अनम और नैन्सी का मधुर मिलन
सम्पादक : वरिन्द्र सिंह
दोस्तो, आज मैं आपको अपनी पहले सेक्स की बात बताने जा रहा हूँ।
मेरा नाम अनम है, मैं दिल्ली में रहता हूँ, परिवार में मम्मी पापा मैं और दो बहनें हैं, पिताजी का बिज़नस है।
मैं 24 साल का हूँ, अभी डिग्री कर रहा हूँ।
घर का माहौल बहुत ही सख्त है, इसलिए घर में तो बॉय फ्रेंड या गर्ल फ्रेंड का नाम भी नहीं लिया जा सकता, मुझे पता है कि मेरी छोटी बहन का बॉय फ्रेंड है, मगर हम दोनों हम उम्र होते हुये भी कभी भी आपस में ऐसी कोई बात नहीं करते, सब के सब शरीफ बच्चे हैं।
इसी वजह से मैं आज तक कुँवारा हूँ, आज तक कोई गर्ल फ्रेंड नहीं बना पाया, बस हर वो लड़की या औरत जो पसंद आई, उसके नाम की मुट्ठ मार लेता हूँ।
मगर दिल में बड़ी इच्छा थी कि किसी ऐसी औरत की चुदाई करूँ, जो उम्र में मुझसे बड़ी हो। और अगर उसके छोटा बच्चा हो, मतलब जिसके बोबे दूध से भरे हों, तो और भी मज़ा आ जाये…
मेरी बड़ी इच्छा होती है, औरत का दूध पीने की मगर कभी भी ऐसा मौका नहीं लगा।
एक दो बार दोस्तों ने बाहर चुदाई का प्रोग्राम भी बनाया मगर मैं शर्म की वजह से नहीं गया कि किसी किसी रंडी को चोदने के बाद घर कैसे आऊँगा, घर वालों के सामने कैसे जाऊंगा, चाहे यह सिर्फ मेरे मन का ही भ्रम था, मगर मैं नहीं गया।
ऐसे में ही हमारे पड़ोस में रहने वाली एक भाभी की तरफ मेरा ध्यान गया। ध्यान भी कैसे गया, एक दिन मैं उनके घर किसी काम से गया, उस वक़्त वो अपने बेटे को दूध पिला रही थी।
उस दिन मैंने पहली बार उनके दोनों बूब्स जो उन्होंने अपनी ब्लाउज़ से बाहर निकाल रखे थे, देखे।
मेरा बड़ा मन किया कि भाभी से कहूँ कि भाभी एक बूब तो आपका फ्री ही पड़ा है, और उससे दूध टपक टपक कर नीचे गिर रहा है, प्लीज़ मुझे चूस लेने दो, मुझे आपका दूध पीना है।
मगर गाँड में इतना दम कहाँ!
तो चुपचाप अपने घर आया, बाथरूम में गया, और मुट्ठ मार के खुद को शांत किया।
मगर उसके बाद मैं हमेशा उनके घर जाने के बहाने ढूंढने लगा।
और एक दिन ऐसा बहाना बना के बस मेरी तो ज़िंदगी ही बदल गई।
जो भैया हैं वो तो सरकारी जॉब करते हैं, मगर भाभी हाउसवाइफ हैं। मगर भाभी हैं बहुत ही सुंदर, फुल सेक्सी, फुल सुंदर। किसी चीज़ की कमी नहीं, सुंदर गोरा रंग, चाँद सा चेहरा, बड़ी बड़ी आँखें, लंबे बाल, सेक्सी कटीला बदन, गोल एकदम गोल बोबे, हल्के भूरे निप्पल, जो मैंने उस दिन देखे थे, पतला सपाट पेट, शानदार भरे हुये चूतड़।
बहुत ही लहरा कर चलती हैं, जीन्स में उनके शानदार बदन की खूबसूरती देखने वाली होती है।
एक दिन स्कर्ट में देखी, क्या शानदार भरी हुई, गोरी चिकनी टाँगें। उस दिन सिर्फ उनकी टाँगों के नाम से मुट्ठ मारी मैंने!
खैर अब मुद्दे पर आता हूँ।
मैं एक दिन माँ के कहने पर उनके घर कुछ सामान देने गया, सुबह का कोई 11 बजे का वक़्त होगा, भैया दफ्तर जा चुके थे। मैंने भी बैल नहीं बजाई, धीरे से दरवाजा खोला और अंदर घुस गया।
हाल में कोई नहीं था, तो मैं उनके बेडरूम की तरफ गया।
बेडरूम से टीवी चलने की आवाज़ आ रही थी। जब बेडरूम में गया, तो मेरी तो सिट्टी पिट्टी गुम हो गई। बेडरूम में भाभी शायद अपने बेटे को दूध पिलाते पिलाते सो गई थी।
उनका बेटा भी साथ में सो रहा था, भाभी की नाईटी उनके गले तक ऊपर उठी हुई थी, दोनों बूब्स बाहर, आज़ाद, नीचे गोरा सपाट पेट, उनके नीचे चिकनी जांघें बिल्कुल बिंदास नंगी, और उन्हीं दो जांघों के बीच में फंसी उनकी छोटी सी बिना बाल की चूत…
मैंने तो सोचा भी नहीं था कि भाभी को कभी नंगी भी देख सकूँगा, मगर अब तो वो मेरे सामने बिल्कुल नंगी लेटी थी।
मैंने सोचा कि अब क्या करूँ?
पहले तो मैंने पीछे से जाकर उनके चूतड़ देखे, गोरे, गोल गोल भरे हुये चूतड़… बहुत दिल कर रहा था कि भाभी के बदन को चूम लूँ, उनके चूतड़ों पर, उनकी कमर पर, गाल पर, या उनका निप्पल अपने मुँह में लेकर उनका दूध पी कर देखूँ।
मैंने देखा नीचे चादर पे शायद उनका दूध टपकने से कुछ गीला गीला सा हो रहा था, मैंने वहाँ पे उंगली लगाई और चाट गया मगर उनके दूध का स्वाद नहीं आया।
मैंने अपना लंड अपनी जीन्स से बाहर निकाला और भाभी को देख कर अपना लंड हिलाने लगा, पहले सोचा मुट्ठ मार कर भाभी पर अपना माल गिरा दूँ, फिर सोचा अगर भाभी जाग गई और गुस्सा हुई, तो क्या होगा।
फिर अपना लंड अपनी पेंट में डाल लिया और बैठ कर सिर्फ उसके नंगे बदन को ताड़ता रहा।
स्लीवलेस नाईटी थी, और पूरी ऊपर उठी हुई, दोनों बूब्स बाहर खुले पड़े, मुझे बार बार चुनौती दे रहे थे, के आजा और हमे पकड़ ले…
मगर मेरी हिम्मत नहीं पड़ रही थी… बस बैठा रहा।
पर तभी भाभी की नींद खुल गई, जब उसने मुझे देखा तो एकदम से हड़बड़ा कर उठी, अपने कपड़े ठीक किए,और बोली- अरे अनम तुम
कब आए?
मैंने ने बड़े प्यार से जवाब दिया- भाभी मुझे आए तो 15 मिनट हो गए!
न चाहते हुये भी मेरे मन की शैतानी मेरे चेहरे पर मुस्कान के रूप में आ गई, जिसे भाभी ने देख लिया और समझ भी लिया।
मेरा असल मतलब उसे यही बताना था कि जानेमन पिछले 15 मिनट से तुझे नंगी लेटी को देख रहा था।
भाभी ने थोड़ा गुस्से में कहा- पर अगर अंदर आना था तो बैल बजा कर आते, यूं किसी के बेडरूम में चुपचाप से आना क्या अच्छा लगता है?
मगर इस सवाल का जवाब तो मेरे पास तैयार था- भाभी आप प्लीज़ गुस्सा मत करो, आपका दरवाजा खुला था, मैं तो वैसे ही अंदर आया था, मगर जब अंदर आकर आपको देखा तो बस देखता ही रह गया, मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि जिस औरत को मैं मन ही मन इतना पसंद करता हूँ, उसको कभी इस रूप में भी देखूँगा।
भाभी के चेहरे की सख्ती जैसे मेरी बात सुनते ही कहीं गुम सी हो गई, शायद उसे लगा कि मैंने जो भी कहा, सच ही तो कहा।
अक्सर मैं अपनी बातों से उनको पहले भी जताता रहता था कि मैं उनको बहुत पसंद करता हूँ।
मगर मेरी बात सुन कर भाभी उठ कर जाने लगी, मुझे लगा कहीं यह मौका मेरे हाथ से न निकल जाए, अगर वो चली गई, तो मेरी तो सारी करी धरी की धरी रह जाएगी।
तो मैंने मन में ठान ली कि आज नहीं तो कभी नहीं…
जैसे ही वो उठ कर जाने लगी तो मैंने उसकी कलाई पकड़ ली- भाभी आप गुस्सा तो नहीं हो न? सच कहता हूँ भाभी मैं आपको बहुत पसंद करता हूँ, आपसे मन ही मन बहुत प्यार करता हूँ, माँ से पूछ लो मैंने तो यह भी कह रखा है कि मुझे आप जैसे ही पत्नी चाहिए, आप मेरी गलती की जो चाहे सज़ा दे लो, मगर मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ।
कह कर मैं तो उसको अपनी मोहब्बत का इजहार करने के लिए उसके सामने घुटनों के बल बैठ गया, जबकि असल मंशा मेरी यह थी के वो बेड से नीचे न उतर सके, अगर उतर कर चली गई तो फिर तो मुझे कुछ भी नहीं मिलने वाला!
जब भाभी ने देखा कि मैंने उनका रास्ता रोक रखा है तो बोली- अनम, मुझे जाने दो।
मगर मैं उसे कैसे जाने देता, या तो आज वो मेरी मोहब्बत ठुकराती या फिर मुझसे चुदवाती, इसलिए मैंने जानबूझ कर नाटक किया और बोला- नहीं भाभी, पहले आप मुझे माफ करो, अपने दिल से मेरे लिए सारा गुस्सा निकाल दो, प्लीज़!
पूरा ड्रामा किया और इस दौरान मैंने उसे छूने की गर्ज़ से उसके दोनों घुटने पकड़ लिये और उसकी जांघों को छूने के लिए उसकी गोद में सर रख दिया।
सच में उसके बदन को छू कर मेरे तो लंड कसमसाने लगा।
मैं वैसे ही भाभी की जांघों पे सर रखे रहा, दरअसल मैं चाहता था कि किसी तरह भाभी की चूत की हल्की सी गंध मुझे मिल जाए।
तभी अचानक भाभी ने मेरे सर पे हाथ रखा तो मैंने भी अपना कमीनापन बाहर निकाला और अपने दोनों हाथ भाभी की जांघों पर रख लिए, बेशक उनकी नाईटी उनकी जांघों पर थी, मगर एक पतले से कपड़े से क्या फर्क पड़ता है, एक नौजवान औरत की चिकनी जांघों को छूने का अहसास भी बहुत आनन्दित कर जाता है।
और मुझे ऐसा लगा जैसे भाभी के मन में भी कुछ चल रहा था, तभी भाभी मेरा सर अपनी दोनों हाथों में पकड़ा और बोली- क्या चाहते हो अनम?
यह तो खुलेआम ऑफर थी मुझे, मैंने भी शर्म लिहाज त्याग कर दिया- भाभी, आपसे मैं बहुत प्यार करता हूँ, मेरे दिल में आपके लिए बहुत इज्ज़त, बहुत सम्मान है, मगर मैं आपको एक बार अपनी बनाना चाहता हूँ, ताकि इस दिल में आपके लिए जो अरमान हैं, वो सब पूरे हो जाएँ।
मगर भाभी भी कम घाघ नहीं थी, बोली- अपनी बनाना मतलब, अब भी तो मैं तुम्हारी अपनी ही हूँ।
मैंने कहा- आप बिल्कुल मेरी अपनी हो, मेरी भाभी हो, मगर मैं आपको मन से ही नहीं तन से भी हासिल करना चाहता हूँ।
मैंने भी सेक्स का खुल्लमखुल्ला ऑफर भाभी को दे दिया।
वो हल्की से मुस्कान के साथ बोली- मतलब?
अब इतनी नादान भी नहीं थी वो, शादीशुदा, बाल बच्चेदार औरत थी, मेरी हर बात का मतलब वो अच्छे से जानती थी, मगर अब तो बात खुल ही गई थी तो मैंने साफ साफ कहने में ही भलाई समझी और बोला- मतलब, मैं आपसे एक बार, सिर्फ एक बार, सेक्स करना चाहता हूँ।
‘नहीं अनम!’ भाभी ने कुछ नखरा सा करते हुये कहा- मैं तुम्हारे भैया को धोखा नहीं दे सकती।
मुझे पता था के वो चाल चल रही है तो मैंने भी अपनी चाल चली और कहा- भाभी आप इसे इस तरह से न सोचें, आप इसे ऐसे सोचें के आप सिर्फ मुझे अपना प्यार दे रही हैं बस!
और फिर मैंने बारी बारी से उसके दोनों घुटनों को चूम लिया।
दिल तो कर रहा था कि चाट ही लूँ उसके चिकने गोल घुटनों को… मगर भाभी फिर से बोली- देखो अनम, मैं एक शादीशुदा औरत हूँ, मेरा एक बेटा है, मैं बदनाम हो जाऊँगी, मेरा घर टूट जाएगा।
इस बार तो मैं उठ कर उसके पास ही बैठ गया और बड़ी आत्मीयता से बोला- नहीं, नैन्सी, मैं अपनी जान देकर भी तुम्हारा घर बचा लूँगा, तुम चिंता न करो।
भाभी से नैन्सी कह कर पुकारना थोड़ा मुश्किल लगा मुझे मगर मैंने कह दिया।
और अब मैंने सोच लिया था कि बातें बहुत हो गई, अब थोड़ा आगे बढ़ा जाए तो मैंने उसके होंठों पे एक छोटा सा चुम्बन किया।
जब भाभी ने कुछ नहीं कहा, तो साफ था कि उसकी सारी दलीलें खत्म हो चुकी थी, तो मैंने फिर से दोबारा उसके होंठों पर चूमा, जब एक चुम्बन को उसने कोई इंकार नहीं किया और दूसरे को भी नहीं तो मैंने अपने होंठ उसके होंठों से चिपका ही दिये कि अब तो ये मेरी गर्ल फ्रेंड बन ही गई है, अगर गुस्सा करना होता तो पहले किस पर कर देती, अब तो ये मान गई है, अब तो चुदेगी ही चुदेगी।
बस मैंने चूमा और वो मेरे सीने से लग गई और मैंने उसे बिस्तर पर लेटा दिया।
पहले मैंने उसके माथे को चूमा, आँखों को चूमा- बहुत सुंदर आँखें हैं तुम्हारी नैन्सी मेरी जान!
फिर दोनों गालों को अपने होंठों में लेकर चूसा, और फिर ठोड़ी को अपने दाँतों से काटा, और अपने मुँह में लेकर चूसा और अपनी जीभ घूमा कर चाटा भी।
इस सब भाभी भी गर्म हो गई थी। उसने खुद मेरा चेहरा अपने हाथों में पकड़ा और खुद मेरे होंठों पर एक लंबा चुम्बन दिया।
यह तो मेरे लिए किसी बहुत बड़े तोहफे के समान था, सच में मन बहुत खुश हुआ।
अब तो वो बेड पे मेरी बगल में लेटी मेरी तरफ देख रही थी, तो मैंने सोचा क्यों करवाही शुरू की जाए, तो मैंने उठ कर सबसे पहले उसके दोनों पैर चूमे, उसके पाँव के अंगूठे को अपने मुँह में लेकर चूसा, फिर सभी उंगलियों को चूमते हुये पांव से ऊपर टखने तक आया।
भाभी आराम से लेटी मुझे उसके बदन के साथ खेलते हुये देख रही थी। मैं उसकी चिकनी टांग पर हाथ फेर कर बोला- उफ़्फ़ कितनी चिकनी टाँगें हैं तुम्हारी!
और फिर टांग को चूमता हुआ ऊपर घुटने तक आया, उसकी टाँग को उठा कर मैंने अपने कंधे पे रख लिया, कितनी चिकनी, चमकदार टाँगें थी उसकी।
फिर अपने दोनों हाथों से उसके घुटने से फिराता हुआ नीचे को लाया, और उसकी नाईटी जो घुटने तक थी, सरका कर नीचे कमर तक कर दी और उसकी जांघ को सहलाया, नर्म, मुलायम, गदराई हुई जांघ…
लेकिन जब नीचे उसकी चूत देखी तो खुद को कहने से नहीं रोक पाया- अरे नैन्सी, बहुत सफाई की तुमने तो, एक भी बाल नहीं तुम्हारी चूत पर?
भाभी हंस दी मगर बड़े प्यार से झिड़की देते हुये बोली- हट बेशर्म, ऐसे नहीं कहते!
कितनी प्यार डांट थी, मैं मुस्कुरा दिया।
मैंने उसकी दोनों टाँगे फैलाई तो मेरी चूत पूरी तरह से सामने खुल कर सामने आ गई, बाहर से गोरी और अंदर से गुलाबी, हल्की सी गीली, जैसे अंदर से कोई चिपचिपा सा को स्राव निकल रहा हो।
‘अरे वाह, क्या बात है!’ मैंने जानबूझ कर उसकी चूत की तारीफ की, मेरी बात सुन कर वो शर्मा गई और मैंने तभी नीचे झुक कर उसकी चूत की भगनासा जो थोड़ी बाहर को निकली हुई थी, उस पर चूम लिया।
उसकी चूत की गंध मेरे नाक में आई और उसकी चूत के पानी का हल्का सा स्वाद मेरे मुंह में आया।
अब तक सिर्फ ब्लू फिल्मों में लोगों को औरतों की चूत चाटते देखा था, मगर आज पहली बार मैं किसी औरत की चूत चाटने जा रहा था।
सबसे पहले उस बाहर निकली भगनासा को ही अपने मुंह में ले लिया और अंदर को चूस लिया।
एक लंबी सी ‘आह’ भाभी के मुंह से निकल गई।
भाभी ने अपनी दोनों टाँगे खुद उठा कर मेरे कंधों पे रख ली और मेरा सर खींच कर अपनी दोनों जांघों में जकड़ लिया।
मतलब वो चाहती थी कि मैं उसकी चूत चाटूँ… मैं तो खुद यह मज़ा लेना चाहता था तो बस मैंने अपनी जीभ उसकी चूत के अंदर तक डाल डाल कर चाटना शुरू कर दिया।
चूत में जीभ लगते ही भाभी मस्त हो गई, मेरे लिए तो अब सभी रास्ते खुल गए थे, मैं अपने हाथों से उसकी कमर सहलाते हुये अपने हाथ ऊपर लेकर गया और उसके बूब्स पकड़े और दबाये।
उसके निप्पल हल्के से ही दबाये थे के भाभी के बूब्स से दूध की पिचकारियाँ फूट पड़ी।
यह तो मेरी मनपसंद चीज़ थी, मैं हमेशा से ही किसी ऐसी औरत से सेक्स करना चाहता था, जिसे बूबू दूध से भरे हों और मैं उसे चोदते हुये उसका दूध भी पी सकूँ।
‘ओह नैन्सी, तुम्हारे दूध आता है, मैं तुम्हारा दूध पीऊँगा।’
नैन्सी बोली- सब तुम्हारा है मेरी जान, जो चाहो पी लो।
मगर पहले मैं उसकी चूत का मज़ा लेना चाहता था, मैं चूत चाटता रहा और मेरे बूब्स के निप्पल दबा दबा कर दूध निकालता रहा क्योंकि उसकी चूत का स्वाद भी मुझे बहुत अच्छा लगा, मैं चाहता था कि वो मेरी चटाई से ही झड़ जाए तो मैंने अपनी जीभ चलानी चालू रखी।
और कोई 4-5 मिनट पूरी शिद्दत से उसकी चूत चाटी, मैं महसूस कर रहा था कि उसकी तड़प बढ़ती जा रही थी, और फिर वो बुरी तरह से तड़पी मेरे सर के तो बाल ही खींच दिये, मगर मैं फिर भी चाटता रहा, उसकी चूत से निकालने वाली रस की आखरी बूंद तक मैं चाट गया।
जब वो बिल्कुल शांत हो गई तो मैंने पूछा- कैसा लगा भाभी?
वो वैसे ही नंगी लेटी लेटी बोली- पूछो मत, बस मज़ा आ गया!
उसका संतोष, उसकी खुशी तो उसके चेहरे पर ही दिख रही थी।
अब मेरी बारी थी कि मैं अपने मन की भी कर लूँ, तो मैंने अपने कपड़े उतारे और पूरा नंगा हो गया।
मैंने देखा कि भाभी मेरे 7 इंच के तने हुये लौड़े को घूर रही थी।
मैंने सोचा अगर इतना घूर रही है तो क्यों न इसे अपना लंड चुसवाया जाए।
मैं आज हर वो चीज़ करना चाहता था, जो कुछ भी मैंने ब्लू फिल्मों में देखी थी।
मैंने उसे उठा कर उसकी नाईटी उतारी और उसे नंगी करके अपने सामने फर्श पर खड़ा किया ताकि मैं उसे एक बार पूरी तरह से नंगी देख सकूँ।
सुंदरता की एक मिसाल थी नैन्सी… नंगी तो और भी प्यारी लग रही थी।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
मैंने उसको अपने सीने से लगा लिया और उसके होंठों को चूमा, उससे पूछा- अपने यार का लंड चूसोगी, जानम?
उसने बड़े जोश से कहा- क्यों नहीं, मुझे लंड का स्वाद बहुत अच्छा लगता है।
आज तो जैसे मेरा ही दिन था, मैंने उसे नीचे बैठाया और अपना लंड उसके मुंह के पास किया।
भाभी ने मेरा लंड अपने हाथ में पकड़ा और पहले तो उसको चूमा, फिर अपने चेहरे होंठों के आस पास घुमाते हुये अपने मुंह में ले लिया।
‘हा…’ मज़ा आ गया किसी औरत से पहली बार अपना लंड चुसवा कर!
‘जानती हो नैन्सी, आज पहली बार किसी औरत ने मेरा लंड चूसा है, इससे पहले सिर्फ सोचता था कि लंड चुसवा कर कैसा मज़ा आता होगा, मगर आज सच में उसका एहसास हुआ, चूसो मेरी जान, और चूसो, पूरा मुंह में ले लो, और आँड भी चाट जाओ!’ मैंने नैन्सी से कहा।
नैन्सी ने भी किसी एक्सपर्ट की तरह से बहुत अच्छे से लंड चूसा, टोपा बाहर निकाल कर चूसा और मेरे आँड भी चाट गई।
मेरे तो सारे बदन में अजब अजब से अहसास हो रहे थे, मुझे लग रहा था कि मैं कहीं गिर ही न जाऊं, तो मैं बेड पर लेट गया, मगर वो मेरे लंड चूसती रही।
मुझे लगा कि कहीं यह चूस चूस कर ही मेरा पानी न निकाल दे तो मैंने उसे रोक दिया- बस कर यार, अब ऊपर आ जा!
वो मेरी कमर के ऊपर आकर बैठ गई, बिल्कुल मेरे लंड के ऊपर चढ़ कर बैठ गई।
‘आज से पहले कभी किसी को चोदा है?’ भाभी ने पूछा।
मुझे झूठ बोलने की क्या ज़रूरत थी, मैंने सच ही कहा- नहीं, तुम पहली हो जो मेरा कौमार्य भंग करेगी।
वो हंस कर बोली- कुँवारे तो नहीं हो तुम!
बात भी सच थी उसकी, तो मैंने ये बात भी सच ही बता दी उसको- यह तो मुट्ठ मार कर सील तोड़ ली थी, वरना इस लंड ने आज
पहली बार कोई चूत देखी है।
वो थोड़ा सा ऊपर को उठी और उसने मेरा लंड अपने हाथ से पकड़ कर अपनी चूत पे सेट किया और बोली- ले लूँ अंदर?
अब यह भी कोई पूछने वाली बात थी, मैंने भी कह दिया- बड़े शौक से!
और फिर उसने मेरे लंड के ऊपर हल्का सा दबाव बनाया और मेरा लंड उसकी चूत में घुस गया।
‘आह…’ कितना मज़ा आया, इस नज़ारे को देख कर, इस अहसास को महसूस करके के मेरा लंड आज किसी बहुत ही खूबसूरत चूत के अंदर घुस गया है।
वो शायद अपने पति के साथ पहले भी ये करती रही होगी, तो उसने तो एक दो बार और ऊपर नीचे किया और मेरा सारा लंड चूत में चला गया।
मगर मेरी तो इस आनन्द से ही आँखें बंद हो गई, इस खुशी को मैं अपने मन में समा नहीं पा रहा था, तो मैंने कहा- एक मिनट यहीं रुको नैन्सी!
‘क्या हुआ?’ भाभी ने पूछा।
मैंने कहा- मैं इस अहसास को जीना चाहता हूँ कि जिस औरत से मैं इतने दिनों से मन ही मन प्यार करता था, आज मेरा लंड उसकी चूत में है।
वो भी मेरी कमर पर ही बैठ गई, मेरा सारा लंड उसकी चूत में था, मैंने उसके दोनों बूब्स पकड़ लिए, और मैं दोनों को बारी बारी अपने मुंह में लेकर चूस रहा था।
भाभी के बूब्स से भी टपाटप दूध टपक रहा था जो मेरे सारे चेहरे पर गिर रहा था, मैंने खूब बूब्स चूसे उसके, बहुत सारा दूध पिया, बहुत खेला उसके बूब्स से, उसके बूब्स से टपकते दूध से मेरा ऊपर का आधा जिस्म गीला हो गया था।
जब कुछ देर उसके साथ खेल चुका तब मैंने कहा- अब शुरू करो।
वो आगे पीछे हो कर चुदाई करने लगी और मैं नीचे लेटा कभी उसका दूध पीता तो कभी उसके बूब्स से खेलता, कभी चूमता।
अब ज़िंदगी का पहला सेक्स, वो भी औरत ऊपर, मेरी तो हालत ही बड़ी खस्ता हो रही थी।
बड़ी मुश्किल से कोई 5 मिनट ही रुक पाया, और 5 मिंट की चुदाई के बाद मैंने तो नीचे से भी अपनी कमर चलाने लगा, मेरे सारे बदन में जैसे गर्म लावा बह रहा हो, मेरी इच्छा हो रही थी कि अपना लंड उसकी चूत में घुसा कर उसके मुंह से बाहर निकाल दूँ!
और बस वहीं मैं ढेर हो गया।
‘ओह… ओह… नैन्सी मेरी जान… और ज़ोर से चोद साली… और ज़ोर से उछल… साली चोद… बहनचोद लगा ज़ोर, आह आह…’ पता नहीं मैं अपनी प्यारी नैन्सी भाभी को क्या कुछ कहता हुआ झड़ गया।
भाभी मेरी कमर से नीचे उतर गई और लेट गई।
हम दोनों शांत हुये, नंग धड़ंग अगल बगल लेटे थे।
फिर भाभी उठी और मुझे भी उठाया, दोनों बाथरूम में गए, साथ नहाये।
उसके गोल गोल चूतड़ देख कर मेरे मन के एक और विचार आया- नैन्सी क्या कभी तुमने गांड मरवाई है?’ मैंने पूछा।
वो बोली- हाँ बहुत बार, मेरे पति अक्सर पीछे करते हैं गांड में!
‘मुझसे मरवाओगी?’ तो मैंने भी पूछा।
मगर नहा कर शायद उसकी कामाग्नि शांत सी हो गई थी वो थोड़ा रूखे से स्वर में बोली- देखो अनम, आज जो कुछ हुआ हम दोनों के बीचे वो कह लो कि वक्ती जज़्बात में हो गया, मगर मैं नहीं चाहती कि ये सब दोबारा हो, अगर तुम चाहते हो के हमारी दोस्ती बनी रहे तो प्लीज़ आज के बाद मुझे सेक्स के बारे में मत कहना, और न ही कभी ऐसे कोई डिमांड रखना, प्लीज़ मेरी रिकवेस्ट है तुमसे!
मुझे ये बहुत अजीब लगा कि सेक्स के बाद मैं तो इस औरत के प्यार में और भी पागल हो गया मगर ये तो बिल्कुल बदल सी गई है, तो मैंने कहा- ठीक है मेरी जान, तुमने मुझे ज़िंदगी का सबसे अनमोल तोहफा दिया है तो क्या मैं तुम्हारी इतनी सी भी बात नहीं मानूँगा, मगर अपनी दोस्ती मत तोड़ना।
वो बोली- मैं नहीं तोड़ूंगी, अगर तुम अपने दायरे से बाहर नहीं जाओगे।
चलो… मैंने सोचा, जो हुआ इतना भी बहुत है, मैंने कहा- ठीक है, मगर तुमसे हंसी मज़ाक, नॉन वेज जोक्स, और अगर कभी तुम
अपने बेटे को दूध पिला रही हो और मैं सामने बैठा हूँ तो पर्दा तो नहीं करोगी।
वो मुस्कुरा दी और बोली- तुम चिंता मत करो, दोस्ती पूरी तरह से खुली रहेगी, अगर मेरा कभी दिल किया, तो मैं तुम्हें दोबारा अपनी सेवा का मौका भी दे सकती हूँ, पर इसका कोई पक्का वादा नहीं है, सब मेरी मर्ज़ी और मेरे मूड पर ही है।
मतलब मेरे लिए आगे का दरवाज़ा खुला था, मगर चाबी उसके पास थी, मेरे लिए यही बहुत था, मैंने कहा- मुझे मंजूर है।
उसके बाद हम दोनों रूम में आए तो मैंने कहा- अब आज तो मेरा यह आखरी दिन है, क्या आज मैं थोड़ा और प्यार कर सकता हूँ तुम्हारे बदन को?
वो बोली- अब और क्या प्यार करना है?
मगर मेरा तो मन नहीं भरा था, अभी तो हम दोनों नंगे ही थे, मैंने कहा- बस थोड़ा सा!
उसने हाँ कह दिया।
उसके बाद मैंने उसे सीधा खड़ा कर के उसके सारे बदन को अपने होंठों से चूम लिया, सारे बदन पे अपनी जीभ से चाट लिया, चूत में, गाँड में, बगलों में सारे बदन पे अपनी जीभ फेरी!
मगर इस चट्टम चटाई में मेरा लंड फिर से तन गया।
मेरे मन में फिर से लालच जाग उठा एक और चुदाई का, मैंने उससे पूछ ही लिया- जानम, एक और बार चुद ले?
मगर वो नहीं मानी- नहीं अभी तुमने वादा किया, अभी तोड़ दोगे, सब्र रखो, शायद तुम्हारी किस्मत फिर किसी दिन जाग जाये।
वो अपने कपड़े निकालने लगी अलमारी से तो मैं उसके पीछे खड़ा रहा और उसके नंगे बदन को देख देख कर अपना लंड सहलाता रहा।
मगर मेरे मन में फिर से एक विचार आया, जब वो कपड़े पहनने लगी तो मैंने उसको रोक दिया, मैंने किसी औरत को कपड़े पहनते हुये भी नहीं देखा था तो मैंने खुद उसको अपने हाथों से ब्रा, पेंटी, स्लेक्स, और टॉप पहनाया।
जब वो ड्रेससिंग टेबल के सामने बैठ कर मेकअप करने लगी तो भी मैं उसको देख कर अपना लंड सहलाता रहा।
जब वो बिल्कुल तैयार हो गई तो मैंने उसको अपने सामने बैठाया और मुट्ठ मारी।
पहली बार किसी औरत के सामने मैंने उसके ही नाम की मुट्ठ मारी।
मुट्ठ मारते वक़्त हर वो गंदी गाली, हर गंदी बात मैंने नैन्सी भाभी का नाम लेकर बोल दी, अपने मन का सारा गंद बाहर निकाल दिया। और फिर उसके सामने ही उसके ही बेड पर मैंने अपने गरम वीर्य की दूसरी किस्त उसके नाम भेंट कर दी, उसके बेड की चादर गंदी कर दी।
कुछ देर आराम करने के बाद मैं उठा और अपने कपड़े पहने, और वापिस अपने घर आ गया।
आज भी हम बहुत अच्छे दोस्त हैं, एक दूसरे को नॉन वेज जोक्स सुनाते हैं, बहुत बार एक दूसरे को नंगा देखा है, मेरे सामने वो कई बार नहाई है, वैसे बात दर असल यह है कि मुझे पता है कि वो कब नहाती है तो मैं उसके घर जाता ही उस वक़्त हूँ कि उसको नहाते हुये नंगी देख सकूँ।
उसके सामने बहुत बार मैंने मुट्ठ भी मारी है।
मगर न उसने अपना वादा तोड़ा, न मैंने!
कभी कभी जब उसका मूड होता है तो मुझे दूध भी पिला देती है, मैं बड़े प्यार से उसके बूबू चूसता हूँ, वो मेरा लंड भी सहला देती है, मगर कभी सेक्स का दोबारा मौका नहीं मिला, मैं भी उसको अक्सर गंदी गंदी बातें करके गर्म करता रहता हूँ।
देखो… शायद किसी दिन फिर से मेरी किस्मत जाग जाये और मैं फिर से नैन्सी भाभी को चोद सकूँ।
मेरी यह कहानी पसंद आई या नहीं, प्लीज मेरी ई मेल आई डी [email protected] पर मेल कर मुझे बताएँ।
#अनम #और #ननस #क #मधर #मलन