अनजानी दुनिया में अपने-1
नमस्कार दोस्तो, मैं जॉर्डन सभी अन्तर्वासना के पाठकों को नमस्कार करता हूँ, मेरी उम्र 28 साल है और मेरी हाइट 5’10” है मेरे लन्ड का साइज 6 इंच है।
आज मैं जो कहानी आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ वह मेरे जीवन के सबसे हसीन पलों में से एक है।
जॉब लगने के बाद मेरी पहली पोस्टिंग कोटा हुई। काम के सिलसिले में कोटा के आसपास के शहरों में मेरा आना जाना लगा रहता था। एक बार मुझे काम के लिए झालावाड़ जाना पड़ा। सुबह जल्दी निकलने के बाद भी मुझे रात के 9 बज गए। बस पकड़ने के लिए बसस्टैंड पहुँचा ही था कि बारिश शुरू हो गयी, कोटा के लिए सीधी बस का इंतजार करते करते रात के 11 बज गए, अब मुझे लगा कि सुबह तक इंतजार करना पड़ेगा, सुबह निकलूंगा तो देर हो जायेगी, इसलिए मैं बस स्टैंड से बाहर आया तो एक जीप खड़ी थी जो कोटा कोटा चिल्ला रहा था, मैं भी उसी जीप में चढ़ गया।
जीप में मुश्किल से 3 आदमी थे। मैं, ड्राइवर और एक सवारी और थी। 8-10 किलोमीटर चलने के बाद वह सवारी उतर गई। अब बचे हम दो, ऊपर से बारिश की वजह से जीप भी धीरे चल रही थी,
कुछ दूर चलने के बाद ड्राइवर ने शराब के ठेके के पास रोक कर शराब खरीद ली।
मैंने मना किया तो वह हंस कर बोला- साहब रोज का काम है कुछ नहीं होगा.
वह पीते पीते गाड़ी चला रहा था, 3-4 किलोमीटर चलने के बाद उसने गाड़ी रोक दी और मुझे उतरने के लिए कहने लगा, कहने लगा- मेरा गांव आ गया है आगे नहीं जाऊंगा।
जब मैंने उसे कोटा तक चलने के लिए कहा तो बोला- बस और आगे नहीं जाएगी गाड़ी।
मुझे वहीं उतार कर उसने अपनी गाड़ी एक कच्चे रास्ते पर मोड़ दी।
अब सुनसान सड़क पर अकेले मेरी गांड फटके हाथ में आ गयी। ऊपर से हल्की हल्की बारिश भी हो रही थी।
कुछ देर इंतजार करने के बाद मैंने चलने का फैसला किया, थोड़ा आगे चलने के बाद पता चला मैं तो जंगल में फंस गया हूँ, रात के लगभग 1 बजे का समय था, जंगल के जानवरों की आवाजें आ रही थी, ऊपर से मोबाइल की बैटरी भी जवाब दे गई थी। वह सड़क मेन हाईवे से दूर होने की वजह से कोई गाड़ी भी नहीं आ रही थी। अब तो बस ऐसे लगने लगा कि बस मौत नजदीक है, तो मैंने कुछ गुनगुनाने का फैसला किया.
अभी कुछ कदम चला ही था कि अचानक कुछ आवाज हुई, मेरी गले में सांसें अटक गई क्योंकि मेरे ठीक सामने एक तेंदुआ खड़ा था।
अब काटो तो खून नहीं … कुछ समझ नहीं आ रहा था, सब भगवान याद आ गए। गला सूख चुका था पूरी तरह … फिर भी मैं हिम्मत करके एक पगडंडी पर तेज दौड़ लगा दी, वह तेंदुआ मेरे पास आता जा रहा था, मैं बेतहाशा दौड़ता जा रहा था चारों और घना जंगल था कोई मदद की उम्मीद भी नहीं नजर आ रही थी.
मेरी सांस भी फूलने लगी थी, तेंदुआ पास आता जा रहा था, मेरे पैर लड़खड़ाए और मैं गिरने ही वाला था कि अचानक कहीं से एक हाथ आया और मुझे किसी झोपड़ी में खींच लिया.
और मैं तेंदुए से बाल बाल बच गया।
मैं गिरते ही बेहोश हो गया।
कुछ देर बाद मुझे होश आया तो देखता हूं मैं एक झोपड़ी में लेटा हुआ हूं, मेरे ठीक पास एक औरत बैठी थी।
मैं उठ खड़ा हुआ और उस औरत को पूछा- मैं कहां हूँ।
उस औरत ने बताया- तुम आराम करो, अभी सुरक्षित हो।
मैं उठकर बैठा तो देखा कि उस औरत के पास लड़की भी सोई हुई थी, चाँद की रोशनी में 18-19 साल की सी लगी। मैंने उस लड़की की तरफ देखा तो वह औरत बोली- यह मेरी बेटी है, इसी ने कल आपकी जान बचाई थी, अभी सोई है वरना आपके पास बैठी थी।
मैंने कृतज्ञता से उस लड़की की तरफ देखा तो मेरी आँखों में आंसू आ गए।
यह उस औरत ने देख लिया और उसने मेरी आँखों के आँसू अपने हाथों से पौंछ दिए।
मैंने उठने की कोशिश की तो मेरे पैरों में दर्द होने लगा और पैर हिल भी नहीं रहा था, उनमें सूजन आ गयी थी और जगह जगह घाव भी हो गए थे।
मैंने उस औरत से पेशाब करने के लिए कहा तो उसने मुझे सहारा देकर उठाया और मुझे पकड़कर उस जगह ले गयी जो उन लोगों ने पेशाब के लिए बनाई थी। मुझसे खड़ा नहीं हुआ जा रहा था तो उस औरत ने मुझे सहारा दिया और मैं अपना लन्ड पेंट से बाहर निकालने लगा.
पेशाब करके जब मैं वापिस लन्ड अंदर डालने तो मेरा बैलेंस बिगड़ गया और मैं गिर गया और वह औरत मुझे संभालने की कोशिश में मेरे ऊपर गिर गयी। मारे दर्द के मेरे मुंह से आह निकल गई। इसी उठापटक में मेरा लन्ड उसके हाथ में आ गया, जब उसे यह अहसास हुआ तो उसने झटके से उसे छोड़ दिया और उठ खड़ी हुई।
आवाज होने की वजह से उसकी बेटी भी वहां आ गयी। जब उसने यह नजारा देखा तो वो वहाँ से भाग गई।
जैसे तैसे हमने एक दूसरे को संभाला और वापिस उसी जगह आ गए जहाँ मैं सोया था।
अब उन्होंने रोशनी कर दी थी झोपड़ी में, तो दोनों को ढंग से देख पा रहा था। उस औरत की उम्र 45 के लगभग थी और बला की खूबसूरत थी बस थोड़ा रंग सांवला था, पेट बिल्कुल स्लिम और परफेक्ट फिगर था किसी का भी लन्ड खड़ा करने के लिए। वहीं लड़की भी ताजा जवान हुई थी, सब अंग कोमलता की मूरत। उसको देखकर मुझे टीवी एक्ट्रेस जेनिफर विंगेट याद आ गयी।
फिर मैंने उनसे बात करनी शुरू की तो मुझे बहुत आश्चर्य हुआ कि वो बीच बीच में इंग्लिश शब्द काम में ले रही थी.
जब मैंने उनके बारे में और पूछना चाहा तो उन्होंने बातें करना बंद कर दिया और सोने की कोशिश करने लगी।
अब कितना भी शरीफ हो चाहे सामने दो दो चूत सोई हो तो किसको नींद आयेगी।
मैंने देखा वह औरत अभी भी जग रही थी, मैंने उसे हाथ लगाकर पूछा कि मेरे पैर में दर्द हो रहा है क्या आप थोड़ा सरसों का तेल देंगी?
तो उसने उठ के तेल दिया, अब मैं लगाने के लिए अपनी पैन्ट निकाल दी, अब मैं सिर्फ अंडरवियर में था।
मैंने मालिश करनी शुरू की तो मुझे परेशानी हो रही थी तो वह औरत झट से खड़ी हुई और तेल अपने हाथ में लेकर मालिश करने लगी। फिर अपने हाथों से मालिश करने लगी। मालिश करते करते उसके हाथ जांघों तक पहुँच गए तो मैंने आंखें बंद कर ली.
उसको लगा शायद मैं सो गया हूँ, तो वह धीरे धीरे हाथ और ऊपर लाई और मेरे लन्ड को टच करने लगी। अचानक वो तेल छोड़कर चड्डी के ऊपर से लन्ड सहलाने लगी। मैं सोने का नाटक करने लगा, मेरा लन्ड खड़ा हो गया, उसने जरा सा ऊपर होकर यह चेक किया कि मैं सो गया या जग रहा हूँ.
जब उसे लगा कि मैं सो गया हूँम तो उसने हल्के से चड्डी नीचे खिसकाई और मेरा लन्ड हाथ में ले लिया, उसके दबाव से मेरे पैर में दर्द हो गया और मैं उठ बैठा।
उसके चेहरे के भाव ही बदल गए, जब मैंने उसकी तरफ देखा तो उसकी आँखों में आंसू आ गए, मैंने दोनों बाहें फैला ली और उसको गले से लगा लिया।
मैंने फिर उसके माथे पे किस किया, दोनों ने एक दूसरे की आंखों में देखा और दोनों के होंठ एक दूसरे से मिल गए, साथ ही मेरे हाथ उसके लहंगे को ऊपर उठाने लगे, पूरा ऊपर करने के बाद मेरा हाथ सीधा उसकी गांड के बीच में लगा, मतलब उसने नीचे कुछ नहीं पहना था.
अब उसके हाथ भी मेरे लन्ड को सहलाने लगे, होंठ चूसना छोड़ के वह उठी और यह चेक किया कि उसकी लड़की सो गई या नहीं।
देखने के बाद उसने अपने सारे कपड़े निकाल दिये और नंगी हो गई, फिर उसने मेरी चड्डी भी निकाल दी। मंझी हुई खिलाड़ी की तरह मेरे ऊपर आ गयी और मेरे छाती पर किस करने लगी, मेरे छाती के निप्पलों को बारी चूसने लगी.
मेरे मुंह से सिसकारी फूटने लगी.
फिर धीरे धीरे किस करते करते उसने लन्ड के टोपे पे किस किया, फिर लन्ड पे बहुत सारा थूक डाला और कुल्फी की तरह चूसने लगी, मेरी हालत खराब हो गयी, वो कभी पूरा मुंह में ले जाती, कभी टोपे पे जीभ रगड़ती। अचानक वह इस तरह बैठ गयी कि उसकी चूत मेरे मुंह पे आ गई, उसमें से बदबू आ रही थी। मैंने हिम्मत करके उसकी चूत पे जीभ से टच किया, फिर धीरे धीरे चाटने लगा।
अब मुझे भी मजा आ रहा था चाटने में!
अचानक उसके मुंह से आ उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह की आवाज निकली और उसका पानी निकल गया; और उसकी आह के साथ मेरा भी पानी निकल गया और सारा उसके मुंह में चला गया, उसको उल्टी आने को हो गयी, उसने थूक दिया, फिर मेरे सीने से लग कर लेट गयी।
कुछ देर आराम करने के बाद मैंने उसके अतीत के बारे में पूछा और उसका पति कहां है यह पूछा तो आंसुओं का दरिया उसकी आँखों से बह निकला, मैंने उसकी आंखें पोंछी तो उसने बताना शुरू किया- मेरा नाम कामिनी और मेरी बेटी का नाम दिव्या है, हम लोग दिल्ली के बहुत अमीर परिवार से ताल्लुक रखते हैं, हम लोग बहुत खुश थे, छोटा सा परिवार था उनका। एक दिन मेरे पति की हत्या कर दी किसी ने! मेरे बेटे को पता लग गया कि यह कत्ल उसके चाचा ने करवाया है प्रॉपर्टी के लिए! तो मेरे देवर ने मेरे बेटे को भी मरवा दिया और मेरा देवर तो हम दोनों को भी मरवाने वाला था।
आगे उसने बताया कि वो दोनों वहां से भाग के जयपुर आ गयी, कुछ दिन बाद वहाँ का भी उन लोगो को पता लग गया तो हम दोनों भाग कर कोटा आ गई।
कुछ दिन आराम से गुजरने के बाद दिव्या के चाचा ने अखबार में हमारी फोटो के साथ इश्तिहार निकलवा दिया तो हम माँ बेटी रतलाम जाने वाली ट्रेन में चढ़ गई. हमारे पास टिकट नहीं थी और रास्ते में टीसी आ गया तो हम दोनों चेन खींच कर उतर कर भाग गई।
जब कहीं भी राह नहीं मिली तो हम दोनों ने इसी झोपड़ी में रहना शुरू कर दिया, पता नहीं यह किसकी झोपड़ी है, 3 साल से हम दोनों यहाँ रह रही हैं, कभी कुछ खाने को मिल जाता है और कभी भूखे सो जाते हैं।
उसकी बातें सुनकर मेरी आँखों में भी आंसू आ गए, फिर मैंने खुद को संभाला और उसे चुप करवाया।
अब दिन भी निकल आया था, उसने अपने कपड़े पहने और उठ खड़ी हुई।
कुछ सोचते सोचते न जाने कब मेरी आँख लग गई, जब आंख खुली तो सामने उस लड़की यानि दिव्या को अपने पास पाया, उसके खुले गीले बाल देखकर लग था था वो अभी नहा कर आयी है।
सहसा मेरे दिमाग में उसका अहसान आ गया, उसने मुझे नई जिंदगी दी थी, आज उसी की वजह से मैं जिंदा हूँ। यह बात याद आते ही मेरी आँखें गीली हो गई और हाथ जोड़कर उसका शुक्रिया अदा किया तो वह बस हंस के रह गई।
मैंने अब वहां से चलने की सोची तो मैंने उठने की कोशिश की, उठते ही धड़ाम से गिर पड़ा, दिव्या ने मुझे सहारा देकर उठाया, मैंने उसकी कमर को थामने की कोशिश की तो ज्यादा वजह होने की वजह से उसके ऊपर गिर गया, और मेरा एक हाथ उसके मम्मे पर चल गया और दूसरा उसके कूल्हे को पकड़े था।
बड़ा मस्त नजारा था दोस्तो, मेरा तो उठने का मन ही नहीं कर रहा था लेकिन मर्यादा के चलते उठना पड़ा।
दिव्या ने मुझे चारपाई पर बैठाया और मेरे लिए चाय बना लायी। उसकी माँ कहीं दिख नहीं रही थी तो जब मैंने उससे पूछा तो पता लगा कि वो दोनों माँ बेटी यहाँ से कुछ किलोमीटर दूर नरेगा में काम करती हैं, वो भी जाती थी लेकिन आज मेरी वजह से नहीं जा पायी।
मुझे बहुत ही ज्यादा अफसोस हुआ, मैंने उन लोगों के लिए कुछ करने की सोची।
अब मेरा दर्द बहुत हद तक कम हो चला था, लेकिन कल शाम का ख़ौफ़ अभी भी था, मैंने दिव्या से मेरी जान बचाने का शुक्रिया कहा और नई जिंदगी देने के लिए उसका अहसान माना.
कहानी जारी रहेगी.
दोस्तो, मेरी कहानी अच्छी लग रही है या नहीं, जवाब जरूर दें!
मेरा मेल आईडी [email protected] है। आपके मेल्स का इंतजार रहेगा।
कहानी का अगला भाग: अनजानी दुनिया में अपने-2
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