बहुत देर कर दी सनम आते आते -2

बहुत देर कर दी सनम आते आते -2

मैंने सोनू के काम में धीरे से कहा कि मैं छोटे मामा के घर की तरफ जा रहा हूँ तुम भी चलोगी क्या?
वो बिना कुछ बोले ही चलने को तैयार हो गई।

छोटे मामा का घर दो गली छोड़ कर ही था, मैंने उसको आगे चलने को कहा, वो चली गई।
उसके एक दो मिनट के बाद मैं भी उठा और चल पड़ा तो देखा कि वो गली के कोने पर खड़ी मेरा इंतज़ार कर रही थी।
‘कहाँ रह गये थे… मैं कितनी देर से इंतज़ार कर रही हूँ।’ मेरे आते ही उसने मुझे उलाहना दिया।

मैंने गली में इधर उधर देखा और बिना कुछ बोले उसको अँधेरे कोने की तरफ ले गया और उसकी पतली कमर में हाथ डाल कर उसको अपने से चिपका लिया।
उसने जैसे ही कुछ बोलने के लिए अपने लब खोले तो मैंने बिना देर किये अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए।
उसने मुझ से छूटने की थोड़ी सी कोशिश की पर मेरी पकड़ इतनी कमजोर नहीं थी।

‘राज, तुमने बहुत देर कर दी… मैं तो बचपन से ही तुमसे शादी का सपना संजोये बैठी थी।’ उसकी आवाज में एक तड़प मैंने महसूस की थी पर अब उस तड़प का कोई इलाज नहीं था सिवाय चुदाई के।
क्यूंकि आप सबको पता है प्यार गया तेल लेने… अपने को तो सिर्फ चुदाई से मतलब है।

मैं उसको लेकर छोटे मामा के घर ले जाने की बजाय पीछे ले गया जहाँ मेरी गाडी खड़ी थी।
वहाँ पहुँच कर मैंने उसको गाड़ी में बैठने के लिए कहा तो वो बोली- इतनी रात को कहाँ जाओगे? सब लोग पूछेंगे तो क्या जवाब देंगे?
मैंने उसको चुप रहने को कहा और उसको गाड़ी में बैठा कर चल दिया।

सब या तो सो चुके थे या फिर सोने की जगह तलाश करने में लगे थे, सारा शहर सुनसान पड़ा था, वैसे भी रात के दो तीन बजे कौन जागता मिलता।

मैंने गाड़ी शहर से बाहर निकाली और एक गाँव को जाने वाले लिंक रोड पर डाल दी। करीब दो किलोमीटर जाने के बाद मुझे एक सड़क से थोड़ा अन्दर एक कमरा नजर आया।
मैंने गाड़ी रोकी और जाकर उस कमरे को देख कर आया। गाँव के लोग जानते हैं कि किसान खेत में सामान रखने के लिए एक कमरा बना कर रखते हैं। यह कमरा भी वैसा ही था पर मेरे मतलब की एक चीज मुझे अन्दर नजर आई। वो थी एक खाट (चारपाई)
उस पर एक दरी बिछी हुई थी।

मैंने सोनू को वहाँ चलने को कहा तो वो मना करने लगी, उसको डर लग रहा था। वैसे वो अच्छी तरह से समझ चुकी थी कि मैं उसको वहाँ क्यूँ लाया हूँ।
क्यूंकि अगर उसको पता ना होता तो वो मेरे साथ आती ही क्यूँ।
मैंने उसको समझाया कि कुछ नहीं होगा और सुबह से पहले यहाँ कोई नहीं आएगा तो वो डरते डरते मेरे साथ चल पड़ी।

कुछ तो डर और कुछ मौसम की ठंडक के कारण वो कांप रही थी।
मैंने गाड़ी साइड में लगाईं और सोनू को लेकर कमरे में चला गया।
कमरे में बहुत अँधेरा था, मैंने मोबाइल की लाइट जला कर उसको चारपाई तक का रास्ता दिखाया।

वो चारपाई पर बैठने लगी तो मैंने उसका हाथ पकड़ा और उसको अपनी तरफ खींचा तो वो एकदम से मेरे गले से लग गई।
वो कांप रही थी।

मैंने उसकी ठुड्डी पकड़ कर उसका चेहरा ऊपर किया तो उसकी आँखें बंद थी।
मैंने पहला चुम्बन उसकी बंद आँखों पर किया तो वो सीहर उठी, उसके बदन ने एक झुरझुरी सी ली जिसे मैं अच्छे से महसूस कर सकता था।
फिर मैंने उसके नाक पर एक चुम्बन किया तो उसके होंठ फड़फड़ा उठे, जैसे कह रहे हो कि अब हमें भी चूस लो।

मैंने उसके बाद उसके गालों को चूमा, उसके बाद जैसे ही मैंने अपने होंठ उसके दूसरे गाल पर रखने चाहे तो सोनू ने झट से अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और फिर लगभग दस मिनट तक हम एक दूसरे के होंठ चूमते रहे, जीभ डाल कर एक दूसरे के प्रेम रस का रसपान करते रहे।

मेरे हाथ उसके बदन का जायजा लेने लगे, मैंने उसकी साड़ी का पल्लू नीचे किया तो उसकी मस्त मस्त चूचियों का पहला नजारा मुझे दिखा।
बाईस साल की मस्त जवान लड़की की मस्त गोल गोल चूचियाँ जो उसके काले रंग के ब्लाउज में नजर आ रही थी, देखकर दिल बेकाबू हो गया, मैंने बिना देर किये उसकी चूचियों को पकड़ कर मसलना शुरू कर दिया।

सोनू के होंठ अभी भी मेरे होंठों पर ही थे। सोनू ने मुझे मोबाइल की लाइट बंद करने को कहा।
मुझे भी यह ठीक लगा पर मैं पहले सोनू के नंगे बदन को देखना चाहता था, मैंने सोनू के कपड़े उसके बदन से कम करने शुरू किये तो सोनू ने भी मेरे कपड़े कम करने में मेरी मदद की।

अगले दो मिनट के अन्दर ही सोनू सिर्फ पैंटी में और मैं सिर्फ अंडरवियर में सोनू के सामने था, मैं सोनू के बदन को चूम रहा था और सोनू के हाथ मेरे अंडरवियर के ऊपर से ही मेरे लंड का जायजा ले रहे थे।

मैं नीचे बैठा और एक ही झटके में मैंने सोनू की पैंटी नीचे सरका दी।
क्लीन शेव चिकनी चूत मेरे सामने थी, चूत भरपूर मात्रा में कामरस छोड़ रही थी, मैं चूत का रसिया अपने आप को रोक नहीं पाया और मैंने सोनू की टाँगें थोड़ी खुली की और अपनी जीभ सोनू की टपकती चूत पर लगा दी।

सोनू के लिए पहली बार था, जीभ चूत पर महसूस करते ही सोनू का बदन कांप उठा और उसने जल्दी से आपनी जांघें बंद कर ली।
मैंने सोनू को पड़ी चारपाई पर लेटाया और अपना अंडरवियर उतार कर सोनू के बदन को चूमने लगा, उसकी चूचियों को चूस चूस कर और मसल मसल कर लाल कर दिया था।

सोनू अब बेकाबू होती जा रही थी, उसकी लंड लेने की प्यास इतनी बढ़ चुकी थी कि वो पागलों की तरह मेरा लंड पकड़ कर मसल रही थी, मरोड़ रही थी, सोनू सिसकारियाँ भर रही थी।
लंड को जोर से मसले जाने के कारण मेरी भी आह निकल जाती थी कभी कभी!

मैं फिर से सोनू की जाँघों के बीच में आया और अपने होंठ सोनू की चूत पर लगा दिए और जीभ को जितनी अंदर जा सकती थी, डाल डाल कर उसकी चूत चाटने लगा।
सोनू की चूत बहुत छोटी सी नजर आ रही थी, देख कर लग ही नहीं रहा था कि यह चूत कभी चुदी भी होगी, पाव रोटी जैसी फूली हुई चूत जिसके बीचों बीच एक खूबसूरत सी लकीर बनाता हुआ चीरा।

उंगली से जब सोनू की चूत को खोल कर देखा तो लाल रंग का दाना नजर आया। मैंने उस दाने को अपने होंठों में दबाया तो यही वो पल था जब सोनू की झड़ने लगी थी।सोनू ने मेरा सर अपनी चूत पर दबा लिया था, चूत के रसिया को तो जैसे मन चाही मुराद मिल गई थी, मैं चूत का पूरा रस पी गया।
रस चाटने के बाद मैंने अपना लंड सोनू के सामने किया तो उसने मुँह में लेने से मना कर दिया, उसने पहले कभी ऐसा नहीं किया था।
मैंने सोनू को समझाया- देखो, मैंने तुम्हारी चूत चाटी तो तुम्हें मज़ा आया ना… और अगर तुम मेरा लंड मुँह में लोगी तो मुझे भी मज़ा आएगा। और फिर लंड का स्वाद मस्त होता है।

फिर सोनू ने कुछ नहीं कहा और चुपचाप मेरा लंड अपने होंठों में दबा लिया।
सोनू के नाजुक नाजुक गुलाब की पंखुड़ियों जैसे होंठों का एहसास सच में गजब का था।
पहले ऊपर ऊपर से लंड को चाटने के बाद सोनू ने सुपाड़ा मुँह में लिया और चूसने लगी। मेरा मोटा लंड सोनू के कोमल होंठों के लिए बहुत बड़ा था।

तभी मेरी नजर मोबाइल की घडी पर गई तो देखा साढ़े तीन बज चुके थे।
गाँव के लोग अक्सर जल्दी उठ कर घूमने निकल पड़ते हैं तो मैंने देर करना ठीक नहीं समझा और सोनू को चारपाई पर लेटाया और अपने लंड का सुपाड़ा सोनू की चूत पर रगड़ने लगा।

सोनू लंड का एहसास मिलते ही बोल पड़ी- राज, प्लीज धीरे करना तुम्हारा बहुत बड़ा है मैं सह नहीं पाऊंगी शायद।
मैंने झुक कर उसके होंठों को चूमा और फिर लंड को पकड़ कर उसकी चूत पर सेट किया और एक हल्का सा धक्का लगाया।
चूत बहुत टाइट थी, लंड अन्दर घुस नहीं पाया और साइड में फिसलने लगा।

मेरे लिए अब कण्ट्रोल करना मुश्किल हो रहा था तोमैंने लंड को दुबारा उसकी चूत पर लगाया और लम्बी सांस लेकर एक जोरदार धक्के के साथ लंड का सुपाड़ा सोनू की चूत में फिट कर दिया।
‘उईईई माँ मररर गईई…’ सोनू की चीख निकल गई।
मैंने जल्दी से सोनू के होंठों पर होंठ रखे और बिना देर किये दो और धक्के लगा कर लगभग आधा लंड सोनू की चूत में घुसा दिया।
सोनू ऐसे छटपटा रही थी जैसे कोई कमसिन कलि पहली बार लंड ले रही थी।
चुदाई में रहम करने वाला चूतिया होता है…
मैंने चार पांच धक्के आधे लंड से ही लगाये और फिर दो जोरदार धक्कों के साथ ही पूरा लंड सोनू की चूत में उतार दिया।
सोनू मुझे अपने ऊपर से उतारने के लिए छटपटा रही थी।

पूरा लंड अन्दर जाते ही मैंने धक्के लगाने बंद कर दिए और सोनू की चूचियों को मुँह में लेकर चूसने लगा।
‘राज.. छोड़ दो मुझे… मुझे बहुत दर्द हो रहा है… लगता है मेरी चूत फट गई है… प्लीज निकाल लो बाहर मुझे नहीं चुदवाना… छोड़ दो फट गई है मेरी!’
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मैं कुछ नहीं बोला बस एक चूची को मसलता रहा और दूसरी को चूसता रहा।
कुछ ही देर में सोनू का दर्द कम होने लगा तो मैंने दुबारा धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिए।
सोनू की चूत बहुत टाइट थी, ऐसा लग रहा था जैसे मेरा लंड किसी गर्म भट्टी में घुस गया हो और उस भट्टी ने मेरे लंड को जकड रखा हो।

कुछ देर ऐसे ही धीरे धीरे चुदाई चलती रही, फिर लंड ने भी सोनू की चूत में जगह बना ली थी। अब तो सोनू भी कभी कभी अपनी गांड उठा कर मेरे लंड का स्वागत करने लगी थी अपनी चूत में।
सोनू को साथ देता देख मैंने भी चुदाई की स्पीड बढ़ा दी, सोनू भी अब मेरा पूरा साथ दे रही थी- आह्ह्ह चोदो… उम्म्म… चोदो राज… मेरी तमन्ना पूरी कर दी आज तुमने… चोदो… कब से तुमसे चुदवाना चाह रही थी… आह्ह्ह… ओह्ह… चोदो… जोर से चोदो…

सोनू लगातार बड़बड़ा रही थी, मैं कभी उसके होंठ चूमता कभी उसकी चूची चूसता पर बिना कुछ बोले पूरी मस्ती में सोनू की चुदाई का आनन्द ले रहा था।
आठ दस मिनट की चुदाई में सोनू की चूत झड़ गई थी, अब सही समय था चुदाई का आसन बदलने का।मैंने सोनू को चारपाई से नीचे खड़ा करके घोड़ी बनाया और फिर पीछे से एक ही झटके में पूरा लंड सोनू की चूत में उतार दिया।

सोनू की चीख निकल गई पर लंड एक बार में ही पूरा चूत में उतर गया।
सोनू की नीचे लटकती चूचियों को हाथों में भर कर मसलते हुए मैंने ताबड़तोड़ धक्कों के साथ सोनू की चुदाई शुरू कर दी।
चुदाई करते हुए सोनू की माखन के गोलों जैसी चूचियों को मसलने का आनन्द लिख कर बताना बहुत मुश्किल है।

सोनू की सिसकारियाँ और मेरी मस्ती भरी आहें रात के इस सुनसान जगह के माहौल को मादक बना रही थी।
कुछ देर बाद सोनू दुबारा झड़ गई, सोनू की कसी हुई चूत की चुदाई में अब मेरा लंड भी आखरी पड़ाव पर था पर मैं अभी झड़ना नहीं चाहता था तो मैंने अपना लंड सोनू की चूत में से निकाल लिया।

लंड के चूत से निकलते ही सोनू ने मेरी तरफ देखा- जैसे पूछ रही हो की क्यों निकाल लिया लंड… इतना तो मज़ा आ रहा था।
मैंने सोनू को खड़ा करके उसके होंठ और चूचियों को चुसना शुरू कर दिया।
अभी आधा ही मिनट हुआ तो की सोनू बोल पड़ी… राज क्यों निकाल लिया? डाल दो ना अन्दर… मिटा दो प्यास मेरी चूत की!

मैंने दरी चारपाई से उठा कर जमीन पर बिछाई और सोनू को लेटा कर उसकी टाँगें अपने कन्धों पर रखी और लंड सोनू की चूत पर लगा कर एक ही धक्के में पूरा लंड चूत में उतार दिया।
मैं सोनू को हुमच हुमच कर चोद रहा था और सोनू भी गांड उठा उठा कर मेरा लंड को अपनी चूत के अन्दर तक महसूस कर रही थी।

अगले पांच मिनट जबरदस्त चुदाई हुई और फिर सोनू की चूत और मेरे लंड के कामरस का मिलन हो गया।
सोनू की चूत तीसरी बार जबरदस्त ढंग से झड़ने लगी और मेरे लंड ने भी अपना सारा वीर्य सोनू की चूत की गहराईयों में भर दिया।

चुदाई के बाद हम पांच दस मिनट ऐसे ही लेटे रहे।
फिर मैंने उठ कर घडी देखी तो चार बजने वाले थे। चार बजे बहुत से लोग मोर्निंग वाक के लिए निकल पड़ते है।
मेरा मन तो नहीं भरा था पर सोनू की आँखों में संतुष्टि के भाव साफ़ नजर आ रहे थे।
मैंने उसको कपड़े पहनने को कहा तो नंगी ही आकर मुझ से लिपट गई और मुझे थैंक्स बोला।
कपड़े देखने के लिए मैंने मोबाइल की लाइट घुमाई तो दरी पर लगे खून के बड़े से धब्बे को देख कर मैं हैरान रह गया पर मैंने सोनू से कुछ नहीं कहा।

मैंने कपड़े पहने और सोनू ने जैसे कैसे उल्टी सीधी साड़ी लपेटी और हम चलने लगे पर सोनू की चूत सूज गई थी और दर्द भी कर रही थी तो उससे चला नहीं जा रहा था, मैंने सोनू को अपनी गोद में उठाया और उसको लेकर गाड़ी में आया।

तब तक गहरा अँधेरा छाया हुआ था, मैंने गाड़ी शहर की तरफ घुमा दी।
पर अब डर सताने लगा कि अगर कोई उठा हुआ मिल गया तो क्या जवाब देंगे या हमारी गैर मौजूदगी में अगर किसी ने मुझे या सोनू को तलाश किया होगा तो क्या होगा।
पर फिर सोचा कि जो होगा देखा जाएगा।
मैंने गाड़ी मामा के घर से थोड़ी दूरी पर खड़ी की और फिर अँधेरे में ही चुपचाप मामा के घर पहुँच गए।

पहले मैंने सोनू को मामा के घर के अन्दर भेजा और फिर खुद छोटे मामा के घर जाकर सो गया।
कहानी जारी रहेगी।
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