ऑफ़िस गर्ल की चुदाई ऑफिस में -1
मैं काफी दिनों से इस साईट पर लोगों के अनुभव पढ़ रहा हूँ.. कुछ दिनों पहले मेरी जिंदगी में एक जबरदस्त चुदाई का अवसर आया.. जिसे मैं भी आप सभी के साथ बांटना चाहूँगा।
मैं विजय 35 साल की उम्र का हूँ.. दिल्ली में रहता हूँ।
मेरी एक छोटी सी फैक्ट्री है.. कुछ ही दूर पर मेरे दोस्त अजय की भी फैक्ट्री है। हम दोनों पार्टनर भी हैं।
एक दिन अजय के ऑफिस में मेघा नाम की लड़की को कंप्यूटर ऑपरेटर की नौकरी पर रखा गया। एक हफ्ते बाद पता चला.. उसका चार साल पहले तलाक हो गया है। मैं उसे चोदने की सम्भावना के बारे में सोचने लगा।
जल्दी ही मेरी उससे दोस्ती हो गई। उन दिनों मैं अपना नया ऑफिस बनवा रहा था.. एक दिन मेघा ने मुझसे कहा- सर कोई कह रहा था.. आपने अपने ऑफिस के टॉयलेट में काफी सुंदर टाइल लगवाई हैं। मुझे भी अपने घर में लगवानी हैं.. मुझे देखनी हैं।
मेरा ऑफिस 6 बजे बंद होता था.. मैंने मेघा से कहा- ऑफिस के बाद चलना.. मैं वहीं से तुम्हें मेट्रो पर छोड़ दूँगा।
ठीक 6 बजे हम दोनों मेरी कार में बैठ कर फैक्ट्री की तरफ चल दिए। रास्ते में मैंने मेघा से पूछा- अकेले कैसा लगता है.. सेक्स का मन नहीं करता।
पहले तो कुछ बोली नहीं.. मेरे दुबारा पूछने पर कहने लगी- मन को मारना पड़ता है सर.. वरना मन तो सभी का करता है और मैं तो अभी 25 साल की ही हूँ।
अब तक हम फैक्ट्री पहुँच गए थे। मेघा पहली बार मेरी फैक्ट्री आई थी.. मेघा को फैक्ट्री घुमाने के बाद मैं ऑफिस में ले गया। जिस समय मेघा टॉयलेट की टाइल देख रही थी.. मैं ठीक उसके पीछे खड़ा था।
अचानक वो पीछे हटी तो उसका पैर मेरे पंजे पर पड़ गया और उसका बैलेंस बिगड़ गया.. मैंने उसे सम्हालने के लिए जैसे ही उसे पीछे से पकड़ा.. मेरे दोनों हाथों में उसकी चूचियाँ आ गईं।
मेघा सीधी हो गई.. लेकिन मेरे हाथ अभी भी उसकी चूचियों पर ही थे। मेघा कहने लगी- क्या कर रहे हैं सर कोई देख लेगा।
मैंने उसकी चूचियों को हल्के से दबाया और उसके गालों को चूम लिया। फैक्ट्री में और लोग भी थे.. अधिक कुछ हो नहीं सकता था।
मैंने जींस पहन रखी थी अंडरवियर के अन्दर लण्ड ने आकार लेना शुरू कर दिया था। मेरा मन कर रहा था कि मेघा को अभी चोद दूँ.. लेकिन मन को मारना मजबूरी थी।
हम दोनों ऑफिस में आकर बैठ गए।
मेघा के चेहरे पर शर्म की लाली साफ दिखाई दे रही थी। मैं अपनी चेयर से उठा और टॉयलेट में जाकर मैंने लण्ड को अंडरवियर से बाहर निकाल कर जींस की जिप बंद की और बाहर आ गया। अब लण्ड को थोड़ी आजादी मिल गई थी।
मैं मेघा के पीछे जा कर खड़ा हो गया.. जैसे ही उसने सर उठा कर मेरी तरफ देखा.. मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। एक बार तो वो कसमसाई फिर ढीली पड़ गई।
मेघा के नीचे वाले होंठ जब मैं चूसने लगा.. तो उसकी साँसें काफी तेज चलने लगीं।
तभी लड़का कॉफी लेकर आ गया और हम दोनों कॉफी पीने लगे।
मेघा 5 फुट 1 या 2 इंच लम्बी थी उसकी चूचियाँ भी ज्यादा बड़ी नहीं थीं लेकिन चूतड़ काफी उभरे हुऐ थे।
मैं करीब 5 फुट 11 इंच लम्बा था। कॉफी पी कर जब हम चलने वाले थे.. तो मैंने मेघा को अपने पास बुलाया.. वो भी अब तक काफी खुल चुकी थी।
मेरी रिवॉल्विंग चेयर के पास आ कर खड़ी हो गई।
मैंने अपना सीधा हाथ उसके चूतड़ों पर रखा और हल्के से दबाते हुऐ अपनी तरफ खींच लिया..।
मेघा भी मुझसे सट कर खड़ी हो गई और कहने लगी- सर सब कुछ आज ही करेंगे क्या.. आपको तो बिल्कुल भी डर नहीं लगता।
मेरे हाथ उसके चूतड़ों को सहला रहे थे।
मैंने मेघा का हाथ पकड़ा और अपने लण्ड पर रख दिया..
मेघा ने चिहुंक कर अपना हाथ हटा लिया।
मेरा लण्ड पूरी तरह खड़ा हो चुका था.. जींस के अन्दर भी उभार साफ दिख रहा था।
मैंने मेघा का हाथ अपने हाथ में लेकर कहा- एक बार देख तो लो.. तुमने मेरा क्या हाल कर दिया है।
मेघा ने धीमे से अपना हाथ मेरे लण्ड पर रख दिया।
मेरा हाथ फिर उसके चूतड़ों पर था।
मैंने अपने उल्टा हाथ उसके हाथ पर रख कर उससे कहा- ठीक से पकड़ो न..
मेघा ने जींस के ऊपर से ही मेरे लण्ड को अपनी मुठ्ठी में पकड़ लिया। मेरा हाथ अब उसकी गाण्ड से होता हुआ उसकी चूत की तरफ बढ़ रहा था।
मेघा मेरे लण्ड को अपने हाथ में दबाते हुए बोली- सर ये तो काफी मोटा लग रहा है।
मेरा हाथ भी उसकी चूत पर पहुँच गया था। जैसे ही मैंने अपनी उंगली मेघा की चूत की दरार पर रखी.. उसका फोन बज गया.. फोन उसके घर से था।
मेघा कहने लगी- सर मम्मी का फ़ोन है.. अब चलते हैं।
मैं मन ही मन सोच रहा था.. आज चोद तो नहीं पाया.. लेकिन साली की चूत पर हाथ जरूर फ़ेरूंगा।
मेघा और मैं कार में आकर बैठ गए.. मेघा कहने लगी- सर मुझे पता नहीं कैसा लग रहा है.. आप मुझे कार से ही घर तक छोड़ दो।
मैंने कार स्टार्ट की और अपना हाथ उसकी जांघ पर रख कार आगे बढ़ा दी। उस समय तक हल्का अँधेरा हो गया था। जैसे ही मेरा हाथ उसकी चूत पहुँचा.. मुझे कुछ गीला सा लगा.. मैंने मेघा की तरफ देखा।
वो कहने लगी- सर इसीलिए मैंने कहा था.. आप मुझे कार से छोड़ दो।
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मेरा दिल झूम उठा था कि अब मुझे इसके साथ कुछ वक्त और मिल सकता है।
मित्रो, मेघा मेरे काबू में आ चुकी थी अब उसको किस तरह चोदूँ कि मेरा मन पूरी तरह संतुष्ट हो सके।
आगे की घटना मैं आपको पार्ट-2 में सुनाऊंगा।
कहानी जारी है।
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सेक्स कहानी का दूसरा भाग : ऑफ़िस गर्ल की चुदाई ऑफिस में -2
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