गेहूँ की सिँचाई का फल

गेहूँ की सिँचाई का फल

दोस्तो, नमस्कार !

आपने मेरी कहानी ‘गेहूँ की सिंचाई’ पढ़ी और तारीफ भरे मेल किए, इस हौसला-अफजाई का बहुत-बहुत शुक्रिया। अब आते हैं आगे की कहानी की तरफ…

पहली कहानी में आपने पढ़ा कि गेहूँ के खेत की सिंचाई के दौरान मैंने ट्यूबवेल मालिक वर्मा ताऊ की बहू से दोस्ती की और रात में सिंचाई के दौरान भाभी को खूब मजा दिया और खुद भी लिया। उसके बाद मैं भाभी को अपना नम्बर देकर चला आया। अब आगे…

भाभी की मुझसे बात फोन पर अक्सर होती रहती है। बातों के दौरान भाभी ने बताया कि चक्रेश तुम इतनी रोमांटिक बातें करते हो कि मेरा पानी निकल जाता है।

एक दिन भाभी ने फोन किया, वो बहुत घबराई हुई थी, बोली- चक्रेश, मैं तुमसे मिलना चाहती हूँ।

मैंने कहा- क्या बात है भाभी, गर्म हो क्या?

“मजाक छोड़ो यार, बहुत गड़बड़ है।” भाभी बोली।

“बात तो बताओ आखिर हुआ क्या है?” मैंने पूछा।

भाभी ने बताया- सिंचाई वाले दिन हम मिले थे न? उसके 8 दिन बाद मेरा पीरियड आना था आज 15 दिन हो गए हैं अभी तक नहीं आया, मुझे तो डर लग रहा है कि कहीं कुछ हो गया तो मैं क्या मुँह दिखाऊँगी।

मैंने समझाया- …देखो, कभी-2 माहवारी ऐसे भी लेट हो जाती है पहले टैस्ट कर लो फिर बताना।

“मैं कहाँ टैस्ट कराने जाऊँगी, तुम्ही कुछ करो।” भाभी बिगड़कर बोली।

मैंने कहा- ठीक है ! आज रात में वहीं आ जाना जहाँ हम पहले दिन मिले थे, मैं पी-टैस्ट लाकर दे दूँगा, टैस्ट कर लेना।

‘ठीक है’ भाभी ने कहा और फोन रख दिया।

मैं बाजार गया और एक प्रेग्नेंसी टैस्ट किट लिया और रात होने का इंतजार करने लगा।
रात में जब सब लोग खा-पीकर सो गए तब मैं दबे पाँव उठा और वर्मा के ट्यूबवेल की तरफ चल दिया।
घर से निकल कर मैंने भाभी को मैसेज किया- 20 मिनट बाद वहीं आकर मिलो।

दो मिनट बाद जवाब में मैसेज आ गया- ओके, मैं आ रही हूँ।

मैं निश्चिंत होकर आगे बढ़ने लगा।
रात का अँधेरा, सियारों की आवाज, दूर किसी गाँव में कुत्ते भौंक रहे थे, कुल मिलाकर बड़ा डरावना माहौल था, फिर भी मैं बढ़ता चला जा रहा था।
वर्मा के ट्यूबवेल के पीछे धान के पुआल का ढेर लगा था वहीं जाकर मैं भाभी का इंतजार करने लगा।
मैं बार-2 मोबाइल में टाइम देख रहा था और सोच रहा था कि अब तक तो भाभी को आ जाना चाहिए था।

5-6 मिनट बाद भाभी आती हुई दिखाई दीं। मुझे राहत महसूस हुई।

आते ही भाभी को मैंने आलिंगनबद्ध कर लिया। भाभी ने भी मुझे चूम लिया। भाभी को मैंने वहीं धान के पुआल पर बैठाया।

भाभी ने पूछा- पी-टैस्ट लाए हो?

“हाँ लाया हूँ, यह लो !” मैंने पी-टैस्ट भाभी को दिया और टैस्ट करने का तरीका बताया।

भाभी ने पूछा- चक्रेश, अगर रिजल्ट पॉजिटिव निकला तो क्या होगा?

“कुछ तो होगा ही लड़का होगा या लड़की !” मैंने शरारत की।

भाभी ने एक चपत मुझे लगाई और बोली- तुम्हें मजाक सूझ रहा है और मेरी जान पर बनी है।

“चिंता न करो पहले यः बताओ कि तुम भैया को एक-दो दिन के लिए बुला सकती हो या नहीं?” मैंने पूछा।

“हाँ बुला सकती हूँ।” भाभी ने बताया।

“फिर क्या दिक्कत है? भैया को बुला कर चुदाई करवा लेना, अगर भैया ने एक बार भी डाल दिया तो फिर यह नहीं कह सकते कि बच्चा मेरा नहीं है,क्या समझी?” मैंने कहा।

भाभी ने आश्चर्य से मेरी ओर देखा और चपत लगाते हुए बोली- बड़े शातिर हो।

“शातिर न होता तो तुम्हें पटाता कैसे मेरी जान !” मैंने भाभी के पेट में चुटकी ली।

भाभी निढाल होकर मेरे ऊपर पसर गई। मैंने भाभी के मम्मे पकड़ लिए और उनके होटों को चूसना शुरू किया।

भाभी ने कहा- ऐ पहले वो वाला करो…

“…गन्ना चूसना है क्या?”

भाभी ने कहा- ‘हाँ !’

उत्तेजना के कारण भाभी की शर्म गायब हो चुकी थी। भाभी के ब्लाउज का हुक मैं खोलने लगा और भाभी अपनी मनपसंद चीज मेरी पैंट में टटोल रही थी। हुक खोलकर मैं भाभी के निप्पल के चारो ओर जीभ फिराने लगा। भाभी मेरी पैंट की जिप खोल चुकी थी और लिंग को हाथ में लेकर सहलाने लगी। हम दोनों को असीम आनन्द की अनुभूति हो रही थी।बीच-2 में निप्पल को मैं हल्के से काट लेता तो भाभी जोर से सिसकारी ले उठती। मेरे होंट अब नीचे फिसलने लगे।

मैं भाभी के पेट से होता हुआ जांघों तक पहुँचा। मैंने जैसे ही भाभी की गीली चूत में उँगली डाली, ‘आऽऽऽह…’ भाभी के मुँह से एक लम्बी सिसकारी फूट पड़ी और भाभी मेरा लिंग अपनी ओर खींचने लगी।

अब मैंने भाभी को अपने ऊपर लेते हुए 69 की पोजीशन बनाई। मैं चूत के दाने को हाथ से मसल रहा था और जीभ चूत की गहराई में डाल कर हिला रहा था। ऊँऽऽ आऽऽह की आवाजें निकालते हुए भाभी मेरे अंडकोष को चाट रही थी, बीच-2 में मेरी गोली को मुँह में डालकर चूसने लगती जिससे मेरी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी।

अब भाभी मेरा लंड चूस रही थी और मैं चूत की गहराइयों में पता नहीं क्या खोज रहा था।

अचानक भाभी मेरा सर जोर से पकड़कर अपनी चूत पर दबाने लगी, मैंने चूत को और जोर से चूसना शुरु किया। भाभी का शरीर ऐंठने लगा और चूत ने ढेर सारा पानी छोड़ दिया।

अब मेरा धैर्य भी जवाब देने लगा। मैंने भाभी को नीचे किया और दोनों पैर अपने कंधों पर रखकर चूत पर लिंग रगड़ने लगा। भाभी मेरा लिंग पकड़कर अपनी चूत में खींचने लगी। भाभी ने लिंग को चूत के मुंह पर रखा और मैंने जोर का धक्का मारा। चूत गीली होने के कारण पूरा लिंग एक ही बार मे अंदर चूत की गहराई में उतर गया। भाभी के मुँह से जोर की आऽऽह निकली। मैंने धक्के देना शुरु किया। भाभी मेरा पूरा सहयोग कर रही थी। हजारों कहानियाँ हैं अन्तर्वासना डॉट कॉम पर !

कुछ देर बाद मैंने भाभी से अलग होकर उनको घोड़ी बनने को कहा, भाभी तुरंत घोड़ी बन गई। मैंने लिंग को अंदर डाला और तेजी से धक्के मारने लगा।

भाभी के मुँह से ऊँऽऽह…आऽऽह… की आवाजें आ रही थी। 5-7 मिनट बाद मेरा पानी छूटने लगा। मैंने भाभी की कमर को जोर से पकड़ा और सारा पानी भाभी की चूत में उतार दिया।

मैं सीधा हुआ भाभी मुझे पागलों की तरह चूमने लगी, उनके चेहरे पर पूर्ण संतुष्टि झलक रही थी।

मैंने भाभी से कहा- ठीक है, अब चलते हैं, जैसा हो बताना !

“ठीक है !” भाभी बोली और हम लोग अपने अपने घर चले आए।

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