इस पल के इन्तजार में

इस पल के इन्तजार में

सभी अन्तर्वासना के पाठकों को सोनू भाई का नमस्कार। यह मेरी अन्तर्वासना पर चुदाई की पहली कहानी है।

मेरी इस कहानी को पढ़ने के बाद सभी चूतें फड़कने लगेंगी और लण्ड तोप की तरह तैयार हो जाएँगे।

मेरी उम्र 23 साल है और मैं कालेज का छात्र हूँ। मेरी क्लास में एक लड़की थी जिसे मैं बहुत पसन्द करता था, उसका नाम दीपिका था। मैं उसे क्लास में रोज सेक्सी निगाहों से ताकता रहता था। उसमें बात ही कुछ ऐसी थी। उसका फ़िगर था 34-28-36 ! क्या माल थी यार ! उसको देखते ही मेरी क्लास के लौड़े आहें भरने लगते थे।

वो सचमुच एक बला थी जिसको देखते ही किसी की भी नियत बिगड़ना स्वाभाविक है। क्या मस्त चूचे थे साली के ! ऐसा लगता था कि साली के चूचों को चूस कर सारा रस निकाल कर पी जाऊँ। उसकी गाण्ड तो इतनी मस्त थी कि लगता था कि साली को अभी पटककर चोद डालूँ।

एक बार वो दिन आ ही गया जिस दिन का मुझे बेसब्री से इन्तज़ार था।

ऐसा हुआ कि कालेज का वार्षिक उत्सव था। उस दिन सभी लड़के और लड़कियाँ तैयार होकर आये थे। उस दिन तो साली वो बहुत माल लग रही थी। उसको देखते ही मेरा लण्ड टावर की तरह खड़ा हो गया और मैं हिम्मत करके उसके पास चला ही गया। हम लोग काफ़ी देर तक बात करते रहे और मैंने उसी बीच में उसको हाथ भी लगा दिया लेकिन उसने बुरा नहीं माना।

उसके बाद हम लोग कक्षा में बात करने लगे। हम लोग साथ में कैन्टीन भी जाने लगे मुझे जब भी मौका मिलता था मैं उसको छू लेता था, वो मुस्करा देती थी जिससे मेरी हिम्मत रोज बढ़ती गई। एक दिन हम लोग कक्षा में अकेले थे तो मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिये और चूसना शुरु कर दिया। वो भी इसमे मेरा पूरा साथ दे रही थी।

कुछ देर तक हम लोग एक दूसरे को चूमते रहे। फिर हमने अपने ऊपर काबू किया। उस दिन मुझसे बर्दास्त नहीं हो रहा था।

हम तुरन्त ही कक्षा से निकले और मैंने उसे अपने कमरे पर चलने के लिये कहा, और वो तैयार हो गई।

हमने तुरन्त वहाँ से ऑटो लिया और मैं ऑटो में ही शुरु हो गया। मैंने उसे अपनी बाहों में कैद कर लिया और उसके चूचे मेरे हाथों में थे। क्या चूचे थे साली के ! मेरे तो हाथों में ही नहीं आ पा रहे थे।
मैंने दीपिका के चूचों को दबाना शुरु किया। बहुत मजा आ रहा था उसके चूचों को दबाने में। मेरे होंठ उसके होंठों पर थे और वो मेरे होंठों को चूस रही थी।

कुछ देर बार हम दोनों कमरे में पहुँच गये। मैंने तुरन्त ही दरवाज़ा बन्द किया और दीपिका को जोर से पकड़ कर उसे बिस्तर पर गिरा दिया।

उससे भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था और उसने मुझे पकड़ कर अपने ऊपर गिरा लिया। उसने मेरे कपड़े उतारने शुरु कर दिये, वो कहने लगी- मैं कब से इस पल के इन्तजार में थी !

मैंने भी कहा- हाँ, मैं भी तुझे चोदना चाहता था।

अब मेरी बर्दाश्त से बाहर था रुक पाना। मैंने भी बिना देर किये उसके कपड़े उतार दिये।

अब वो सिर्फ़ ब्रा और पैटी में थी। क्या बदन था उसका ! मै उसके शरीर को देखते ही रह गया। मैंने उसकी ब्रा भी उतार दी, अब उसके मम्मे मेरे सामने थे।

उसके चूचों को देखते ही मेरे लण्ड की हालत खराब होने लगी। मैंने उसके चूचों को जोर-2 से दबाना शुरु किया। उसे भी दबवाने में मजा आ रहा था। अब उसमें अजीब सा नशा छाने लगा। उसके मुँह से अजीब तरह की आवाजें निकल रही थी। वो बस आआ आआआआई ईई ईईईईई ईइ आआआआ ईईईइ ऊऊ ऊऊऊऊ इस्स्स्सस की आवाजें निकाल रही थी और कह रही थी- जानू और जोर से दबाओ। मैं कब से इस पल के इन्तज़ार में थी। आज मुझे बहुत मजा आ रहा है।

अब मैंने अपने होठ उसके चूचों पर रख दिये और चूसने लगा। उसके मुँह से बस आआआ आऐईई ईईईईईइआआ आआऐई ईईईईई ईऊऊऊऊ की आवाजें निकल रही थी।

अब मैंने बिना देर किये अपना एक हाथ उसकी पैंटी के अन्दर डाल दिया और उसकी चूत को सहलाने लगा।

अब वो पागल हो रही थी। वो बुरी तरह तड़प रही थी। अब मैंने उसकी पैटी भी उतार दी। क्या चूत थी भाई उसकी ! एकदम चिकनी !

मैंने उसकी चूत में उंगली डाल दी और अन्दर-बाहर करने लगा।

वो आआआअ ईईईईईई सीईइस्स्सीईईईईईइ ऊऊउईईइ ऊऊऊऊऊऊऊओ कर रही थी।

मैंने उसके हाथों में अपना लण्ड दे दिया। उसने लण्ड को सहलाना शुरू किया। उसके सहलाते ही लण्ड ने अपने विशालकाय रूप में आ गया। अब मैंने उसे लण्ड मुँह में लेने को कहा। पहले तो वो मना कर रही थी पर कुछ देर बाद वो मान गई।

मैंने लण्ड उसके मुँह में डाल दिया और उसने लण्ड को चूसना शुरु कर दिया। मेरा एक हाथ उसकी चूत पर था और मैं उंगली कर रहा था।

इस समय हम दोनों को बहुत मजा आ रहा था। मुझे ऐसा अनुभव पहली बार मिला। वो मेरा लण्ड बहुत प्यार से चूस रही थी और कह रही थी- सोनू, आज तुमने मेरी तमन्ना पूरी कर दी। तुम्हारा लण्ड बहुत अच्छा है।

अब मैंने उसे सीधा लिटाया और उससे टांगें फैलाने को कहा। उसने तुरन्त अपनी टांगें फैला ली और कहने लगी- आज मेरी प्यास बुझा दो। मुझे और मत तड़पाओ।

अब मुझसे भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था। मैंने भी अपने लण्ड को दीपिका के चूत पर रखा और धीरे-2 घुसाने लगा लेकिन उसकी चूत बहुत कसी थी। मैंने थोड़ा जोर लगाया और लण्ड आधा चूत में घुस गया।

दीपिका दर्द के मारे चिल्ला उठी, वो जोर से चिल्लाई।

फिर मैंने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया। अब मैं दुबारा डालने की कोशिश करने लगा। इस बार मैंने एक बार में ही पूरा लण्ड दीपिका की चूत में डाल दिया। वो दर्द के मारे कराह उठी, वो जोर से चिल्लाई- आआआअ घुस गया। मुझे बहुत दर्द हो रहा है, मेरी चूत फट गई।

मैंने देखा तो उसकी चूत से खून निकल रहा था। वो सब जानती थी इसलिये वो ज्यादा परेशान नहीं हुई।

अब मैंने धीरे-2 लण्ड को अन्दर-बाहर करना शुरु किया। उसे बहुत मजा आ रहा था, वो अपनी गाण्ड उठा-2 कर चुदाई का मजा लूट रही थी। उसे मुँह से ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ऊऊऊऊ यस्स्स्स्स्स्स आआअ सीईईई आह आह आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह निकल रहा था।

उसके मुँह से यह सब सुनकर मुझे बहुत मजा आ रहा था।

वो कह रही थी- और जोर से चोदो।

मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और चोदना शुरु किया। अब हम दोनों को बहुत मजा आ रहा था, हम दोनों जन्नत की सैर कर रहे थे।

दीपिका को भी बहुत मजा आ रहा था, वो कह रही थी- आज मेरी चूत की सारी आग निकाल दो ! साली बहुत परेशान करती है। सोनू, मेरी चूत को चोद-2 कर फाड़ दो। ओह्ह्ह्ह्ह यस्स्स्स फ़क मीईईई फक मीईईई आआआअ ईईई।

मैंने फिर उसकी चूत की चुदाई और जोर से की। मेरे विशाल लण्ड ने उसकी चूत की धज्जियाँ उड़ा दी। उसे दर्द भी बहुत हो रहा था लेकिन मजा उससे कहीं ज्यादा आ रहा था।

कुछ देर बाद वो झड़ गई और थोड़ी देर में मेरा भी काम होने वाला था, मैंने उससे कहा- मेरा निकलने वाला है।

दीपिका ने कहा- मेरे मुँह में झड़ना !

और मैंने अपना लण्ड उसके मुँह में डाल दिया, उसके मुँह की चुदाई करने लगा। कुछ देर बाद मैं भी झड़ गया वो मेरा सारा वीर्य पी गई।

दीपिका और मैं आज बहुत खुश थे। हम दोनों को चुदाई करने में बहुत मजा आया।

इस तरह मेरी और दीपिका की चुदाई का समापन हुआ, धन्यवाद।

आपको मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे इमेल करें।

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