छब्बीस साल की कुंवारी कन्या

छब्बीस साल की कुंवारी कन्या

नमस्कार दोस्तो, मैं प्रेम प्रकाश उम्र 24 वर्ष, कद 5 फीट 9 इंच, गोरा रंग भरा हुआ बदन। मैं छतीसगढ़ के एक छोटे शहर से हूँ। अपनी पढाई पूरी करने के बाद मैं राजधानी रायपुर में जॉब कर रहा हूँ।

मैं बहुत ही कामुक व्यक्ति हूँ जवानी मेरे आँखों से दिखती है। मैं एक चुदक्कड़ किस्म का इन्सान हूँ, माल देखते ही निगाहों से ही उसे चोद डालता हूँ।
अब मैं अपनी कहानी पर आता हूँ।

रात भर अन्तर्वासना की कहानी पढ़ने के बाद मैं सुबह अपने काम पर निकल गया। दोपहर दो बजे के करीब मैं घड़ी चौक से गुजरते हुए अपनी आदत से मजबूर लड़कियों को लिफ्ट देने का इशारा करते हुए धीमी गति से चल रहा था।
तभी मुझे एक लड़की दिखी जो अपना चेहरा ढके हुई थी। मुझे सिर्फ उसकी आँखें और बड़े-बड़े मम्मे ही दिख रहे थे। मैं अपनी बाइक रोक कर फोन पर बात करते हुए उसे इशारा किया, तो वो हँसते हुए आगे चली गई।

मैंने तुरंत बाइक स्टार्ट की और उसकी तरफ चलने लगा। तभी उसने मुझसे कुछ बोलना चाहा और मैंने तुरंत पूछा- कहाँ जा रहे हो आप ! क्या मैं आपको छोड़ दूँ !
उसने कहा- मुझे एक्सिस बैंक जाना है, बैंक बंद होने का टाइम हो रहा है… क्या आप मुझे वहाँ तक छोड़ देंगे !
तो मैं बोला- मैं भी उसी तरफ जा रहा हूँ, आप चल सकती हो !
और वो बाइक पर बैठ गई। मैं धीमे गति से चलते हुए बातें करने लगा- आपका नाम क्या है?
तो उसने कहा- गीता (बदला हुआ नाम) और आपका?
‘जी, मेरा नाम प्रेम है.. आप कहाँ जॉब करती हो !’
तो उसने कहा- मैं एक स्कूल में एकाउंट डिपार्टमेंट देखती हूँ और आप?
‘मैं पी.आर.ओ हूँ.. मतलब जो हॉस्पिटल का प्रचार करते हैं !’
बातों ही बातों में बैंक आ गया, मैं उसे उतार कर ‘बाय’ करते हुए आगे बढ़ने को हुआ।
तो उसने कहा- मुझे केवल दस मिनट का काम है, उसके बाद क्या आप मुझे स्टेशन तक छोड़ देंगे?
तो मैं बोला- आप अपना काम कर लो, मेरा घर पास ही है.. जब तक मैं कुछ खा लेता हूँ। आप मेरा नम्बर रख लो, जब आपका काम हो जाए, तो कॉल कर देना, मैं आ जाऊँगा !
नम्बर देते हुए मैं घर की ओर निकल गया।
तभी मेरे सर का फोन आ गया, उनसे बातें करते हुए दस मिनट कब हो गए, मुझे पता ही नहीं चला।
तभी गीता जी का फोन आ गया- प्रेम जी, आप आ जाइए.. मेरा काम हो गया है !
तो मैंने कहा- पर मेरा काम तो नहीं हुआ है, पर आप रुको, मैं आ रहा हूँ।
उसने कहा- ओके !
और दो मिनट में मैं बैंक पहुँच गया तो गीता जी ने पूछा- आपने कुछ खाया या नहीं?
तो मैंने कहा- गीता जी बैंक से निकलते ही मेरे सर का फोन आ गया था, तो उनसे बातें करने लगा और फिर आपका फोन आ गया तो मैं आपके पास आ गया।
उसने कहा- प्लीज.. आप मुझे स्टेशन छोड़ दीजिए, वरना मेरी ट्रेन छूट जाएगी।
मैंने पूछा- आप को कहाँ जाना है?
तो उसने बताया- मेरा घर दुर्ग में है, मैं डेली अप-डाउन करती हूँ !
मैंने कहा- पर ट्रेन तो हर एक घंटे में है और बस भी चलती है ! अगर आप को कोई प्रॉब्लम ना हो तो आप मेरे साथ घर चलो, मैं जल्द ही कुछ खाकर आप को स्टेशन छोड़ दूँगा।
तो उसने कहा- मैं आपके घर कैसे चल सकती हूँ..? आपके घर वाले क्या समझेंगे !
मैंने कहा- आप चिंता मत करो, मैं घर में अकेला रहता हूँ। अगर आपको मुझ पर भरोसा है तो आप चल सकती हैं।
तो उसने कहा- ठीक है, पर मुझे जल्दी जाना है, आप कुछ खाकर जल्दी ही मुझे स्टेशन छोड़ देना।
और वो मेरे साथ मेरे घर की ओर चल दी। मन ही मन मैं सोचने लगा ‘हे कामिनी देवी… काश यह माल चोदने को मिल जाए !’
और सोच-सोच कर मेरा लंड भी सुरसुरा रहा था। शायद चुदाई की सोच कर खुशी के आंसू बहा रहा था।
तभी मेरा घर आ गया और उसे लेकर अपने घर के अन्दर आ गया और हाँ.. मैं किराये के घर में रहता हूँ, जिसमें एक बेडरूम और एक किचन व लेट-बाथ है।
मैं टीवी चालू करते हुए बोला- गीता जी आप टीवी देखो, मैं आता हूँ।
उसने कहा- ठीक है !
मैं रसोई में गया और थोड़ा बहुत खाया और गीता जी के लिए पानी और दोनों के लिए केला लेकर गीता जी के पास बैठ गया और उन्हें पानी दिया।
पानी पीने के बाद गीता ने कहा- आप केला अकेले खायेंगे या मुझे भी खिलाएंगे !
मैंने भी चौके पे छक्का मारते हुए कहा- आप का ही तो है, जितना जी करे.. उतना खाइए !
उस समय टीवी पर सावधान इंडिया आ रहा था, तो हम दोनों देखने में मस्त हो गए।
तभी ब्रेक के बाद मैं बोला- गीता जी चलें, आपको देर न हो जाए !
तो उसने कहा- अभी 4.30 बजे हुए हैं.. अगली ट्रेन 5.30 बजे है, तब तक यह सीरियल भी ख़त्म हो जाएगा।
मुझे क्या.. मैं भी मौके की तलाश में था कि कुछ काम बन जाए। पर आप लोगों को बताना चाहूँगा कि लड़की को उसकी मर्जी से चोदने में जो मजा है, वो जबरदस्ती में नहीं है।
तभी टीवी देखते हुए मैं बोला- गीता जी, आप बहुत सुन्दर हैं।
तो उसने कहा- झूट मत बोलो प्रेम जी, मुझसे ज्यादा आप स्मार्ट लगते हो !
तो मैंने बोला- वो तो मैं हूँ !
बातों को आगे बढ़ाते हुए मैं बोला- गीता जी मुझे आपको ‘किस’ करने का मन कर रहा है।
एकाएक उसने टीवी बंद किया और खड़ी होकर मेरी तरफ देखने लगी। मेरी तो फटने लगी कि अब क्या करेगी ये… कहीं हल्ला तो न मचा दे… डर से मैं अपना सर झुकाए बैठा और वो मुझे घूरे जा रही थी।
फिर एकाएक वो पलंग पर बैठ गई और मुझसे बोली- मेरी तरफ देखो !
मैं डरते हुए ऊपर देखा तो उसने कहा- तुम्हारी उम्र कितनी है !
मैं बोला- 24 वर्ष !
तुरंत मैंने पूछा- और आपकी?
तो उसने कहा- तुमसे दो साल बड़ी हूँ।
पर वो अभी भी गुस्से में लग रही थी तो मैं बोला- लेकिन आप लगती नहीं कि आपकी उम्र 26 वर्ष है !
फिर उसने कहा- तुम मुझे जानते हो?
मैं बोला- जितना आपने अपने बारे में बताया है, सिर्फ उतना ही जानता हूँ।
तो उसने कहा- तब ठीक है और जानने की जरुरत भी नहीं है !
मैं मन ही मन सोच रहा था ‘चूत चुदा ले अपनी.. बाकी मुझे क्या !’
तभी उसने कहा- क्या सोच रहे हो?
मैं बोला- कुछ नहीं.. मुझे आपसे ऐसी बात नहीं करनी चाहिए, आप क्या सोचती होंगी मेरे बारे में !
उसने कहा- कोई बात नहीं, अब आपने गलती कर ही दी है, तो सजा भी माननी पड़ेगी आपको !
मुझे तो लगा, साली रांड है रूपए लेगी और चुदेगी !
पर उसने कहा- मुझे आपको गले लगाना है।
‘हे कामिनी देवी आपकी जय हो !’
मैं खुशी से फूला ना समाया और उतने में गीता मुझसे अपने दोनों हाथों को मेरी पीठ पर दबाव बनाते हुए चिपक पड़ी।
मैं आप लोगों को गीता के बदन के बारे में बताना ही भूल गया।
गीता ज्यादा सुन्दर तो नहीं थी, पर वो लगभग 5 फिट 7 इंच और फिगर 34-30-32 की होगी और वो अपने मम्मे मेरे सीने में गड़ाती हुई मुझसे चिपकी थी। मैंने भी अपने दोनों हाथों को गीता की पीठ से चिपका कर दबाव देना जारी रखा।
फिर पता नहीं कैसे.. दोनों के होंठ मिल गए और चुम्बनों की बरसात चालू हो गई।
मुझे तो लगा ये तो मुझसे भी ज्यादा गर्म है और यह सच भी था। वो आगे आप लोगों को भी मालूम हो जाएगा। फिर इस चिपका-चिपकी और चुम्बनों ने नया रूप ले लिया।
मैं बोला- गीता जी, बिस्तर पर बैठ जाओ !
पर वो मेरी बातों को अनसुना कर रही थी और मैंने गीता को गोद में उठा कर बिस्तर पर लिटाया और लाइट बंद कर टीवी ऑन करके, बिस्तर पर लेट गया, जिससे आवाज बाहर न जाए।
अब फिर से चुम्बनों की बरसात चालू हो चुकी थी। धीरे-धीरे मेरे हाथ गीता के बदन का जायजा लेने को तड़फ रहे थे और मेरी कोशिश भी कामयाब रही। जल्दबाजी ना करते हुए गीता के कुर्ते में हाथ डाल कर पेट को सहलाने लगा और धीरे-धीरे हाथ उसकी पहाड़ियों को कैद की हुई ब्रा पर जा लगे, ब्रा के ऊपर से ही निप्पलों को मसलने लगा और दूध को दबाने लगा।
आप लोगों को क्या बताऊँ, उसके इतने कठोर मम्मे थे.. मुझसे रहा न गया।
मैं गीता से पूछ बैठा- इस उम्र में भी आपके मम्मे इतने कड़े?
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
तो गीता ने कहा- मेरे मम्मे को मेरे अलावा आज आप छू रहे हैं !
पर उसकी इस बात पर मुझे यकीन करना ही पड़ा क्योंकि मम्मे मेरे हाथ में थे।
मैं बोला- आप अपना कुर्ता उतार दो, वरना कहीं फट न जाए।
पर उसने इंकार कर दिया, मैंने कहा- ठीक है जैसी आपकी मर्जी !
और लगा दूध को मसलने और अपने हाथों से कुर्ते को उतारने की कोशिश की, जो कामयाब रही।
कुरता उतारते वक्त वो उसके गले में फंस रहा था, तो उसने कहा- रुको !
और खुद उतार कर साइड में रख दिया और अब वो सलवार और ब्रा में मेरे सामने थी। मेरा लंड खड़ा हो कर पैंट फाड़ने को कर रहा था क्योंकि मेरी अंडरवियर सामने से लंड के पास फटी थी।
खड़े लंड का जायजा गीता अपनी जाँघों से ले रही थी। फिर हम दोनों चिपक गए और मैं ब्रा के हुक खोलने की कोशिस करने लगा।
ब्रा के खुलते ही जो नजारा था…अय..हय.. वो देखने लायक था !
सच में गीता के एकदम उन्नत मम्मे बिल्कुल अनछुए लग रहे थे, उसके निपल्लों को बारी-बारी मुँह में ले कर चूसने लगा।
मैं तो पुराना चुदक्कड़ था, सो अपने पूरे अनुभव से गीता को गर्म कर रहा था और हाथों से मसल भी रहा था।
एकाएक गीता के मुँह से सिसकारियाँ चालू हो गईं। वो मतवाली हुए जा रही थी और जोश में बुदबुदा रही थी, मेरे मुँह को अपने मम्मे पर अपने सीने से दबाव डाल रही थी।
मैं समझ गया कि गीता गर्म हो गई है। फिर मैं सलवार का नाड़ा खोल कर नीचे सरकाने लगा, तो गीता ने खुद सलवार उतारने में मेरी मदद की और मेरी शर्ट के बटन खोलने लगी, तो मैं खुद अपनी शर्ट उतार कर अपनी पैंट को उतारने लगा।
कुछ ही पलों में हम दोनों सिर्फ अंडरवियर में थे।
फिर वो तो इस तरह मुझसे चिपक रही थी कि मैं बेकाबू हो कर गीता के मम्मे चूसते हुए पेट को सहलाते हुए, उसकी अंडरवियर में हाथ डालने लगा।
मुझे उसकी चूत पर उगे बाल और चूत से रिसते हुए सुगन्धित रस से मेरे हाथ चिपचिपाने लगे।
गीता की चूत इतनी गर्म थी कि अगर उस समय उसे अपने लंड से छेड़ दूँ, तो कही जल कर पानी न हो जाए। फिर धीरे से उसकी पैन्टी को भी उतार कर उसकी चूत को सहलाने लगा।
गीता की सीत्कारें बढ़ने लगीं।
जैसे ही चूत के लहसुन को सहलाया, तो गीता मुझसे जोरों से चिपक गई और मेरा हाथ उसके पानी से सन गया। मैं समझ गया कि गीता झड़ गई है। वो कुछ देर मुझसे चिपकी लेटी रही।
कुछ देर बाद गीता ने बोला- आपने मेरे तो सारे कपड़े उतार दिए और अपने भी उतारो न !
हमने कहा- खुद उतार लो !
और गीता ने मेरी अंडरवियर उतार दी और मेरे लंड को देखते ही बोली- बाप रे !
मैं बोला- पहली बार देख रही हो क्या !
तो उसने कहा- नहीं, देखा तो है, पर स्कूल के बच्चों का.. लेकिन आपका तो बड़ा और मोटा है लेकिन जैसा मैंने कंप्यूटर में देखा है वैसा आज रियल में देख रही हूँ !
मैं बोला- कंप्यूटर में कहाँ देखा है?
तो गीता ने बताया- स्कूल में अकाउंट डिपार्टमेंट में हम 3 लड़कियाँ हैं.. जो एक केबिन में तीनों रहती हैं। जब सब टीचर्स की क्लास चलती है, तो हम लोग अक्सर एडल्ट मूवी देखा करती हैं। हम तीनों में एक प्रियंका मेम मेरिड हैं। वो हमसे सेक्स के बारे में हमेशा बातें करती हैं। अभी मेरा पानी जल्दी इसी लिए निकल गया, क्योंकि रोज की तरह आज भी एडल्ट मूवी देख कर ही मैं बैंक के लिए निकली थी। आप से मिलने के बाद मेरा भी मन करने लगा, पर आपको कसम है कि हमारी फ्रेंड-शिप के बारे में आप किसी को कुछ नहीं बताएँगे!
मैं बोला- ठीक है !
और हम दोनों में चुम्बन चालू हो गया और गीता को गर्म करने के बाद मैं बोला- गीता मेरे लंड को चूमो ना !
तो गीता ने मना कर दिया और अपने हाथों से लंड को ऊपर-नीचे करके मसलने लगी। मैं भी चूत के दाने को मसलने लगा और गीता की सिसकारियाँ चालू हो गई।
वो मुँह से ‘आह उह्ह’ की आवाजें निकालने लगी और कहा- अब डालो न !
मैं तुरंत गीता के पैरों के पास आकर दोनों पैरों को अपने कन्धों के ऊपर रखा और उँगलियों से चूत के छेद का जायजा लिया, तो मालूम चला ऊँगली लगते ही गीता को दर्द हुआ !
‘हे कामिनी देवी.. यह तो सच में अनचुदा माल है !’
मुझे तो जैसे विश्वास ही नहीं हो रहा था ! फिर गीता की चूत, जो पहले से गीली हो चुकी थी, पर अपने लंड को लगा कर हल्का दबाव डाला, तो गीता छटपटाने लगी।
मैं दबाव कम करते हुए मम्मे को मसलने में गीता का ध्यान बांट कर चुम्बन करते हुए फिर थोड़ा दबाव डाला, तो लंड चिकना होने के कारण अन्दर सरकने लगा।
गीता दर्द से बेहाल थी, लंड आधे से अधिक अन्दर डालने के बाद मैं कुछ देर सामान्य रह कर निप्पलों को चूसने लगा था।
अब गीता कुछ सामान्य हुई और उसने कहा- थोड़ा जोर से दबाओ.. अच्छा लग रहा है !
दूध को मसलते हुए मैं लंड को हलके-हलके अन्दर-बाहर कर रहा था।
अब गीता को भी मजा आ रहा था, उसने कहा- प्रेम.. मजा आ रहा है, करते रहो !
और दोनों की मस्ती ने कब पागलपन का रूप ले लिया, यह तो झड़ने के बाद ही मालूम हुआ !
मैं अपना पूरा पानी गीता की चूत में छोड़ रहा था और गीता से चिपका हुआ था। गीता भी मुझे जोरों से पकड़े हुई थी।
कुछ देर रूम में सिर्फ टीवी की आवाज आ रही थी और कुछ देर के बाद हम अलग हुए तो मेरे लंड से वीर्य और खून दोनों को देख कर गीता परेशान होने लगी, तो मैंने गीता को समझाते हुए उसे शांत किया कि पहली बार में यह होता है, अब दोबारा नहीं होगा!
फिर हमने टाइम देखा तो 5.45 हुए थे, गीता ने कहा- मुझे तुरंत बस-स्टाप पर छोड़ो.. वरना घर से फोन आने वाला है।
हम जल्दी से बाथरूम में जा कर फ्रेश हुए और गीता को मैं बस-स्टैंड छोड़ कर, फोन पर बात करेंगे.. बोल कर, गीता को ‘बाय’ किया। गीता की बस चल दी और मैं अपने घर आ गया और फिर रात में हमने बहुत बातें की।
दूसरे दिन मैं कैसे गीता को चोदा और फिर उसकी स्कूल की अकाउंट डिपार्टमेंट की मेमों को चोदा, यह मैं आपको अवश्य ही लिखूँगा।
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आपका प्रेम प्रकाश
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