इन्सान पहला सेक्स नहीं भूलता
दोस्तो मेरा नाम समीर है, मैं दिल्ली का रहता हूँ। वैसे हम लोग लोग उ. प्र. के रहने वाले हैं, मेरा मूल निवास वहीं का है।
मैंने 2009 में मेरठ के एक कॉलेज में दाखिला लिया और पढ़ने लगा। पहले मैं बहुत सीधा लड़का था क्यूंकि मैं घर पर रह कर ही पढ़ाई करता था लेकिन अब मुझे मौका मिला था कि मैं बाहर रह कर पढ़ाई करूँ इसलिए मैंने अपने जलवे भी दिखाने शुरू कर दिए।
मैं क्लास में बहुत शरारतें करता था, मुझे क्लास में सी आर बनाया गया। सभी लड़कियों से मैं बात करता था लेकिन एक थी जिसे मैं पसंद करता था, नाम था ज्योति… दिखने में सामान्य थी लेकिन मुझे कमाल की लगी थी, मुझे उससे प्यार हो गया था।
जहाँ मेरा रूम था वहीं पड़ोस में एक परिवार भी रहता था, उसमें पति पत्नी और तीन बच्चे भी थे। वो भाभी मुझे बहुत घूर कर देखती थी।
पहले तो मैंने भाव नहीं दिए लेकिन बाद में मैं भी उसे देखने लगा और फिर एक दिन सुबह कॉलेज जाते वक़्त मैं उसके घर के पास गया और मैंने उससे अपना फोन नम्बर दे दिया।
नम्बर देकर जाने के बाद रास्ते में ही उसका फोन आया और मुझसे बात करने लगी, थोड़ी देर बाद मेरा कॉलेज आ गया। मैंने उसे बाद में फोन करने को कह कर फोन काट दिया और कॉलेज आ गया।
लेकिन आज मेरा पढ़ा में मन नहीं लग रहा था क्यूँकि आज तो मेरा मन कहीं और ही था। शाम को मैं अपने रूम पर आ पहुंचा और मैंने उसको फोन किया।
एक दो दिन हमारी फोन पर नॉर्मल बातें होती रही, फिर एक दिन उसने मुझसे पूछा- मैं आपको कैसी लगती हूँ?
मैंने कहा- अच्छी लगती हो।
फिर वो रोज़ यही पूछती थी।
एक दिन उसने कहा कि वो मुझसे प्यार करने लगी है और मुझसे मिलना चाहती है।
मैंने भी हाँ कर दी।
फिर ऐसे ही रोज बातें होती थी हम लोग फोन सेक्स भी करने लगे।
वो मुझसे अक्सर पूछती थी- क्या कभी किसी के साथ सेक्स किया है?
मैं कहता था- नहीं…
तब वो कहती थी- मेरे पास आ जाओ, सब सिखा दूँगी।
एक रात में उसका फोन आया क्यूँकि उसका पति गाँव गया हुआ था, उसने मुझसे कहा- आज मेरे पति घर पर नहीं है, मुझसे मिलने आ जाओ।
मैंने भी मौका सही समझा और अपनी छत कूद कर उसके घर के बाहर जाकर फोन किया।
वो बाहर आई और उसने मुझे दीवार कूद कर अंदर आने को कहा, मैंने वैसा ही किया।
वो मुझे अपनी रसोई में ले गई जहाँ पर उसने बिस्तर लगा रखा था। मैं और वो बिस्तर पर लेट गये और फिर बातें करने लगे।
दो मिनट के बाद उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी चूची पर रख दिया, मैंने भी उसकी चूची दबा दी और फिर वो और मैं चुम्बन करने लगे।
फिर उसने अपनी मैक्सी उठाई और मेरा हाथ पकड़ कर वहाँ रखा, मैंने भी देर नही की क्यूँकि दोनों को ही आग लगी हुई थी।
और मैंने सीधा घुसा दिया अपना … उसकी … में।
वो और मैं दोनो मज़े लेने लगे।
मेरा पहली बार था, इसीलिए तीन मिनट में ही मैं झड़ गया और फिर मैं अपने रूम पर आ गया।
फिर हम लोग ऐसे ही जब भी मौका मिलता करने लगे।
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एक दिन उसका फोन आया, उसने कहा- रात को घर पर कोई नहीं है, सब लोग गाँव में जा रहे हैं, कोई पूजा है, मैं रुक गई हूँ तबीयत का बहाना करके!
फिर उसे उस रात मैंने दो घंटे में तीन बार चोदा और उसे भी बहुत मज़ा आया। लेकिन मुझे मज़ा जब आया जब उस शादीशुदा औरत ने कहा- मुझे दर्द हो रहा है, तुम्हारा लंड तो काफ़ी बड़ा है।
लेकिन फिर कुछ समय बाद मैंने उसे छोड़ दिया क्यूंकि मुझे लगता था कि जिससे मैं प्यार कर रहा हूँ, यह उसके साथ धोखा है।
लेकिन मुझे आज भी उसकी बहुत याद आती है क्यूंकि इन्सान अपना पहला सेक्स नहीं भूलता है।
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