इक लड़की ऑफिस की बड़ी प्यारी लगती थी-1

इक लड़की ऑफिस की बड़ी प्यारी लगती थी-1

मेरा नाम राहुल है (बदला हुआ नाम), मैं 29 साल का थोड़ा गोरा हूँ.. मेरी हाइट 5 फुट 9 इंच है और सॉफ्टवेयर इंजीनियर हूँ. मैंने अभी आठ महीने पहले ही बंगलौर शिफ्ट किया है, इसके पहले मैं हैदराबाद की एक बड़ी कंपनी में काम करता था. फिलहाल मैं बंगलौर में ही रहता हूँ.

मेरे साथ अभी एक रोचक घटना हुई है, जिसको मैं आपसे शेयर करना चाहता हूँ. मेरी ये घटना आप हवस के लिए लिए ना पढ़ें, ये सच्ची प्यार भरी सेक्स स्टोरी है. मैं उम्मीद करता हूँ, ये आपको बहुत पसंद आएगी.

मैं अन्तर्वासना का बहुत पहले से ही पाठक हूँ, बहुत पहले से सोचा था कि मैं भी अपने साथ हुई घटनाओं को आप लोगों के साथ शेयर करूँ, लेकिन अभी यहाँ अकेले हूँ और समय भी है, तो मैं पहली बार यह लिख रहा हूँ. मेरी भाषा से आप लोगों को कोई असुविधा हो तो माफ़ करना.

ये प्यार भरी घटना जिस लड़की के साथ हुई वो मेरे ही ऑफिस में साथ में ही काम करती थी. उसका नाम श्रुति (बदला हुआ नाम) था. हम दोनों अलग-अलग टीम में काम करते थे. वो दिखने में एकदम सुंदर, हाइट पाँच फुट तीन इंच की थी. वो एकदम गोरी तो नहीं थी.. लेकिन उसे सांवली भी नहीं कहा जा सकता था. वो एक बंगाली लड़की थी और उसकी फिगर एकदम मस्त थी. इतनी मस्त कि पहली नजर में ही कोई भी उसे देखे तो दुबारा देखे बिना नहीं रहे.

मेरे टीम में 8 लड़के थे और हमारे टीम में कोई भी लड़की नहीं थी. हम जिस फ्लोर में काम करते थे, उसमें बहुत सी लड़कियां थीं, लेकिन सब दूसरी टीमों में थीं. मेरी टीम के सभी लड़के किसी ना किसी को लाइन मारते थे, लेकिन मेरे को श्रुति और एक और लड़की थी, बस वही पसंद आती थीं. हमारे ऑफिस में क्रिकेट मैच होना तय हुआ था, जिसमें सभी लड़के-लड़कियों को मिल कर खेलना था.

हमारी कंपनी का सबको समान अधिकार देने का रूल था. इसलिए कोई भी मौका हो सबको बराबर ही आंका जाता था. चूंकि मैं बचपन से ही बहुत क्रिकेट खेलता था, तो यहाँ मैं आराम से सिलेक्ट हो गया.

मेरी किस्मत अच्छी थी कि श्रुति मेरी ही टीम में आ गई. मेरी टीम में 3 लड़कियां और 9 लड़के थे, एक लड़का एक्सट्रा प्लेयर था. मेरी टीम में सब सीनियर थे.. लगभग 45 साल से ज़्यादा के.. और उनमें से अधिकतर की शादियां हो चुकी थीं.
मेरे अलावा सिर्फ एक और लड़का था, जो 25 साल का था उसका नाम शानू था. उसकी भी एक गर्लफ्रेंड थी.

क्रिकेट मैच के पहले हमें प्रैक्टिस करना था. वहीं मुझसे पहली बार श्रुति से बात हुई थी. उसे भी स्पोर्ट्स बहुत पसंद था. मेरी टीम के सभी लोग जल्दी घर चले जाते थे.. क्योंकि उनकी शादी हो गई थी. शानू भी छह बजे चले जाता था, उसे शाम को अपनी गर्लफ्रेंड के साथ घूमना होता था. बाकी दो लड़कियों का भी क्रिकेट में इतना इंटरेस्ट नहीं था, वो तो मजबूरी में टीम में आ गई थीं क्योंकि तीन लड़कियों को रखना जरूरी था.

शाम को हम लोग प्रेक्टिस करते थे. श्रुति भी जब प्रेक्टिस करती थी, तो उसके मस्त चूचे ऊपर-नीचे होते थे. उसके चूचे मुझे मदहोश कर देते थे. मैं श्रुति के मम्मों को उछलते देखता.. तो जैसे पागल ही हो जाता था. मैं उसे सिखाने के बहाने कभी-कभी उसके मम्मों को टच भी कर लिया करता था. वह भी इस बात पर ज्यादा ध्यान नहीं देती थी क्योंकि सिखाने में हाथ तो लग ही जाता था. ये उसे भी पता था.

उसी समय से मैं उसे चोदने की सोचने लगा. मैं मौके की तलाश में था. जब तक मौका नहीं मिलता, तब तक रोज ही बस उसके मम्मों को उछलते देख कर और थोड़ा टच करके ही काम चलाना पड़ रहा था.

मैच को अब 7 दिन ही बचे थे. मैं तो सोच रहा था कि गया मौका हाथ से. तभी एक दिन प्रैक्टिस के बाद जब वॉशरूम में कपड़े बदलने गए.
लड़कियों का टॉयलेट लड़कों के टॉयलेट के सामने ही था. हम लोग साथ में टॉयलेट की तरफ जा रहे थे. उस समय करीब 8 बज रहे थे. वहां केवल नौकर ही थे. सभी एंप्लाई जा चुके थे.

हमने उस दिन बहुत ही ज़्यादा प्रैक्टिस की थी. हम दोनों के ही कपड़े पसीने से गीले हो गए थे. उसकी ब्रा कपड़ों के बाहर से दिख रही थी. उसने रेड कलर की ब्रा पहनी थी. जब वो कपड़े बदल कर आई तो उसने ब्रा निकाल दी थी.. क्योंकि उसकी ब्रा भी पसीने से गीली हो गई थी. मैं तो बाहर आने के बाद उसकी चूचियों ही देखता ही रह गया.

उसने मुझे यूं एकटक मम्मों को निहारते देखा तो कहा- क्या हुआ.. क्या देख रहे हो?
मैं ये मौका हाथ से जाने नहीं देना चाहता था. मैंने उससे कहा- तुम बहुत ही सुंदर लग रही हो.
वो हंसी और धन्यवाद कहते हुए बोली- चलें?

मैंने सोचा ये आसानी से हाथ नहीं आने वाली. मैंने उससे कॉफी के लिए पूछा तो उसने मना कर दिया और कहा- आज बहुत थक गई हूँ, फिर कभी चलेंगे.
मेरा तो चेहरा उतर गया. मैंने ‘ओके बाइ..’ बोला और वो चली गई.

मैंने रात में उसे व्हाट्सेप में मैसेज किया. तीस मिनट बाद उसका रिप्लाइ आया. वो सॉरी करते हुए बोली- आज तुम वापस आते समय इतना उदास क्यों हो गए थे?
मैं समझ गया कि ऑफिस में ज़्यादा भाव खा रही थी, मैंने रिप्लाइ किया- नहीं ऐसा कुछ नहीं है, मैं तो बस तुम्हारे साथ कॉफी के लिए जाना चाहता था. तुम बहुत सुंदर लग रही थीं.
ये लिख कर मैंने एक स्माइली भेज दिया.

उसने कहा- तुम बहुत बढ़िया क्रिकेट खेलते हो.
मैंने थैंक्यू कहा और पूछा- जल्दी चली गई, ब्वॉयफ्रेंड से मिलना था क्या?
उसने कहा- मेरा कोई ब्वॉयफ्रेंड नहीं है. बहुत ज़्यादा थकावट लग रही थी.
‘हम्म..’
फिर उसने कहा- बहुत नींद आ रही है.

हम लोगों ने उस दिन और ज़्यादा बात नहीं की. मैंने सोचा ये अपने हाथ नहीं आने वाली.

उसके बाद टूर्नामेंट स्टार्ट हुआ और हम लोग फाइनल में हार गए. बाकी सभी लोग खुश थे कि कम से कम फाइनल तक तो आ गए. लेकिन मैं उदास था क्योंकि स्पोर्ट्स में मुझे हारना पसंद नहीं था. श्रुति तो रो पड़ी, मैं उसके पास गया तो वो मेरे गले से लग कर रोने लगी.
मेरा तो हारने का पूरा गम ही खत्म गया. मेरा लंड खड़ा हो गया था, जो उस स्पोर्ट ड्रेस से साफ़ खड़ा दिख रहा था. श्रुति को भी मेरा लंड चुभ भी रहा था. उसने भी महसूस किया होगा लेकिन उसने मुझे और टाइट पकड़ लिया.. वो रो रही थी. तभी शानू और उसकी गर्लफ्रेंड, जो मैच देखने आई थी, वो पास आए और उसे समझाया.

वो शांत हुई.. फिर हम चारों लोग आइसक्रीम और कॉफी के लिए बाहर चले गए. वहां शानू के गर्लफ्रेंड के ज़िद करने पर हम लोग अगले दिन पिक्चर के लिए तैयार हो गए.
मेरे दिमाग़ में ख्याल आया कि इससे अच्छा मौका और क्या मिलेगा.

मैंने रात में श्रुति को मैसेज किया और आज हम दोनों ने रात के दो बजे तक बात की. उसने आखिर में मुझे क्रिकेट में साथ देने और सिखाने के लिए थैंक्स कहा.

फिर अगले दिन हम दोनों पिक्चर में मिले, टिकट शानू ने बुक किए थे और उसने कॉर्नर की सीट बुक की थीं.. क्योंकि उसको तो गर्लफ्रेंड से मज़े करना था. वैसे तो वो अपनी गर्लफ्रेंड को रूम में भी ले जाता था.

तभी मूवी में एक हॉट सीन आया, शानू अपनी गर्लफ्रेंड को किस करने लगा. तभी अचानक मेरे हाथ के ऊपर मैंने किसी का हाथ महसूस किया. श्रुति ने अपना हाथ रख दिया तो मैंने भी उसका हाथ हल्के से पकड़ लिया. उधर शानू अपने गर्लफ्रेंड को किस पे किस कर रहा था और मम्मों को भी दबा रहा था. उन दोनों की इस हरकतों से मुझको लाभ मिला, मैंने भी अंधेरे का फायदा उठाते हुए अपने हाथ को श्रुति की जाँघों पर रख के, उसको सहलाने लगा था.

श्रुति उन दोनों को देख कर गर्म हो चुकी थी. उसने मेरे हाथ रखने का कोई विरोध नहीं किया. अब मैं भी अपने आपको कंट्रोल नहीं कर पा रहा था. मैंने अपना हाथ धीरे से श्रुति के कपड़े के अन्दर डाला और उसके पेट को सहलाया और धीरे से उसकी नाभि पर उंगली फेरने लगा. वो और भी गर्म हो गई, उसने अचानक से मेरा लंड जो कि खड़ा हो चुका था उसको दबा दिया. मेरे मुँह से ‘आह..’ की हल्की सी आवाज़ निकली. क्योंकि उसने पेंट की चैन से ही लंड दबा दिया था.

मेरी आवाज निकलते ही उसने हाथ हटा लिया.
तभी शानू ने पूछा- क्या हुआ?
मैंने कहा- कुछ नहीं.. वो पैर मुड़ गया था.
वो फिर से अपनी गर्लफ्रेंड से लग गया. इधर श्रुति हल्के-हल्के से हंसने लगी.

मैंने फिर धीरे से श्रुति के मम्मों को कपड़ों के ऊपर से ही दबाना चालू किया. सच में क्या मस्त टाइट बूब्स से उसके..
उसने कुछ नहीं कहा, उसको भी अच्छा लग रहा था, उसके निप्पल बहुत ही कड़े हो गए थे. मैं उसके आमों को मसल रहा था. श्रुति से रहा नहीं जा रहा था. मैं और जोरों से उसके निप्पलों को दबाने और मींजने लगा.

वो मेरा एक हाथ ज़ोर से दबा रही थी, तभी वो सह नहीं पाई और उसने मेरे हाथ में नाख़ून भी मार दिया. मेरा हाथ शायद छिल गया था. मैं इन सबकी परवाह किए बिना उसके मम्मों को दबाए जा रहा था.
मैं हल्का सा उसकी ओर मुड़ा ताकि उसके टाइट मम्मों को दबाने में आसानी हो. अब मैं उसके मम्मों को और ज़ोर से दबाने लगा.
वो तो जैसे पागल सी हो गई. मैंने अपना हाथ उसके टॉप के अन्दर डाला और खुल कर मम्मों को दबाने लगा. अब मेरा भी अपने आप पर कंट्रोल नहीं रह गया था.

मैंने उसके टॉप को उठाने का प्रयास किया लेकिन इस बार उसने मेरा हाथ पकड़ कर हटा दिया. मैंने फिर से प्रयास किया तो उसने मेरा हाथ वहीं पकड़ लिया और छोड़ा ही नहीं.

श्रुति ने मुझे क्यों रोका था इसकी क्या वजह थी.. इस सबको विस्तार से लिखूंगा. आप मेरी इस हिन्दी सेक्स स्टोरी पर अपने कमेंट्स भेज सकते हैं.

प्यार भरी हिंदी सेक्स कहानी जारी है.
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