श्वेता आंटी की मस्त चूत

श्वेता आंटी की मस्त चूत

हैलो दोस्तो, मेरा नाम पीयूष है, मैं करनाल हरियाणा में रहता हूँ। मेरी उम्र 25 साल की है, मेरा लंड 6.5 इंच का और काफ़ी मोटा है।

यह मेरी पहली कहानी मेरी और मेरी पड़ोसन श्वेता की है, वो एक शादीशुदा औरत है, उसके पति की वो दूसरी औरत है, उसके पति का पहले से एक बच्चा है। उसकी शादी को 5 साल हो गए हैं, पर उसका अभी तक कोई बच्चा नहीं है।

वो हमारे पड़ोस में 4 साल से रहे हैं। उसका फिगर भरा हुआ है, देखने में एकदम मस्त माल है। आज से पहले मेरी सिर्फ़ हाय-हैलो ही थी।

एक दिन मेरी मम्मी को कहीं बाहर शादी में दिल्ली जाना था, तो वो श्वेता को कह कर गईं कि इसको रात का खाना खिला देना। मेरा मन चंचल हो उठा, मैं कई बार श्वेता के नाम की मुठ मार चुका हूँ।

शाम को आंटी ने मुझको आवाज़ दी कि रात को खाना उसके घर पर ही खाना है।

मुझको पता था कि अंकल शाम को घर 8:30 को आते हैं, तो इसलिए मैं शाम को जल्दी चला गया। मैंने देखा कि आंटी रसोई में हैं और उनका बच्चा पढ़ाई कर रहा था तो मैं बच्चे के पास जाकर बैठ गया।

आंटी ने मुझको खाना परोस दिया और मैं खाने लगा।

आंटी मुझको वासना भरी नज़रों से देख रही थीं, मैं उनको देख कर समझ गया था कि वो मेरे अकेले होने का फायदा उठना चाहती हैं।

जब मैं खाना खाकर चलने लगा, तो आंटी ने कहा- रात को डर तो नहीं लगता, अंकल को तुम्हारे घर सोने के लिए भेज दूँ।
मैंने भी कह डाला- डर तो नहीं लगता, अगर आप आएँ तो अच्छा होगा!
वो हँसने लगी और रसोई में चली गईं, मैं भी अपने घर आ गया।

मैं देखता रहा कि शायद आंटी रात को आ जाएँ, मगर नहीं आईं।
मैं मुठ मार कर सो गया।

सुबह 9 बजे आंटी ने दरवाजा खड़काया, मेरी आँखें खुलीं और मैंने दरवाजा खोला तो देखा, आंटी थीं।
आंटी अन्दर आ गईं और कहा- मैं तो रात को भी आना चाहती थी, पर तेरे अंकल रात को घर पर ही थे, इसलिए नहीं आ सकी। अब वो दुकान चले गए हैं और मुझको दोपहर तक कोई काम नहीं है।

मैं भी इसी मौके की तलाश में था कि आंटी मुझको अकेली मिलें। तो मैंने सीधा आंटी का मम्मा पकड़ लिया और दबाना शुरू कर दिया। आंटी भी ‘आहें’ भर रही थीं।

तभी मैंने दूसरा हाथ उनकी सलवार में डाल कर चूत रगड़ना शुरू कर दिया। मैंने पहली बार किसी शादीशुदा औरत की चूत को छुआ था। मुझको मजा आ रहा था और आंटी को भी आ रहा था।

सिर्फ 2 मिनट के बाद ही आंटी ने अपनी कमीज उतार दी और ब्रा भी जल्दी से खोल कर फेंक दी और बिस्तर पर लेट गईं।

वाह…आंटी क्या मस्त माल थीं.. खड़े चूचे.. भूरे चूचुक… उनको देख कर ही मेरा लवड़ा तन गया।

मैंने सिर्फ़ निक्कर और बनियान पहन रखी थी और मैं आंटी के मम्मे मुँह में लेकर चूसने लगा। बहुत मोटे-मोटे पपीते थे, मुझे मजा आ रहा था, लगभग दस मिनट तक मैं चूसता रहा।
फिर आंटी ने मुझे अपने ऊपर से हटा कर मेरी निक्कर उतारी और लण्ड को हाथ में लेकर हिलाने लगी।

वो और ज्यादा तन गया, मैंने आंटी से उसे मुँह में लेने को कहा।
आंटी ने झट से मुँह में ले कर उसे 5 मिनट तक चूसा।

ऐसा लग रहा था जैसे कि कुछ जादू हो रहा है। फिर मैंने आंटी को लिटा कर उनकी सलवार उतारी।

उन्होंने पेंटी नहीं पहनी हुई थी, उनकी चूत फूली हुई थी, उसे देख कर मुझसे रुका नहीं गया और मैंने चूत चूसना शुरू कर दी, उसमें से पानी निकल रहा था।
फिर मैंने लंड को हिला कर आंटी की चूत की फांक में रख दिया और एक झटका मारा।

आंटी की सिसकारी निकल गई, आंटी ने कहा- आराम से कर.. आज पहली बार किसी और से चुदवा रही हूँ.. आराम से कर.. तेरा काफ़ी मोटा है, मैं अब सारा दिन तेरी ही हूँ!
तो मैंने आराम से अन्दर डालना शुरू किया उनकी चूत ज्यादा खुली हुई नहीं थी, तो उनसे पूछने पर उन्होंने कहा- तेरे अंकल का पतला सा है..!

मैं बातों पर ना ध्यान देते हुए फुद्दी पर ध्यान दे रहा था, मैं धीरे-धीरे अन्दर-बाहर कर रहा था, आंटी को भी मजा आ रहा था।
तभी आंटी ने कहा- ज़ोर से करो..!

मैंने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और आंटी के मम्मे चूसने लगा, साथ ही साथ मैं कभी आंटी के होंठ चूस लेता था।
आंटी की साँसें चढ़ रही थीं, मैं भी रुका नहीं और लगा रहा।
जल्द ही कुछ मिनट के बाद मैं और आंटी एक साथ झड़ गए मैंने माल आंटी की चूत में ही छोड़ दिया।

आधे घंटे के बाद मेरा फिर खड़ा हो गया। मैंने फिर आंटी की चूत में पेल दिया। हमारी दूसरी चुदाई 15 मिनट तक चली।
उस बीच आंटी 2 बार झड़ चुकी थीं।

मुझे चुदाई में मजा आ रहा था। उस दिन आंटी ने मुझको 4 बार अपनी चूत चोदने दी और 2 बजे लड़खड़ाती हुई अपने घर चली गईं। मुझे उस दिन मजा आ गया।

इस बात को अभी सिर्फ 15 दिन हुए हैं, अभी तक आंटी को दुबारा चोदने का मौका नहीं मिला, अब तो आंटी भी मौके की तलाश कर रही हैं।
मेरे साथ वो भी दुबारा चुदवाने को बेचैन हैं। उस दिन के बाद मुझको सभी आंटियाँ सेक्सी लगने लगी हैं।

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