बहुत देर कर दी सनम आते आते -1

बहुत देर कर दी सनम आते आते -1

अन्तर्वासना के प्रेमी मेरे दोस्तो, कैसे है आप सब!
बहुत दिनों से आप सब से अपने एक चुदाई के किस्से के बारे में बात करना चाह रहा था पर क्या करता, समय का अभाव और काम की मजबूरियाँ बीच में आकर आपसे मिलने से रोक रही थी। आज बड़ी मुश्किल से समय मिला तो सोचा आप सब को एक और अनुभव सुनाऊँ।

वैसे तो बात बहुत पुरानी हो चुकी है पर कुछ किस्से ऐसे होते है जो अक्सर अपनी याद खुद दिलवाते रहते हैं।
आपने अक्सर देखा और सुना होगा कि शादी विवाह में कुछ लोग ऐसे मिलते हैं जिनसे नजर नहीं हटती, चाहे वो अपनी/अपना रिश्तेदार ही क्यूँ ना हो।
ऐसा सभी के साथ होता है चाहे वो औरत हो या मर्द।

कुछ औरतों की खूबसूरती तो शादी विवाह में ही नजर आती है, कुछ तो वो खुद खूबसूरत होती है बाकी सब ब्यूटी पार्लर वाली की कलाकारी उसको अप्सरा बना कर सामने खड़ा कर देती है। फिर तो मर्द चाहे जितनी भी कोशिश कर ले वो अपना लंड मसले बिना रह ही नहीं पाता।

मेरे मामा के लड़के की शादी की बात है, मेरे मामा के लड़के के मामा की लड़की यानि मेरे ममेरे भाई की ममेरी बहन, जिसकी नई नई शादी हुई थी, पूरे ब्याह में बस वो ही वो चमक रही थी।
उसकी शादी मात्र अठारह दिन पहले ही थी।

वैसे तो मैं तीन चार दिन पहले ही शादी में पहुँच गया था पर काम में व्यस्त होने के कारण मेरी किसी पर भी नजर नहीं पड़ी थी।
शादी से एक दिन पहले वो आई, नाम तो स्नेह था उसका पर सब उसको सोनू कह कर ही बुलाते थे।

ऐसा नहीं था कि मैंने उसको पहले कभी देखा नहीं था पर तब वो बिल्कुल सिम्पल बन कर रहती थी, मेरे सामने आने में भी शर्माती थी।
फिर मामा के साले की लड़की थी तो रिश्तेदारी के कारण भी मैं उसकी तरफ ध्यान नहीं देता था।
वो और मैं कई बार एक साथ गर्मी की छुटियाँ मेरे मामा के घर एक साथ बिता चुके थे पर मैंने कभी उसके बारे में सोचा भी नहीं था।

पर आज जब वो आई तो मुझे ही गाड़ी देकर उनको लेने के लिए स्टेशन भेज दिया।
जैसे ही वो ट्रेन से उतरी तो मैं तो बस उसको देखता ही रह गया, लाल रंग की साड़ी में लिपटी हुई क़यामत लग रही थी वो। ज्यादा मेकअप नहीं किया हुआ था पर फिर भी किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी।
मुझ से ज्यादा तो मेरे लंड को वो पसंद आ रही थी, तभी तो साले ने पैंट में तम्बू बना दिया था।

उसके पीछे पीछे उसका पति ट्रेन से उतरा तो सबसे पहले मेरे मन और जुबान पर यही शब्द आये ‘हूर के साथ लंगूर…’
एकदम काला सा और साधारण शरीर वाला दुबला सा लड़का।

मैं तो उसको पहचानता नहीं था, सोनू ने ही उससे मेरा परिचय करवाया, पता लगा कि वो किसी महकमे में सरकारी नौकरी पर है।
तब मुझे समझ में आया उनकी शादी का राज। मामा के साले ने सरकारी नौकरी वाले दामाद के चक्कर में अपनी हूर जैसी लड़की उस चूतिया के संग बियाह दी थी।

खैर मुझे क्या लेना था।
मैंने उनके साथ लग कर उनका सामान उठाया और गाड़ी की तरफ चल दिए।
मैं उस चूतिया को अपने साथ आगे वाली सीट पर बैठना नहीं चाहता था क्यूंकि जब से मैंने सोनू को देखा था मेरे दिल के तार झनाझन बज रहे थे, लंड महाराज जीन्स की पेंट को फाड़ कर बाहर आने को बेताब हो रहे थे।

कहते हैं ना किस्मत में जो लिखा हो उसको पाने की कोशिश नहीं करनी पड़ती, मैंने सामान गाड़ी में रखवा दिया।
सोनू का पति जिसका नाम जयवीर था वो खुद ही दरवाजा खोल कर पीछे की सीट पर बैठ गया।
मैंने उसको आगे वाली सीट पर आने को कहा पर वो बोला कि सफ़र के कारण सर में दर्द है तो वो पीछे की सीट पर आराम करना चाहता है। तो मैंने सोनू को आगे की सीट पर बैठा लिया, गाड़ी स्टार्ट की और चल पड़ा।

वैसे तो वो अगले दो दिन मेरे आसपास ही रहने वाली थी पर मैं उसको कुछ देर नजदीक से देखना चाहता था इसीलिए मैंने छोटे रास्ते की बजाय लम्बे रास्ते पर गाड़ी डाल दी।
सोनू ने मुझे कहा भी कि ‘राज इधर से दूर पड़ेगा!’
पर मैंने झूठ बोल दिया कि छोटे वाला रास्ता बंद है, वहाँ काम चल रहा है।

मैं सोनू से हालचाल और शादी के बारे में बातें करने लगा, वो भी हंस हंस कर मेरी बातों का जवाब दे रही थी।
इसी बीच मैंने पीछे देखा तो श्रीमान जयवीर जी सर को पकड़े सो रहे थे।

मैंने बीच में एक दो बार गियर बदलने के बहाने सोनू के हाथ को छुआ जिसका सीधा असर मेरी पैंट के अन्दर हो रहा था।
लंड दुखने लगा था अब तो, ऐसा लग रहा था जैसे चीख चीख कर कह रहा हो ‘मुझे बाहर निकालो… मुझे बाहर निकालो…’
मैंने एक दो बार ध्यान दिया तो लगा कि जैसे सोनू भी मेरी पैंट के उभार को देख रही है, पर जैसे ही मैं उसकी तरफ देखता, वो नजर या तो झुका लेती या फेर लेती।

लगभग आधे घंटे में मैं उनको लेकर घर पहुँचा।
मामा के लड़के ने जब पूछा कि इतनी देर कैसे लग गई तो मैंने सोनू की तरफ देखते हुए कहा ‘गाड़ी बंद हो गई थी!’
तो वो अजीब सी नजरों से मेरी तरफ देखने लगी।

मुझे पता नहीं क्या सूझी, मैंने सोनू की तरफ आँख मार दी।
मेरे आँख मारने से उसके चेहरे पर जो मुस्कराहट आई तो मुझे समझते देर नहीं लगी कि आधा काम पट गया है।

फिर वो भी शादी की भीड़ में खो गई और मैं भी काम में व्यस्त हो गया।
इस बीच एक दो बार हम दोनों का आमना सामना जरूर हुआ पर कोई खास बातचीत नहीं हुई।

उसी शाम लेडीज संगीत का प्रोग्राम था, डी जे लग चुका था, शराबी शराब पीने में बिजी हो गये और लड़कियाँ औरतें तैयार होने में… पर मेरे जैसे रंगीन मिजाज तो अपनी अपनी सेटिंग ढूंढने में व्यस्त थे, मैं उन सब से अलग सिर्फ सोनू के बारे में सोच रहा था कि कैसे वो मेरे लंड के नीचे आ सकती है।
उसकी दिन में आई मुस्कराहट से कुछ तो अंदाजा मुझे हो गया था कि ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी पर यह भी था कि शादी की भीड़भाड़ में उसको कैसे और कहाँ ले जाऊँगा।

रात को नाच गाना शुरू हो गया तो मैं भी जाकर दो पेग चढ़ा आया।
जैसा कि मैंने बताया कि लेडीज संगीत था तो शुरुआत लेडीज ने ही की, वो बारी बारी से अपने अपने पसंद का गाना लगवा लगवा कर नाचने लगी, हम भी पास पड़ी कुर्सियों पर बैठ कर डांस देखने लगे।

कुछ देर बाद ही सोनू नाचने आई, उस समय उसने काले रंग की साड़ी पहनी हुई थी।
उसने भी अपनी पसंद का गाना लगवाया और नाचने लगी।
हद तो तब हुई जब वो बार बार मेरी तरफ देख कर नाच रही थी और कुछ ही देर में उसने सबके सामने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे भी अपने साथ नाचने को कहा।

मैं हैरान हो गया यह सोच कर कि बाकी सब लोग क्या कहेंगे।
शराब का थोड़ा बहुत नशा तो पहले से ही था पर उसकी हरकत ने शराब के साथ साथ शवाब का नशा भी चढ़ा दिया और मैं उसके साथ नाचने लगा।
करीब दस मिनट हम दोनों नाचते रहे और बाकी लोग तालियाँ बजाते रहे।
डी जे वाला भी एक गाना ख़त्म होते ही दूसरा चला देता।
शायद उसे भी सोनू भा गई थी।

नाचने के दौरान मैंने कई बार सोनू की पतली कमर और मस्त चूतड़ों को छूकर देखा पर सोनू के चेहरे पर मुस्कुराहट के अलावा और कोई भाव मुझे नजर नहीं आया।
हमारे बाद मामा की लड़की पद्मा नाचने लगी तो उसने सोनू के पति को उठा लिया अपने साथ नाचने के लिए।
पर वो बन्दर नाचना जानता ही नहीं था।

बहुत जोर देने पर जब वो नाचा तो वहाँ बैठे सभी की हँसी छुट गई, वो ऐसे नाच रहा था जैसे कोई बन्दर उछल कूद कर रहा हो।
सबका हँस हँस कर बुरा हाल हो गया उसका नाच देख कर।

मेरे मामा के लड़के ने बताया कि वो चार पांच पेग लगा कर आया है, साला पक्का शराबी था।
फिर सब ग्रुप में नाचने लगे।
सोनू बार बार मेरे पास आ आ कर नाच रही थी।

सब मस्ती में डूबे हुए थे, मैंने मौका देखा और पहले सोनू का हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और फिर उसकी पतली कमर में हाथ डाल कर डांस करने लगा।
एक बार तो सोनू मुझ से बिलकुल चिपक गई और मेरे खड़े लंड की टक्कर उसकी साड़ी में लिपटी चूत से हो गई, मेरे लंड का एहसास मिलते ही वो मुझ से एक बार तो जोर से चिपकी फिर दूर होकर नाचने लगी।

रात को करीब दो बजे तक नाच गाना चलता रहा, धीरे धीरे सब लोग उठ उठ कर जाने लगे, आखिर में सिर्फ मैं, मेरे मामा का लड़का, उसका एक दोस्त, सोनू और मेरे मामा की लड़की ही रह गए डांस फ्लोर पर।
उसके बाद मामा जी ने आकर डी जे बंद करवा दिया।

नाच नाच कर बहुत थक गए थे, हम पास में पड़ी कुर्सियों पर बैठ गए।
सोनू भी थक कर हाँफते हुए आई और मेरे बराबर वाली कुर्सी पर बैठ गई।
मैंने जब पूछा कि ‘लगता है थक गई?’ तो वो कुछ नहीं बोली बस उसने अपना सर मेरे कंधे पर रख दिया।
मुझे अजीब सा लगा क्यूंकि बाकी लोग भी थे वहाँ।

मैंने सोनू के काम में धीरे से कहा कि मैं छोटे मामा के घर की तरफ जा रहा हूँ तुम भी चलोगी क्या?
वो बिना कुछ बोले ही चलने को तैयार हो गई।

छोटे मामा का घर दो गली छोड़ कर ही था, मैंने उसको आगे चलने को कहा, वो चली गई।
उसके एक दो मिनट के बाद मैं भी उठा और चल पड़ा तो देखा कि वो गली के कोने पर खड़ी मेरा इंतज़ार कर रही थी।
‘कहाँ रह गये थे… मैं कितनी देर से इंतज़ार कर रही हूँ।’ मेरे आते ही उसने मुझे उलाहना दिया।

मैंने गली में इधर उधर देखा और बिना कुछ बोले उसको अँधेरे कोने की तरफ ले गया और उसकी पतली कमर में हाथ डाल कर उसको अपने से चिपका लिया।
उसने जैसे ही कुछ बोलने के लिए अपने लब खोले तो मैंने बिना देर किये अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए।
उसने मुझ से छूटने की थोड़ी सी कोशिश की पर मेरी पकड़ इतनी कमजोर नहीं थी।

कहानी जारी रहेगी।
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