उड़ीसा का यादगार माल
Udisa ka Yadgar Maal
मेरा नाम तेजस पाटिल है मैं मुंबई का रहने वाला हूँ।
मैं अभी एक बहुत बड़ी कंपनी में चीफ प्रोजेक्ट एडमिनिस्ट्रेटर के पद पर कार्यरत हूँ।
मेरा कद 5’10” है, मेरी आँखें भूरी, चौड़ा सीना, रंग गोरा और दिखने में आकर्षक हूँ।
मैं आपको अपनी जिन्दगी की सबसे पहली चुदाई के बारे में बताने जा रहा हूँ।
बात उस समय की है जब मैं ऑफिस के काम से उड़ीसा गया हुआ था। वहाँ मुझे कंपनी ने रहने के लिए एक होटल में कमरा दिया था। मेरा ऑफिस वहाँ से करीबन 15 किलोमीटर दूरी पर था।
मुझे वहाँ से लेने के लिए कंपनी से गाड़ी आती थी, जिसमें मेरे अलावा और दो लोग थे।
एक का नाम कृष्णा था और दूसरी का नाम मनीषा था। मनीषा दिखने में सोनाक्षी सिन्हा जैसी दिखती थी, कद लगभग 5’2” गोरा बदन, बड़े-बड़े चूचे और पीछे की तरफ उठी हुई उसकी गांड एकदम क़यामत ढाती हुई।
दोनों ही मुझसे पद में छोटे थी।
मनीषा एकदम बिंदास लड़की थी, वो लोगों से बेधड़क बातें करती थी, पर पता नहीं क्यों वो मुझसे दूर-दूर रहती थी।
फिर मुझे मेरे ऑफिस के एक चपरासी ने बताया कि लोग उससे मेरे नाम से छेड़ते हैं.. उसे मेरा नाम लेकर बुलाते हैं।
वो भी शरमा कर चली जाती है।
जब मैंने चपरासी से उसके स्वभाव के बारे में पूछा तो उसने बताया- यह लड़की किसी को घास नहीं डालती, पर पता नहीं क्यों वो आप पर इतना फ़िदा है?
मैं यह सब सुन कर चुप हो गया।
एक दिन उसने सबको अपने घर पर बुलाया और मुझे भी घर पर आने के लिए मैसेज किया।
हम सभी लोग उसके घर गए तो मालूम हुआ कि उसका जन्मदिन है।
हम लोगों को इसका दुःख हुआ कि हम सब खाली हाथ उसके घर आ गए, पर कर भी क्या सकते थे।
उसका बर्थ-डे केक कटा, हम लोगों ने खाना खाया और बाद में हम चलने के लिए निकले तो मैंने उससे पूछा- तुम्हें जन्मदिन का क्या तोहफा चाहिए ?
तो उसने कहा- बस आपके साथ इस रविवार को कुछ पल अकेले बिताना चाहती हूँ, अगर आपको कोई तकलीफ ना हो तो।
मैंने भी ‘हाँ’ कर दी।
अगले रविवार को वो अपने पापा की कार लेकर मेरे होटल के पास आई और मुझे कॉल किया कि मैं नीचे आपका इंतज़ार कर रही हूँ।
मैं नीचे गया तो उसे देखते ही रह गया, वो गजब की क़यामत लग रही थी।
उसने लाल रंग टॉप और नीली जीन्स पहनी थी, साथ में एक स्कार्फ भी लिया हुआ था।
वो मुझे एक समुद्र के किनारे पर ले गई। वो बहुत ही सुन्दर जगह थी वहाँ पर बहुत सारे लोग अपने-अपने परिवार के साथ थे।
इतने में वहाँ उसके कुछ दोस्त और सहेलियाँ भी आ गईं वे सब अपने-अपने प्रेमियों के साथ थे।
वे सब उससे बोलने लगीं- यार, तेरे वो तो बड़े स्मार्ट हैं।
तो उसने उनको चुप रहने का इशारा किया और मेरा परिचय कराया- ये मेरे दोस्त हैं।
उसके बाद हम साथ-साथ बीच पर घूमने लगे। अब वो मेरे साथ काफी घुलमिल गई और मुझसे बार-बार मस्ती करने करने लगी।
शाम 7.30 पर हम लोग वहाँ से निकले, रास्ते में जोरों से बारिश चालू हो गई। तेज हवा के साथ सामने कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था।
मैंने उससे कहा- गाड़ी एक तरफ रोक दो, तेज हवा रुकने के बाद हम आगे बढ़ेंगे।
अब 8.15 हो गया, पर तूफ़ान जरा भी बंद नहीं हुआ, तो मैंने कहा- यहाँ इस तरह रुकना ठीक नहीं है।
उसने धीरे-धीरे गाड़ी आगे बढ़ाई तो आगे कुछ दूरी पर एक होटल था।
हमने वहाँ रुकना उचित समझा और गाड़ी पार्क करने के बाद हमने जैसे ही होटल में कदम रखा तो होटल मैनेजर ने हमारा स्वागत किया और हमने वहाँ पर कमरा लिया।
संयोग से उसके पास एक ही कमरा खाली था। वेटर ने हमें हमारा कमरा दिखाया, जिसमे सिर्फ एक ही बिस्तर था।
हमने खाना मंगाया और बातें करने लगे। बातों-बातों में उसने पूछा- आप की कोई गर्ल-फ्रेंड है क्या?
मैंने भी मजाक में कह दिया- तुम हो ना मेरी गर्लफ्रेंड।
वो शरमा गई।
फिर मैंने कहा- मेरी आज तक की जिन्दगी में तुम पहली लड़की हो जिससे मैंने दोस्ती की है, इस हिसाब से तो तुम ही मेरी गर्ल-फ्रेंड हुई ना?
इतना सुनते ही वो जोर-जोर से हँसने लगी।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो उसने कहा- कुछ नहीं।
इसी तरह अब 9.30 का वक्त हो गया, पर तूफान रुकने का नाम नहीं ले रहा था।
उसने अपने घर पर फोन करके बता दिया कि वो अपनी सहेली के यहाँ पर है, जैसे ही तूफान रुकेगा वो आ जाएगी।
तो उसके पापा ने कहा- नहीं… तू सुबह ही आना।
फिर हम लोग सोने के लिए जाने लगे।
मैंने कहा- मैं नीचे कालीन पर सो जाता हूँ तुम बिस्तर पर सो जाओ।
तो उसने कहा- नहीं या तो दोनों ऊपर सोयेंगे या नीचे.. क्योंकि उसे अकेले डर लगता है।
उसके बोलने पर हम दोनों बिस्तर पर सो गए।
रात को मुझे एहसास हुआ कि कोई एकदम मुझसे चिपक कर सो गया है और उसका हाथ मेरे ऊपर है।
मैंने देखा तो पता चला के वो मनीषा का हाथ है।
मैंने इस घटना को संयोग समझा और मैं फिर से सो गया।
रात को मेरी आँख खुली तो मैंने देखा कि मनीषा नींद में अपनी जीन्स के अन्दर हाथ डालकर कुछ कर रही थी।
मैंने पूछा- ये क्या कर रही हो?
तो उसने कहा- उसे पूरे कपड़े पहन कर नींद नहीं आती।
तो मैंने भी कह दिया- कपड़े निकाल कर बाथरोब तौलिया पहन लो।
वो बाथरूम में जाकर जीन्स निकाल कर तौलिया पहन कर आई और उसने ऊपर स्कार्फ लपेट लिया था।
उसे देखते ही मेरा मन पूरी तरह डोल गया।
मैं ना चाहते हुए भी उसकी तरफ बढ़ गया और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए।
वो भी मुझसे लिपट गई, शायद वो यही चाहती थी। उसके बाद मैंने उसे अपनी गोद में उठाया और बिस्तर पर ले गया और उसका स्कार्फ तौलिया दोनों निकाल दिए।
अब वो मेरे सामने सिर्फ ब्रा-पैन्टी में थी।
दोनों गुलाबी रंग के थे।
धीरे-धीरे मैंने अपने हाथों को उसकी ब्रा में डाल दिया और उसे दबाने लगा, वो भी गरम होने लगी थी।
मैंने उसकी ब्रा का हुक पीछे से खोल दिया, अब उसकी चूचियाँ पूरी तरफ मेरे सामने तनी हुई खड़ी थीं।
जैसे-जैसे मैं उसे चूमता, उसके मुँह से उत्तेजित आवाजें निकलतीं, जो मुझे और भी अच्छी लग रही थीं।
उसने भी मेरी टी-शर्ट निकाल दी और मेरे सीने को चूमने लगी।
अब मैंने अपना हाथ उसकी पैन्टी में डाल दिया, उसकी चूत पूरी गीली हो गई थी।
उसने भी मेरे जीन्स को मुझसे अलग कर दिया।
अब मैंने उसकी पैन्टी भी निकाल दी और उसने मेरी चड्डी खींच दी।
अब हम दोनों पूरी तरह नंगे थे, मैं अपने होंठों को उसके चूत तक ले गया और उसको चूमने लगा।
वो जोर-जोर से सिसकारियाँ लेने लगी- आह… आह.. आह.. सर प्लीज मुझे चोद दो.. फाड़ दो मेरी बुर को.. अपने लंड से अब और नहीं सहा जाता..
मैंने भी देर ना करते हुए उसे सीधा लिटा दिया और अपना 7 इंच का लंड उसकी बुर पर रख कर सहलाने लगा। उसने मेरा लंड अपने हाथ लिया और अपनी बुर के छेद पर रख दिया।
मैं एक हाथ से उसके मम्मे दबाने लगा और लंड को एक जोर से धक्का मारा, तो आधा अन्दर चला गया, वो जोर से चिल्लाई- ऊई..ऊ… सर प्लीज.. बाहर निकालो..
मैं वहीं पर रूक गया और उसके मम्मों को दबाने लगा।
कुछ देर में उसका दर्द कम हुआ तो उसने आगे बढ़ने का इशारा किया।
मैंने थोड़ा पीछे होकर एक और जोर सा झटका दिया पूरा का पूरा लंड उसकी बुर में चला गया और उसके मुँह से जोर से आवाज़ निकलती, उसके पहले ही मैंने अपने मुँह से उसका मुँह बंद कर दिया।
उसकी बुर से खून निकलने लगा लेकिन थोड़ी देर में उसका पूरा दर्द चला गया और वो अपनी गांड उठा-उठा कर मुझसे चुदवाने लगी।
करीब 15-20 मिनट के बाद हम दोनों झड़ गए और एक-दूसरे के ऊपर ही लिपट कर लेट गए।
थोड़ी देर बाद मनीषा ने मेरे लंड को तौलिया से साफ़ किया और उसे चाटने लगी, जिससे मेरा लंड फिर चुदाई के लिए खड़ा हो गया।
उसके बाद मेरी नजर उसकी गांड पर पड़ी।
क्या मस्त लग रही थी उसकी गांड।
मैंने इशारा किया तो उसने कहा- अभी नहीं.. किसी ख़ास दिन आपको तोहफे के रूप में दूँगी।
मैंने भी ज्यादा जोर नहीं दिया और उसे अपने लंड पर बैठने का इशारा किया।
वो उठी और मेरे लंड पर अपनी बुर को रख दिया या ऐसा भी कह सकते है कि वो मुझे चोद रही थी।
रात भर हमने 5 बार चुदाई की। सुबह हम फ्रेश होकर घर चले गए।
उसके बाद हम महीने में 2-3 बार उसी होटल में जाकर हनीमून मानते थे।
मुझे उसकी गांड मारनी थी आखिर उस ख़ास दिन का मुझे भी तो इन्तजार था।
उसकी गांड मारने की कहानी मैं आपको अवश्य लिखूँगा।
यह मेरी पहली चुदाई की कहानी थी। उम्मीद है कि आपको पसंद आई होगी, मुझे ईमेल करें।
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