जब पहली बार मुझे सेक्स के बारे में पता चला-3

जब पहली बार मुझे सेक्स के बारे में पता चला-3

मित्रो, पिछले भाग में आपने मेरी इस आपबीती में हम दोनों भाई-बहन की कामवासना को जागृत होते हुए देखा था अब उसी रसधार को आपके समक्ष आगे लिख रहा हूँ.. आनन्द लीजिएगा।

मैं इतना ज्यादा उत्तेजित हो गया था कि बस चाहता था कि चूत देख लूँ।
मैंने उसके गाल.. कंधे.. गर्दन पर किस करना शुरू कर दिया, वो मेरे हर किस पर ‘इसस्स..’ कर जाती।
उसने आँखें बन्द कर रखी थीं.. और वो हर किस का मजा ले रही थी।

फिर मैंने सोचा अब इसके ये कपड़े भी उतार सकता हूँ। मैं अपने दोनों हाथ उसकी कमर पर ले गया और उसकी ब्रा के हुक खोलने की कोशिश करने लगा।

वो डर कर बोली- नहीं.. नहीं.. ये सब नहीं..
मैंने कहा- सोनिया.. अब कैसी शर्म.. अब तो हम दोनों एक हो गए हैं।
वो बोली- ठीक है.. पर फिर भी..
मैंने कहा डर मत.. किसी को पता नहीं चलेगा.. अब मुझे रोको मत।

यह कह कर मैंने उसकी ब्रा के हुक खोल दिए.. उसकी ब्रा एकदम ढीली हो गई, मैंने उसके दोनों स्ट्रेप उसके कंधे से नीचे गिरा दिए.. उसने ब्रा नीचे गिरने से पहले ही अपने हाथों से अपनी ब्रा पकड़ ली।

मैंने उसके दोनों हाथ हटाए और ब्रा को धीरे से हटा दिया।

‘ऊऊहहो माँआ..’ पहली बार.. पहली बार.. किसी लड़की की चूचियाँ देखी थीं। उसकी चूचियाँ एकदम कड़क.. गोल.. और खड़ी हुईं.. मुझे मालूम नहीं था कि एक घरेलू लड़की की चूचियाँ भी इतनी सॉलिड हो सकती हैं।

एकदम दूध सी सफेद.. और उस पर छोटे-छोटे गुलाबी रंग के निप्पल.. मैं तो उनको देखता ही रह गया।

मैंने धीरे से उनको छुआ.. वो एकदम मुलायम.. ऐसा लगा जैसे मैं कोई गुब्बारा पकड़ रहा हूँ। मैंने दोनों हाथों से उसके दोनों मम्मों को छुआ और फिर हल्के-हल्के दबाना शुरू कर दिया.. वो तो पागल हो गई।

मेरे दिमाग़ में तो चूत मारने की थी.. तो मैंने उससे कहा- सोनिया मुझे यहाँ सर्दी लग रही है.. चलो बिस्तर पर चलते हैं।

सोनिया- नहीं सोनू.. बिस्तर पर नहीं.. जो करना है.. यहीं कर लो।
सोनू- पर बिस्तर पर क्यों नहीं?
सोनिया- तुम ‘वो’ सब भी करोगे?
सोनू- कुछ नहीं करूँगा.. जब तक तुम नहीं कहोगी.. मुझे तो सर्दी लग रही है बस..

सोनिया- सर्दी तो मुझे भी लग रही है.. पर डर भी लग रहा है।
सोनू- डर कैसा.. सब सो रहे हैं.. मैंने दरवाजा भी बन्द किया हुआ है.. कोई अन्दर नहीं आ सकता.. और तुम्हें मजा आ रहा है कि नहीं?
सोनिया- हम्म.. वो तो ठीक है.. पर तुम इससे आगे नहीं जाओगे।

सोनू- पहले बताओ तुम्हें मजा आया?
सोनिया हंसकर बोली- आ रहा है..
सोनू- तो चलो.. फिर बिस्तर पर चलते हैं।

वो चलने लगी.. तो मैंने उसे अपनी गोद में उठा लिया.. वो हंस दी।

मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया।
वो चित्त लेटी हुई मुझे देखे जा रही थी और मेरे लण्ड के उभार को भी गौर से देख रही थी।

मैं भी बिस्तर पर आ गया और घुटनों पर बैठ गया और उस पर झुक कर फिर उसके होंठ चूसने लगा।
उसने भी मेरा सिर पकड़ कर मुझे चूसना चालू कर दिया।

फिर मैंने उसकी चूचियाँ दबाना शुरू कीं.. इस बार थोड़ी ज़ोर से मसलीं.. तो वो बोली- ओह.. सोनू थोड़ा धीरे.. दर्द होता है।

फिर मैंने उसकी एक चूची को चूसने के लिए अपने होंठों से उसके निप्पल को पकड़ा.. उसने आँखें बन्द कर लीं और मेरा चेहरा पकड़ लिया।
मैंने उसका निप्पल अपने मुँह में लिया और चूसना शुरू किया, फिर आधे से ज़्यादा चूचा अपने मुँह में भर लिया और खींचने लगा।
वो मज़े में मरी जा रही थी.. उसके मुँह में से निकल रहा था- सोनूउऊउ.. ऊऊओह माँ.. आआआह्ह..

अब धीरे-धीरे मैं उसका दूसरा मम्मा भी दबा रहा था। फिर मैंने चूसना चेंज कर लिया.. अब मैं उसके दूसरे आम को चूसने लगा।

मैं बहुत देर तक उसके आम चूसता रहा।
उसके दोनों निप्पल खड़े हो गए थे और मेरे चूसने से एकदम लाल भी हो गए थे।

स वक्त कोई 11:45 का समय हो गया था। अब मैं फिर सीधा हो गया, मैं उसके पूरे शरीर को देख रहा था। उसके शरीर पर सिर्फ़ उसकी पैन्टी थी और मेरे शरीर पर मेरा अंडरवियर था।

मैं उसके शरीर पर हाथ फेरने लगा, मैंने फिर झुक कर उसकी जाँघों को चुम्बन किया.. चाटने लगा और दाँतों से काटने लगा।
उसे मजा आ रहा था.. वो हँसने लगी।

मैंने कहा- क्या हुआ?
वो बोली- गुदगुदी हो रही है।

मैं और ज्यादा करने लगा.. उसने मेरा सिर पकड़ लिया। मैं उसकी जाँघों को चूमता और चाटता हुआ उसकी चूत तक पहुँच गया। मुझे उसकी चूत से एक अजीब सी महक आ रही थी।

मैं बीच-बीच में उसको देख भी लेता… वो मुझे ही देखे जा रही थी।

मेरा मन कर रहा था कि ये रात कभी खत्म ना हो।

मैं धीरे-धीरे उसकी जाँघों को सहला भी रहा था। अब मैं धीरे-धीरे उसके ऊपर आने लगा और मैं पूरा उसके ऊपर आ गया। हम दोनों के जिस्म एक-दूसरे से चिपक गए।
मैंने उसके होंठों को चूसा.. फिर उसके कंधे चूमने लगा। मैंने अपने दोनों हाथों से उसका पेट पकड़ रखा था।

उसने अपने आपको बिल्कुल मुझे सौंप दिया था। वो किसी बात के लिए ‘ना’ नहीं कर रही थी।

मैं धीरे से उसके ऊपर से हटा और घुटनों के बल ही खड़ा रहा और फिर मैंने उसकी पैन्टी को दोनों और से पकड़ा।
मेरे पैन्टी पकड़ते ही उसने पैन्टी को पकड़ लिया, फिर ‘ना’ में गर्दन हिलाई..

मैं मुस्करा दिया.. वो भी मुस्कराई।
मैं पैन्टी को नीचे खींचने लगा.. तो उसके हाथ से पैन्टी छूट गई।

उसकी सफेद रंग की पैन्टी जैसे-जैसे नीचे हो रही थी.. वैसे-वैसे उसकी चूत मुझे नज़र आने लगी थी।

मैं पूरा अकड़ गया था, मैंने उसकी पैन्टी को पकड़ कर नीचे कर दिया…
मैंने पहली बार जिंदगी मैं कोई चूत देखी थी, बिल्कुल साफ़.. उस पर कोई बाल नहीं था.. एकदम गोरी.. दोनों टाँगों के बीच में एक उभरी हुई जगह.. दिल के आकार की.. त्रिभुजाकार और उसमें बीच में एक गहरी लकीर.. आह्ह.. मुझे तो देख कर ही मजा आ गया।

मैंने पैन्टी को खींच कर घुटनों तक कर दी और उसको देखने लगा।
वो इतनी शानदार थी.. भगवान के द्वारा फुर्सत में बनाई गई सबसे शानदार चीज़ थी।

मैं उसको देखता रहा.. जब मैंने उसकी आँखों में देखा.. तो वो मुस्करा दी।
फिर मैंने अपना हाथ उसकी चूत पर रखा.. ऊऊओ गॉड.. इतनी सॉफ्ट.. मेरा हाथ लगते ही वो एकदम उचक गई।

मैं धीरे-धीरे अपना हाथ उसकी चूत पर फेरने लगा, उसने मज़े में अपनी आँखें बन्द कर लीं।
हाथ फेरते-फेरते मैंने अपनी बीच वाली उंगली उस दरार में डाल दी।
उसमें उंगली डालते ही वो एक बार फिर उचकी और कंपकंपा गई।

उसकी दरार में मैंने पाया कि वो एकदम गीली और चिकनी है जैसे किसी ने उसमें कोई तेल डाल दिया हो।
मैं अपनी उंगली उसमें चलाने लगा.. वो मस्त होकर अपनी गर्दन हिलाने लगी, उसके मुँह से थोड़ी-थोड़ी आवाज़ भी निकल रही थी- उम्म्म.. उम्म्मह..

मैं जैसे-जैसे उंगली चला रहा था.. वैसे-वैसे मेरी उंगली और नीचे जा रही थी।
मेरी उंगली एक सुराख तक पहुँच गई.. मैं अपनी उंगली उस सुराख मैं डालने लगा।

मेरी आधी उंगली उस सुराख में चली गई.. अब मैं अपनी उंगली अन्दर-बाहर करने लगा। कभी मैं उंगली को दरार में ऊपर दाने पर ले आता.. फिर अन्दर छेद में ले जाता।
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मेरी उंगली बिल्कुल गीली हो चुकी थी और उस पर कोई चिकना तेल सा लग गया था।
वो तो मज़े में पागल हुई जा रही थी, उसको तो मजा आ रहा था.. पर मुझे भी तो मजा लेना था।

उसकी गुलाबी चूत देख कर तो मैं पागल हो चुका था।

उसकी आँखें बन्द थीं.. मुझे लगा.. यही मौका है.. मैंने एक हाथ से अपना अंडरवियर नीचे कर दिया और खींच कर घुटनों तक ले आया।

मेरा लण्ड बिल्कुल खड़ा हो चुका था। मैंने देखा कि आज मेरा लण्ड कुछ ज्यादा ही मोटा हो रहा था। मेरे लण्ड से भी कुछ चिकना चिकना पानी निकल रहा था।

मैंने अपनी उंगली थोड़ी और अन्दर की तो उसे दर्द हुआ और उसकी आँखें दर्द से और बन्द हो गईं।

मैंने अपनी उंगली निकाल ली।

जब मैंने अपनी उंगली निकाली.. तो उसने अपनी आँखें खोलीं.. जैसे ही उसने आँखें खोलीं तो मुझे नंगा देखा.. मेरा लण्ड देखा.. वो लण्ड देख कर हैरान हो गई, उसकी आँखें बिल्कुल फटी रह गईं, वो कुछ भी बोल नहीं पा रही थी.. बस एकटक लण्ड को देख रही थी।

मुझे उसे खुले मुँह को देख कर लगा कि पता नहीं अब क्या होगा.. क्या सोनिया मेरा लण्ड लीलने को राजी होगी या नहीं..

देखते हैं…
अगले भाग में आपसे पुनः भेंट होगी.. आपके ईमेल का इन्तजार भी रहेगा।
कहानी जारी है।
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