ख्वाहिश पूरी हो गई

ख्वाहिश पूरी हो गई

दोस्तो, इस बार मैं आपको ऐसी लड़की की कहानी बताने जा रहा हूँ जो अपनी कहानी मुझे देने के बाद हमेशा के लिए कनाडा चली गई.
अब यह कहानी उसी की जुबानी:

सभी दोस्तों को मेरी तरफ से नमस्कार.
मैं अन्तर्वासना की नियमित पाठिका हूँ. मैंने सोचा कि क्यों न अपनी कहानी आप लोगों के साथ शेयर करूँ पर मुझे कल ही कनाडा जाना है और यह कहानी मैं कनाडा जाने से पहले आप तक पहुँचाना चाहती हूँ इसलिए मैंने साजन जी की मदद ली.

आपको मैं पहले अपने बारे में बता देती हूँ.
मेरा नाम पूजा है (बदला हुआ नाम), मैं 22 साल की हूँ. मेरी हाईट 5 फुट 4 इंच है. मेरा रंग गोरा, चेहरा गोल है, और मेरी फिगर 36-32-34 बड़ी ही मस्त है. मतलब यह कि मेरे हुश्न को देख कर लंड सलामी देने लगते है.

मेरी कहानी आज से दो साल पहले की है, जब मैं अहमदाबाद में पढ़ाई करती थी. तब मेरी उम्र 20 साल ही थी.
उस समय मेरा एक बॉयफ्रेंड भी था, जिसका नाम दीपक था. मैं दीपक से बहुत प्यार करती थी. हम रोजाना मिलते थे, साथ साथ घूमते फिरते थे.
दीपक के पास स्कूटी थी और हम कभी कभी स्कूटी लेकर घूमने जाते थे.

एक दिन दीपक मुझे एक ऐसे रास्ते पर लेकर गया, जहाँ पर कोई आता जाता नहीं था.
उस दिन मैंने टी-शर्ट और जींस की पैन्ट पहनी हुई थी. एकान्त में पहुँच कर दीपक ने स्कूटी को खड़ा किया और मुझे चूमने लगा.
मैं भी दीपक का साथ देने लगी.

फिर दीपक मेरी टीशर्ट के ऊपर से मेरे उरोज को दबाने लगा. कुछ देर बाद उसने मेरी टीशर्ट ऊपर कर दी फिर उसने मेरी लाल रंग की ब्रा भी ऊपर सरका दी.
फिर दीपक ने मेरी नंगी चूचियों को अपने हाथ से पकड़ा और उन्हें चूसने लगा.
दीपक ने मेरी चूची चूस चूस कर लाल कर दी थी. दीपक के ऐसा करने से मेरा भी दिल मचने लगा और उसको मैं अपने हाथों से अपनी चूची चुसवाने लगी.

कुछ देर बाद दीपक ने मेरी जींस भी खोल दी और मेरी पेंटी भी नीचे सरका कर दी.
पहले तो उसने मेरी चूत को एक चुम्बन किया दीपक के चुम्बन से मैं सिहर उठी.
फिर दीपक मेरी चूत को चौड़ा कर के चूसने लगा. दीपक कभी मेरी चूची चूसता तो कभी मेरी चूत चूसता.

मुझे भी बहुत मजा आ रहा था कुछ देर बाद मैं उसके मुंह पर ही झड़ गई. दीपक मेरे कामरस को चाट चाट कर पी गया.
मेरा तो हो गया था पर दीपक का अभी बाकी था इसलिए मैंने दीपक की पैंट की जिप खोल दी.

फिर मैंने उसकी पैन्ट में अपना एक हाथ डाल दिया और उसका खड़ा लंड अंडरवियर से बाहर निकल दिया. फिर मैं दीपक के लंड को सहलाने लगी फिर दीपक स्कूटी पर बैठ गया.
उसके बाद मैंने दीपक का लंड अपने मुँह में ले लिया और लगी उसका लंड चूसने!
मुझे उसके लंड का स्वाद बहुत अच्छा लग रहा था, मैंने दीपक का लंड चूस चूस कर लाल कर दिया था. मैं दीपक के लंड को चूसने के साथ साथ उसका मुठ भी मार रही थी इसलिए दीपक का जल्दी हो गया.
उसने अपना सारा माल मेरे मुंह में छोड़ दिया और मैं उसका सारा माल पी गई.
उसके बाद हम वहाँ से अपने अपने घर आ गए.

फिर तो जब भी हमें मौक़ा मिलता, दीपक मेरी चूत और चूची को जम कर पीता और मैं भी उसका लंड बहुत ही अच्छे से चूसती.
हालांकि दीपक का लंड बहुत छोटा था पर मैं उसको बहुत प्यार करती थी इसलिए यह बात उसको कभी नहीं बोली.

लेकिन यह बहुत दिनों तक नहीं चला क्योंकि चूसा-चासी बहुत हो गई थी उससे मेरा कुछ नहीं होता था इसलिए मैंने दीपक को सेक्स करने के लिए बोला तो वो तैयार हो गया.
एक दिन हमें सेक्स करने के लिए मौक़ा भी मिल गया. मैं जहाँ रहती थी उसका लैंडलॉर्ड कहीं गया था दो दिन के लिए.
उस दिन मैंने अपने बॉयफ्रेंड दीपक को अपने घर बुला लिया दीपक भी टाइम पर पहुँच गया फिर हमने खाना खाया साथ में मिलकर.

खाना खाने के बाद मैं और दीपक एक ही पलंग पर लेट गए और हम एक दूसरे को चूमने लगे.
फिर दीपक ने मेरे सारे कपड़े उतार दिए और साथ में अपने भी कपड़े उतार दिए. फिर दीपक मेरे मम्मे दबाने लगा तो मैंने उसका लंड अपने हाथ में पकड़ सहलाने लगी.

जब दीपक का लंड खड़ा हो गया तो हम 69 की पोजीसन में आ गए और फिर मैं दीपक का लंड चूसने लगी और वो मेरी चूत चूसने लगा.

दीपक ने मेरी चूत चूस चूस कर लाल कर दी थी, अब मुझे चुदने की तीव्र इच्छा हो रही थी तो मैंने दीपक को बोला- जान, अब मेरी चूत मैं अपना लंड डाल दो, बहुत खुजली हो रही है मेरी चूत में, अब मुझसे नहीं रहा जा रहा.

दीपक ने मुझे लिटाया और वो मेरे ऊपर आ गया मैंने खुद ही उसका लंड पकड़ कर अपनी चूत पर लगाया और उसके लंड को अपनी चूत पर रगड़ने लगी. फिर मैंने अपनी चूत के छेद पर उसका लंड सही से लगाया और मैं उससे बोली- अब डाल दो जान अपना लंड मेरी चूत में !
तो उसने मेरे चूचो को पकड़कर मेरे चूत पर एक धक्का मारा.
दीपक का लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अन्दर जाने लगा.
‘अह्ह्ह्ह्ह… ह्ह्छ… म्म्माआआआआ…’ दीपक का लंड पूरा मेरी चूत में उतर गया था.
मुझे थोड़ा बहुत दर्द हो रहा था.

फिर कुछ देर बाद मैंने उसको धक्के लगाने को कहा तो उसने धक्के मारना शुरू कर दिए और मेरे मुँह से आह… आह… की आवाजें आने लगीं. वह मुझे चोद रहा था, मुझे बहुत मजा आ रहा था.
मैं उसे कह रही थी- चोद… चोद… आहा… हाहह… हहाह… ययय… हहाहा… और तेज चोद…

अचानक दीपक ने चुदाई की स्पीड बढ़ा दी और फिर जो नहीं होना चाहिए था वो हो गया.
मतलब कि दीपक झड़ने लगा उसने अपना सारा माल मेरी चूत में डाल दिया पर मैं तो अभी तक झड़ी ही नहीं थी और उसका लंड छोटा होकर मेरी चूत से बाहर निकल गया.
मुझे बहुत ही गुस्सा आया दीपक पर, पर थी तो मैं एक लड़की अपने मुंह से क्या कहती.

फिर मैंने दीपक का लंड अपने मुंह में लिया और उसको चूसने लगी बहुत देर बाद उसका लंड खड़ा हुआ हमने फिर से सेक्स किया लेकिन वो इस बार भी जल्दी ही झड़ गया.
ऐसा 4-5 बार हुआ तो मैं बोर हो गई क्योंकि उसका तो हो जाता था पर मेरा नहीं हो पाता था.
मैं तड़पती रहती पर इससे उसको कोई फर्क नहीं पड़ता था.
दीपक का लंड एक तो बहुत छोटा था और दूसरा वो खुद जल्दी झड़ जाता था, उसके लंड से कुछ नहीं होता था.

जब मुझे दीपक के लंड से मजा नहीं आया तो मैंने सोचा काश मुझे कोई लम्बा लंड मिल जाये अपनी चूत में डलवाने के लिए.
शायद ऊपर वाले को भी मेरे ऊपर दया आ गई और मेरी यह ख्वाहिश भी जल्द पूरी हो गई.

हुआ कुछ ऐसा कि मेरा एक बहुत क्लोज फ्रेंड था और उसका नाम संजीव था, मैं संजीव से किसी भी टोपिक पर बात कर सकती थी. वो मेरे रूम से कुछ ही दूरी पर रहता था. हम अक्सर चैट से बात करते थे और बातों बातों में कब हमने सेक्स चैट करनी शुरू कर दी पता ही नहीं चला.
हम दोनों काफी घुलमिल गए थे.

एक दिन संजीव ने मुझे अपने घर बुलाया. मैं वहाँ गई तो उसके 3 दोस्त पहले से ही आये हुए थे.उसने मेरा सबसे परिचय करवाया.
उस दिन मैंने टी शर्ट और शोर्ट पहना हुआ था.
हम बैठ कर आपस में बात करने लगे.

कुछ देर बाद मुझे पेशाब आ रहा था तो मैं उसके बाथरूम में फ्रेश होने के लिए गई जोकि मेरे फ्रेंड के रूम के अन्दर ही था.
जब मैं बाथरूम के अन्दर पहुंची तो मैंने वहाँ पर 2-3 मैगजीन देखी उस मैगजीन को देखकर मैं बाथरूम का दरवाजा बंद करना ही भूल गई, मैंने अपने नीचे के कपड़े नीचे किये और एक मैगजीन उठा कर मैं पॉट में पेशाब करते हुए उस मैगजीन को देखने लगी.
हाय… यह क्या ! इसमें बहुत गन्दी गन्दी फोटो थी चुदाई करते हुए.
वो शायद इस फोटो को देखकर मुठ मारते होंगे!

मैं भी पेशाब करते हुए उस किताब को देखने लगी और उसको देखते हुए मेरे अन्दर की वासना जाग उठी, पेशाब करके भी मैं किताब देख रही थी.
वो मैगज़ीन देखकर मेरा हाथ अपने आप मेरे बूब्स पर चल गया और मैं अपने बूब्स को मसलने लगी क्योंकि मेरा सेक्स करने का मन था तो ऐसा होना स्वाभाविक था.

मैं अपने बूब्स को बहुत तेज मसल रही थी- ऊऊऊऊउह आआअह’ मेरे मुंह से सिसकारियाँ निकलने लगी, मैं बहुत ही गर्म हो चुकी थी. मेरी सिसकारियों की आवाज सुनकर मेरा दोस्त बाथरूम के दरवाजे के पास आ गया उसने बाथरूम का दरवाजा खुला हुआ देखा तो वो सीधा अन्दर ही आ गया.

जैसे ही वो अन्दर आया तो उसको देखकर मैं अपने बूब्स और जोर से मसलने लगी क्योंकि अब मेरा चुदने का मन कर रहा था.
संजीव ने मुझे इस हालत में देखा तो उसने मुझे अपने सीने से लगा लिया और फिर उसने मेरे होंठ पर अपने होंठ रख कर मुझे किस करने लगा और अपने हाथो से मेरे बूब्स दबाने शुरू कर दिए थे.
मुझे बहुत अच्छा लग रहा था !

संजीव मुझे पागलों की तरह चूमने लगा, मेरे ऊपर एक अजीब सा नशा सा छाने लगा था.
संजीव ने कब अपने और मेरे कपड़े शरीर से जुदा कर दिए पता ही नहीं चला.
हम दोनों के शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं था, संजीव के हाथ मेरी नंगी चूचियों से खेल रहे थे.
फिर वो मेरे बूब्स को अपने होंठों में लेकर चूसने लगा.

मैं बहुत अधिक उत्तेजित हो चुकी थी, तभी तो मेरा हाथ अपने आप उसके लंड पर चला गया था.
संजीव का लंड मेरे हाथ में आते ही उसके आकार का अंदाजा हो गया था, उसका लंड लगभग 8 इंच का होगा.
मैं उसके लंड से खेलने लगी.

कुछ देर बाद संजीव ने मुझे अपनी गोदी में उठा कर रूम में ले आया और मुझे बेड पर लिटा दिया.
फिर हम 69 की पोजीशन में आ गए, वो मेरी चूत को बड़े ही प्यार से चूसने लगा और मैं भी उसका लंड चूस रही थी.
संजीव ने मेरी चूत को इतना चूसा कि मैं उसी पोजीशन में ही दो बार झड़ गई थी.

हम जो भी कुछ कर रहे थे वो सब उसके दोस्त भी देख रहे थे और सभी अपना अपना लंड निकल कर हिला रहे थे.
सबके लंड 7-8 इंच के बीच थे!
फिर संजीव ने मेरे चूतड़ों के नीचे तकिया लगाया और मेरी चूत पर थूक लगा कर अपने लंड का सुपारा रगड़ने लगा.
जब मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने संजीव से कहा- अब सहन नहीं होता, इसको जल्दी अंदर कर दो.
तो वो कहने लगा- तुम्हें थोड़ा सा दर्द होगा.
तो मैंने कहा- मुझे पता है, जब इतना बड़ा लंड मेरी चूत में जायेगा तो दर्द तो होगा ही न, तुम अंदर डालो तो.
मेरी चूत में तो आग लगी हुई थी, मेरी चूत तो उसके लंड को खा ही जाना चाहती थी.

उसने एक जोर का झटका मेरी चूत पर मारा!
‘ऊऊऊऊ… ऊऊईईई… म्म्म्माआआआअ…’ और चीख निकल गई मेरी चूत की सारी चाहत ‘फुस्स’ हो गई, दर्द के मारे जान ही निकल गई. मेरी आँखों से आँसू आ गये.
वो मेरे होंठों पर अपने होंठ रख कर चूमने लगा और रुक गया. उसने कहा- दर्द कम हो जाये तो बता देना.

कुछ ही देर में मेरी चूत फिर से तैयार हो गई तो मैंने कहा- अब और अंदर डालो.
उसने पूरी ताकत के साथ पूरा लंड मेरी चूत के अंदर डाल दिया और फिर एक बार फिर से मेरे मुँह से चीख निकल गई- हाआआ… आअहहहा… आआअ… उईमा… बाहर निकालो मुझे बहुत दर्द हो रहा है.

वो मेरी मम्मों को सहला रहा था और मुझे शांत कर रहा था, 5 मिनट के बाद मुझे अच्छा लगने लगा तो मैंने उसे कहा- अब तुम धक्के मारो.

उसने धक्के मारना शुरू कर दिए और मेरे मुँह से आह… आह… की आवाजें आने लगीं.
वह मुझे चोद रहा था, मुझे बहुत मजा आ रहा था.
मैं उससे कह रही थी- चोद… चोद… आहा… हाहह… हहाह… ययय… हहाहा… और तेज चोद…

आज तो संजीव ने मेरी चूत फाड़ ही डाली क्योंकि उसका 8 इंच का लंड था और मैंने भी पहली बार इतना बड़ा लंड अपनी चूत के अन्दर लिया था.
मेरे बॉय फ्रेंड का लंड तो बस 5 इंच ही था.
कुछ देर बाद संजीव नीचे लेट गया और मुझे अपने ऊपर अपने लंड पर बिठा कर मेरी चुदाई करने लगा.

ये सब देख कर संजीव के दोस्तों से नहीं रहा गया तो उसका एक दोस्त मेरे पास आकर मेरे स्तनों को मसलने लगा और फिर उसके दूसरे दोस्त ने अपना लंड मेरे मुंह में डाल दिया और मैं उसके लंड को चुदते हुए चूसने लगी.

अब तक उसका तीसरा फ्रेंड भी मेरे नजदीक आ चुका था और मैं उसका लंड अपने हाथ से हिलाने लगी थी.
मुझे एक की जगह चार चार लंड मिल गए थे, उन चारों ने मुझे बारी बारी चोदा और इस दौरान मैं कितनी ही बार झड़ी.
हम चारों बुरी तरह से थक चुके थे.

फिर हम ने कुछ देर आराम किया और बाद में उसके फ्रेंड ने पोर्न मूवी लगा दी जिसे हम सब देख रहे थे और थोड़ी देर हम फिर से गर्म हो गए, हम एक दूसरे के शरीर से खेलने लगे और फिर मैंने बारी बारी सबके साथ सेक्स किया.मुझे उन चारों के साथ सेक्स करके बहुत मजा आया था.
अब मैं और संजीव साथ में रहते हैं और जब भी मन करता है तो हम सेक्स कर लेते हैं.
कभी कभी हम दिन भर में 6-7 बार सेक्स कर लेते थे और जब मेरी छुट्टी होती है तब वो अपने सारे फ्रेंड को घर पर बुला लेता है और फिर हम बहुत मजा करते हैं.

अब मैं जॉब करती हूँ और मैं जॉब के कारण ही कनाडा जा रही हूँ, कल सुबह ही मैं कनाडा चली जाऊँगी हमेशा के लिए.

दोस्तो, आपको पूजा की कहानी कैसी लगी बताइयेगा जरूर.
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