छत की बात – Antarvasna

छत की बात – Antarvasna

मेरा नाम संदीप है,गाजियाबाद में रहता हूँ, उम्र 22 वर्ष और मेरी लम्बाई 6 फुट है, देखने में काफी स्मार्ट हूँ, मेरा लंड भी 7.5 इंच लम्बा और काफी मोटा है।

मैं पिछले एक साल से अन्तर्वासना पर कहानियाँ पढ़ रहा हूँ और मेरा भी काफी मन करता था कहानी लिखने का तो मैं आज आपनी पहली और एकदम सच्ची कहानी लिखने जा रहा हूँ।

बात आज से 2 साल पहले की है जब मैं अपनी बुआ जी की लड़की की शादी में अलीगढ़ उनके गाँव गया था। मेरी बुआ जी के घर में सिर्फ चार ही लोग थे, बुआ जी, फूफा जी, और उनकी दो लड़कियाँ ! बड़ी लड़की का नाम रेनू उम्र 24 साल जिसकी शादी थी और उससे छोटी का नाम मीना था और उसकी उम्र 21 साल थी।

जून में शादी थी तो मैं और मेरा पूरा परिवार दस दिन पहले ही वहाँ पहुँच गए थे और दीदी की शादी में हमने खूब मजा किया। दीदी की शादी होने के बाद मेरे परिवार के सभी लोग वापस आ गए और गर्मियों की छुट्टी होने की वजह से में वहाँ रुक गया।

एक दिन रात को हम सभी लोग ऊपर छत पर सो रहे थे तो मीना मेरे पास ही सो रही थी। आधी रात को मेरी आँख पेशाब करने के लिए खुली तो मैंने देखा कि मैं और मीना छत पर अकले ही हैं, बुआ जी और फूफा जी नीचे जा चुके थे। मैं मीना के पास आकर लेट गया और अपना कम्बल ओढ़ कर लेट गया और सो गया।

कुछ देर बाद मेरी आँख खुली तो मैंने देखा कि मीना मेरे कम्बल में है और मुझसे एकदम चिपक कर सो रही है। जब मैंने ऐसा देखा तो मैं उससे और भी चिपक गया और मैंने अपनी टांगें उसके ऊपर रख ली। कुछ देर ऐसे ही लेटा रहा और कुछ देर बाद मैंने देखा कि मीना ने मेरे ऊपर हाथ रख लिया पर मैं चुपचाप ऐसे ही लेटा रहा। तभी मैंने देखा कि मीना अपना हाथ मेरे शरीर पर फ़िरा रही है।

मैं एकदम चकित रह गया। कुछ देर ऐसे करने के बाद वो अपना हाथ मेरे मुँह के पास लाई और फिर उसने अपने हाथ से मेरा हाथ पकड़ लिया।

मेरे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। तभी हुआ वो जिसके बारे में मैंने कभी सोचा भी नहीं था, मीना ने मेरा हाथ अपने चूचों पर रख दिया। मेरे तो एकदम शरीर में आग सी लग गई।

फिर क्या था, मैं भूखे शेर की तरह उसके चूचे दबाने लगा और उन्हें सहलाने लगा और फिर मैंने अपने होंठ उसके होंठों से चिपका दिए, उन्हें खूब चूसने लगा और अपना एक हाथ नीचे से उसके टॉप में घुसा कर ब्रा के ऊपर से ही उसकी चूचियों को दबाने और सहलाने लगा।

मैं इतना सब कर रहा था और मीना की साँसें तेज चल रही थी पर उसने अपनी आंखें नहीं खोली हुई थी। कुछ देर ऐसा करने के बाद मैंने उसके गालों पर चुम्बन करते हुए उसके कान में कहा- मुझे पता है, तुम जाग रही हो !

मेरा इतना कहते ही उसने झट से आँखें खोल ली और मुस्करा दी। फिर मैं उसके होंटों पर चुम्बन करने लगा और अब वो मेरा साथ देने लगी।

काफी देर तक हम दोनों एक दूसरे को चूमते रहे, उसके बाद मैंने उसे बैठाया और उसका टॉप उतार दिया और फिर उसकी ब्रा भी उतार दी और उसकी चूचियों को चूसने-दबाने लगा।

मेरा ऐसा करने से मीना पागल सी हो रही थी और बोल रही थी- संदीप, और करो, खा जाओ मेरी इन चूचियों को !

काफी देर उसकी चूचियों को चूसने के बाद मैंने अपनी शर्ट और लोअर भी उतार फेंका और उसके सामने खाली अंडरवीयर में हो गया। फिर मैंने उसकी भी कैपरी उतार दी अब वो भी मरे सामने पैंटी में थी। हम फिर से एक दूसरे को चूमने लगे और मैं साथ साथ उसकी चूचियों को भी दबा रहा था। फिर मैंने अपना एक हाथ उसकी पैंटी में जैसे ही घुसाया तो मैंने महसूस किया कि उसकी पैंटी एकदम गीली थी।

मैं उसकी चूत को सहलाने लगा, फिर मैंने उसकी पैंटी भी उतार दी तो वो मेरे सामने एक दम नंगी थी। उसे बिना कपड़ों के देख कर मेरा पप्पू अंडरवीयर को फाड़ कर बाहर आने को बेताब था तो मैंने झट से अपना अंडरवीयर भी उतार दिया।

अब हम दोनों बिल्कुल नंगे थे। मैंने झट से उसे अपने शरीर से चिपका लिया और उसके होंटों को चूसने लगा। कुछ देर ऐसा करने के बाद मैंने उसे लेटाया और उसकी चूत को चूमने लगा। मैं पहली बार सेक्स कर रहा था तो पहले मुझे थोड़ा अजीब सा लगा फिर मुझे भी मजा आने लगा और फिर मैं उसकी चूत को चाटने भी लगा।

और मेरा ऐसा करने से मीना पागल सी होने लगी और मेरा सिर पकड़ कर अपनी चूत में दबाने लगी और पागलों की तरह मुँह से अजीब-अजीब आवाजें निकालने लगी। उसकी इन आवाजों से मुझे और जोश आने लगा और मैं और जोर से उसकी चूत को चाटने लगा।

कुछ देर बाद मैंने उससे अपना लंड को चूसने के लिए बोला। मैंने सोचा था कि वो मना कर देगी लेकिन उसने मना नहीं किया और मेरे लंड को चूसने लगी।

उफ्फ्फ्फ़… क्या मजा आ रहा था…

‘तू तो एकदम मस्त चुसाई करती है… कहाँ से सीखा?’

वो चुपचाप चूसती रही…!

अब उसने मेरे अण्डों को भी मुँह में डाल लिया और चूसने लगी…

ऐसा लग रहा था मानो वो गुलाब जामुन को चूस रही है…

मैंने अपना लंड फिर से उसके होंठों पर रख दिया और अपने लंड से उसके होंठ सहलाने लगा…

उसने फिर मेरा लौड़ा मुँह में डाल लिया और सुड़प…सुड़प…करके चूसने लगी !

उसके लंड चूसने के तरीके से लग रहा था कि वो पहले भी ये सब कर चुकी है।

थोड़ी देर लंड चूसने के बाद वो बोली- संदीप, अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है, प्लीज़ जल्दी से अपना लंड मेरी इस चूत में घुसा दो।

मैंने भी देर ना करते हुए तुरंत उसे लेटाया और उसकी टांगों को फ़ैलाते हुए अपने लंड को उसकी चूत पर टिका दिया और उसकी चूत पर अपने लंड को रगड़ने लगा।

मेरे ऐसा करने से वो और पागल हुए जा रही थी, बोल रही थी- प्लीज़, जल्दी डालो अंदर !

मैंने भी तुरंत एक जोर का झटका मारा और मेरा आधा लंड उसकी चूत में घुस गया और उसके मुँह से जैसे ही आवाज निकलने को हुई, मैंने तुरंत उसके होंटों पर अपने होंट रख दिए जिससे उसकी आवाज मेरे मुँह में ही दबी रह गई। फिर मैं उसके होंटों को चूसने लगा। फिर मैंने एक ओर जोर का झटका मारा ओर मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया।

मीना का मुँह दर्द के मारे एकदम लाल हो गया था।

फिर कुछ देर रुक कर मैंने धक्के लगाने शुरु कर दिए। कुछ धक्कों के बाद मीना का दर्द भी एकदम खत्म हो गया और अब वो नीचे से अपनी गांड उठा कर चुदाई में मेरा साथ देने लगी। मैंने भी अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी और उसे खूब जोर जोर से चोदने लगा।

मीना कभी बोलती- फाड़ डालो आज मेरी इस चूत को !

तो कभी- और जोर से संदीप !

उसके मुंह से ऐसी आवाजें सुन कर मुझे ओर जोश चढ़ रहा था और मैं खूब जोर जोर से उसे चोद रहा था।

करीब दस मिनट के बाद मीना का शरीर अकड़ने लगा और वो झड़ने लगी। पर मैं फिर भी कहाँ रुकने वाला था, मैं उसे तब भी चोदता रहा। करीब बीस मिनट के बाद मुझे भी लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ तो मैंने अपने धक्के और तेज कर दिए और जैसे ही मैं अपनी चरम सीमा पर पहुँचा तो मैंने तुरंत अपना लंड बाहर निकाला और मीना के मुँह पर रख दिया।

वो तुरंत मेरा सारा माल पी गई ओर मेरे लंड को चाट चाट कर एकदम साफ़ कर दिया।

मैं वही उसके पास लेट गया और फिर उस रात मैंने और मीना ने दो बार और चुदाई की।

फिर जब तक मैं वहाँ रहा, मैं रोज रात को मीना की चुदाई करता था।

तो दोस्तो, कैसी लगी आपको मेरी यह सच्ची कहानी?

मुझे आपके मेल का इंतजार रहेगा।
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