असगर मियां की ठर्क-1
यह कहानी हमारे ही मोहल्ले में राशन की दुकान चलाने वाले असगर मियां की है। उम्र है करीब 60 साल। सफ़ेद लंबी दाढ़ी, मगर एक बलिष्ठ बदन! देख कर लगता है कि जवानी में खूब कसरत की होगी। बीवी का इंतकाल हुए बरसों हो गए। बच्चे सब अपने अपने काम धंधे में लगे हैं, इसलिए मियां असगर अकेले ही रहते हैं। दुकान के पीछे ही उनका घर है, घर क्या बस दो कमरे हैं।
जिसमें उन्होंने अपनी सारी ज़िंदगी बिता दी।
हम भी इस मोहल्ले में करीब 3 पीढ़ियों से रह रहे हैं। मोहल्ले में और कोई किराने की दुकान न होने की वजह से असगर मियां की दुकान खूब चलती है, शाम को खूब रौनक लगी रहती है। उनकी दुकान पर कोई न कोई आया गया रहता है।
मगर एक बात जो अजीब मुझे लगती थी, वो यह कि जब कभी भी मेरी छोटी बहन कोई चीज़ लेने के लिए असगर मियां की दुकान पर जाने को कहती, तो अम्मी उसे हमेशा मना कर देती और मुझे भेजती।
मुझे यह बात बहुत बुरी लगती, मगर फिर भी मुझे जाना पड़ता।
धीरे धीरे जब हम बड़े होने लगे, तो पता चलने लगा कि असगर मियां तो बहुत ही रंगीन मिजाज आदमी है। उसकी दुकान पर आने वाली हर औरत या लड़की को वो एक ही नज़र से देखते हैं। मतलब उनके लिए छोटी बच्ची, जवान लड़की और बूढ़ी औरत, सबकी सब सिर्फ एक ही काम के लिए इस्तेमाल की जा सकती हैं, और वो काम है चुदाई। बेशक मोहल्ले में असगर मियां की शोहरत अच्छी नहीं थी, मगर किसी ने कभी उनको किसी भी लड़की या औरत के साथ गलत हरकत करते हुए नहीं देखा था।
फिर यह कैसे संभव था कि हर औरत उनकी दुकान पर जाने से कतराती थी।
पर ऐसा भी नहीं था कि उनकी दुकान पर औरतें और लड़कियां नहीं जाती थी, दिन में आने वाले आधे ग्राहक औरतें और लड़कियां होती थी। सैनीटरी पैड, लिपस्टिक, नेल पालिश, और ना जाने क्या क्या औरतों का सामान उनकी दुकान से मिलता था।
जब मैं कॉलेज में हुआ तो एक बार हम दोस्तों ने सोचा कि यार ये असगर मियां के बारे में इतना कुछ सुनते हैं, कभी इस बुढ़ऊ को पकड़ कर देखें कि ये क्या करता है, और कैसे करता है। यही सोच कर हमने एक स्कीम बनाई।
मैं तो अक्सर असगर मियां की दुकान पर जाता ही रहता था, तो मैंने अपना एक पुराना मोबाइल लिया, उसे फुल चार्ज किया और एक दिन सुबह सुबह जाकर असगर मियां की दुकान में कुछ सामान उठाने के बहाने दुकान के अंदर तक गया, और एक अंधेरा सा कोना देखकर मोबाइल का वीडियो कैमरा ऑन करके छुपा दिया।
अब उस मोबाइल की बैटरी एक दिन पूरा चलती थी, तो अगले दिन मोबाइल उठाना था। अगले दिन मैं फिर से गया, और चुपके से मोबाइल उठा लाया। मोबाइल लाकर मैंने सबसे पहले उसका मेमरी कार्ड निकाला और अपने कंप्यूटर के साथ जोड़ कर सारा डाटा अपने लैपटाप में डाला। फिर मैंने उस सारे दिन की वीडियो देखनी शुरू की, सारे दिन में बहुत से लोग आए, बहुत सी लड़कियां और औरतें भी आई।
एक चीज़ जो मैंने नोटिस की वो यह कि जो लड़की या औरत दुकान के बाहर खड़ी होकर सामान लेती थी, तब अक्सर असगर मियाँ अपनी कुर्सी पर बैठे अपनी लुँगी में से अपने लंड को छेड़ते रहते थे, क्योंकि काउंटर सामने होने की वजह से उनकी ये हरकत कोई नहीं देख पाता था।
मगर जो कोई औरत या लड़की दुकान के अंदर उनके सामने आ जाती थी, तब वो ठीक तरीके से बैठे रहते थे।
उस दिन की रिकॉर्डिंग में उनकी कोई भी अभद्र हरकत कैमरे में नहीं आई।
अगले दिन फिर मैंने कैमरा लगा दिया।
यार दोस्तो ने पूछा, तो बता दिया कि कुछ नहीं किया बुढ़ऊ ने।
उससे अगले दिन मैं फिर बहाने से अंदर घुसकर चुपके से कैमरा निकाल लाया और घर लाकर देखा। आज जो देखा, वो तो बस न ही देखता तो अच्छा था।
सुबह 8 बजे से लेकर 11 बजे तक सब कुछ नॉर्मल चल रहा था, 11 बजे चोपड़ा जी की बेटी उनकी दुकान में आई। पहले उसने बाहर खड़े होकर कुछ मांगा, उसे देखते हुए भी असगर मियां, अपना लंड सहला रहे थे, जबकि वो लड़की उनकी बेटी की उम्र की होगी। फिर असगर मियां ने उसे एक चॉकलेट दी, जिसे खाते खाते वो अंदर आ गई और असगर मियां के सामने आकर खड़ी हो गई।
मैं देख कर हैरान रह गया कि असगर मियां ने अपनी लुँगी हटा कर अपना पूरा लंड बाहर निकाल रखा था, और वो लड़की उनके सामने खड़ी उनको लंड सहलाते देख रही थी। थोड़ी देर में बुढ़ऊ का लंड तन गया, और वो उस लड़की को अपना लंड हिला हिला कर दिखा रहे थे, जैसे पूछ रहे हों, लंड लेगी क्या।
और मेरी हैरानी इस बात पर कि वो लड़की मेरी ही बहन की पक्की सहेली, दोनों एक ही क्लास में पढ़ती हैं।
एक बार मेरे दिमाग में ये बात भी आई कि असगर मियां मेरी छोटी बहन को भी अपना लंड निकाल के दिखाते होंगे, क्योंकि वो भी तो अक्सर समान लेने जाती ही रहती है।
चलो, वो तो बाद की बात है।
लंड देखने के बाद जैसे लड़की को भी मस्ती आई हो, वो भी काउंटर के पीछे, असगर मियां के बिल्कुल पास आ गई। उसकी चॉकलेट खत्म होते ही, असगर मियां ने उसे एक और चॉकलेट खोल कर दी। मगर इस बार लड़की ने चॉकलेट के साथ दूसरे हाथ में असगर मियां का लंड भी पकड़ लिया। अब असगर मियां आराम से बैठ गए, और वो लड़की उनका लंड हिलाने लगी।
असगर मियां ने लड़की को अपनी बगल में बैठा लिया और बड़े आराम से उसके मम्मे दबा दिये। लड़की अपने आप में सिमट गई, मगर उसने इस बात का कोई विरोध या इंकार नहीं किया। असगर मियां की आंखेँ बाहर थी कि कोई आ न जाए।
मगर उस बुढ़ऊ के हाथ उस लड़की के मम्मों पर थे, मम्मे दबाये, उसकी जांघें भी सहलाई, सलवार के ऊपर से ही उस लड़की की चूत को भी छूआ। मैं तो यह देखकर हैरान था कि ये लड़की इस बुढ़ऊ के पास सेट कैसे हो गई।
जितनी देर उसने चॉकलेट खाई, उसने बुढ़ऊ का लंड हिलाया। मुझे ऐसे भी लगा, जैसे असगर मियां ने उसे इशारा भी किया कि चल पीछे गोदाम में चल, तेरी चूत मारता हूँ। मगर लड़की नहीं मानी और चॉकलेट खाकर चली गई।
मैंने भी सोचा कि 10 रुपये की चॉकलेट के बदले एक कच्ची कुँवारी लड़की के बदन से खेलने को मिले तो सौदा क्या बुरा है। उसके बाद और भी बहुत से लोग आते रहे जाते रहे। दोपहर के करीब 4 बजे मैंने देखा कि मेरी बुआ, जिसकी 3 महीने बाद शादी है, वो असगर मियां की दुकान पर गई।
वो बाहर काउंटर पर नहीं बल्कि सीधा अंदर गई, असगर मियां ने अंदर आते ही उसके मम्मे पकड़ कर दबाये, और जैसे गुस्से में बोले हों, इतने दिन बाद या इतनी देर से क्यों आई। बुआ ने हाथ जोड़ कर जैसे माफी मांगी हो।
फिर असगर मियां ने उसे इशारे से काउंटर के अंदर बुलाया। काउंटर के अंदर आते ही बुआ नीचे बैठ गई। असगर मियां ने उसे काउंटर के नीचे घुसा दिया और खुद कुर्सी को काउंटर के साथ जोड़ कर बैठ गए। उस वक़्त दिखा तो मुझे कुछ नहीं, मगर इतना मैं समझ गया कि काउंटर के अंदर बुआ इस बुढ़ऊ का लंड चूस रही थी।
कोई 10 मिनट बाद असगर मिया, हिले और कुर्सी पीछे हटाई। बुआ काउंटर के नीचे से निकली और जल्दी से अपने कपड़े ठीक करके दुकान से बाहर निकल गई।
मैं तो सोच सोच कर हैरान हो रहा था कि लोग जो भी कहते हैं, इसका मतलब सब सच ही कहते हैं। उसके बाद वीडियो में और कुछ नहीं था, मेरे देखने लायक। पर अगले दिन से मैं अक्सर असगर मियां की उनकी दुकान के कामों में मदद करने लगा। अक्सर मैं आते जाते उनकी दुकान के समान की सेटिंग या और कुछ मदद कर देता, जबकि असल में मैं अपने कैमरे की सेटिंग कर रहा था।
मैंने एक और कैमरा फोन खरीदा, सेकंड हैंड।
मैं रोज़ ही उनकी दुकान में एक मोबाइल रख आता और दूसरा उठा लाता। अब तो रोज़ मैं चेक करता के उनकी दुकान पर क्या क्या हो रहा था।
पहले मुझे अपने पड़ोसी चोपड़ा जी की छोटी बेटी के साथ असगर मियां की हरकत देख कर झटका लगा था, और करीब 3 दिन बाद मुझे दूसरा झटका लगा।
दिन के करीब ढाई बजे, तपती दोपहर में चोपड़ा जी की बेटी और मेरी छोटी बहन दोनों असगर मियां की दुकान पर गई। असगर मियां ने दोनों को एक एक चॉकलेट दी, तो दोनों दुकान के अंदर आ गई।
मैंने वीडियो पर ही अपनी छोटी बहन को कहा “अरे मत जा अंदर छोटी, बहुत ही नीच इंसान है ये!”
मगर वो जो मैं देख रहा था, वो सब तो कल हो चुका था, अब उसे मैंने कैसे रोक सकता था।
चॉकलेट खाते खाते मेरी छोटी बहन खुद असगर मियां के बगल में जा बैठी, जबकि चोपड़ा जी की बेटी अभी सामने ही खड़ी थी। मैंने देखा के जब असगर मियां ने अपना लंड निकाला तो छोटी ने खुद अपने हाथ में उसे पकड़ लिया। मतलब कि ये सब छोटी पहले भी कर चुकी थी।
असगर मियां ने उसकी टी शर्ट में हाथ डाला और बारी बारी से उसके दोनों मम्मे सहलाने लगे और छोटी ने खुद असगर मियां का लंड अपने मुंह में लिया और चूसा।
क्या मेरी छोटी इतनी बड़ी हो गई थी कि उसे लंड चूसने का पता चल गया था। उसके बाद चोपड़ा जी की लड़की ने भी असगर मियां का लंड अपने हाथ में पकड़ कर हिलाया और चूसा भी!
मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ!
मैंने वीडियो बंद किया और उठ कर दूसरे कमरे में गया। उधर छोटी अम्मी के साथ बैठी मटर छील रही थी। मैंने उसे बड़े गुस्से से देखा पर मैं उस से कुछ कह भी नहीं पाया, अम्मी के सामने कैसे कहता! अगर कह भी देता तो इससे मेरी पोल भी तो खुल जाती कि मैं असगर मियां की दुकान में चोरी से कैमरा लगा कर देखता हूँ।
मैं वापिस आ गया, फिर से वीडियो चलाई। असगर मियां अपनी दुकान के बाहर देखते रहे और छोटी उनका काला सा लंड अपने हाथ से सहलाते रही, चॉकलेट खत्म होने के बाद भी वो लंड से खेलती रही, तब तक जब तक के बुढ़ऊ के लंड ने पिचकारी नहीं मार दी।
पानी गिरने के बाद बुढ़ऊ ने कपड़े से अपना लंड पौंछा, मगर अपना थोड़ा सा माल अपने हाथ में लेकर छोटी के पिछवाड़े पे भी मल दिया। दोनों लड़कियां एक एक और चॉकलेट लेकर उसकी दुकान से आ गई।
अब मैं समझा कि अम्मी क्यों हमेशा छोटी को उसकी दुकान पर जाने से रोकती थी, मगर अब रोकने से क्या फायदा! अब तो जो बुढ़ऊ को चाहिए था, वो उसे मिल चुका था।
मगर मैं फिर भी रोज़ की तरह अगले दिन असगर मियां की दुकान में गया, उनकी हेल्प की, और चुपचाप से अपना मोबाइल बदल कर आ गया। मगर अब बात कुछ और करने की थी तो मैंने एक काम और किया, मैंने रात में दोनों मोबाइल चार्ज किए और एक असगर मियां की दुकान में और दूसरा उनके बेडरूम में लगा आया।
यह मेरी ज़िंदगी की सबसे बड़ी गलती थी, जो मैंने की।
अगले दिन जब मैं असगर मियां की दुकान का समान सेट करने के बाद अपने मोबाइल निकाल कर लाया और दोनों मेमरी कार्ड का डाटा अपने लैपटाप मे डाल दिया, और फिर लैपटाप पर वीडियो चला कर चेक करने लगा।
सुबह से लेकर 12 बजे तक सब ठीक ठाक चला। एक आंटी आई थी, मगर असगर मियां के साथ उसने बहुत सी बातें की, असगर मियां भी शायद उससे ठर्क मिटा रहे थे, वो बार बार हंस भी रही थी और शरमा भी रही थी।
असगर मियां ने अपनी लुँगी से अपना लंड बाहर निकाला हुआ था और अपने हाथ में पकड़ कर हिला रहे थे।
कुछ देर बाद वो औरत चली गई। असगर मियां फिर से ग्राहक के इंतज़ार में बैठ गए।
थोड़ी देर बाद वहाँ मेरी अम्मी गई, असगर मियां मेरी अम्मी को देखते ही खुश हो गए। इधर उधर देखा तो कोई नहीं था, अम्मी भी सीधी दुकान के अंदर चली गई, और बेडरूम में जाकर बैठ गई। असगर मियां भी बाहर का माहौल देख कर घर के अंदर चले गए और उनके अंदर आते ही, अम्मी उठ कर खड़ी हो गई, तो असगर मियां ने उन्हें अपनी बांहों में भर लिया। एक दो बोसे भी अम्मी के गालों और होंठों पर लिए।
फिर अम्मी खुद ही नीचे बैठ गई, तो असगर मियां ने अपनी लुँगी खोल दी, कुर्ता ऊपर उठा दिया। नीचे उनका लंड अपना आकार ले रहा था, मगर अम्मी ने उसे पकड़ा और ऐसे अपने मुँह में ले लिया कि जैसे उन्होने कभी लंड देखा ही नहीं था।
मैं सोच कर हैरान था कि अब्बू भी तो हर हफ्ते दस दिन में अम्मी की खूब बजाते हैं, और उस वक़्त अम्मी की चीखें और सिसकारियाँ मेरे कमरे तक आती हैं, फिर अम्मी को क्या ज़रूरत है कि वो इस बूढ़े असगर मियां के साथ ये सब कुछ कर रही हैं।
मगर जल्द ही मुझे इसका जवाब भी मिल गया।
जब असगर मियां का लंड चूस चूस कर माँ ने पूरा खड़ा कर दिया, तो असगर मियां ने अम्मी को बिस्तर पर घोड़ी बनाया और पीछे से अपना लंड अम्मी की चूत में डाल दिया। पहले तो बुढ़ऊ बहुत धीरे धीरे से चोद रहा था, मगर जब अम्मी ने भी पानी छोड़ना शुरू किया और असगर मियां का लंड अम्मी की चूत में पूरा अंदर तक घपाघप जाने लगा तो बुढ़ऊ ने स्पीड पकड़ी।
यह देख कर मेरा भी मूड बनने लगा, बेशक वो मेरी अम्मी थी, और किसी गैर मर्द से चुद रही थी, मगर अब मुझे इसमे अम्मी की मेरे अब्बा के साथ बेवफ़ाई या को बेहयाई नहीं दिख रही थी, अब वो मेरे लिए सिर्फ एक औरत थी।
मैं भी अपने आप पर काबू नहीं रख सका और मैंने अपने लोअर से अपना लंड बाहर निकाला और हिलाने लगा। सुनने में अजीब लग सकता है, मगर मैं अपनी ही अम्मी की चुदाई देखकर अपना लंड हिला रहा था.
अम्मी के चेहरे से लग रहा था जैसे वो बहुत खुश हों, असगर मियां भी बड़े जोश से अम्मी को पेलने में लगे हुए थे।
फिर थोड़ी देर बाद अम्मी ढीली सी पड़ गई, शायद उनका हो गया था। मगर असगर मियां अभी भी अपना लंड पूरी तरह से अकड़ाये हुए खड़े थे, उन्होंने अम्मी को बेड पे सीधा लेटाया और अपना कुर्ता भी उतार दिया।
अब असगर मियां पूरे नंगे हो गए थे। अम्मी की साड़ी ऊपर पेट तक उठा कर असगर मियां ने अम्मी की टाँगें खोली और फिर से अपना लंड अम्मी की चूत में डाल कर पेलने लगे।
अम्मी ने अपना ब्लाउज़ खोला और अपना मम्मा अपने हाथ में पकड़ कर असगर मियां को पीने को दिया, असगर मियां बारी बारी दोनों मम्मे चूसे, और अपने हाथों में पकड़ कर दबाये भी। बुढ़ऊ पेलने में उस्ताद था तो अभी भी पेल रहा था और अम्मी किसी बेल की तरह उस बुढ़ऊ से लिपटी जा रही थी, जैसे अम्मी को अपने जीवन का सबसे बड़ा मज़ा ही इस बुढ़ऊ से मिल रहा था।
कितनी देर वो अम्मी को चोदता रहा। अम्मी का चेहरा बता रहा था कि वो चुदाई से बहुत खुश हैं।
असगर मियां ने अम्मी की टाँगें अपने कंधों पर रखी और नीचे झुक कर अम्मी को पूरी तरह से जकड़ लिया, और ज़ोर ज़ोर से घस्से मार कर अम्मी को चोदने लगा। उसे देखते देखते मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया मगर बुढ़ऊ अभी भी लगा हुआ था।
मेरे झड़ने के थोड़ी देर बाद बूढ़ा असगर भी झड़ने लगा, तो उसने अम्मी को उठाया और अपना लंड उसके मुँह डाल कर अम्मी का मुँह चोदा। जब असगर मियां ने पानी छोड़ा तो बहुत सा माल अम्मी के मुँह पर गिरा, अम्मी की छाती पर भी गिरा, कुछ माल अम्मी ने पी भी लिया और असगर मियां के लंड को अपनी जीभ से चाट चाट कर साफ किया।
पानी निकाल कर असगर मियाँ झट पट अपने कपड़े पहने और वापिस अपनी दुकान पर आ कर बैठ गए। अम्मी ने अपना ब्लाउज़ बंद किया, साड़ी दोबारा से बांधी और असगर मियां से पूछ कर के बाहर कोई नहीं है, चुपचाप दुकान से बाहर निकल गई।
मैं उठकर बाथरूम में गया, वहाँ अम्मी कपड़े धो रही थी।
अम्मी ने मुझे कुछ कपड़े दे कर कहा- ये ले जा और छत पर सुखा आ!
मैंने कपड़े पकड़े और तभी मेरा ध्यान अम्मी के ब्लाउज़ पर गया। गहरे रंग के ब्लाउज़ में से अम्मी के गोरे गोरे मम्मे बाहर आने को बेताब थे और ब्लाउज़ पे एक जगह बड़ा सा निशान बना हुआ था।
निशान देख कर मैं समझ गया के ये निशान असगर मियां के माल का है।
उसके बाद बहुत बार यार दोस्तों ने पूछा कि यार तुमने असगर मियां की दुकान में कैमरे फिट किए थे, क्या देखा?
मैंने झूठ ही कह दिया- अरे कुछ नहीं, बेवजह बेचारे बूढ़े आदमी को बदनाम कर रखा है, कितने दिन मैंने उसको देखा, उसने तो किसी भी औरत या लड़की को कभी कुछ नहीं कहा।
अब मैं क्या बताऊँ कि उसने तो मेरी माँ चोद रखी है, और छोटी बहन को अपने चक्कर में ले रखा है।
बकरे के माँ कब तक खैर मनाएगी, कोई पता नहीं किसी जिस बिस्तर पर असगर मियां ने मेरी अम्मी को चोदा था, उसी बिस्तर पर मेरी छोटी बहन भी लेटी हो।
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कहानी का अगला भाग: असगर मियां की ठर्क-2
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