जब मस्ती चढ़ती है तो…-3

जब मस्ती चढ़ती है तो…-3

प्रेषिका : बरखा

लेखक : राज कार्तिक

होली वाले दिन साबुन लगवाने के बाद अब राजू मेरे से कुछ ज्यादा खुल गया था। अब वो मेरे साथ भाभी देवर की तरह मजाक करने लगा था और कभी कभी तो द्विअर्थी शब्दों का भी प्रयोग करने लगा था। अब वो अक्सर मुझे साबुन लगाने के लिए बोल देता और मैं भी ये मौका ज्यादातर नहीं छोड़ती थी।

ऐसे ही एक दिन साबुन लगाकर जब मैं वापिस मुड़ी तो साबुन के पानी से फिसल कर गिर गई और मेरे कूल्हे पर चोट लग गई। डॉक्टर को दिखाया तो उन्होंने मुझे दस पन्द्रह दिन का पूर्ण आराम बता दिया। कूल्हे की हड्डी खिसक गई थी।

अजय काम से इतनी लम्बी छुट्टी नहीं ले सकता था। और राजू ने भी अजय को बोला कि वो पूरा ध्यान रखेगा तो अजय ने ऑफिस जाना बंद नहीं किया।

पर तभी एक जरूरी काम से अजय को टूर पर जाना पड़ा और तभी एक मुश्किल आन पड़ी कि मेरी माहवारी शुरू हो गई।मैंने अजय को अपनी दिक्कत बताई तो उसने छुट्टी लेने की कोशिश की पर काम जरूरी होने के कारण छुट्टी नहीं मिली। मैं तो बिस्तर पर से उठ नहीं सकती थी तो अब नैपकिन कैसे बदलूंगी।

नित्यकर्म के लिए भी मुझे बहुत दिक्कत थी। जब अजय थे तो वो मुझे सहारा देकर बाथरूम में बैठा देते थे और पेशाब तो मुझे बिस्तर पर बैठे बैठे ही करना पड़ता था। पर अजय के जाने के बाद कैसे होगा यह भी एक बड़ी दिक्कत थी।

अजय ने रजनी को बुला लिया पर वो भी एक दिन से ज्यादा नहीं रुक सकती थी क्यूँकि उसके ससुराल में कुछ कार्यक्रम था। खैर रजनी को छोड़ कर अजय चले गए।

रजनी भी अगली सुबह मेरा नैपकिन बदल कर चली गई। अब घर पर मैं मेरी मुनिया और सिर्फ राजू थे। दोपहर को मुझे नैपकिन बदलने की जरुरत महसूस होने लगी क्यूंकि माहवारी बहुत तेज हो गई थी।

मैंने राजू को व्हिस्पर के पैड लाने के लिए भेजा। वो जब लेकर आया तो मैंने लेटे लेटे ही पुराना पैड निकाल कर दूसरा पैड लगा लिया। पर पुराने गंदे नैपकिन का क्या करूँ, यह सोच कर मैं परेशान हो गई।

मैंने राजू से एक पोलिथिन मंगवा कर उसमें डाल कर पैड बाहर कूड़ादान में डाल कर आने के लिए दे दिया।

राजू बार बार पूछ रहा था- इसमें क्या है…

तो मेरी हँसी छूट गई।

मेरी एक समस्या कुछ देर के लिए तो खत्म हो गई पर दूसरी शुरू हो गई बाथरूम जाने वाली।

पर राजू ने यहाँ भी मेरी बहुत मदद की। वो मुझे अपनी बाहों में उठा कर बाथरूम में ले गया और मुझे अंदर बैठा कर बाहर इन्तजार करने लगा। उसके बदन का एहसास और उसकी बाहों की मजबूती का एहसास आज मुझे पहली बार हुआ था सो मैं अंदर ही अंदर रोमांचित हो उठी। इसी तरह उसने अगले चार दिन तक मेरी खूब सेवा की।

मैं उसकी मर्दानगी और उसके सेवा-भाव के सामने पिंघल गई थी।

चार दिन के बाद अजय वापिस आये और उन्होंने एक सप्ताह की छुट्टी ले ली और मेरी खूब सेवा की। मैं ठीक हो गई।

पर अब घर का माहौल कुछ बदला बदला सा था। अब मैं अजय के जाने के बाद देर-देर तक राजू के साथ बैठी रहती और बातें करती रहती। कुछ दिन के बाद ही बातें सेक्सी रूप लेने लगी। पर हम खुल कर कुछ नहीं बोलते थे। बस ज्यादातर दो अर्थों वाले शब्दों का प्रयोग करते थे।

करीब दो महीने ऐसे ही निकल गए।

एक दिन मैं जब नहाने जा रही थी तो राजू बोला- भाभी अगर जरुरत हो तो क्या मैं आपकी पीठ पर साबुन लगा दूँ?

मैं कुछ नहीं बोली और चुपचाप नहाने चली गई।

वापिस आई तो राजू रसोई में खाना बनाने की तैयारी कर रहा था। मैंने नहाने के बाद मैक्सी पहनी हुई थे जो मेरे बदन पर ढीली ढीली थी। मैं गीले बदन ही रसोई में चली गई और कुछ तलाश करने लगी। जैसे ही मैंने ऊपर से सामान उतारने के लिए हाथ ऊपर किये राजू ने एकदम से मुझे बाहों में भर लिया और बेहताशा मेरी गर्दन और मेरे कान के आस-पास चूमने लगा।

मैंने थोड़ा सा छुड़वाने की कोशिश की तो उसके हाथ मेरे बदन पर और जोर से जकड़ गए और उसने अपने एक हाथ से मेरी चूची को ब्रा के ऊपर से ही पकड़ कर मसल दिया। मैं हल्का विरोध करती रही पर मैंने उसको रोका भी नहीं।

मैं तो खुद कब से समर्पण करने के मूड में थी। यह तो राजू ने ही बहुत समय लगा दिया।

कुछ देर बाद ही मैंने विरोध बिलकुल बंद कर दिया और अपने आप को राजू के हवाले कर दिया।

राजू ने भी शायद देर करना उचित नहीं समझा और मेरी मैक्सी को मेरे बदन से अलग कर दिया। अब मैं सिर्फ ब्रा और पेंटी में राजू की बाहों में थी। राजू मेरे नंगे बदन को बेहद उत्तेजित होकर चूम और चाट रहा था। राजू ने अपनी मजबूत बाहों में मुझे उठाया और अंदर कमरे में ले गया। वहाँ मुझे बिस्तर पर लिटा कर मेरे ऊपर छा गया। मेरे बदन का रोम रोम राजू ने चूम डाला।

राजू की बेताबी मुझे बदहवास कर रही थी। मैं मस्त होती जा रही थी। मेरी सिसकारियाँ और सीत्कारें निकल रही थी।

“आह… राजू… यह क्या कर दिया रे तुमने? इतना वक्त क्यों गंवा दिया रे बावले… बहुत तड़पाया है तूने अपनी भाभी को… मसल डाल रे.. आह..” मैं मदहोशी की हालत में बड़बड़ा रही थी।

राजू ने मेरे बदन पर बची हुई ब्रा और पैंटी को भी मेरे बदन से अलग कर दिया और अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए। वो जीभ से मेरे होंठों को चाट रहा था और मेरे निचले होंठ को अपने होंठों में दबा कर चूम रहा था। अब मेरे हाथ भी राजू के कपड़े उतारने की कोशिश करने लगे। राजू जैसे समझ गया कि मैं क्या चाहती हूँ और उसने खड़े होकर अपने सारे कपड़े उतार फेंके।

कच्छा निकालते ही राजू का काला सा लण्ड निकल कर मेरे सामने तन कर खड़ा हो गया। राजू का मूसल आज मैंने पहली बार इतनी नजदीक से देखा था। नंग-धडंग राजू मेरे पास बिस्तर पर आकर बैठ गया और मेरी चूचियों से खेलने लगा। मेरा हाथ भी अपने आप राजू के लण्ड पर पहुँच गया और सहलाने लगा। राजू का लण्ड सच में अजय के लण्ड से ज्यादा मोटा और लम्बा था। और सच कहूँ तो राजू का लण्ड अजय के लण्ड से ज्यादा कड़क लग रहा था।

राजू मेरी चूचियाँ मुँह में लेकर चूस रहा था और मैं मस्ती के मारे आहें भर रही थी।

“आह… मेरे राजा…. चूस ले रे… ओह्ह्ह्ह बहुत मज़ा आ रहा है रे… जोर जोर से चूस रे..”

राजू मुझे चूमते-चूमते नीचे की तरफ बढ़ रहा था और मेरी चूचियों की जोरदार चुसाई के बाद अब वो जीभ से मेरे पेट और नाभि के क्षेत्र को चूम और चाट रहा था जो मेरे बदन की आग में घी का काम कर रहा था। मेरा बदन भट्ठी की तरह सुलगने लगा था और मैं राजू का लण्ड बार बार अपनी ओर खींच रही थी।

राजू का लण्ड लकड़ी के डण्डे की तरह कड़क था। राजू चूमते-चूमते मेरी जांघों पर पहुँच गया और उसने अपने होंठ मेरी चूत पर रख दिए।

मेरे सुलगते बदन से चिंगारियाँ निकलने लगी… मेरी सीत्कारें और तेज और तेज होती जा रही थी या यूँ कहें कि मैं मस्ती के मारे चीखने लगी थी।

मेरी चीखें बंद करने के लिए राजू ने अपना लण्ड मेरे मुँह में डाल दिया। मैं मस्ती के मारे राजू का लण्ड चूसने लगी। अब चीखें निकलने की बारी राजू की थी। पाँच मिनट की चुसाई के बाद मेरी चूत अब लण्ड मांगने लगी थी और मेरा अपने ऊपर काबू नहीं रहा था।

मैंने राजू को पकड़ कर अपने ऊपर खींच लिया। राजू मेरी बेताबी समझ चुका था। उसने अपना लण्ड मेरी चूत पर लगाया और एक जोरदार धक्का लगा दिया। हालाँकि मैं पूरी मस्ती में थी पर फिर भी धक्का इतना दमदार था कि मेरी चीख निकल गई। राजू ने मेरी चीख पर कोई ध्यान नहीं दिया और एक और दमदार धक्का लगा कर अपना पूरा लण्ड मेरी चूत में स्थापित कर दिया।

दूसरा धक्का इतना जोरदार था कि लण्ड सीधा मेरी बच्चेदानी से जा टकराया और मैं बेहोश होते होते बची।

फिर तो राजू ने अपनी जवानी का पूरा जोश दिखा दिया और इतने जोरदार धक्कों के साथ मेरी चुदाई की मेरे बदन का रोम-रोम खिल उठा, मेरा पूरा बदन मस्ती के हिंडोले में झूले झूल रहा था। मैं गाण्ड उठा-उठा कर राजू का लण्ड अपनी चूत में ले रही थी।

“फाड़ दे मेरे राजा… अपनी भाभी की चूत को फाड़ डाल… ओह्ह्ह आह्ह चोद और जोर से चोद… मैं तो आज से तेरी हो गई मेरे राजू… चोद मुझे जोर.. से… ओह्ह आह्हह्ह सीईईईई आह्हह्ह….”

“जब से आया तब से तेरी चूत चोदने को बेताब था ! साली ने इतना वक्त लगा दिया चूत देने में…आह्हह्ह बहुत मस्त है भाभी तू तो…. ये ले एक खा मेरा लण्ड अपनी चूत में..”

हम दोनों मस्त होकर चुदाई में लगे थे और करीब पन्द्रह बीस मिनट के बाद मेरी चूत दूसरी बार झड़ने को तैयार हुई तो राजू का बदन भी तन गया और उसका लण्ड मुझे अपनी चूत में मोटा मोटा महसूस होने लगा। राजू के धक्के भी अब तेज हो गए थे।

और फिर राजू के लण्ड से गाढ़ा-गाढ़ा गर्म-गर्म वीर्य मेरी चूत को भरने लगा। वीर्य की गर्मी मिलते ही मेरी चूत भी पिंघल गई और बरस पड़ी और राजू के अंडकोष को भिगोने लगी। हम दोनों झमाझम झड़ रहे थे। हम दोनों ने एक दूसरे को अपनी बाहों में जकड़ रखा था जैसे एक दूसरे में समा जाना चाहते हों।

कुछ देर ऐसे ही लेटे रहने के बाद मैं उठी और मैंने राजू का लण्ड और अपनी चूत दोनों को कपड़े से साफ़ किया। मेरा हाथ लगते ही राजू का लण्ड एक बार फिर सर उठा कर खड़ा होने लगा और कुछ ही पल में फिर से कड़क होकर सलामी देने लगा। मैं उठकर जाना चाहती थी पर राजू ने फिर से बिस्तर पर खींच लिया और अपना लण्ड एक बार फिर मेरी चूत में घुसा दिया और एक बार फिर जबरदस्त चुदाई शुरू हो गई।

तब से आज तक पता नहीं कितनी बार राजू ने मेरी चुदाई की… पति के जाने के बाद घर का काम खत्म होते ही राजू और मैं कमरे में घुस जाते और फिर बदन पर कपड़े बोझ लगने लगते हैं। फिर तो दो तीन घंटे हम दोनों नंग-धडंग बिस्तर पर सिर्फ और सिर्फ लण्ड चूत के मिलन का आनन्द लेते हैं.. और यह सब आज भी चल रहा है…

मेरी ननद भी अब राजू से चुदवा चुकी है। उसका भी जब दिल करता है वो मेरे घर आ जाती है और फिर दोनों राजू के लण्ड के साथ एक साथ मस्ती करती हैं। राजू का लण्ड भी इतना मस्त है कि कभी भी उसने हमें निराश नहीं किया। वो तो हर समय मुझे चोदने के लिए खड़ा रहता है।

मेरी कहानी कैसी लगी?

मेल करके अवश्य बताना… मेरी मदद करने वाले मेरे दोस्त राज को भी बताना क्यूंकि यह कहानी उन्हीं की मेहनत से आप सब के बीच आ रही है…

मेरी मेल आईडी – [email protected]

और राज की आईडी है – [email protected]

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