ऑफिस में रिसेप्शनिस्ट के साथ मेरी सेक्स कहानी

ऑफिस में रिसेप्शनिस्ट के साथ मेरी सेक्स कहानी

दोस्तो, मैं बेबू आपके लिए अपनी पहली हिंदी सेक्स कहानी लेकर हाजिर हूँ. आप सोच रहे होंगे कि ये बेबू कैसा नाम है, ये मेरी लाइफ की पहली गर्लफ्रेंड ने दिया जिसका नाम अंशु था और मैं उसे कट्टो कहकर बुलाता था.

यह बात अब से 7 साल पुरानी है. मैं तब 21 वर्ष का था और पिछले एक साल से मैं एक वेबसाइट डेवलप करने वाली कंपनी में मार्केटिंग हेड की पोस्ट पर था.. मेरे नीचे 5 लड़के काम करते थे. तब तक हमारे ऑफिस में कोई भी लड़की नहीं थी.

सारे लड़के 11 बजे तक हाजिरी लगा कर मार्केट निकल जाते थे. मैं ऑफिस के काम निपटा कर मार्केट के लिए जाता था. सर भी लेट आते या कभी नहीं भी आते थे. एक तरह से सारा कर्ता-धर्ता मैं ही था.
एक दिन ऑफिस में एक लड़की आई, सर ने उसका इन्टरव्यू लिया. फिर सर ने मुझे बुला कर कहा कि ये अंशु है, यह लड़की हमारे ऑफिस में रिसेप्शनिस्ट रहेगी और ऑफिस का काम भी देखेगी.

मैंने उसे देखा तो बस देखता ही रह गया एकदम गोरी, उसकी लंबाई 5 फुट 5 इंच, तने हुए मम्मे 32 इंच के, कमर 28 की और उठे हुए चूतड़ 34 नाप के रहे होंगे.
सर बोले- इसे देखता ही रहेगा या इसे कोई काम भी समझाएगा.

मैं उसे अपने केबिन में ले गया और कंप्यूटर पर बेसिक चीजें समझा कर मार्केट निकल गया. शाम को 5 बजे वापस आया तो देखा उसने मुझे देखते ही कंप्यूटर में कुछ किया और नॉर्मली काम करने लगी. कुछ दिन ऐसे ही गुजरे, मैं उससे घुल-मिल गया, हम अच्छे दोस्त बन गए थे. आपस में बात करते थे.

एक दिन मुझे ऑफिस के काम के कारण सहारनपुर जाना पड़ा. मैं अभी रास्ते में ही था कि उस लड़की अंशु की कॉल आई.
मैंने हैलो बोला तो उसने पूछा- कहाँ हो?
मैंने बोला- रास्ते में ही हूँ.
फिर वो चुप हो गई.
मैंने पूछा- क्या बात है?
वो कुछ नहीं बोली और अचानक से रोने लगी.

पहले चुप होने को कह कर मैंने पूछा- क्या बात हुई बोलो न कट्टो.
वो बोली- मुझे तुमसे अभी मिलना है, मेरा मन नहीं लग रहा.
वक़्त की नज़ाकत समझते हुए मैंने उसे शाम तक वापस आने का वादा किया.

शाम को कॉल आई तो सुबह ऑफिस जल्दी पहुँचने को बोला और मिलने को कहा.

अगले दिन मैं थोड़ा जल्दी सुबह 8.30 पर ऑफिस आ गया, देखा तो वो ऑफिस के बाहर इंतजार कर रही थी.

मैंने अक्कू भाई, जो हमारे ऑफिस के चपरासी थे, कल रात में उनसे चाभी नीचे चाय वाले को देने के लिए बोल दिया था. अभी चाय वाले से चाभी लेकर मैंने ऑफिस का गेट खोला और अन्दर आकर बंद कर दिया.

अन्दर घुसते ही उसने मुझे हग कर लिया और रोने लगी. मैंने उसकी कमर पर हाथ फेरना शुरू किया और उसे चुप कराने लगा. मैं उसे अपने केबिन में ले गया और पानी पिलाया और रोने का कारण पूछा. उसने मुझे बताया कि उसकी अपने घर पर लड़ाई हो गई है.
मैंने उससे कहा कि ऐसा तो हो जाता है.
वो बोली- मेरे साथ ऐसा नहीं है.

वो फिर से मुझसे लिपट गई. मैंने उससे कुछ भी पूछना उचित नहीं समझा. मुझे समझ ही नहीं आया कि क्या मसला हो सकता था. उसके साथ जो भी मसला रहा हो लेकिन अभी उसके लिपटने पर मेरा शैतान खड़ा होने लगा. मैंने उसे अपनी बांहों में कस लिया और उसके गालों पर किस की.
वो मुझसे चिपकी रही, तो मैंने उसके माथे पर चूमा और उसकी आँखों में देखने लगा. उसकी आँखों में मुझे अब कुछ और ही नजर आ रहा था. मैंने भी टाइम ख़राब न करते हुए उसके गालों पर किस स्टार्ट कर दिए, फिर गालों से होते हुए उसकी गर्दन तक चुम्बन करने लगा.

अचानक वो बोली- बेबू मुझे कुछ हो रहा है.
मैंने उसके होंठों पर अपनी उंगली रख दी, तो उसने बिना एक सेकंड लगाए उसे अपने होंठों में दबा लिया.
मैं अब समझ गया कि लोहा गरम है और हथौड़ा मारने का टाइम भी यही है. मैंने तुरंत अपनी उंगली हटा कर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और स्मूच करने लगा.

कोई दस मिनट तक हमारा स्मूच हुआ, साथ में मैं उसके बदन को हाथ से सहलाता रहा, कभी चूची कभी गांड.. कभी कमर.. बस अब मुझे मज़ा आ रहा था.

मैंने उसकी टी-शर्ट उतारी तो देखा कि उसने परपल कलर की ब्रा पहनी हुई थी. मैंने ब्रा को ऊपर करके उसके चूचे बाहर निकाले और चूसने लगा. अब वो मेरे सर में हाथ फिरा रही थी और मैं उसकी कभी दायीं और कभी बायीं चूची चूस रहा था. फिर धीरे से मैंने उसकी ब्रा भी हटा दी और उसके पेट पर नाभि पर किस करने लगा.

अब वो गरम होती जा रही थी, मैंने उसकी जींस का बटन खोला तो बोली- बेबू, ये गलत है.
मैंने कहा- एक लड़के और लड़की के बीच में जो सब रजामंदी से होता है, वो सही होता है.
वो बोली- कुछ होगा तो नहीं?
मैं बोला- मुझ पे विश्वास है तो डरो मत.

उसने मुझे चुम्बन लिया. अब मैंने उसकी जीन्स उतार दी. उसने नीचे पिंक कलर की पैंटी पहनी थी.
मैंने अपनी टेबल पे से सब सामान एक तरफ करके उसे टेबल पर बैठा दिया और उसे होंठों से किस करता हुआ पेट पर आया, पेट से नाभि और उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को चाटने लगा. अंशु यानि मेरी कट्टो को बहुत मजा आ रहा था, वो सिसकारियाँ भरने लगी थी- उम्म्ह… अहह… हय… याह…
अब उसके मुँह से आवाजें आ रही थीं. वो बोल रही थी- बस प्लीज अब मुझसे नहीं रहा जाता.. फाड़ दो मेरी चूत.

इतना सुनते ही मैंने दांतों से पकड़ कर उसकी पैंटी उतार दी. फिर उसके सैंडल उतार कर उसका अंगूठा चूसा और उसके पैरों पर किस करता हुआ चूत तक आ गया. मेरे चूत पर आने पर उसने मुझे पीछे धक्का दिया और टेबल से उतर कर मेरी शर्ट उतारी और पेंट भी उतार दी. वो अब सेक्स की आग में पागल हो चुकी थी. उसने उसने मेरी छाती, जो कि बालों से भरी हुई है, पर हाथ फिराते हुए मेरा लंड पकड़ लिया और मादक सिसकारियां लेने लगी. उसने मुझे टेबल पर बैठाया और अंडरवियर उतार कर मेरा लंड दोनों हाथों में भर लिया.

मेरे लंड का साइज़ नार्मल है.. यह 6 इंच लंबा और लगभग 2 इंच मोटा है. उसने मेरे खड़े लंड पर चुम्मी की, फिर लंड का सुपारे को चूमा और लंड के छेद में जीभ घुसा दी.

कसम से दोस्तो.. मेरी तो मज़े के कारण कामुक सिसकारियां ही निकलने लगीं. मेरा सुपारा फूल कर हद से ज्यादा मोटा हो गया. फिर धीरे धीरे उसने लंड को मुँह में भर लिया और चूसने लगी. मेरी तो मज़े में आह निकल रही थी. क़्या बताऊँ दोस्तो, बस जन्नत नज़र आ रही थी.

मैंने थोड़ी देर बाद उसे उठाया और टेबल पर लेटा दिया. अब उसकी कमर चूतड़ से ऊपर का हिस्सा टेबल पर था और टांगें ऊपर हवा में मेरे हाथों में थीं. मैंने उसकी टांगों को अपने सीने से लगा कर अपना लंड उसकी चूत पर घिसने लगा. अब वो मज़े में सीत्कार कर रही थी.
कट्टो बोली- अब जल्दी से इसे अन्दर डालो.

मैं उसे तड़पा रहा था मगर उसकी जल्दी और टाइम को देखते हुए मैंने धक्का मार दिया, लंड फिसल गया. मैंने दोबारा सैट करके धक्का मारा तो लंड का सुपारा उसकी चूत में अन्दर घुस गया था. उसकी हल्की हल्की कराह निकल रही थी. मैंने थोड़ा इन्तजार करके फिर से जोर से धक्का मारा तो लंड आधा अन्दर चला गया.
इसी के साथ उसके मुँह से चीख निकल गई.

मैंने उसके होंठ अपने होंठों में दबा लिए और कस कर धक्का लगा दिया. अब मेरा पूरा लंड अन्दर जा चुका था और मुझे गीलेपन का अहसास हो रहा था.
वो तड़फ कर बोली- प्लीज हट जाओ, मुझे बहुत दर्द हो रहा है.
मैं बोला- बस कुछ ही देर में ये दर्द कम हो जाएगा.. थोड़ा सह लो.

मैं उसे लिप किस करने लगा और बीच बीच में उसकी चूची चूसने लगा. वो थोड़ा नार्मल हुई तो मैंने हल्के हल्के धक्के लगाने शुरू कर दिए. वो भी मज़े में आने लगी और मैं चोदने लगा.
कुछ देर बाद वो बोली- बेबू, मेरा होने वाला है.

तो मैंने तेज़ धक्के देने शुरू कर दिए उसका हुआ तो वो मुझसे कस कर चिपक गई और मैं रुक गया. मैंने उसके गले पर कानों पर किस करना जारी रखा और उसे चेयर पर बैठाया, देखा तो सारी टेबल खून में खराब हो चुकी थी. मैंने उसकी परवाह न करते हुए उसे चेयर पर घोड़ी बना दिया और चूत पर लंड सैट करके धक्का लगा दिया. वो फिर से चीखी, मैंने कोई ध्यान नहीं दिया और उसकी कमर पकड़ के धक्के लगाने लगा.

अब वो भी मज़े से चुद रही थी और मैं उसे चोदे जा रहा था. कुछ देर बाद ऐसा टाइम आया कि हम दोनों एक साथ झड़ गए. मैंने उसे पीछे से ही कस के पकड़ लिया और झड़ गया. अब हमें होश आया तो जल्दी से कपड़े पहने और उसके बाद हमने मेज को साफ़ किया. सारा सामन वगैरा व्यवस्थित किया, सब कुछ नार्मल करके अपनी जगह पर बैठ गए और बात करने लगे.
वो कहने लगी- यार बेबू, तुमने गड़बड़ कर दी. मैंने ऐसा तो सोचा ही नहीं था. और तुमने कंडोम भी नहीं लगाया और अंदर ही डिस्चार्ज कर दिया. अगर कुछ हो गया तो?

मैंने तभी से उसे एक गर्भ निरोधक टेबलेट ला कर दी, उसने तुरंत वो गोली पानी से खा ली और अब हम दोनों के मन से गर्भ का भी समाप्त हो गया.

वो 5 साल तक मेरी गर्लफ्रेंड रही मैंने उसे खूब चोदा.

मेरी सेक्स कहानी लिखने में मुझसे कोई गलती हुई हो तो माफ़ करना, दोस्तो, मुझे आपके मेल्स का इंतज़ार रहेगा.
मेरी मेल आईडी है.
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इसके बाद क्या हुआ, पढ़ें इस कहानी में: रिसेप्शनिस्ट की चूत चुदाई का दूसरा मौक़ा

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