सारिका की जवानी

सारिका की जवानी

मैं सारिका इक्कीस वर्षीया महाराष्ट्रियन सुन्दरी नागपुर से !

लोग कहते हैं कि मैं बहुत सुंदर हूँ और शायद मैं हूँ भी !

क्योंकि मेरे पास वो सब कुछ है जो एक लड़की में एक पुरूष देखना चाहता है : 34 इन्च की चूचियाँ, 26 इन्च की पतली कमर, 36 इन्च के मस्त कूल्हे ! अगर सेक्सी भाषा में बोलें तो 36 इन्च की गाण्ड !

लड़के मुझे देख कर ही मस्त हो जाते हैं !

यह तो हुई मेरी बात ! अब अपनी कहानी शुरू करती हूँ।

यह कहानी आज से छ: महीने पुरानी है। मैं अपने कॉलेज के टूर पर दिल्ली घूमने गई थी। चार दिन का टूर था, रेलगाड़ी में बुकिंग थी, लड़के और लड़कियाँ सभी एक ही कम्पार्टमेंट में थे। लड़के और लड़कियाँ आपस में मस्ती करते हुए सफर का मज़ा ले रहे थे।

मेरे वाले बुके में सिर्फ हम दो लड़कियाँ थी मैं और मेरी एक सहेली मोनिका। मोनिका पढ़ने में बहुत होशियार थी पर शक्ल-सूरत से बिल्कुल लल्ली थी।

आप सोच रहे होंगे फिर वो मेरी सहेली कैसे थी?

तो बात यह थी कि उसकी पढ़ाई अक्सर मेरे काम आती थी बस इसीलिए मैं उसे अपने साथ रखती थी।

कूपे में हम दोनों ही थी बाकी की दोनों सीट खाली थी।

तभी कोई स्टॉप आया ट्रेन रुकी और एक बेहद सुन्दर सा 24-25 साल का नौजवान डिब्बे में चढ़ा और पाया कि उसकी सीट हमारी सीट के साथ में ही थी। ट्रेन एक बार फिर चल पड़ी। उस नौजवान अपना सामान सीट के बगल में रख लिया।

अभी शाम के सात बजे थे, थोड़ी देर बाद हमारी एक अध्यापिका जो हमारे साथ में ही सफर कर रही थी वो हमारे पास आई और खाने का सामान देकर चली गई। वो जाते जाते हिदायत दे गई कि सामान और इज्जत दोनों का ध्यान रखना। मैं उसका मतलब समझ गई थी कि वो क्या कहना चाहती थी।

मोनिका बोली- भूख लगी है !

हम दोनों ने टिफ़िन खोला और नीचे की सीट पर बैठ कर खाना खाने लगी। औपचारिकतावश हमने उस नौजवान को भी खाने के लिए पूछ लिया और इसी दौरान हमारा उससे परिचय भी हो गया। उस ने बताया कि उसका नाम राज है और वो हरियाणा का रहने वाला है। महाराष्ट्र की किसी कंपनी में काम करता है हरियाणा ब्रांच में। वो यहाँ मीटिंग के लिए आया था और आज वापिस जा रहा था और दिल्ली तक हमारे साथ ही जाना था।

खैर बातचीत का जो सिलसिला शुरू हुआ वो चलता ही चला गया। सच वो बहुत प्यारी प्यारी बातें करता था। मैं तो अपना दिल खोती जा रही थी। वो मेरे दिल में घर करता जा रहा था।

कब रात के ग्यारह बज गए पता ही नहीं चला। मोनिका सो गई थी। बस बुके में राज और मैं ही जाग रहे थे। मैं पेशाब करने के बहाने से उठी ये देखने के लिए कि सब सो गए या नहीं। देखा तो एक दो को छोड़ कर बाकी सब सो चुके थे। वो एक दो भी अपने बॉयफ्रेंड या गर्लफ्रेंड के साथ फोन पर चिपके हुए थे।

मैं निश्चिंत हो कर वापिस आई और राज की सीट पर बैठ गई।

मोनिका ऊपर की बर्थ पर सो गई थी। राज ने अचानक मेरे हाथ पर हाथ रख दिया।

यहाँ मैं बताना चाहती हूँ कि मैंने आशिकी का बहुत मजा लिया था और बहुत से लड़के मुझे चूचे दबवाने का मज़ा दे चुके थे और मेरे होंठों का रस भी कई लड़के पी चुके थे। यानि राज का मेरे हाथ को छूना मेरे लिए कोई नई बात नहीं थी। मेरी चूत में कुलबुलाहट होनी शुरू हो गई थी पर मैंने अभी तक अपनी चूत सिर्फ एक बार ही चुदवाई थी और वो भी अपनी भाभी के भाई से। साले ने चोद चोद कर निहाल कर दिया था पर दुबारा कभी मौका नहीं मिला। आज राज के साथ अकेले में चूत फिर से फुदकने लगी थी। दिल कर रहा था कि राज अभी पकड़ कर चोद दे।

बस एक झिझक सी थी हम दोनों के बीच में ! दोनों ही पहल नहीं कर पा रहे थे।

राज ने हाथ के ऊपर हाथ रख कर झिझक कम करने की कोशिश जरुर करनी शुरू कर दी थी। जब राज ने मेरे हाथ को छुआ तो मैंने भी हाथ नहीं हटाया। राज धीरे धीरे मेरे हाथों की पतली पतली उँगलियाँ सहलाने लगा। मेरे बदन में वासना का ज़हर दौड़ने लगा था। मेरी आँखें बंद होती जा रही थी।

तभी तो जब राज ने अपने होंठ मेरे होंठों पर रखे तो मैं सिसक कर रह गई और राज का साथ देने लगी। मेरी तरफ से हरी झंडी मिलते ही राज मस्त होकर मेरे रसीले होंठ चूसने लगा। मैं राज से लिपटी जा रही थी तभी राज का एक हाथ मुझे अपनी चूचियों पर महसूस हुआ। मेरी चूचियाँ तन कर कड़ी हो गई थी, चुचूक भी तन गए थे। मैंने उस समय ढीला सा पजामा और टॉप पहन रखा था रात को सोने के लिए पर अब लगता नहीं था कि सो पाऊँगी।

राज का हाथ अब मेरे टॉप के अंदर घुसना शुरू हो गया था। वो मेरे चिकने पेट पर हाथ फेर रहा था और उसका हाथ धीरे धीरे ऊपर चूचियों की तरफ बढ़ रहा था। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और मैं हैरान भी थी कि कैसे मैं एक अनजान लड़के की बाहों में थी।

एकाएक मुझे राज के कठोर हाथ का एहसास अपनी चूची पर महसूस हुआ। राज अब मस्त होकर मेरी चूची दबा रहा था। मैंने मोनिका की तरफ देखा तो वो दूसरी तरफ़ मुँह करके सो रही थी।

राज ने मेरा टॉप उतारना शुरू किया और अगले ही पल मेरे मस्त चूचे राज के सामने थे। मैं शर्म से लाल हो गई थी। पर जो चुदवाती है उन्हें मालूम होगा कि लंड की प्यास हर शर्म पर भारी होती है !

राज ने मेरे चूचे मुँह में लेकर चूसने शुरू किये तो मेरे मुहँ से तो सीत्कार निकल गई। मेरी उत्तेजना बढ़ गई थी। तभी मुझे याद आया कि मैं अपने बेडरूम में नहीं रेल के डिब्बे में हूँ, मैंने अपनी आवाज को दबा दिया और चुपचाप मज़े लेने लगी।

राज मस्त होकर मेरी चूचियाँ चूस रहा था, मैं उत्तेजना में बहती जा रही थी। राज ने मेरा टॉप उतारना चाहा तो मेरा नशा टूटा, मैंने राज को रोका, मैंने कहा, “प्लीज राज, यहाँ नहीं कोई आ गया तो बदनामी होगी।”

राज को भी बात समझ में आई। उसने अपनी टिकट के साथ लगे रूटचार्ट को देखा और बोला,”सारिका, अगला स्टॉप करीब एक घंटे बाद आएगा तब तक तो हम मज़े कर सकते हैं।”

उसने वो चार्ट मुझे भी दिखाया। अब मैं भी निश्चिन्त हो कर राज की बाहों में चली गई और बोली,”जो करना है, जल्दी से कर लो ! मैं कोई भी खतरा नहीं लेना चाहती।”

राज ने झट से मेरा टॉप उतारा और मेरी नंगी चूचियाँ चूसने लगा। मेरा हाथ भी अपने आप राज के पजामे पर चला गया और उस गाँठ को सहलाने लगा जो उसकी जांघों के बीच में बनी हुई थी। राज का लंड तन चुका था और फ्रेंची में गाँठ जैसे हो रहा था। गाँठ से लंड के भयंकर होने का एहसास हो रहा था।

जैसे ही राज ने मेरे पजामे में हाथ डाला मैंने भी राज के पजामे में बेशर्मी से हाथ डाल दिया। राज का हाथ मेरी पैंटी के ऊपर से ही मेरी चूत सहलाने लगा तो मैं भी राज का लंड सहलाने लगी थी। मैंने पहल करते हुए राज का लंड फ्रेंची से बाहर निकाला। हाय पूरा आठ इंच लंबा और अच्छा ख़ासा मोटा लंड था राज का। मैं तो उसके लंड को देख कर ही डर गई क्योंकि पहले जो लंड मेरी चूत में गया था वो इससे पतला और छोटा था। मैं सोच रही थी कि क्या मैं इतना मोटा मूसल जैसा लंड अपनी चूत में ले सकूँगी?

लंड बिल्कुल सीधा तन कर खड़ा था और मैं उसे सहला रही थी। राज ने मेरा पजामा और पैंटी नीचे खींच दी। अब मैं बिल्कुल नंगी राज की सामने थी। मर्द के सामने नंगी होकर मुझे एक अलौकिक आनन्द सा आने लगा।

राज ने मुझे सीट पर बैठाया और मेरी टाँगें फैला कर अपने होंठ मेरी पनियाई चूत पर रख दिए। मेरी चूत पानी छोड़ रही थी जो राज सारा का सारा चाट गया। कुछ देर मेरी चूत चाटने के बाद राज ने मुझे अपना लंड चाटने के लिए बोला। मैंने पहले कभी लंड नही चूसा था। पर फिर भी मैंने राज के तने हुए लंड को मुँह में ले लिया। लंड बहुत मोटा था मेरे मुँह में सुपारा भी मुश्किल से गया। मैं जीभ से सुपारा चाटने लगी। लंड के आगे छेद पर रस की बूँद नज़र आ रही थी मैं वो ही चाटने लगी। कुछ कुछ नमकीन सा स्वाद था जो मुझे अच्छा लगा और मैं मस्त हो कर चाटने लगी।

फिर मैं बोली,”राज, इससे पहले के कोई आ जाए प्लीज जल्दी से मेरी खुजली मिटा दो यार !”

राज ने मुझे सीधा किया और अपना गर्म गर्म लंड मेरी चूत पर सटा दिया। मैं और मेरी मुनिया लंड के स्पर्श मात्र से चहक उठी। मुझे इस बात का एहसास नहीं था कि अब आगे मेरे साथ क्या होने वाला है।

राज ने मुझे मजबूती से पकड़ते हुए एक जोरदार धक्का मेरी चूत पर जड़ दिया। ना चाहते हुए भी मेरी चीख निकल गई। वो तो राज ने एकदम से मेरे मुँह पर हाथ रख दिया नहीं तो पूरा डिब्बा जाग गया होता।

मेरी चीख मेरे मुहँ में ही दब कर रह गई। राज का लंड बहुत मोटा था। उसके लंड का सुपारा मेरी चूत को लगभग फाड़ता हुआ अंदर घुस गया था। मुझे मेरी चूत में कील सी ठुकी हुई महसूस हो रही थी, बहुत दर्द हो रहा था पर इस दर्द से मेरा सामना पहले भी हो चुका था। मुझे मालूम था कि इस दर्द के बाद का मज़ा इस जहान का सबसे शानदार मज़ा है जिसके सामने दुनिया का हर मज़ा फीका है।

मैं दर्द को अंदर दबा कर लंड के अंदर घुसने का इंतज़ार करने लगी।

राज ने थोड़ा सा जोर लगाते हुए एक शानदार धक्का मेरी चूत पर जड़ दिया और आधे से ज्यादा लंड मेरी प्यारी चूत के परखच्चे उड़ाता हुआ घुस गया। राज ने अभी भी मेरा मुँह बंद कर रखा था। उसने मेरे दर्द की परवाह ना करते हुए एक और जोरदार धक्का लगाया और पूरा लंड मेरी चूत में डाल दिया। ए. सी . डिब्बा था पर राज और मैं दोनों पसीने से तर हो चुके थे। राज एक मिनिट रूका और फिर उसने हल्के हल्के धक्के लगाने शुरू किये। मैं एक बार पहले चुदवा चुकी थी मुझे मालूम था की मस्ती तो अभी बाकी है। मैं दर्द को सहते हुए राज का साथ देने लगी। मेरी चूत ने लंड की ठोकर खा कर पानी छोडना शुरू कर दिया था।

लंड ने धीरे धीरे चूत में अपनी जगह बना ली थी।

फिर जैसे ही लंड आराम से अंदर बाहर होने लगा तो राज ने धक्को की स्पीड बढ़ा दी। अब दर्द बिल्कुल खत्म हो चुका था। मैं भी मस्त होकर अपनी गाण्ड उछालने लग पड़ी थी। ८ इंच मोटा और ३ इंच मोटा लंड अब मेरी चूत में बहुत अच्छे से आ जा रहा था। मस्ती के मारे मेरी सीत्कारें निकल रही थी।

मैं मस्ती के मारे बड़बड़ा रही थी- अह्हह्ह आह्हह्ह आःह ! और जोर से ! आह्हह्ह और जोररर से ! मेरी जान चोद मुझे ! चोद जोर से चोद !

राज भी आः आःह्ह्ह आह्ह्ह कर रहा था जिससे पता लग रहा था कि राज भी मुझे चोद कर बेहद खुश था।

रेल गाड़ी अपनी पूरी रफ़्तार पर थी और रेलगाड़ी के अंदर मेरी चुदाई भी पूरी शबाब पर थी।

मैं सारिका अपनी जवानी का भरपूर मज़ा ले रही थी।

राज ने करीब पन्द्रह मिनट तक मेरी चूत का बाजा बजाया और मैंने भी खूब चूत-गाण्ड उछाल-उछाल कर राज के लंड का स्वाद चखा। फिर राज ने लंड बाहर निकाल कर ढेर सारा वीर्य मेरे पेट पर और चूचियों पर डाल दिया। मैं दो बार झड़ चुकी थी और अब मुझ में हिलने की भी हिम्मत नहीं थी। मैं सीट पर ही सीधी होकर लेट गई और राज ने मेरे ऊपर कम्बल डाल दिया। मस्त चुदाई के बाद मुझे कब नींद आ गई पता ही नहीं चला।

मेरी नींद तब खुली जब मुझे महसूस हुआ के मेरी चूची किसी के मुँह में है। मुझे पता था कि ये होंठ किस के थे। राज एक बार फिर से मुझ पर छा गया और फिर से हम दोनों के बदन जवानी की आग में जलने लगे और एक बार फिर राज का मोटा मूसल मेरी चूत में उतरता चला गया और फिर से मस्ती के पन्द्रह-बीस मिनट और फिर हम दोनों झड़ कर एक दूसरे से अलग हुए।

आपको मेरी जवानी की मस्ती का किस्सा कैसा लगा, जरूर बताना !

फिर मैं आपको बताऊँगी कि दिल्ली पहुँच कर क्या क्या हुआ।

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