी बाहों में लिया और बिस्तर पर लेट गया इस तरह कि वो मेरे नीचे और मैं उनके ऊपर !

अब मैंने उनके गदराए हुए चुच्चों पर अपनी जीभ फेरना चालू की, उनके मुँह से कामुक सिसकारियाँ निकलने लगी। मैंने उनके एक चुचे को दबाना चालू रखा और मेरा दूसरा हाथ उनकी चूत सहला रहा था।

अब मैंने मामी के पेट पर अपनी जीभ फेरनी चालू की, कुछ देर मामी के पेट पर जीभ का जादू चलाने के बाद अब बारी थी उनकी चूत की !

अब मैंने अपनी जीभ को उनकी चूत के मुख पर फेरना चालू की, उन्होंने मेरा सिर दोनों हाथों से अपनी चूत में दबा दिया और अपने दोनों पैरों से मेरे सिर को भींच लिया।

उन्होंने कहा- हर्ष और मत तड़पाओ, अब मुझे लॅंड चाहिए !

मैंने उनकी बात का सम्मान करते हुए अपना लॅंड उनकी योनि पर लगाया और उनकी चूत के दाने और मुंह पर लॅंड फेरने लगा।

इससे उनकी उत्तेजना और भड़क उठी।

अब उनके मुंह से गाली निकल पड़ी- मादरचोद ! अंदर डाल !

उनके मुंह से यह सुनकर मैं हैरान रह गया और देर ना करते हुए मैंने अपना लंड उनकी चिकनी हो चुकी चूत में पेल दिया। लंड आधा अंदर चला गया, मामी के मुंह से चीख निकल पड़ी। चीख इतनी ज़ोर की थी कि मुझे लगा शायद उनकी चीख से कोई जाग तो नहीं गया !

मैंने देर ना करते हुए मामी के मुंह पर हाथ रखकर एक ज़ोर का धक्का और लगाया और मामी की एक दबी दबी सी चीख निकल पड़ी।

अब मैंने अपनी चोदन-गति बढ़ाई और फिर मामी को पागलों की तरह चूमने लगा।

मैंने अपनी जीभ मामी की जीभ से लगा दी।

सच कहता हूँ दोस्तो, मामी का गदराया बदन मुझे ऐसा मज़ा दे रहा था कि मैं क्या बताऊँ !

मैंने अब मामी की चूचियों पर अपनी जीभ फिरानी चालू कर दी। मामी अपने चरम तक पहुँच चुकी थी।

मैंने अपने धक्कों की गति बढ़ाई और अपने अंतिम धक्कों पर मामी से पूछा- कहाँ स्खलित करुँ?

तो उन्होने कहा- मैं तुम्हारे गरम लावा को अपने अंदर महसूस करना चाहती हूँ !

और मैंने आखरी धक्कों में मामी की चूत अच्छे से मारी, मेरे लंड से लावा निकलने के बाद भी मामी अपनी चूत से संकुचन कर रही थी मानो उनकी चूत मेरे लॅंड की एक एक करके आखरी बूँद तक निचोड़ लेना चाहती हो।

उस रात मामी और मैंने तीन बार चुदाई की और जब भी मौका मिलता है, कर लेते हैं।

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