इंटरनेट से पटा के स्नेहा की सील खोली

इंटरनेट से पटा के स्नेहा की सील खोली

सबसे पहले मेरी कहानी को प्रकाशित करने के लिए अन्तर्वासना को कोटि-कोटि धन्यवाद.. अन्तर्वासना एक इतना अच्छा मंच बन गया है कि जिसके द्वारा मेरे जैसे कितने प्यासे लंड.. और चूत इतनी अच्छी कहानियों को पढ़ कर मुठ्ठ मारते हैं और अपने आपको संतुष्ट रखते हैं।

कहानी की शुरुआत होती है.. जब मैं 8 महीने पहले अपने 2 महीने के मलेशिया ट्रिप से वापिस आया था.. कुछ ही दिनों के अन्दर मेरी चुदाई करने की इच्छा प्रबल होने लगी.. क्योंकि जब मैं मलेशिया में था तो हर हफ्ते कम से कम 2 लड़कियों को जरूर चोदता था। कभी मसाज के बाद पैसे देकर चुदाई या कभी किसी बार या पब में लड़की से बातचीत करके पटा करके चुदाई कर लेता था।

अगर लड़के की पर्सनेल्टी अच्छी है तो.. मलेशिया में लड़की को पटा कर चोदना भी काफ़ी आसान है। मेरे लिए भी ये थोड़ा आसान हो गया था क्योंकि मेरी हाइट 6 फीट है.. स्लिम बॉडी.. आकर्षक दिखता हूँ..। मेरा लंड भी 7 इंच लम्बा.. मोटाई में कम से कम 2 इन्च का व्यास.. इसलिए जितनी भी लड़कियां वहाँ मुझसे चुदी थीं.. सब काफ़ी खुश थीं।

तो मैं भारत में वापस आकर चुदाई के लिए किसी लड़की को ढूँढ रहा था.. मुझे चूत के अभाव में मुठ मारने में बिल्कुल भी मज़ा नहीं आ रहा था.. इसलिए मैंने इंटरनेट पर लड़की ढूँढना शुरू कर दिया।

मैंने ऐसी कई जगह खुद को रजिस्टर किया.. जिसमें कुछ पोर्टल किसी अजनबी के साथ वीडियो चैट की सुविधा प्रदान करते हैं। ऐसे में मुझे एक लड़की मिली.. जिसने अपना नाम स्नेहा (बदला हुआ) बताया था।
क्योंकि मेरा वेबकैम चालू था.. वो मेरे लंड को देख कर पागल हो गई।

मैंने जब उसे उसका वेबकैम स्टार्ट करने को बोला तो उसमें मना कर दिया। लेकिन फिर भी मैं अपना कैम उसे दिखाता रहा और उसकी फरमाइश पूरी करता रहा.. जैसे अपने बॉल्स को हिलाओ.. अपने प्रीकम को अपने लंड पर मलो.. इस सब में मुझे भी मजा आ रहा था।

उसने बताया कि वो 23 साल की है और अभी तक कुँवारी है। उसने फैशन डिजानयिंग का कोर्स किया है और अभी दिल्ली में जॉब कर रही है।

मैंने जब उसके कुँवारी होने का कारण पूछा तो उसने बोला- मैंने ओरल सेक्स तो किया है.. लेकिन जब मेरे एक्स-ब्वॉयफ्रेण्ड ने मेरी चूत में लण्ड डालने की कोशिश की.. तो वो घुसा ही नहीं पाया और मैंने उसे भगा दिया था.. इस वजह से मैं अभी भी कुँवारी हूँ।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

मैं ये सब सुन कर काफ़ी खुश हुआ.. हालांकि मुझे अभी भी उसकी कहानी पर पूरा भरोसा नहीं था।
फिर मैंने अपना पानी निकाल दिया.. उसने मुझे लिख कर बताया था कि वो भी उधर अपनी चूत में उंगली कर रही थी.. और उसका भी पानी निकल गया था।
वो काफ़ी खुश थी और हम दोनों ने दुबारा ऑनलाइन मिलने का फैसला किया।

इसी तरह दो-तीन बार चैटिंग करने के बाद हमने एक-दूसरे के फोन नंबर्स लिए। अब हम रोज रात में देर तक बातें करते और रोज फोन-सेक्स भी करते थे।

उसकी आवाज़ इतनी सेक्सी थी और जब वो फोन पर सिसकारियां मारती.. तो मेरा पानी तुरंत निकल जाता..
मैं उससे कहता- फोन को अपनी चूत के पास ले जाकर उंगली करो..
वो ऐसा करती और मुझे ‘फ़च.. फ़च..’ की मधुर ध्वनि सुनाई देती.. जो मेरे मज़े को दुगना कर देता था।

इस सब में काफ़ी मज़ा आ रहा था.. लेकिन फिर भी चूत का गीलापन याद आता रहता था। जो मज़ा चूत में लण्ड डालने में है.. वो दुनिया की किसी चीज़ में नहीं है।

एक दिन मैंने उससे बोला- ऐसा कब तक करेंगे.. अब हमें मिलना चाहिए।
वो बोली- हाँ.. मैं भी ये बोलना चाहती थी।

तो मैंने कहा- तुमने कभी कहा तो है नहीं.. वो चुप रही.. तो मैं समझ गया कि लेकिन वो पहले नहीं बोलना चाहती थी।

वैसे मैं बैंगलोर में रहता हूँ.. और एक मल्टी-नेशनल कंपनी में अच्छी पोस्ट पर काम करता हूँ.. तो हमने 3 हफ़्तों के बाद मिलने का तय किया.. मैंने उन दिनों के लिए अपना आने-जाने का टिकेट रेडी कर लिया।

दिल्ली पहुँच कर मैंने एक अच्छे से होटल में एक कमरा बुक कर लिया और उसे आने को बोला।
उसने मुझे कनाट-प्लेस में मिलने को कहा।
जब मैंने उसे देखा तो मुझे अपनी आँखों पर यकीन नहीं हुआ.. वो इतनी सुंदर और हॉट सेक्सी लड़की.. स्लीवलेस टॉप और टाइट जीन्स में मेरे सामने खड़ी थी। स्लीवलेस टॉप से उसकी ब्रा की स्ट्रिप्स भी दिख रही थीं।

अब मुझे विश्वास हुआ कि ये सच में फैशन डिज़ाइनिंग का कोर्स की हुई है। उसके 34 नाप के उरोज़ इतने तने हुए थे और काफ़ी गोल टाइप से थे.. कि उसे देख कर ही मेरा केला टेड़ा होने लगा।

हमने ही ‘हाय-हैलो’ के बाद एक कॉफ़ी-हाउस में जाने का तय किया और वहाँ जाकर बैठ गए।
मैं अब भी उसे घूरे जा रहा था।
उसने मेरी भूखी नज़रों को पहचान लिया और अपने मम्मों की तरफ इशारा करके बोली- इतना घूरने की ज़रूरत नहीं है.. आज ये सब तुम्हें ही मिलने वाला है।
मैं थोड़ा झेंप सा गया।

उसने बताया- मैं लंबे लड़के काफ़ी पसंद करती हूँ.. और तुम्हारी खूबसूरती से काफ़ी खुश हूँ।
करीब एक घंटे के बाद हम होटल की तरफ चल दिए.. उसने फोन करके अपनी रूममेट को बोल दिया कि वो अपने रिश्तेदार के यहाँ जा रही है.. और कल शाम तक ही लौटेगी।

जैसे ही हम अपने कमरे में पहुँचे.. मैंने बेसब्र होते हुए झट से दरवाज़ा बंद किया।
मैंने बाहर ‘डू नॉट डिस्टर्ब’ का साइन लगा दिया था और स्नेहा को अपनी ओर खींचा और उसे अपनी छाती में कस लिया।

उसके सख्त से मम्मे मेरी छाती में दब रहे थे। मेरा लंड धीरे-धीरे बड़ा होने लगा और उसके पैरों के बीच में लगने लगा। फिर मैंने उसके कान के नीचे चुम्बन करना शुरू किया.. उसकी गर्दन पर.. मैं लगातार चुम्बन किए जा रहा था।
उसकी त्वचा इतनी मुलायम थी कि जी कर रहा था.. एक-एक इंच चाट लूँ।

वो आँखें बंद किए हुई थी.. चुम्बन करते-करते मैं उसके माथे पर आया और अपने होंठों को धीरे से उसके होंठों पर रख दिया।
स्नेहा की आँखें बंद थीं.. लेकिन सिसकारी निकल रही थी।
हमने जबरदस्त फ्रेंच-किस करना शुरू कर दिया था.. दोनों की जीभ एक-दूसरे के मुँह में कुछ टटोल रही थीं।

मैं अपने दोनों हाथों को उसकी चूतड़ों पर सहला रहा था।
आअहह.. क्या मस्त चूतड़ थे.. इतने कोमल होंठ और ऊपर से माँसल चूतड़ों की गोलाई देख कर ऐसा लग रहा था कि पहले इसकी गाण्ड ही मार लूँ। लेकिन मैं जल्दबाज़ी में कुछ ग़लत नहीं करना चाहता था।

मेरा लण्ड पूरा खड़ा हो चुका था और बाहर निकलने के लिए फनफना रहा था इसलिए उसमें कुछ दर्द भी हो रहा था।

इस बीच मैंने स्नेहा का हाथ अपने जीन्स के ऊपर से अपने लंड पर रख दिया और वो मेरे लवड़े को ऊपर से ही सहलाने लगी। वो कभी-कभी ज़ोर से दबा देती और मैं एकदम से चिहुंक उठता।
करीब दस मिनट तक चुम्बन और एक दूसरे के जिस्म से खेल करने के बाद मैंने उसे बिस्तर पर पटक दिया।

क्या ब्यूटी थी.. माँसल जाँघें.. बड़ी-बड़ी चूचियां.. खूबसूरत मासूम सा चेहरा.. मैंने अपनी किस्मत को फिर से सराहा और उसके ऊपर लेट गया और उसकी चूचियों को टॉप से ऊपर से ही दबाने लगा।

वो फिर से सिसकारियाँ लेने लगी.. फिर मैंने टॉप के ऊपर से ही उसके तने हुए चूचुकों को अपने दांतों से काटने लगा.. वो थोड़ा छटपटाने लगी।
फिर मैं एक हाथ से जीन्स के ऊपर से ही उसकी चूत को दबाने लगा। उसने मेरा हाथ पकड़ लिया.. मैंने फिर से चूत को दबाना शुरू कर दिया तो वो अपनी कमर थोड़ी ऊपर को उठाने लगी।

अब समय आ गया था.. एक कमसिन कली को फूल बनाने का.. मैंने अपने कपड़े निकाल फेंके और सिर्फ़ अंडरवियर में आ गया।
मुझे हमेशा से लड़की को नीचे से नंगा करना अच्छा लगता है.. इसलिए मैंने फिर से अपने हाथों से उसकी चूत को दबाया। उसका बदन फिर से थोड़ा अकड़ा और मैंने धीरे-धीरे उसकी जीन्स को नीचे खींचना शुरू कर दिया।

नीचे मेरी मनपसंद काली पैंटी.. वो तो हमेशा से मेरी कमज़ोरी रही है.. जीन्स को पूरा निकालने के बाद मैंने अपने मुँह को उसकी कुँवारी चूत की तरफ बढ़ाया.. चूत को पैंटी के ऊपर से चाटने का भी अलग मज़ा है।
स्नेहा की सिसकारियाँ कमरे में फिर से गूंजने लगीं..

मैंने पैंटी के उतने भाग को जो चूत को ढक रहा था.. उसे अपनी जीभ से चूत के होंठों के बीच की दरार में अन्दर करने की कोशिश करने लगा।

अब स्नेहा मुझे विनती करने लगी- अब डाल भी दो अन्दर..
मेरा भी लंड अंडरवियर से निकलने के लिए तड़पने लगा.. मैंने अपने लंड को बाहर निकाल कर उसके मुँह में डाल दिया।
थोड़ा सोचने के बाद वो भी इसे लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी।

मुझे लड़की को टी-शर्ट और पैंटी में देखने में बहुत अच्छा लगता है।

उसके लगातार चूसने से मेरा माल निकलने ही वाला था.. सो मैंने उसे बिस्तर पर लेटने के लिए बोला और हम 69 की अवस्था में आ गए। मैंने उसकी पैंटी को घुटने तक सरकाया और अपनी जीभ को उसकी कसी चूत से सटा दिया।
आह.. क्या अद्भुत टेस्ट था.. विचित्र.. किंतु अलौकिक.. वो भी मेरे लंड को चूस रही थी और कभी-कभी टट्टों पर भी जीभ मार दे रही थी।

दोनों की सिसकारियों से पूरा कमरा गूँज रहा था और तभी स्नेहा ने मेरा सिर अपनी जाँघों के बीच दबाना शुरू कर दिया।
मुझे लग गया कि इसका निकलने वाला है.. सो मैं भी अपना लंड उसके मुँह में तेज़ी से हिलाने लगा और दोनों का लगभग एक साथ ही पानी निकला.. उसकी चूत से पानी की धार रिसने लगी.. मैंने चाटने की कोशिश की लेकिन फिर पैन्टी ऊपर करने उसे पोंछ दिया.. लेकिन स्नेहा ने मेरा वीर्य बूँद-बूँद पीकर साफ़ कर दिया।
उसे ओरल सेक्स का पूरा अनुभव था।

थोड़ी देर आराम करने के बाद हमारा मुख्य कार्यक्रम शुरू हुआ। उसने मेरे होंठों को चूसना शुरू कर दिया। हम दोनों का रक्त प्रवाह फिर से तेज हो गया।

अब स्नेहा ने मुझे नीचे कर दिया और मेरे ऊपर आकर अपने लटकते आमों को मेरे होंठों से स्पर्श कराने लगी.. वो मुझे तड़फा रही थी मैं उसके चूचुक को जैसे ही अपने पास पाता और अपने होंठों को चूचुक पकड़ने के लिए बढ़ाता.. वो तरंत ही अपनी चूची को ऊपर कर लेती और मैं उसके मम्मे का रस पीने से वंचित हो जाता था.. मैं फिर से ऊपर उठ कर उसके मम्मे को अपने मुँह में भरने का प्रयास करता तो खिलखिलाती हुई मुझे छाती पर अपने हाथों से धक्का देकर ऐसा करने से रोक देती थी। उसे इस खेल में बहुत मजा आ रहा था।

मैं भी उसकी चुलबुलाहट का मजा ले रहा था। मेरा लौड़ा अब पूरी तरह से खड़ा हो कर उसकी चूत पर दस्तक देने लगा था उसकी चूत में खड़े लण्ड के स्पर्श ने सुरसुरी कर दी थी और अब वो भी चुदासी हो चली थी।
अब उसको मेरा लण्ड लेने की चाहत होने लगी थी सो उसने अबकी बार अपनी चूचियों की घुंडियों को मेरे मुँह में लगा दिया और मैं मजे से उसके थन को चूसने लगा।

वो सीत्कार करने लगी.. मुझे मालूम था कि ये अनचुदी है नीचे से लण्ड लगाने में ही इसका काम हो पाएगा.. सो मैंने उसको अपने नीचे कर लिया और उसकी टाँगों को फैला कर अपना मूसल लण्ड उसकी चूत के मुहाने पर टिका दिया।

मुझे मालूम था कि पहली बार लवड़ा खाएगी तो साली चिल्लाएगी जरूर.. सो मैंने उसको बता दिया कि दर्द को सहन कर लेना ये होटल है.. जोर की आवाज हुई तो ठीक नहीं रहेगा।
वो भी सब समझती थी.. मैंने सुपारा उसकी चूत की दरार पर फंसाया और उसकी तरफ देखा।
सुपारा फंसने से ही उसको कुछ पीड़ा होने लगी थी मगर वो अपनी मुठ्ठियों को भींचे मेरे आने वाले प्रहार का इन्तजार कर रही थी।

मैंने थोड़ा सा थूक लेकर लौड़े के अगले भाग पर लगाया और उसकी तरफ देखा कर लुण्ड को अन्दर धकेल दिया।
‘आह्ह.. बहुत दर्द हो रहा है..’
वो छटपटाई पर चिल्लाई नहीं.. मुझे तसल्ली हुई और मैं कुछ रुक कर उसे चूमने और सहलाने लगा।

कुछ पलों के बाद लण्ड ने आगे सफ़र शुरू किया और इसी तरह से मैंने अपने चुदाई के अनुभव को आजमाते हुए उसकी चूत की जड़ तक अपने आपको घुसेड़ लिया था।

बस कुछ देर की पीड़ा और फिर धकापेल चुदाई… अब तो उसको मस्ती चढ़ चुकी थी।
उसने खुद के तमन्ना के साथ-साथ मेरी सारी चुदाई की कामनाओं को भी पूरा कर दिया था।
जबरदस्त अभिसार का आनन्द था।

उसकी इच्छा पर मैंने अपने माल को उसकी चूत में ही टपका दिया उसको वीर्य की गर्मी का सुखद अहसास भी लेना था।
हम लोग थक कर चूर हो चुके थे।
पर अभी चुदाई की अभीप्सा शेष थी.. वो दो दिन का कह कर आई थी। मुझे नहीं मालूम था कि वो मेरे साथ दो दिन बिताना चाहेगी।

जब मैंने उससे अपने वापसी के टिकट के बारे में बताया तो वो कुछ उदास हो गई। फिर मैंने अपना प्रोग्राम बदल दिया और वापसी का दिन एक दिन आगे सरका दिया।

पूरे दो दिन तक हम दोनों ने तरह तरह से चुदाई का आनन्द लिया.. इस मिलन के दौरान उसकी गाण्ड भी मेरे लौड़े से अछूती न रह पाई थी।

मित्रो, मेरी इस सत्य घटना पर आधारित कहानी का आप सभी लुत्फ़ उठाया होगा। अपने अनुभवों को मुझसे साझा करने के लिए मुझे ईमेल जरूर कीजिएगा।
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