पूरे दिन में शेखर ने चार बार मेरी चूत मारी और हम रात को नंगे ही सो गये

पूरे दिन में शेखर ने चार बार मेरी चूत मारी और हम रात को नंगे ही सो गये

हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम नीतू है। दोस्तों में बचपन से ही थोड़ी शरारती रही हूँ और में पहली बार अपने एक फिज़िक्स के टीचर से चुदी थी और जब में 18 साल की थी, लेकिन वो घटना में बाद में बताउंगी। दोस्तों आज में आप सभी को जो कहानी बताने जा रही हूँ, वो मेरे शादी होने के बाद की है और अब में सबसे पहले थोड़ा अपने बारे में बताती हूँ। में शुरू से ही बहुत खुले विचार की एक बहुत सुंदर लड़की हूँ और मुझे छोटे छोटे, लेकिन बिल्कुल टाईट कपड़े पहनने में कभी कोई शर्म नहीं आती। मेरे फिगर का आकार 38-28-34 है और बहुत सारे लड़के मेरी मोटी गांड और बड़े बूब्स के शुरू से ही बहुत दीवाने थे और में जब 29 साल की थी तब मेरी शादी हुई और मेरी शादी मेरे माता पिता के कहने पर हुई थी और वो लड़का जिसका नाम शेखर, वो बाहर रहता था, मुझे शुरू में उसके बारे में कुछ भी पता नहीं था और इसलिए शादी के दिन जब मैंने उसको पहली बार देखा तो में बहुत खुश हो गई, क्योंकि वो दिखने में बहुत अच्छा था और उसके बड़े बड़े मसल्स दमदार शरीर को देखकर मेरी साड़ी के अंदर मेरी पेंटी अब धीरे धीरे गीली हो रहो थी। फिर शादी के अगले ही दिन हम बाहर चले गये, हम बहुत रात को अपने घर पर पहुंचे थे और हम दोनों बहुत थकने की वजह से घर पर जाते ही सो गये।

फिर मैंने वहां पर पहुंचकर देखा कि हमारा घर बहुत बड़ा था, शेखर एक बहुत बड़ा बिजनेसमेन था और उसका एक स्कूल भी था और एक मेगज़ीन का अपना खुद का बिज़नस भी था। फिर में थोड़ा थकी होने की वजह से सुबह थोड़ी देर से उठी तो मैंने देखा कि शेखर तब तक नीचे रूम में जा चुके थे। दोस्तों शेखर ने अब तक मुझे छुआ भी नहीं था, इसलिए मैंने सोचा कि में उसको थोड़ा चकित कर देती हूँ, इसलिए मैंने अपने सारे कपड़े उतारे और एक नीले कलर की ब्रा, पेंटी पहन ली और उसके ऊपर एक काले रंग की शर्ट जो कि बिल्कुल मेरी गांड पर जाकर खत्म हो रही थी। फिर में अपनी मोटी गांड को मटका मटकाकर नीचे चली गई और तब मैंने देखा कि दो एकदम काले अफ्रिकन मर्द बैठे हुए है और उनमें से एक ने मुझे अपना नाम जॉन बताया और दूसरे ने स्टेवेमैन उस छोटी शर्ट में जिससे मेरी आधी पेंटी और आधी गांड नज़र आ रही थी और में उसमें खड़ी हुई थी। फिर उन दोनों ने मुझसे कहा कि वो शेखर के दोस्त है और उससे मिलना चाहते थे तो इसलिए चले आए। फिर मैंने तुरंत उनसे कहा कि वो अभी घर पर नहीं है और में अब शर्म के मारे मरी जा रही थी और शेखर मुझे कहीं भी नहीं दिखाई दिए तो मुझे लगा कि वो शायद बाहर गये है। दोस्तों में उस काले मर्द के लंड का मज़ा नहीं गँवाना चाहती थी। फिर एक अफ्रिकन आदमी ने मुझे बैठने को कहा और वो थोड़ा सरक कर साईड हो गया। अब में एकदम डरी सहमी सी उन दोनों काले मर्द के बीच में जाकर बैठ गई और बैठते हुए मेरी छोटी शर्ट मेरे पेट तक चढ़ गई, जिसकी वजह से मेरी पूरी नीले कलर की पेंटी उन्हे साफ साफ नज़र आ रही थी। फिर मैंने अपने दोनों हाथों से उसे छुपाने की बहुत नाकाम कोशिश की, लेकिन ऐसा हो ना सका जैसा में चाहती थी। दोस्तों मेरी शादी होने के दो दिन बाद में दो काले मर्द के बीच आधी नंगी बैठी हुई थी और तभी अचानक से एक काला मर्द उठा और उसने अपनी पेंट को गिरा दिया, उसने अंदर कोई अंडरवियर नहीं पहना हुआ था और में उसका लंड देखकर एकदम पागल सी हो गई, क्योंकि उसका वो बिल्कुल काला सा लंड मेरे एक हाथ के बराबर लंबा था और उसे देखकर वो दूसरा भी नंगा हो गया और अब वो दोनों काले मर्द मेरे सामने अपना बड़ा लंड पकड़कर खड़े हुए थे। अब में उनके लंड को देखकर और अपनी तड़पती हुई चूत को शांत करने के लिए मैंने अपनी शर्म को छोड़कर तुरंत अपनी शर्ट को उतार दिया और में सिर्फ़ अपनी ब्रा, पेंटी में अपने घुटनो पर बैठकर दोनों काले लंड का मज़ा लेने लगी। फिर मैंने एक लंड को करीब दस मिनट तक चूसा और दूसरे को हाथ से सहला रही थी और मुझे यह सब करने में बहुत मज़ा आ रहा था और मेरी चूत धीरे धीरे और भी कामुक हुई जा रही थी। फिर उसके बाद मैंने दूसरे को भी उतना ही चूसा और फिर मैंने खड़े होकर अपनी पेंटी और ब्रा को भी उतार दिया और अब मेरी एकदम गीली चूत और बड़े बड़े बूब्स उन दोनों के सामने आ गये थे।

अब में अपने नंगे बदन को लेकर उन दोनों काले मर्दो से लिपट गयी और तब एक लड़का सोफे पर बैठ गया और उसने मेरी तरफ इशारा किया और जिसको में समझ गई और जैसे ही में अपनी पीठ को उसकी तरफ करके उसके लंड पर बैठने के लिए उसके पास गई तो उसने अपना दस इंच का लंड मेरी गांड में घुसा दिया और मेरी चीख निकल गई और अब उस दूसरे मर्द ने आगे से मेरी चूत में एक जोरदार धक्का देकर अपना लंड घुसा दिया और जिसकी वजह से मुझे बहुत दर्द हुआ और में तड़पने लगी, लेकिन फिर भी में उन दोनों लंड के मज़े में खो गई थी, थोड़ी देर के बाद जॉन ने एक कैमरे को टाईमर मोड में सेट कर दिया और सामने की टेबल पर रख दिया, जिसमें हमारी चुदाई की वो सभी फोटो खींची जा रही थी और यह सब देखकर में और भी गरम हो गई और में उस कैमरे की तरफ एक शरारती स्माईल देकर और भी ज़ोर से लंड के ऊपर कूदने उछलने लगी और जिसकी वजह से उसका वो काला लंबा लंड पूरा अंदर बाहर हो रहा था। दोस्तों ये कहानी आप चोदन डॉट कॉम पर पड़ रहे है।

फिर कुछ देर बाद जॉन और स्टीव ने मुझे ज़मीन पर डॉगी स्टाईल में बैठा दिया और जॉन ने पीछे से मेरी चूत में लंड घुसाया और स्टीव ने अपना लंड मेरे मुहं में डाल दिया, अब मुझे अपनी इस तरह से चुदाई होते देख बिल्कुल एक रंडी जैसा महसूस हो रहा था। फिर कुछ देर बाद अब धीरे धीरे मुझे बड़े लंड की आदत हो गई और में मज़े से उन दोनों का लंड कभी गांड में तो कभी मुहं में तो कभी चूत में ले रही थी। दोस्तों मेरी शादी होने के दो दिन बाद ही में अपने पति से छुपकर अपने ही घर में उनके दो दोस्तों से चुद रही थी, आख़िरकार उन दोनों ने एक एक करके अपने लंड मेरे अंदर से बाहर निकाले और मुझे सोफे पर बैठा दिया और मेरे पूरे चेहरे पर वीर्य डाल दिया, में सोफे पर अपने दोनों पैरों को फैलाकर उनका माल चख रही थी। मैंने उनका माल चखा और कुछ देर बाद खड़ी हो गई। अब जॉन और स्टीव ने अपनी अपनी पेंट पहनी और जॉन ने मेरी गांड को दबोचकर मेरे होंठो पर एक लंबा सा किस दे दिया और फिर स्टीव ने अपने पूरे हाथ से मेरी चूत को दबा दिया और जिसकी वजह से में उछल गई। अब स्टीव ने मुझे अपनी गोदी में उठा लिया और एक लंबा सा किस दे दिया और फिर वो वहां से दोनों चले गये। फिर में अपनी दोनों आखें बंद करके अपने दोनों पैरों को फैलाकर सोफे पर ना जाने कब सो गई मुझे पता ही नहीं चला, लेकिन तभी कुछ देर बाद मुझे मेरी चूत में कुछ छूता हुआ महसूस हुआ और जैसे ही मेरी आँखें खुली तो मैंने देखा कि शेखर का मोटा लंड मेरी चूत के अंदर था। फिर उसने मुझसे मुस्कुराते हुए कहा कि क्यों रंडी अब अपने पति से नहीं चुदेगी? और वो ज़ोर ज़ोर से ताबड़तोड़ धक्के देकर मेरी चूत को मारने लगा, जिसकी वजह से उस सोफे के साथ साथ में भी पूरी तरह से हिलने लगी। फिर मैंने उसे एक शरारती सी स्माईल देकर उससे कहा कि में तुम्हारे लिए ही तो रंडी बनी हूँ और अब उसे अपनी बाहों में लेकर में भी अपनी कमर से उसके लंड की तरफ हल्के हल्के झटके देने लगी। दोस्तों में बस अब मन ही मन दुआ कर रही थी कि उसने मुझे जॉन और स्टीव से चुदते हुए ना देखा हो? वैसे तो शेखर का लंड भी बहुत मोटा था, उस पूरे दिन हम घर में बिल्कुल नंगे ही रहे और पूरे दिन में शेखर ने चार बार मेरी चूत मारी और हम रात को नंगे ही सो गये।

फिर अगले दिन सुबह उठते ही मैंने शेखर की तरफ देखा तो वो नंगा बहुत सेक्सी लग रहा था और में अब उसकी तरफ चली गई। फिर मैंने तुरंत उसका सोया हुआ मुलायम लंड अपने हाथ में ले लिया और फिर मैंने उससे कहा कि क्या बात है तुम्हारा लंड बहुत देर तक सोता है? और अब मैंने उसके लंड को अपने मुहं में ले लिया और करीब पांच सेकेंड के अंदर उसका लंड अब पूरी तरह से तनकर खड़ा हो गया और उसने मुझे पकड़कर बेड पर सीधा लेटा दिया और मेरे पैरों को पूरा फैला दिया और अपना मुहं मेरी चूत में अंदर तक घुसा दिया, मुझे इतना मज़ा आ रहा था कि में उसे आप सभी को शब्दों में नहीं बता सकती। में अब थोड़ा थोड़ा हिल रही थी और फिर उसने अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया और वो मुझे चोदते हुए थोड़ा मेरी तरफ झुका और मुझे चूमने लगा और एक घंटे की चुदाई के बाद उसने एक टाईट अंडरवियर पहना और मैंने एक जालीदार टॉप बिना ब्रा के और एक लाल कलर की पेंटी पहनी। तभी एक घंटी बजती है और में शेखर की तरफ देखती हूँ कि वो उठकर जाकर देखे कि बाहर कौन आया है? तो शेखर ने बोला कि क्या में जाऊँ? फिर मैंने उससे कहा कि क्या में ऐसे जाऊँ? इस टॉप से मेरे पूरे नंगे बूब्स दिख रहे है और इसमें से मेरी पेंटी भी दिख रही है।

फिर शेखर ने मुझे देखकर स्माईल किया और ज़ोर से मेरी गांड पर एक थप्पड़ मार दिया और में तुरंत समझ गई और में स्माईल करके जाने लगी और अपना टॉप थोड़ा और ऊपर उठाया ताकि मेरी पेंटी अच्छे से दिखे और मैंने पीछे शेखर को देखकर उसे आँख मारी। फिर मैंने दरवाजा खोल दिया और सामने एक गोरा आदमी खड़ा हुआ था, उसने मुझे एक डब्बा हाथ में दे दिया और मुझसे एक पेपर पर हस्ताक्षर करने को कहा, हस्ताक्षर करते हुए मैंने देखा कि वो कैसी बड़ी बड़ी आँखों से घूर घूरकर मेरे बूब्स और पेंटी को देख रहा था, उसकी पेंट में उसका लंड खड़ा हो चुका था और वो पेंट के बाहर से ही पता चल रहा था। फिर मैंने वो पेपर उसे हस्ताक्षर करके दे दिया और अपना एक हाथ अपनी पेंटी के अंदर डाल दिया और दूसरे हाथ से दरवाजा बंद कर दिया। तभी पीछे से शेखर बोला तू तो एकदम रंडी निकली। दोस्तों उसके साथ गुजरे मेरे कुछ घंटे और उसके मुहं से यह शब्द सुनकर में अब पूरी तरह से समझ गई थी कि शेखर के साथ मेरी आगे की ज़िंदगी भी बहुत मज़ेदार हो जाएगी और मुझे उसके साथ बहुत मज़ा आएगा

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