आज दिल खोल कर चुदूँगी -14

आज दिल खोल कर चुदूँगी -14

अब तक आपने पढ़ा..

रिची के लण्ड के हर धक्के का स्वागत करते हुए मैं बड़ी जोर से चुदवा रही थी, ‘फचफच..’ लंड अन्दर-बाहर हो रहा था, मेरी चूत रिची के हर शॉट पर मेरे मुँह से आवाज निकालने लगी। ‘अहह.. अह्ह्ह सीसीईईई आहहह.. की मदमस्त आवाज मेरे मुँह से निकलने लगी।
‘आआहआसी.. सी..सीआह..’ करके मैं चुद रही थी और चार्ली का लण्ड भी चूस रही थी।
दोनों तरफ के मजे पाकर मैं झड़ने लगी और रिची भी मेरी झड़ती चूत पर धक्कों की रफ्तार तेज करके मेरी चूत में पानी निकाल कर शान्त हो गया।

अब आगे..

रिची के गर्म वीर्य को चूत में लिए हुए चार्ली के लण्ड को चूस रही थी, कभी सुपारे को तो.. कभी चार्ली के अंडकोषों को मुँह से चूस रही थी, चार्ली मेरी चूचियाँ मींज रहा था।

रिची मेरी चूत से लण्ड खींच कर नीचे उतर गया और तभी चार्ली मेरी चूची व पेट को सहलाते हुए अपना हाथ मेरी चूत की तरफ ले जा गया, वो मेरी चूत को सहलाते हुए लण्ड चुसवाता जा रहा था।

रिची के वीर्य से भरी हुई चूत को मींजते हुए चूत में दो उंगली डाल कर चूत मसकते हुए चार्ली भी मेरे मुँह में पानी छोड़ने लगा.. उसने अपने सारे वीर्य को मेरे मुँह में डाल दिया और लण्ड को मेरे होंठों से नीचे तक मेरी चूचियों पर रगड़ने लगा।

मैं चार्ली के लण्ड से निकले हुए पानी को गटक गई। उन दोनों मुझे उसी हालत में लेकर बिस्तर पर अगल-बगल लेट गए। मेरी बुर से अभी भी रिची के लण्ड का पानी बह रहा था और मुँह में होंठों पर थोड़ा बहुत चार्ली का वीर्य लगा था। मेरे शरीर पर काटने के निशान दिख रहे थे। मेरे साथ हुई बेदर्द चुदाई से मैं बिल्कुल थक गई थी.. पर अभी वो दोनों वैसे ही भूखे दिख रहे थे।

काफी देर रिची और चार्ली की बाँहों में पड़ी रही, जितनी देर रही.. दोनों ने एक भी पल के लिए मेरे शरीर को राहत नहीं लेने दी। रिची और चार्ली के हाथ मेरे पूरे बदन पर चूत पर.. चूची.. चूतड़.. हर जगह फिर रहे थे।
रिची और चार्ली ने मेरा हाथ पकड़ कर अपने लण्ड पर रख दिया।

एक बार फिर दोनों के लण्ड मेरी चुदाई करने के लिए पूरे तैयार थे। उसी पल चार्ली मुझे घोड़ी बना कर मेरे पीछे से चूतड़ों को और पीठ को चूमने लगा, पूरे चूतड़ और छेद के साथ रिची के वीर्य से सनी चूत को चार्ली चाटते हुए मेरी गाण्ड मारने की तैयारी कर रहा था।

उधर रिची मेरे मुँह के करीब खड़े होकर पहले मेरे होंठों को कुछ देर किस करने लगा। इसके बाद उसने चूत के रज और वीर्य से सने लण्ड को मेरे होंठों पर रगड़ते हुए चूसने का मुझे इशारा किया।
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मैं अपने मुँह में रिची के लण्ड को लेकर चूसने लगी, रिची मेरे गले तक लण्ड ले जाकर मुझे लण्ड चुसवा रहा था।
मेरा ध्यान चार्ली की तरफ तब गया.. जब चार्ली का लौड़ा मेरी गाण्ड को चौड़ा करने के लिए जोर लगा रहा था।
मेरी गाण्ड इतने मोटे लण्ड को झेल नहीं पाएगी इसलिए मैंने चार्ली के लण्ड को गाण्ड से हटा कर चूत की तरफ कर दिया।

चार्ली तो पहले से जोर लगा रहा था और एक तो चूत पहले से रिची के लण्ड के पानी से चिकनी थी। चार्ली का लौड़ा ‘सपाक’ की आवाज के साथ पूरा चूत में समा गया और मैं दर्द से बिलबिला कर दोहरी हो उठी।

पर आराम के बजाए मेरी और शामत आ गई।
इधर रिची का लण्ड मेरे पूरे हलक में चला गया जिससे मुझे उबकाई और सांस लेने में दिक्कत होने लगी।
जैसे ही मैंने बाहर उबकाई करना चाही.. रिची ने मेरा सर पकड़ कर मेरे हलक में लौड़ा पेल कर धक्के मारने शुरू कर दिए।
उधर नीचे चार्ली के लण्ड का निशाना चूकने की सजा मिलने लगी।

चार्ली ने लण्ड को बुर से खींच कर मेरी गाण्ड के छेद पर लगा कर कस कर मेरे नितम्ब पकड़ कर मुझे बिना सम्भलने का मौका दिए.. एक जोरदार शॉट लगा दिया।
चार्ली का मोटा लम्बा लण्ड मेरी गाण्ड को चीरता हुआ तीन-चौथाई हिस्सा अन्दर दाखिल हो गया।

मैंने चिल्लाना चाहा.. पर रिची के लण्ड के हलक में होने की वजह से आवाज नहीं निकाल पाई, दर्द से मेरी आँखों में आँसू निकल रहे थे.. पर रिची और चार्ली कोई रहम नहीं दिखा रहे थे।
बस मेरे मुँह से ‘गूंगूं गूंगूं..’ की हल्की आवाज बाहर आ रही थी।

रिची और चार्ली एक साथ दोनों तरफ से मुझे बजा रहे थे।
मेरी गाण्ड फट गई थी.. पर चार्ली मेरी गाण्ड मारने में कोई कसर नहीं कर रहा था, साला खींच-खींच कर मेरी गाण्ड पर शॉट पर शॉट लगाए जा रहा था, कमरे में चार्ली के लण्ड का लग रहा हर शॉट.. कमरे में गूंज रहा था ‘सट.. सट.. चट.. सट.. सट..’

मैं बस रिची के लण्ड का दर्द सहते हुए चूस रही थी.. चूसना कहना बेमानी होगा रिची मेरे मुँह को चोद रहा था।
मैं बेबस थी.. कुछ नहीं कर सकती थी, बस कामना कर रही थी कि किसी तरह ये दोनों झड़ जाएँ, करीब दस-बारह धक्के मेरे हलक में लगा कर रिची ने अपना लण्ड पूरी तरह हलक में ठोक दिया।
अब वो ‘आहआह.. सीसीईआह..’ कर झड़ने लगा।

पीछे चार्ली मेरी गाण्ड की चुदाई किए जा रहा था, चार्ली की गाण्ड मराई से मेरी मेरी गाण्ड का छेद सुन्न हो गया था।
चार्ली का लण्ड कितनी बार.. और कितनी तेजी से अन्दर जा रहा था। मुझे पता ही नहीं चल रहा था। रिची का लण्ड जब मुँह से निकला.. तो थोड़ी राहत मिली।

मेरा मुँह दर्द से दु:ख रहा था। मैं अपना मुँह बिस्तर पर रख कर चार्ली का लण्ड गाण्ड में लेती जा रही थी। बस अपने मुँह से चार्ली के हर धक्के पर ‘आह ऊऊऊईई आह..’ कर रही थी। चार्ली भी कस-कस कर ना जाने कितनी देर तक गाली देते हुए मेरी गाण्ड मारता रहा।

मुझे तब पता चला.. जब चार्ली एक तेज शॉट मार कर लण्ड को गाण्ड की जड़ तक चांप कर औंधे मुँह मुझे लेकर बिस्तर पर गिर पड़ा। चार्ली ने मेरे ऊपर लदे रहते हुए अपना सारा वीर्य मेरी गाण्ड में छोड़ दिया।
वो अब हाँफते हुए मुझे कस कर जकड़े हुए पड़ा रहा।

उधर रिची सोफे पर नंगे ही बैठ कर मुझे और चार्ली को देख रहा था। रिची का लण्ड ढीला होकर गदहे के लौड़े की तरह झूल रहा था। चार्ली का लण्ड अभी भी मेरी गाण्ड में ही घुसा था।

पूरी रात इसी तरह कई बार मेरी कभी गाण्ड और मुँह.. चूत चुदती रही।
सुबह तक मेरे शरीर में मानो जान ही नहीं रह गई थी, मैं बिस्तर पर वैसे ही बेहोशी की हालत में नंगी पड़ी थी।

शायद रिची या चार्ली में से किसी ने सुनील को फोन करके बोल दिया था, सुनील आया मुझे बाथरूम ले जाकर फ्रेश करवाया।
अब मुझ में हल्की सी जान आई, मैं बोली- सुनील मेरे कपड़े फट गए हैं।

तभी रिची की आवाज सुनाई दी- रानी हम लोग ऐसे ही चोदते हैं इसीलिए मैंने तुम्हारे लिए कपड़े ले लिए थे।
फिर सुनील ने मुझे कपड़े पहनाए और चाय पीकर निकल लिए।

कहानी जारी है।
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