बारिश का मौसम और मस्त भींगा बदन

बारिश का मौसम और मस्त भींगा बदन

बात उस दिन कि है जब बारिश हो रही थी और मैं भीगता हुआ अपने घर की तरफ़ अपनी बाइक पे जा रहा था। शाम के करीब ५:३० का समय था। अचानक मैने देखा कि मेरी तरफ़ कोई लिफ़्ट के लिये कोई हाथ हिला रहा था, गौर से देखा तो वो २५-३० साल की एक युवती थी। मैने बाइक रोकी। वो मेरे पास आके पूछने लगी कि आप कहां जा रहे हो? मैने कहा-आपको कहां जाना है?

वो रेलवे स्टेशन जाना चाहती थी। मैने कहा कि मैं भी वहीं जा रहा हूं (जबकि मैं अपने घर जा रहा था)। वो मेरे पीछे बैठ गयि। मैं बाइक को रफ़्तार से दौड़ाने लगा। उसके मोम्मे मेरी पीठ से सटे हुये थे। मैं गरम हो रहा था। बातों बातों में पता चला कि वो शिमला में जोब करती है, उस का पति दिल्ली में कोई प्राइवेट जोब करता था और वो अपनी बेटी को लेने के लिये जा रही थी जो आज़ ट्रैन से आने वाली थी।

हम रेलवे स्टेशन पहुँच गये थे, ट्रैन आने में अभी थोड़ा टाइम था, हम कैंटीन में चाय पीने चले गये। कैंटीन में उस ने जैसे ही उस ने अपना रैन कोट उतारा तो मुझे उस की जवानी के दर्शन हुये। गज़ब की खूबसूरति थी उस की। व्हाइट कलर के टोप में उस की ब्रा भी चमक रही थी सो उस के मोम्मो के साइज़ का अंदाज़ा लगाना कोई मुश्किल नहीं था। एक दम गोरी चिट्टी थी वो। चाय पीते हुये मैने उस के हुस्न का नज़ारा लिया और खूब बातें भी की। सर्दी के मौसम में उस की गरम जवानी ने मेरे रोम रोम में गरमी भर दी थी और मेरा लंड अपने आपे से बाहर हो रहा था।

तभी ट्रैन भी आ गयी। हमने उस की ५ साल की बेटी को साथ लिया और फ़िर मैने उसे कहा-मैं आपके घर तक छोड़ देता हूं, उस ने मना किया लेकिन मैं जानना चाहता था कि वो कहां रहती है क्योंकि वो मुझे बता चुकी थी कि वो अकेली ही रहती है। मैने दोनो को बाइक पे बैठाया और उस के घर की तरफ़ चल दिया। उस का घर आते ही बारिश भी तेज़ हो गयी। उस ने मुझे बारिश रुकने तक रुकने के लिये कहा और मैं भी तो यहि चाहता था। मैं पूरी तरह भीग चुका था। उसने कोफ़ी बनायी और चेंज कर के जब वो मेरे सामने आयी तो ब्लैक सिल्की नाइटी में वो कोफ़ी से भी ज़्यादा गरम लग रही थी। दिल कर रहा था कि अभी चोद डालु साली को।

सफ़र की वजह से उसकी बेटी आते ही सो गयी थी, बारिश रुकने का नाम नही ले रही थी। तभी लाइट भी चली गयी। वो केंडिल लेने के लिये उठी, मैं भी उसकी मदद करने लगा लेकिन केंडिल नहीं मिली। अंधेरे में वो मुझपर गिर गयी। वाह क्या गरमी थी। उसने उठने की कोशिश की लेकिन मैने उसको अपनी बाहों में भर लिया और छोड़ा ही नहीं, पहले उस ने विरोध किया लेकिन वो भी शायद कैइ दिनो की प्यासी थी तो उस ने भी ज़्यादा कोशिश नहीं की।

मैने उसके मोम्मे दबाने शुरु कर दिये, वो गरम हो रही थी। मैने धीरे धीरे अपना एक हाथ उसकी नाइटी उठाते हुये उसकी पैंटी में डाल दिया। वो सिहर उठी। मैने अपना मुँह उस की चुत के पास लाके उस की पैंटी को अलग कर दिया। उस की बालों वाली चूत एकदम सेक्सी थी। मैने उसे चाटना शुरु कर दिया। वो आआआअह कर रही थी। मैं अपनी जीभ उस की चूत में डाल चुका था। मस्ती उफ़ान पे थी। मेरे दोनो हाथ उस के मोम्मो पे और जीभ उसकी चूत पे थी। वो आंखें बंद करके मेरा साथ दे रही थी। जब उस से रहा नहीं गया तो उसने कहा प्लीज़ अब चोद भी दो, मैं बहुत दिन से प्यासी हूं।

मैने अपनी पैंट उतार दी। मेरा लंड देखते ही वो खुश हो गयी। मैने उसकी दोनो टांगों को खोला और फ़िर अपना अंडरवियर।

अपना लंड एक ही झटके में उस की चूत में डाल दिया। वो ऊऊऊउह की आवाज़ में मज़ा ले रही थी। अब कमरे में उस की आहें और फ़चाक फ़चाक की आवाज़ें गूंज रही थी।

वो बोली-और ज़ोर से चोदो मुझे, फ़ाड़ डालो मेरी चूत को। यो साली बड़े दिन से लंड की भूखी है।

आज इस की भूख और मेरी प्यास बुझा दो। चोदो चोदो और ज़ोर से चोदो मुझे। उसके बोलने के साथ ही मेरी स्पीड भी बढ़ रही थी। ये सिलसिला करीब २५ मिनट चला फ़िर हम दोनो शांत होकर एक दूसरे से लिपट के लेटे रहे। १० मिनट बाद वो उठी और मेरे लंड को अपने हाथ में ले लिया। उसने बड़े प्यार से मेरे लंड को कहा-यू आर सो स्वीट और अपने मुँह में डाल लिया। वो लंड को ऐसे चूस रही थी कि मानो लोलीपोप चूस रही हो। मेरा लंड दोबारा से चुदाई के लिये तैयार हो गया था। १५ मिनट के बाद मैने उसे घोड़ी बनाया और फ़िर पीछे से उसकी गांड में अपना लंड डाल दिया। वो चुद रही थी, मैं चोद रहा था। ये चुदायी सारी रात में ६ बार हुयी। बारिश भी तभी रुकी जब सुबह हुई और उसकी प्यास मैने बुझा दी।

उसके बाद जब भी वो या मैं चाहते तो मिलकर ये चुदाई का खेल खेलते हैं।

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