बहन की ख्वाहिश – Antarvasna

बहन की ख्वाहिश – Antarvasna

हमेशा की तरह माँ पापा के कमरे से जोर जोर से चिल्लाने की आवाजें आ रही थी… मेरे कमरे के दरवाजे पर दस्तक हुई, मैंने दरवाजा खोला तो मेरी छोटी बहन थी। हमारे घर में हम चार लोग थे माँ, पिताजी, मैं और मेरी छोटी बहन। मैं तब कॉलेज में पढ़ रहा था और मेरी छोटी बहन सोनिया बारहवीं में थी।

मैंने उसे पूछा- क्या हुआ?

तो उसकी आँखों में आँसू थे, और वो मुझसे लिपट गई, कहने लगी- भैया, आज भी माँ और पिताजी झगड़ रहे हैं, मुझे डर लग रहा है, मैं आपके कमरे में रुक सकती हूँ?

मैंने उसे कमरे के अंदर कर लिया। मेरी बहन सोनिया बहुत प्यारी है, गोरा रंग, दिखने में बेहद खूबसूरत, उसके वक्ष के उभार बहुत ज्यादा नहीं हैं।

वो आकर मेरे बिस्तर पर लेट गई, मैंने तकिया लिया और जमीं पर सोने ही वाला था कि सोनिया ने कहा- भैया, आप भी ऊपर सो जाओ, बचपन में तो हम साथ में ही सोते थे !

और तभी लाइट चली गई, मैंने मोमबत्ती जला दी। मैंने अपनी बहन को मोमबत्ती की रोशनी में देखा उसने सफ़ेद नाइटी पहनी थी और वो परी जैसी लग रही थी।

मैं बिस्तर पर लेट गया और सोनिया मेरी बगल में थी। मैंने उसे कहा- तुझे तो अब आदत हो जानी चाहिए माँ-पिताजी के झगड़े की ! तुम इस बात से डरा मत कर और वे लोग बिना लड़े एक दिन भी नहीं रह सकते। यह उनके प्यार करने का तरीका समझ ले।

वो मुस्कुराई और फिर उसने कहा- भैया लाइट नहीं है, बहुत गर्मी हो रही है, क्या मैं नाईटी उतार दूँ?

मैं कुछ समझ नहीं पाया कि क्या कहूँ, मैंने कहा- हाँ उतार दे अगर तुझे तकलीफ हो रही है तो !

‘आप भी अपना शर्ट-पजामा निकाल दो, वर्ना आप पसीने से नहा जाओगे और बिस्तर गीला हो जायेगा।’ उसने शरारत भरी मुस्कराहट के साथ कहा।

मैंने कहा- नहीं, मुझे कोई परेशानी नहीं है !

वो तपाक से बोली- ठीक है, फिर मैं भी नहीं निकालती, आपकी छोटी प्यारी बहन गर्मी से परेशान हो तो आपको क्या?

‘ठीक है, निकालता हूँ मैं भी !’ कह कर मैंने अपने कपड़े उतारे और फिर देखा तो वो मुझे मुस्कुराते हुई देख रही थी- अब मेरे कपड़े उतारो !

मैं भाई होने के नाते उसके कपड़े उतारने लगा, यह एक भाई बहन का प्यार ही था, एक भाई जो अपनी बहन को गर्मी से परेशान होते हुए नहीं देख सकता था, मगर में हैरान हुआ जब देखा उसने अंदर कुछ भी नहीं पहना था।

‘सोनिया यह क्या? तुमने ब्रा और नीचे भी कुछ नहीं पहन रखा?’

‘भैया, आपको तो पता ही है मुझे ब्रा की जरुरत नहीं और रात को नीचे कुछ पहन कर क्या फायदा है, और आप कौन सा मेरे साथ कुछ शरारत करने वाले हो। मैं आपको बहन हूँ, आपका मुझ पर पूरा हक है, अगर आपका जी करे तो आप मुझे प्यार भी कर सकते हो !’

वो मेरा अंडरवीयर उतारने लगी, मैंने उसे रोका तो बोली- भैया, चलो भी, मैंने कुछ नहीं पहना और आप पहन कर बैठे हो? उतार भी लो ! वैसे भी गर्मी बहुत हैम आपको तकलीफ होगी। और आपका शेर भी अंदर अकेला होगा उसे मेरी गुफ़ा देखने दो, मैंने भी आपका शेर कभी देखा नहीं है। अब छोटी प्यारी बहन से भला क्या शरमाना?’

मैं उसकी बातें सुन कर हतप्रभ रह गया कि यह आज कैसी कैसी बातें बोल रही है, पर मैंने उसे मदद की मेरा अंडरवीयर उतारने में…

फिर हम बिस्तर पर लेट गए आजू बाजु नंगे, उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपने बदन पर रखा और बोली- भैया, आप सो गए क्या?

‘नहीं तो, क्यों?’

उसने मेरे तरफ देखते हुए कहा- मुझे आपकी मदद चाहिए थी !

‘कैसी मदद?’ मैंने कहा।

मेरी प्यारी बहन मेरे ऊपर आ गई, मेरे ऊपर लेट कर मेरी आँखों में देख रही थी।

अब मेरे लंड को कौन बताये कि भाई बहन का रिश्ता कितना पवित्र होता है, वो खड़ा होने लगा था बेशरम की तरह !

उसने मेरे लंड को देखा, उसको हाथ में पकड़ा और अपने चूत को निशाना लगा कर मेरे ऊपर बैठ गई.. उसने कहा- आप मेरे बूब्स चूसो ताकि यह बड़े हो जाये और फ़िर मुझे चोदना !

मेरा दिमाग काम करना बंद कर रहा था, फिर भी मैंने जैसे तैसे कहा- तू मेरी बहन है, यह सब गलत हो रहा है, तू अभी अपने कमरे में जा !

‘चलिए भी ! आप चाहते हो कि आपकी बहन की इज्जत कोई और लूटे? आप मेरे भाई हो और मैं अपनी इज्जत आपको दे रही हूँ ताकि आप इसकी रक्षा कर सकें, एक भाई जब बहन को चोदता है तो उन दोनों का रिश्ता और भी मजबूत होता है। मैं हमेशा से आप में अपना रक्षक देखती आई हूँ। अगर आप मुझे चोदोगे तो मुझे किसी गैर से नहीं चुदना पड़ेगा। आप दिमाग की नहीं, अपने लंड की सुनो, वो सिर्फ चूत देखता है, आपका लंड मेरी चूत में मजे करेगा। प्लीज़, बहनचोद बन जाओ !

मेरी छोटी बहन मुझे भाई का फ़र्ज़ सिखा रही थी, मोमबती के प्रकाश में उसका पसीने से भीगा हुआ बदन चमक रहा था और मेरा लंड उसकी चूत में अटका हुआ था।

मैं मुस्कुराया और उसे गले लगाते हुए कहा- मैं अपनी बहन की हर ख्वाहिश पूरी करूँगा, तूने आज मुझे मेरा फ़र्ज़ याद दिलाया है, बहन आज से तेरी इज्जत मेरी इज्जत है, मैं तुझे चोद कर तुझे किसी गैर के हाथों का खिलौना नहीं बनने दूंगा।

मैंने उसके एक चुचूक को मुँह में लिया और लंड को धक्का मारना शुरू किया, वो आहें भरने लगी।

सोनिया ने कहा- भैया और जोर से करो और मेरे बूब्स को काटो !

उसने मेरे बालों को पकड़ा, उसने अपने चूतड़ों को हिलाना शुरू किया जिससे मुझे उसे चोदने में मदद मिलने लगी।

अब उसने मुझे दूर धकेला और चूत को लंड से अलग किया। मैं पागल हो रहा था कि वो ऐसा क्यों कर रही है..

‘भैया अब आप अपनी बहन का पेशाब पियोगे, आपके लिए स्पेशल !’ कहते हुए उसने चूत मेरे मुँह पर लगाई।

मैं ‘छीः’ कहते हुए दूर हटा, तो उसने मेरा सर पकड़ा और कहा- भाई जब हमने सोच ही लिया है कि दो जिस्म एक जान हो जायें तो मेरा पेशाब क्या और आपका पेशाब क्या, आप मेरा पेशाब पी लीजिये, आपको पसंद आयेगा !

मैंने कहा- पर छोटी, मुझे घिन आ रही है। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

‘भैया भैया मेरे प्यारे भैया, पेशाब से कैसी घिन, याद है आपको दूध नहीं पसंद, फिर भी आप दूध पीते ही हो ना बॉडी बनाने के लिए, वैसे ही पेशाब पी लीजिये, मैं और नहीं रोक सकती जल्दी से मुँह लगाओ, फिर हमें चुदाई भी पूरी करनी है।’

मैं नीचे लेटा और छोटी मेरे मुँह में मूतने लगी। झूठ नहीं कहूँगा, बहुत अजीब सा स्वाद था, पर मुझे पसंद आया।

उसने मुझे गले लगाया- बहनचोद भाई हो आप, बहन की खुशी के लिए उसका पेशाब भी पी डाला ! आओ हम चुदाई पूरी करें। और याद रखो अपना पूरा माल मेरे अंदर डालना भैया, मैं आपके लिए ऐसा कर रही हूँ ताकि आप सिर्फ घर में रह कर मुझे चोदें और बाहर मुँह ना मारें। जिसकी बहन इतनी खूबसूरत हो, उसका भाई किसी और लड़की को चोदे तो अच्छा नहीं लगता !

मेरी आँखों में आँसू आ गए, मेरी बहन मुझे इतना प्यार करती है- सोनिया, आई लव यू बहना ! उसकी चूत में फिर से लंड डालते हुए मैंने कहा।

‘भैया, आई आल्सो लव यू !’ और मुझे आराम से लेटने को कह कर खुद ऊपर नीचे होने लगी, पूरी मेहनत वो कर रही थी, उसका पसीना मेरे बदन पर गिर रहा था, वो चिल्लाना चाहती थी पर घर के लोग ना जाग जायें इसलिए चुपचाप सब दर्द सहन करके चुद रही थी।

मैंने कहा- मैं आने वाला हूँ।

उसकी आँखों में चमक थी- भैया, आ जाओ, रास्ता साफ़ है !

पचक पचक की आवाज आनी शुरू हुई और उसका रस और मेरा रस एक हो गया, वो मुझ पर गिर गई, मैंने उसे लेटाया और उसकी चूत को चाटने लगा, उसने मेरे बालों में हाथ फेरना शुरू किया, मैं उसे चाट रहा था और वो सिसकारियां ले रही थी। थोड़ी देर में उसकी चूत मैंने चाट के पूरी साफ कर दी।

फिर उसने मेरे लंड को मुँह में लेकर पूरा साफ़ किया।

‘भैया आपने मुझे आज सबसे बड़ा तोहफा दिया है !’ ऐसा कह कर वो मेरे लंड को सहलाने लगी।

‘पर छोटी, दुनिया क्या कहेगी, मैं तुम्हारा भाई हूँ और मुझे तुम प्यारी हो, मगर यह सब गलत है, मैं अपने आप को रोक नहीं पाया अपने लंड की बातों में आकर !’

‘भैया, बुरा ना मानो, दिमाग और लंड की जंग में हमेशा लंड ही जीतता है, यह सृष्टि का नियम है, भाई के लिए बहन इसी लिए बनाई गई है ताकि बहन भाई की और भाई बहन की जरूरतें पूरी कर सके, अपनी बहन होते हुए दूसरों की बहन को चोदना पाप है। चूत तो हर एक की होती है फिर बहन की और दूसरी लड़की की चूत में क्या फर्क है?’

मेरी बहन जो कह रही थी, मुझे कुछ कुछ सही लग रहा था फिर भी मैं अज्ञानी उससे पूछ बैठा- फिर लोग शादी क्यों करते अगर बहन चोदना सही होता..?

‘भैया आप भी ना बुद्धू हो, अरे हर एक को बहन नहीं होती उसके लिए पुराने ज़माने में लोगों ने शादी करना शुरू की, पहले किसको पता था कि बहन और भाई कैसे रहते थे। सभी भाई अपनी बहन को चोदते थे और सभी बहने अपने भाई का लण्ड लेती थी, पर इस जालिम समाज ने ऐसा होने नहीं दिया। आपका लंड इतना बड़ा और प्यारा है और वीर्य भी इतना मीठा है, अब आप ही बताओ, इस पर पहला हक़ आपकी बहन का ही होना चाहिए ना? अरे लीजिये आपका लंड खड़ा हो गया, डालिए फिर से इसे चूत में !’

मैंने उसकी चूत में लंड डाला और धक्के मारने लगा, मुझे अपनी बहन की शिक्षाप्रद बातें भाने लगी।
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