समधी समधन – Antarvasna

समधी समधन – Antarvasna

प्रेषक : अशोक जैन

मेरी उम्र 48 साल की है। मेरी बीवी 5 साल पहले परलोक सिधार गई थी। मेरी बेटी की शादी 2 साल पहले हुई थी। जहाँ उसकी शादी हुई वो एक बड़े बंगले में रहते थे और घर में सिर्फ जमाई और उसकी माँ अंजू उम्र 49 साल (विधवा) रहते थे।

एक बार मेरे जमाई को कंपनी के काम से ऑस्ट्रेलिया जाना था। कंपनी की तरफ से मेरी बेटी को भी जाने की इज़ाज़त थी।

मेरी बेटी का फ़ोन आया, बोली- पापा, मुझे ऑस्ट्रेलिया जाने का मौका मिल रहा है।

मैं बोला- यह तो बड़ी ख़ुशी की बात है ! जाओ बेटा।

बेटी बोली- पापा, लेकिन मम्मी अकेली इतने बड़े बंगले में नहीं रह सकती। सब नौकर भी रात को चले जाते हैं। दिन में तो कोई दिक्कत नहीं है लेकिन रात को मम्मी को अकेले नहीं छोड़ सकते। क्या आप कुछ दिन रात को 8 बजे यहाँ सोने के लिए आ सकेंगे?

मैंने मना कर दिया क्यूंकि मेरी अपनी ज़िन्दगी थी, मुझे रोज़ रात को अकेलापन होने के कारण दारू पीने की आदत थी और कभी मौका मिलता तो कोई ना कोई पुरानी दोस्त को चोदने का मौका भी मिल जाता था।

लेकिन फिर थोड़ी देर बाद मुझे ख्याल आया कि मैं भी कितना स्वार्थी हूं। बेटी की ख़ुशी के लिए थोड़े दिन दारू नहीं मिलेगी तो क्या है। मैंने फ़ोन करके बेटी को बोल दिया- बेटा, जाओ खूब घूम आओ और यहाँ की चिंता मत करो। मैं सोने के लिए आ जाया करूँगा।

पहली शाम को मैं करीब आठ बजे उनके घर पहुँच गया। मेरी समधन जी अंजू ने पूछा- चाय लोगे या कॉफ़ी?

मैं बोला- नहीं रहने दीजिए, रात को मैं सिर्फ व्हिस्की पीता हूँ, आप रहने दीजिए।

वो बोली- नहीं, कोई बात नहीं, मैं व्हिस्की लाती हूँ। लड़के की अलमारी में होगी। उसे अलग अलग ब्राण्ड की व्हिस्की जमा करने का शौक है।

मैं बोला- आप रहने दो, मैं कभी अकेले नहीं पीता हूँ।

वो बोली- यह तो बड़ी मुश्किल की बात है। आप हमारे समधी हैं, ऐसे कैसे चलेगा। चलो अगर आप किसी को ना बताएँ तो मैं आपका साथ दे दूंगी।

मैं चौंक गया- आप साथ देंगी? आप भी पीती हैं क्या?

वो बोली- नहीं, मैं नहीं पीती लेकिन जब वो थे तो कभी बाहर जाते थे तब थोड़ी पी लेती थी। लेकिन किसी को पता नहीं है आप भी मत बताना।

फिर अंजू व्हिस्की और दो ग्लास ले आई और हमने व्हिस्की पीनी चालू कर दी।

टीवी पर बढ़िया गाना आ रहा था, मैं बोला- थोड़ा डांस कर लें, मज़ा आयेगा।

हम दोनों ने डांस चालू किया, मैंने अंजू को अपने से चिपटाया डांस करते हुए और मेरे हाथ उसकी पीठ को सहला रहे थे।

मुझे उस समय दारू के नशे में डांस का मज़ा आ रहा था। अंजू को भी सरूर हो गया था। डांस करते हुए मेरा हाथ फिसल के अंजू के कूल्हों पर चला गया और मैं उसके चूतड़ों को सहलाने लगा।

अंजू कुछ नहीं बोली।

उसे भी चुदे हुए कई साल हो गए थे और व्हिस्की के नशे में जैसे घी में आग लगा दी थी।

मैंने और जोर से अंजू को अपने शरीर से चिपटा लिया, वो गर्म हो गई थी, उसकी गरम साँस मेरे चेहरे पर लग रही थी और मेरे लंड में भी अकड़न होनी चालू हो गई।

मेरे मन में अंजू को चोदने की लालसा होने लगी और मैं सोचने लगा कि इसको आज कैसे चुदने के लिए राजी करूँ।

मैं अंजू को चोदने की योजना बनाने लगा।

मैं : अंजू जी, आपके पति तो काफी पहले चले गए थे, फिर तुम क्या करती हो?

अंजू : मैं समझी नहीं !

मैं : अंजू जी मेरा मतलब है, इतने साल तक अकेली रही हो, कभी कोई दोस्त नहीं मिला जो पति की कमी पूरी कर दे?

अंजू : नहीं, कभी सोचा ही नहीं।

मैं : लेकिन कमी तो लगती होगी ना?

अंजू : हाँ, कमी तो कई बार लगती है लेकिन क्या कर सकती हूँ !

बस मैंने सोचा कि अब अंजू को थोड़ा तैयार कर लूँ तो यह चुदवा लेगी। मेरे दिमाग में विचार आया और मुझे लगा इस तरह से अंजू को जरूर चोदने का मौका मिलेगा।

मैं : अंजू, यह बताओ कि मेरा और आपका रिश्ता क्या है?

अंजू : समधी-समधन का !

मैं : अच्छा इंग्लिश में बताओ?

अंजू सोचने लगी लेकिन कुछ नहीं सूझा, वो बोली- आप ही बताओ, मुझे नहीं पता।

मैं बोला- देखो, इस तरह से सोचो – मेरी लड़की की मॉम = मेरी पत्नी ! दोनों तरफ ‘इन-ला’ लगा दो, मेरी लड़की की मोम इन ला = मेरी वाइफ इन ला

इसका मतलब तुम मेरी वाइफ इन ला हुई ! बोलो- हाँ या ना?

अंजू : अरे, यह क्या मतलब बन गया? मैं आपकी क़ानूनी पत्नी ! हा हा हा हा हा !

मेरा विचार काम कर गया, अब तो अंजू आज चुदेगी ही। हंसी तो फंसी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉंम पर पढ़ रहे हैं।

मैं बोला- हाँ, अगर तुमको कोई ऐतराज ना हो तो आज सुहागरात हो जाये?

अंजू तो खुद नशे में थी और लंड से चुदे हुए कई साल हो गए थे, मौका भी सही था, तुरंत बोली- जैसा आप उचित समझें।

मैं मन ही मन खुश हुआ कि चलो आज नई चूत चोदने को मिलेगी।

मैं बोला- अंजू, जब सुहागरात मनानी है तो फिर आप नहीं चलेगा तू या तुम बोल। और देख मुझे चोदते समय मुझे अपना पति ही समझ।

अंजू बोली- जो तुझे पसंद है वैसे ही कर लेकिन दोनों को मज़ा आना चाहिए।

फिर तो मैं अंजू को पकड़ कर चूमने लगा, उसकी जीभ अपने मुँह में लेकर चूसना चालू किया, उसके होंटों का वो मीठा-मीठा स्ट्राबेरी फ्लेवर !

मैं जैसे हवा में उड़ रहा था !

अब मैं और बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था और उसकी चूचियों को जोर-जोर से मसल रहा था। अंजू ने भी शर्म छोड़ दी और वो भी चूमाचाटी करने लगी।

मैं बोला- अंजू, चलो पहले साथ में नहा लें, फिर आज कई दिनों की लंड-चूत की प्यास बुझाएँगे।

मैं और अंजू बाथरूम में गए, मैंने अंजू की कुर्ती निकाली और फिर उसकी सलवार निकाल दी। अब वो मेरे सामने लाल सुर्ख रंग की पैंटी और ब्रा में खड़ी थी।

जब उसकी ब्रा खोलने लगा तो वो बोली- इसे रहने दो।

मुझे मालूम था कि साली नखरे चोद रही है, चुदाना है, फिर भी नाटक कर रही है। यह तो हर लड़की का जन्मसिद्ध अधिकार है सती सावित्री बनने का।

मैं कहाँ रुकने वाला था, उसकी ब्रा खोल कर देखा तो अन्दर से दो कबतूर आज़ादी के लिए फड़फड़ा रहे थे। अंजू की चूचियाँ कई साल से किसी मर्द के हाथ ना लगने से एकदम कड़क थी।

“क्या चूचियाँ है अंजू तेरी ! एकदम दूध से भरी हुई ! और कितने बड़े गुलाबी निप्पल ! मज़ा आ गया। आज तो तेरा सारा दूध पीकर तेरी चूचियों का भारीपन हल्का करना पड़ेगा।”थोड़ी देर दूध पीने के बाद उसकी चड्डी में हाथ डाला और सटाक से उसकी चड्डी उसके पैरों के नीचे सरका दी और जैसे ही झुक कर उसकी चड्डी पैरों से निकालने लगा, मेरा मुँह अंजू क़ी नाभि पर लगा और मैं उसकी नाभि को चाटते हुए नीचे अंजू क़ी चूत तक चाटता रहा। मैंने अपनी जीभ अंजू क़ी चूत पर रख दी।

वाह ! क्या महक थी ! सुहानी सुगंध थी अंजू की चूत की ! एक तो दारू का नशा, ऊपर से अंजू की चूत की खुशबू किसी को भी पागल कर दे। मैंने अंजू की चूत में अपनी जीभ घुसेड़ दी और वो सिसकारी भरने लगी- उई माँ ! उई ! और चाटो कई साल हो गए ! आज चूत को निहाल कर दो। मेरे पति तो कभी नहीं चाटते थे चूत को ! आज पहली बार यह चूत चटी है, तूने तो मुझे दीवाना बना दिया। आज तक तो महज ब्लू फिल्म में देखा था लेकिन मेरी आज पहली बार चटी है, तू तो आज चाट कर चला जायेगा, फिर कौन चाटेगा इस भूखी चूत को !

मैं बोला- भोंसड़ी की ! अभी तो मैं यहाँ 15 दिन हूँ, रोज़ तुझे जम कर चोदूँगा।

मैं अंजू क़ी चूत चाटता रहा और अंजू सिसकारी भरती रही- उई आह उई आह।

दस मिनट बाद अंजू बोली- मेरा पानी निकल रहा है !

मैं बोला- तो छोड़ो ना पानी ! मेरे मुँह में ही छोड़ दो !

अंजू बोली- 15 दिन के बाद क्या होगा? कौन मेरी प्यास बुझाएगा? तुमने तो मेरी सोई हुई चूत को फिर लंड का चस्का लगा दिया।

मैं बोला- उसके बाद जब भी मौका मिलेगा, तेरी चूत की सेवा के लिए मेरा लौड़ा हमेशा तैयार मिलेगा मेरी अंजू रानी ! अब तो तू मेरी बीबी है वो भी क़ानूनी। और मादर चोद ! अब मेरे कपड़े क्या तेरी बहन आकर निकलेगी? या तू ही निकालेगी?

अंजू हंसने लगी- हे हे हे !

और उसने मेरे कपड़े उतारने शुरू किये। मेरा लौड़ा चड्डी फाड़ कर आजाद होने के लिए बेताब था।

अंजू तो चड्डी के बाहर से देख कर ही बोली- हाय राम ! तेरा तो बहुत बड़ा लग रहा है/

मैं बोला- क्या बड़ा लग रहा है? नाम लेने से तेरी क्या गांड फट जाएगी/

अंजू बोली- तेरा लंड बड़ा भारी दिख रहा है !

“अरी, अभी तूने देखा ही कहाँ है इसको ! चड्डी से बाहर निकाल कर देख ! तबीयत खुश ना हो जाए तो बोलना ! तेल पिला पिला कर मालिश करके बड़ी मेहनत की है इस लौड़े पर ! जब तेरी चूत की सील टूटी थी, उससे भी ज्यादा मज़ा ना आये तो बोलना।”

“अंजू, जरा लौड़ा मुँह में लेकर चूस ! फिर देख इसका रंग ! और भी बड़ा हो जायेगा।”

अंजू ने मेरा लौड़ा चूसना चालू किया और मैं अंजू क़ी चूचियाँ दबाने लगा।

15 मिनट तक अंजू मेरा लौड़ा चूसती रही और मैंने लौड़े का वीर्य रस अंजू के मुँह में ही छोड़ दिया, मैं बोला- अंजू, सारा रस पी जाओ ! बड़ा स्वादिष्ट और स्वास्थ्य के लिए बड़ा फायदेमंद होता है, पूरा रस पी जाओ।

नहाने में एक ट्रिप मारने के बाद हम दोनों नंगे ही सोफे पर आये और अंजू खाना लेकर आई और एक एक पेग व्हिस्की का बनाया।

मैंने अंजू को अपनी गोदी में बिठाया और मैं उसको और वो मुझे, एक दूसरे को व्हिस्की पिलाने लगे।

मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरी बीवी मुझे वापस मिल गई।

व्हिस्की पीते पीते हम एक दूसरे को प्यार भी कर रहे थे। मुझे अंजू मेरी बीबी ही लग रही थी और उतना ही उस पर प्यार आ रहा था।

खाना ख़त्म करके फिर चुदाई के लिए अंजू बोली- चलो बेडरूम में चलें।

मैं बोला- यहीं करते हैं ना ! तुम मेरी गोदी में हो थोड़ा सा मुड़ कर मेरे लंड पर आकर बैठ जाओ और अपनी चूत में मेरा लौड़ा घुसेड़ो।

अंजू थोड़ा मुड़ कर मेरे लौड़े पर आकर बैठ गई, मैंने अंजू को चूतड़ों से पकड़ कर थोड़ा ऊँचा करके लौड़ा उसकी चूत में घुसेड़ दिया।

एक झटके में मेरे लौड़े का सुपारा अंजू की चूत में जैसे ही गया, वो चिल्ला पड़ी- मेरी चूत में कई दिन बाद लौड़ा गया है, वो भी इतना मोटा ! दर्द हो रहा है लेकिन आप और डालो, मज़ा भी आ रहा है। आज फाड़ डालो मेरी चूत को ! कई दिन बाद चूत को लंड मिला है, तर कर दो अपने लौड़े से।

“आह ! मर गई रे ! डालो और डालो ! अपना लौड़ा पूरा घुसेड़ दो मेरी चूत में !”

धीरे धीरे मैंने अपना पूरा लौड़ा अंजू की चूत में घुसेड़ दिया। अंजू अपने चूतड़ हिला हिला कर धक्के देने लगी। मैं उसकी चूचियाँ पकड़ कर दबा रहा था और उसको धक्के मारने में मदद कर रहा था।

अंजू पाँच मिनट में ही बोली- मैं थक गई हूँ ! अब तुम मेरे ऊपर आकर धक्के मारो।

मैंने अंजू को सोफे पर लिटाया और अंजू की चूत चोदने लगा।

15 मिनट चोदने के बाद मेरे लंड का रस निकलने वाला ही था, मैंने अंजू की चूत से लंड निकाला और अंजू की चूचियों पर रखा और अंजू को बोला- अंजू, बस मेरा निकलने वाला है, तू हाथ से जरा झटके मार, तेरी चूची पर रस निकालूँगा।

अंजू मेरा लौड़ा पकड़ कर मुठ मारने लगी और एक मिनट में ही मेरा रस निकलने लगा, मैंने सारा वीर्य रस अंजू की चूचियों पर छोड़ दिया।

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