अमेरिकन लण्ड वांट्स देसी चूत चुदाई -1
हैलो दोस्तो.. एक बार फिर आपकी अपनी प्यारी चुदक्कड़ जूही आपके लिए ले कर आई है एक और हसीन पलंगतोड़ चुदाई की मजेदार घटना।
आशा है आपको यह कहानी भी उतनी ही पसंद आएगी.. जिस तरह आपने मेरे मेरे अफ्रीकन सफ़ारी और बाकी अन्य कहानियों को सराहा और अपने मनमोहक फड़कते हुए लण्ड की तस्वीर भेजकर मेरा हौसला बढ़ाया।
खैर.. चलिए अब हम सीधे काम पर आते हैं। जैसे कि शीर्षक का नाम है ‘अमेरिकन लण्ड’ तो आपको तो पता होगा ही कि अंग्रेजों के लण्ड का रंग हमारे चेहरे के रंग से भी गोरा होता है। अब मैं आपको बताती हूँ कि किस तरह दो अमेरिकन लौड़े मेरे दोस्त बने और किस तरह हमने अमेरिकन स्टाइल में चुदाई का लुत्फ़ उठाया।
मेरा ब्वॉयफ्रेंड था अशफ़ाक.. वो बहुत रईस था और घूमने-फिरने विदेश जाया करता था। चूंकि वो दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ता था.. उसके काफ़ी दोस्त विदेशी भी थे।
इन्हीं में से दो अमेरिकन भी थे.. जिनका नाम मार्क और एंडी था, दोनों ही लंबे-चौड़े गबरू जवान थे।
अशफ़ाक ने मुझे एक-दो बार उनसे मिलवाया और औपचारिक ‘हाय-हैलो’ शुरू हुआ।
कुछ दिनों बाद अशफ़ाक काम के सिलसिले में आयरलैंड चला गया.. पर चूंकि मार्क और एंडी मेरे साथ फ़ेसबुक पर जुड़े थे.. इसलिए उनसे कभी-कभी फॉर्मल बात हो जाती थी.. इसलिए उनके साथ संबंधों का सिलसिला जारी रहा।
मार्क और एंडी दोनों बचपन से जिगरी दोस्त थे.. इसलिए अगर मैं एक से कुछ कहूँ तो ऑटोमॅटिक दूसरे को वो बात पता लग जाती थी।
ऐसा ही होता है जिगरी दोस्तों में.. फटती किसी और की है और गाण्ड किसी और की मरती है।
एक बार बातों-बातों में मार्क ने मुझे अपनी पुरानी जीएफ और उसके कुछ प्राइवेट पिक्स दिखा दिए। दिखने में तो मार्क और उसकी जीएफ दोनों ही मॉडल लग रहे थे.. पर मेरी नज़र तो एक ही चीज़ पर गई.. जिसकी मुझे हमेशा से तलाश रहती है, आप लोग तो समझ ही गए होंगे।
खैर नए दोस्तों के लिए बताना चाहूँगी कि उस अजीब से यंत्र का नाम है लण्ड.. जो कभी तड़कता है.. कभी फड़कता और कभी धंसता है.. पर जो भी करता है बड़ा रोचक और मनमोहक होता है.. औरत को संतुष्टि प्रदान करता है।
मैंने बातों-बातों में ये बात मार्क को बता दी और आपको तो पता है.. समझदार को इशारा काफ़ी होता है।
दोनों अब मुझसे थोड़ी-थोड़ी सेक्स की बातें करने लगे।
जैसे-जैसे बात होने लगी.. दोनों थोड़े-थोड़े से होते होते पूरे तरह से सेक्स की ही बातें करने लगे।
अब तो सिलसिला यह हो गया था कि लगभग रोज़ ही दोनों जब मूड हुआ.. लण्ड की फोटो खींचते और मुझे सेंड कर देते।
सुबह उठने से लेकर.. नहाने.. बाहर जाने.. सोने.. यानि कि हर टाइम मुझे उनकी फोटो मिलती रहती थीं।
फिर उन्होंने एक कदम और आगे बढ़ाया और अब दोनों ने एक-दूसरे के लण्ड पर मेरा नाम लिखा और फोटो भेजने लगे। फिर फोटोज से बात वीडियो तक आ गई।
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फिर आपको तो पता ही है कि अगर कोई लड़की से आप खुल कर बात करती है तो किस-किस टाइप के वीडियो भेजते हैं।
आख़िरकार उन्होंने मुझसे पूछा- हम लोग दो-तीन दिन के लिए गोवा का प्लान बना रहे हैं.. क्या तुम हमारे साथ आ सकती हो?
इस तरह से वे मुझे खुले तौर पर चुदाई का निमंत्रण दे रहे थे।
मैंने शुरुआत में तो मना कर दिया- मेरी जॉब है और टाइम नहीं है..
पर बाद में उन्होंने पासा फेंका.. उसके बाद तो मैं ‘ना’ करने का सोच भी नहीं सकती थी।
उन्होंने मुझे उस होटल और उस आइलैंड की पिक्चर दिखाईं.. जो उन्होंने बुक किया था.. साथ में उन्होंने कहा- तुम जितनी चाहो शॉपिंग कर सकती हो.. सब कुछ का खर्चा हम ही उठाएंगे.. तुम्हें लाने से ले जाने तक का!
मैंने एक बार सोचा और फिर ‘हाँ’ करने में ज़्यादा देर नहीं लगाई।
प्रोग्राम बना.. टिकट्स बुक हुईं.. मैं बैग पैक करने लगी।
तभी एंडी का मैसेज आया- तुम कुछ भी मत लाओ.. बस यूँ ही आ जाओ.. हम यहाँ तुम्हारी जरूरत का सामान खरीदवा देंगे।
फिर भी मैंने दो-तीन कपड़े पैक किए और चुदाई के सफ़र पर गोवा निकल पड़ी।
मैं गोवा पहुँची.. वहाँ एंडी और मार्क मेरा इंतज़ार कर रहे थे।
पहले हमने ‘हाय-हैलो’ किया और फिर उन्होंने मुझसे कहा- फ्रेश हो जाओ।
मैं भी नहाने गई और सारे कपड़े उतार दिए और रगड़-रगड़ के साबुन से पूरे बदन को साफ़ किया और फिर पर्फ्यूम लगा कर सिर्फ़ बाथरोब पहन कर उनके साथ जाकर बैठ गई।
बाहर देखा तो टेबल पर फ्रूट्स लगे थे और नाश्ता लगा हुआ था.. साथ में जूस के गिलास थे।
मैंने जूस का एक गिलास उठाया और पीने लगी और एक केला खाने लगी।
इतने में मार्क में मेरे हाथ को पीछे हटाया और मुझे चूमने लगा और मेरे बाथरोब के अन्दर हाथ घुसा कर मेरी जाँघों पर हाथ फेरने लगा।
मैंने भी उसका भरपूर साथ दिया।
वहीं एंडी भी अब हरकत में आ गया और मेरे बाथरोब में अन्दर घुस गया और मेरी चूत चाटने लगा।
कुछ ही देर में हमारी पोज़िशन बैठे हुए से लेटे हुए की हो गई।
मार्क धीरे-धीरे अपने चुम्बन को कम.. मेरे बदन को मसलने में ज़्यादा मज़ा ले रहा था.. वहीं एंडी चूत को चाटने का भरपूर लुत्फ़ ले रहा था। धीरे-धीरे तीनों के बाथरोब एक तरफ.. और नंगे बदन एक तरफ हो गए थे।
अब बारी मेरी थी.. मैंने मार्क को अपने हाथों में जकड़ने की कोशिश की और उसके बगल में जैसे-तैसे गिरा लिया।
अब उसका गोरा-चिट्टा मोटा लण्ड अपनी पूरी लम्बाई में मेरी आखों से सामने था.. जो बहुत शाइन मार रहा था।
मैंने बिना कोई देरी दिखाए लण्ड को चूमना शुरू कर दिया।
क्योंकि मेरे चूतड़ ऊपर को उठे हुए थे.. तो एंडी को चूत चाटने में और आसानी हो गई, अब वो आगे-पीछे आराम से चूत चाट सकता था।
मैंने सोचा पहले मार्क के लण्ड का लुत्फ़ अच्छे से उठा लूँ.. फिर अपना हमला एंडी पर करूँगी… तब तक तो मार्क मेरी चूत का पानी बेहतरीन तरीके से साफ़ कर रहा था.. जिससे मुझे भरपूर आनन्द मिल रहा था।
मैंने मार्क के लण्ड को चूमा और अब उसके गोरे लण्ड को मेरे गुलाबी होंठों के भीतर प्रवेश दे दिया और मेरी लपलपाती जीभ को ज़रा भी इन्तजार पसंद नहीं है.. तो उसने लण्ड का रसपान करने में हल्की से भी कोताही नहीं की और घुमा-घुमा कर हर तरफ से गोरे लण्ड का आनन्द लेना शुरू कर दिया।
वो भी धीरे-धीरे अपने असली रूप में प्रकट होता जा रहा था। अब मेरे हाथों ने भी अपना काम शुरू कर दिया और लण्ड को घुमा-घुमा के अन्दर घुसवाने लगी।
जैसे-जैसे वो बाहर से अन्दर जाता.. उसका स्वाद और रूप और भी निखर कर बाहर आ रहा था।
मैंने अभी स्पीड बढ़ा दी और फिर कुछ ही मिनटों में दूध जैसा उजला सफेद माल.. उसके लण्ड से निकलने के कगार पर आ गया.. जिसका मैंने भरपूर इस्तेमाल किया और अपने चेहरे पर पिचकारी का प्रयोग करवाने लगी।
अब चूंकि मार्क का लण्ड थोड़ा सिकुड़ सा रहा था.. मैंने उसके मुलायम हो चले लण्ड को जकड़ा और उसी लण्ड से टपकते वीर्य का मसाज अपने चेहरे पर करने लगी।
कुछ ही पलों में वीर्य क्रीम की भाँति मेरे चेहरे पर फैल गया था.. हाँ थोड़ा चिपचिपा ज़रूर था.. पर यह चेहरे की लिए अच्छा होता है.. इससे आपके चेहरे को हल्का सा निखार भी मिलता है।
अब मेरा अगले निशाना एंडी था.. चूंकि उसने मेरी चूत की काफ़ी सेवा की थी इसलिए मेरा भी उसके लण्ड की पूरी तरह से आवभगत करने मेरा कर्तव्य था।
मैंने एंडी को लेटाया और उसके लण्ड को बिना हाथ लगाए उसके गोटों के नीचे के हिस्से को अपनी जीभ से चाटने लगी।
उसके मुँह से ‘आहह..’ की आवाज़ सुनी तो मुझे समझ आने लगा कि एंडी को मज़ा आ रहा है।
मैंने अपना थोड़ा सा थूक निकाल कर वहाँ लगाया और फिर से चाटने लगी।
धीरे-धीरे मैं ऊपर की ओर बढ़ने लगी और अब गोटों को भरपूर आनन्द के साथ चूसने का लुत्फ़ उठाने लगी।
वहीं उसका गोरा लण्ड नागराज की भांति पूरी तरह से अपने असली रूप में आने लगा था।
जब तक मैं उसके लण्ड तक पहुँची.. वो अपने असल रूप में मुझे डंसने को तैयार बैठा था। मैंने कुछ समय उसके लण्ड को अपने होंठों से चूसा और फिर थोड़ा ऊपर उठकर उसके लण्ड को अपने मम्मों में भींच कर हिलाने लगी।
उधर पीछे से मार्क भी मेरे ऊपर आ गया और मेरे मम्मों को पकड़ कर ज़ोर-ज़ोर से ऊपर-नीचे करने लगा.. जिससे दूसरे लण्ड का माल भी मेरे चेहरे और मम्मों से लिपट गया।
अब इस बार दोनों ने मिल कर मेरे और अपने वीर्य का मिलाप अपने गुलाबी लवड़ों से किया।
अब दोनों थोड़े-थोड़े ढीले पड़ गए थे.. इसलिए मैंने अपने होंठों से दोनों के लण्ड को भरपूर तरीके से चाट कर उसमें लगे वीर्य को साफ़ किया और फिर टिश्यू से दोनों के लण्ड को पोंछ दिया ताकि वो जल्दी सूख जायें और हम अपने चुदाई का लुत्फ़ और भी ले सकें।
मित्रो, इन दो विदेशी लौड़ों से चूत चुदाई की दिलचस्प कहानी को आगे पूरे विस्तार से लिखूंगी अभी चलती हूँ।
अपने ईमेल लण्ड की तस्वीर के साथ भेजना न भूलिएगा।
आपकी चुदक्कड़ जूही परमार
कहानी जारी है।
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